किताब पढ़ने से नींद क्यों आती है? पढ़ने से नींद

किताब पढ़ने से नींद क्यों आती है? पढ़ने से नींद

अक्सर आपने घरों, स्कूलों या पुस्तकालयों में खुली पुस्तक पर सर रखकर सोते हुए बच्चों को देखा होगा। अगर आप स्वयं भी विद्यार्थी है तो आपने भी महसूस किया होगा कि जैसे ही आप किताब खोलकर पढ़ने के लिए बैठते है तो थकान, महसूस होने लगती है और सिर भारी होकर आँखे बंद होने लगती है। लेकिन छोटे बच्चे तो किताब खोलकर सो ही जाते हैं। 


विद्यालय में सामाजिक विज्ञान विषय के शिक्षको को इतिहास पढ़ाते समय ऐसी समस्या का सामना बहुत अधिक करना पड़ता है। सामाजिक विज्ञान के इतिहास के अध्याय में आधी कक्षा तो बेंचों पर सो ही जाती है। कई बच्चे बेंच पर सिर रखकर, तो कई आधी खुली आँखों से झपकियां खाते हैं तो कई झपकियाँ लेते हुए खिडकियों से बाहर झांकने लगते हैं, किताबों को छोड़कर। ऐसा सिर्फ सामाजिक विज्ञान तक ही सीमित नहीं है, ऐसा उन सभी व्याख्यानों और कक्षाओं में होता है, जहाँ गतिविधि नाममात्र की हो और ध्यान लगाकर एकचित हो सुनने कि आवश्यकता अधिक हो। 

कुछ लोग मानते है कि वो लंबे बोरिंग व्याख्यान को सुन थक जाते हैं, इसलिए उन्हें नींद आने लगती है। उनका यह तर्क पूर्णतया सही है, लेकिन थोड़ा सही हो सकता है। थकने से नींद आना लाजिमी है, लेकिन बोर होने से नींद का कोई सम्बंध नहीं है। नींद आने के पीछे का कारण अध्यन अवश्य है, ऐसा कहने में कोई हर्ज नहीं है, तो अध्ययन करने से नींद क्यों आती है? आइये जानते हैं ऐसा क्यों होता है? 

नींद का अर्थ - 


नींद एक शारीरिक प्रक्रिया है। यह मानव और अन्य जिवित प्राणियों द्वारा अपने शरीर को आराम देने के उद्देश्य से की जाती है। इस प्रक्रिया के दौरान प्राणी का मस्तिष्क आराम की मुद्रा में चला जाता है, जिसके कारण उसकी आंखे बंद हो जाती है और शरीर शिथिल होने लगता है। मनुष्य अथवा प्राणी एक ही जगह पर सो जाता है। यह क्रिया दिन में कुछ घंटे के लिए किया जाