शिक्षा पर जीएसटी की सत्यता। क्या शिक्षा पर जीएसटी लगता है? Education

शिक्षा पर जीएसटी की सत्यता। क्या शिक्षा पर जीएसटी लगता है? Education

हाल ही में शिक्षा क्षेत्र पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) लगाए जाने की खबरों से सोशल मीडिया भरा हुआ है। सोशल मीडिया पर इस मुद्दे पर जोरदार चर्चा भी हो रही है। हर कोई इस मुद्दे पर आने वाली पोस्ट पर सरकारों (केंद्र और राज्य) की आलोचना कर रहे हैं, कुछ तो इसके लिए सरकारों को हर किसी को अनपढ़ रखने की मंशा तक करार दे रहे हैं। इस मुद्दे ने सोशल साइट्स के उपयोगकर्ताओं का ध्यान अपनी ओर बेहद गहराई और ध्यान से आकर्षित किया है, जो ऐसे मुद्दे पर की गई पोस्ट की टिप्पणियों से स्पष्ट होता है। 
शिक्षा पर जीएसटी की सत्यता। क्या शिक्षा पर जीएसटी लगता है? Education

ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर #EducationGST और #TaxFreeEducation जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। लोगों का मानना है कि शिक्षा एक मूलभूत अधिकार है और उस पर टैक्स लगाना समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के साथ अन्याय है। कई ऑनलाइन शिक्षा देने वाले शिक्षाविद और विशेषज्ञ भी इस प्रकार की पोस्ट कर रहे हैं।

शिक्षा पर जीएसटी के मुद्दे कैसे उठ रहे हैं? 


ऑनलाइन कोचिंग संस्थान और उनके संस्थापक शिक्षा पर GST का मुद्दा सोशल मीडिया पर सबसे ज़्यादा जोर-शोर से उठा रहे हैं। विशेष रूप से Physics Wallah और कुछ अन्य प्रमुख एजटेक कंपनियों की तरफ से यह अभियान चलाया जा रहा है। जिसे आप देख सकते हैं। 

Physics Wallah (PW) — आलख पांडे और प्रतीक महेश्वरी - 
आलख पांडे, PW के फाउंडर, ने कहा - 
भारत में शिक्षा पर 18% GST लगाना गलत है। यह बोझ छात्रों और उनके परिवारों पर पड़ता है।
उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा को व्यापार नहीं माना जाना चाहिए, बल्कि इसे गैर-लाभकारी (non-profit) सेक्टर में रखा जाना चाहिए।

प्रतीक महेश्वरी, PW के को-फाउंडर, ने मीडिया से बातचीत में कहा
18% GST affordable education की राह में सबसे बड़ी रुकावट है।”
उन्होंने सरकार से टैक्स को घटाकर 5% या पूरी तरह खत्म करने की अपील की।

ऑनलाइन कोचिंग संस्थानों द्वारा इस प्रकार के मुद्दे उठाये जाने के बाद से सोशल मीडिया पर कैम्पेन चलाने वालों की मानो बाढ़ ही आ गई, हर तरफ से इस मुद्दे पर ट्वीट किए जाने के साथ ही अन्य सोशल मीडिया पर भी पोस्ट और वीडियो अपलोड किए जाने लगे। इस कैंपेन का हिस्सा बनने वालों ने #NoGSTonEducation जैसे हैशटैग्स का प्रयोग किया और समाज को जागरूक किए जाने का मुद्दा भी उठाया। 

कुछ संस्थानों ने बजट से पहले सरकार से खुला पत्र जारी किया जिसमें टैक्स छूट की मांग की गई।

क्या वास्तव में शिक्षा पर जीएसटी लगता है। 

भारत में शिक्षा पर लगने वाले जीएसटी को जानने के लिए सबसे पहले हमे शिक्षा व्यवस्था को भी जान लेना जरूरी है ताकि टैक्स को भी बेहतर तरीके से समझ सकते हैं। भारत में वर्तमान शिक्षा व्यवस्था के साथ ही वर्तमान संस्थानों को भी समझ लेना बहुत जरूरी है ताकि टैक्स को बेहतर तरीके से समझा जा सकता है।

भारत में शिक्षा व्यवस्था का ढांचा - 

भारत में शिक्षा व्यवस्था एक विस्तृत और बहु-स्तरीय प्रणाली है, जिसमें प्राचीन परंपराओं से लेकर आधुनिक तकनीकी शिक्षा तक का समावेश है। यह व्यवस्था समय के साथ कई सुधारों और बदलावों से गुज़री है। नीचे भारत की शिक्षा व्यवस्था के मुख्य पहलुओं का सारांश दिया गया है। 

1. पूर्व-प्राथमिक शिक्षा (Pre-Primary Education)
  • आयु: 3 से 6 वर्ष
  • स्तर: आंगनवाड़ी, नर्सरी, के.जी.
  • फोकस: बुनियादी भाषा, संख्याएं, सामाजिक व्यवहार
2. प्राथमिक शिक्षा (Primary Education)
  • कक्षा: 1 से 5 तक (आयु 6-11 वर्ष)
  • विषय: भाषा, गणित, पर्यावरण अध्ययन
  • उद्देश्य: बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान
3. माध्यमिक शिक्षा (Secondary Education)
  • उच्च प्राथमिक: कक्षा 6-8 (Middle School)
  • माध्यमिक: कक्षा 9-10
  • उच्च माध्यमिक: कक्षा 11-12 (Senior Secondary)
  • बोर्ड: CBSE, ICSE, राज्य बोर्ड
4. उच्च शिक्षा (Higher Education)
  • विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और तकनीकी संस्थानों द्वारा प्रदान की जाती है
  • डिग्री: स्नातक (BA, B.Sc, B.Tech), परास्नातक (MA, M.Sc, MBA), पीएचडी आदि
  • प्रमुख संस्थान: IITs, IIMs, AIIMS, NITs आदि
स्तर  आयु / कक्षा संस्थान / माध्यम प्रमुख विषय / डिग्री उद्देश्य / विवरण
पूर्व-प्राथमिक शिक्षा 3 से 6 वर्ष आंगनवाड़ी, नर्सरी, के.जी भाषा, संख्याएं, सामाजिक व्यवहार प्रारंभिक विकास, व्यवहारिक व मानसिक तैयारी
प्राथमिक शिक्षा कक्षा 1 से 5 (6-11 वर्ष)  प्राथमिक विद्यालय भाषा, गणित, पर्यावरण अध्ययन बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान
माध्यमिक शिक्षा कक्षा 6 से 12 (11-18 वर्ष) माध्यमिक/उच्च माध्यमिक विद्यालय (CBSE, ICSE, राज्य बोर्ड) विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान, भाषा, वाणिज्य आदि  विषय ज्ञान, परीक्षा आधारित मूल्यांकन, करियर की दिशा तय करने की शुरुआत
उच्च शिक्षा स्नातक से पीएचडी (18 वर्ष से ऊपर) विश्वविद्यालय, कॉलेज, तकनीकी संस्थान BA, B.Sc, B.Tech, MA, M.Sc, MBA, PhD आदि  विशेषज्ञता, शोध, व्यावसायिक प्रशिक्षण

शिक्षा पर जीएसटी - 


भारत में शिक्षा को एक मौलिक अधिकार और सामाजिक आवश्यकता माना गया है, न कि केवल एक व्यवसाय। इसी सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार ने शिक्षा क्षेत्र को वस्तु एवं सेवा कर (GST) व्यवस्था में विशेष दर्जा दिया है। अधिकांश शैक्षणिक सेवाएं जीएसटी से मुक्त (Exempted) हैं, जिससे समाज के सभी वर्गों के लिए शिक्षा को सुलभ और सस्ता बनाया जा सके।

प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक स्तर (कक्षा 1 से 12) तक की शिक्षा, जो किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड (जैसे CBSE, ICSE, राज्य बोर्ड) से संबद्ध विद्यालयों द्वारा प्रदान की जाती है, उस पर कोई जीएसटी नहीं लगाया जाता। इसका उद्देश्य छात्रों और अभिभावकों को अनावश्यक वित्तीय दबाव से बचाना है।

इसी प्रकार, विश्वविद्यालयों और कॉलेजों द्वारा संचालित डिग्री पाठ्यक्रम, जैसे कि BA, B.Sc, B.Com, B.Tech, MA, MBA आदि, यदि वे UGC, AICTE, या अन्य सरकारी निकायों से मान्यता प्राप्त संस्थानों द्वारा चलाए जा रहे हैं, तो वे भी पूरी तरह से जीएसटी मुक्त हैं। यह छूट केवल डिग्री आधारित औपचारिक शिक्षा तक सीमित है।

हालाँकि, गैर-मान्यता प्राप्त कोचिंग संस्थान, जैसे कि IIT, NEET, UPSC आदि की तैयारी कराने वाले ट्यूशन सेंटर, या ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफ़ॉर्म, जिनका औपचारिक डिग्री से कोई संबंध नहीं होता, उन पर 18% तक जीएसटी लागू होता है। इन्हें व्यवसायिक सेवा माना जाता है।

निष्कर्षतः, भारत की जीएसटी नीति शिक्षा के सामाजिक महत्व को मान्यता देती है। फिर भी, निजी शिक्षण सेवाओं पर लगने वाला कर गरीब और मध्यम वर्ग के लिए एक चुनौती हो सकता है। अतः इस क्षेत्र में और अधिक संतुलन और स्पष्टता लाने की आवश्यकता है, जिससे शिक्षा हर वर्ग के लिए सुलभ और न्यायसंगत बन सके।

कब लगता है शिक्षा पर जीएसटी - 


भारत में शिक्षा को एक सामाजिक सेवा माना जाता है, इसलिए अधिकांश औपचारिक शिक्षा सेवाओं को जीएसटी (GST) से छूट दी गई है। हालांकि कुछ विशेष परिस्थितियों में शिक्षा पर जीएसटी लागू होता है।

सबसे पहले यह समझना ज़रूरी है कि केवल मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों द्वारा प्रदान की गई डिग्री या प्रमाणपत्र आधारित शिक्षा पर ही जीएसटी छूट मिलती है। जैसे कि स्कूल (कक्षा 1-12), कॉलेज और विश्वविद्यालय द्वारा दी जाने वाली शिक्षा पर कोई जीएसटी नहीं लगता।

लेकिन जब शिक्षा सेवा किसी गैर-मान्यता प्राप्त संस्था द्वारा दी जाती है, जैसे:
  • निजी कोचिंग संस्थान (IIT, NEET, UPSC आदि की तैयारी),
  • ऑनलाइन ट्यूटर या ऐप्स,
  • एजुकेशनल कंसल्टेंसी सेवाएं,
  • परीक्षा फॉर्म भरने की सहायता,
  • कैरियर गाइडेंस या विदेश पढ़ाई के लिए परामर्श,
तो इन सेवाओं पर आमतौर पर 18% की दर से जीएसटी लागू होता है। यह सेवाएं "वाणिज्यिक" मानी जाती हैं, इसलिए इन पर कर लगाया जाता है।

निष्कर्षतः, शिक्षा पर जीएसटी तब लगता है जब सेवा औपचारिक डिग्री शिक्षा का हिस्सा न हो और उसे लाभकारी गतिविधि माना जाए। इसलिए हर शिक्षा सेवा पर कर नहीं, बल्कि उसकी प्रकृति पर निर्भर करता है।

संक्षिप्त - 

सेवा का प्रकार जीएसटी की दर विवरण
मान्यता प्राप्त स्कूलों द्वारा दी जाने वाली शिक्षा ❌ 0% (निल)  प्राथमिक से उच्च माध्यमिक तक की शिक्षा (कक्षा 1-12) — टैक्स मुक्त (Exempt)
मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों / कॉलेजों द्वारा डिग्री पाठ्यक्रम ❌ 0% (निल)  सरकारी या UGC/AICTE द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थान — टैक्स मुक्त
एडमिशन फीस, परीक्षा शुल्क (मान्यता प्राप्त संस्थानों में)  ❌ 0% (निल)  यदि मान्यता प्राप्त संस्थान द्वारा लिया गया हो
कोचिंग संस्थान / ट्यूशन सेंटर ✅ 18% गैर-मान्यता प्राप्त निजी कोचिंग (IIT/NEET आदि की तैयारी) — टैक्स योग्य
ऑनलाइन कोर्स / ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म ✅ 18% यदि वह सरकारी मान्यता प्राप्त नहीं है तो जीएसटी लगता है
शैक्षणिक सेवाओं पर परामर्श (Consultancy)  ✅ 18% जैसे एजुकेशनल कंसल्टेंसी, स्टडी अब्रॉड गाइडेंस — टैक्स योग्य

कोचिंग पर जीएसटी के कारण - 


भारत में कोचिंग संस्थानों की भूमिका पिछले कुछ वर्षों में अत्यधिक बढ़ी है। ये संस्थान छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे IIT-JEE, NEET, UPSC, SSC आदि की तैयारी कराने में सहायता करते हैं। हालांकि ये शिक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुके हैं, फिर भी सरकार इन्हें औपचारिक शिक्षा संस्थानों की श्रेणी में नहीं रखती, जिस कारण कोचिंग सेवाओं पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू होता है।

मुख्य कारण यह है कि कोचिंग संस्थान डिग्री या मान्यता प्राप्त प्रमाणपत्र प्रदान नहीं करते। भारतीय जीएसटी कानून के अनुसार केवल वही शैक्षणिक सेवाएं जीएसटी से मुक्त होती हैं जो:
  1. किसी मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्था (जैसे स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय) द्वारा प्रदान की जाती हैं।
  2. औपचारिक पाठ्यक्रम से संबंधित हों।
कोचिंग संस्थान सामान्यतः निजी स्वामित्व वाले होते हैं और इनका संचालन व्यावसायिक लाभ के लिए किया जाता है। इसलिए सरकार इन्हें “वाणिज्यिक सेवा (Commercial Service)” मानती है और इन पर 18% की दर से जीएसटी लगाया जाता है।

इसके अतिरिक्त, कई कोचिंग संस्थान ऑनलाइन माध्यम से भी सेवाएं दे रहे हैं। ऑनलाइन कोर्स, ऐप्स, टेस्ट सीरीज, मॉक टेस्ट आदि पर भी यही टैक्स दर लागू होती है।

निष्कर्षतः, कोचिंग पर जीएसटी इसलिए लगता है क्योंकि यह शिक्षा का अनौपचारिक, लाभ आधारित रूप है और यह सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त डिग्री या प्रमाणपत्र प्रदान नहीं करता। हालांकि इससे कोचिंग की लागत बढ़ जाती है, जो मध्यमवर्गीय छात्रों के लिए एक चिंता का विषय है। भविष्य में इस नीति की समीक्षा करते हुए सरकार को शिक्षा और व्यवसाय के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता है।

अन्य आवश्यक प्रश्न 


प्रश्न - क्या स्टेशनरी पर जीएसटी लगता है? 

उत्तर - हाँ, स्टेशनरी (Stationery) पर जीएसटी (GST) लगता है। स्टेशनरी वस्तुओं को "वस्तु एवं सेवा कर" अधिनियम के अंतर्गत वस्तुओं (Goods) की श्रेणी में रखा गया है और उन पर अलग-अलग दर से जीएसटी लगाया जाता है।

नीचे कुछ सामान्य स्टेशनरी वस्तुओं पर लागू जीएसटी दर दी गई है। स्टेशनरी पर जीएसटी दरें (2024 अनुसार): - 
स्टेशनरी आइटम जीएसटी दर
पेन, पेंसिल, स्केच पेन 12%
रबर (Eraser) 18%
शार्पनर 18%
नोटबुक, कॉपी 12%
प्रिंटर पेपर / A4 शीट्स 12%
फाइल, फोल्डर, बाइंडर  18%
चिपकने वाला गोंद (Fevicol आदि) 18%
व्हाइटनर / करेक्शन फ्लुइड  18%
स्केल (Scale)  12%
चार्ट पेपर, ड्राइंग शीट 12%

स्टेशनरी वस्तुओं पर जीएसटी लागू होता है और यह दर वस्तु के प्रकार पर निर्भर करती है। हालांकि शिक्षा सेवाएं (जैसे स्कूलों में पढ़ाई) टैक्स-मुक्त हो सकती हैं, लेकिन उससे जुड़ी चीज़ें जैसे स्टेशनरी — टैक्स योग्य होती हैं।

प्रश्न - क्या स्कूली किताबों पर जीएसटी लगता है? 

उत्तर - नहीं, स्कूली किताबों पर जीएसटी नहीं लगता। भारत सरकार ने शैक्षणिक उद्देश्य से उपयोग की जाने वाली पाठ्यपुस्तकों को जीएसटी से छूट (0% टैक्स) दी है। यह छूट NCERT, SCERT और अन्य मान्यता प्राप्त बोर्डों की किताबों पर लागू होती है ताकि शिक्षा सुलभ बनी रहे।

प्रश्न - क्या स्कूली नोट बुक पर जीएसटी लगता है? 

उत्तर - हाँ, स्कूली नोटबुक पर जीएसटी लगता है। स्कूली नोटबुक को एक सामान्य उपभोक्ता वस्तु माना जाता है और इस पर 12% की दर से जीएसटी लागू होता है। भले ही इसका उपयोग छात्रों द्वारा पढ़ाई के लिए किया जाए, लेकिन यह टैक्स योग्य वस्तु की श्रेणी में आती है।

प्रश्न - क्या स्कूल और विश्वविद्यालय परीक्षा फीस पर जीएसटी लगता है? 

उत्तर - नहीं, स्कूल और विश्वविद्यालय द्वारा ली जाने वाली परीक्षा फीस पर जीएसटी नहीं लगता।

भारत में यदि कोई मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थान (जैसे CBSE से संबद्ध स्कूल, UGC या AICTE मान्यता प्राप्त कॉलेज/विश्वविद्यालय) परीक्षा शुल्क, एडमिशन फीस, ट्यूशन फीस या प्रमाणपत्र शुल्क लेता है, तो वह पूरी तरह से GST से छूट (Exempted) होती है। संस्था शैक्षणिक डिग्री या मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रम संचालित करती हो। और फीस का भुगतान शैक्षणिक उद्देश्य से संबंधित हो (जैसे परीक्षा, प्रवेश, प्रमाणपत्र आदि)।

यदि कोई निजी संस्था केवल परीक्षा फॉर्म भरने, कोचिंग या गाइडेंस जैसी सेवाओं के लिए फीस लेती है (और वह मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्था नहीं है), तो उस पर 18% तक जीएसटी लग सकता है।

प्रश्न - क्या प्रतियोगी परीक्षा फीस पर जीएसटी लगता है? 

उत्तर - नहीं, सरकारी प्रतियोगी परीक्षाओं (जैसे UPSC, SSC, NEET, JEE आदि) की परीक्षा फीस पर जीएसटी नहीं लगता। यह फीस परीक्षा आयोजित करने वाली सरकारी एजेंसी द्वारा ली जाती है, जो शैक्षणिक या भर्ती प्रक्रिया का हिस्सा होती है और इसे टैक्स मुक्त सेवा माना जाता है।

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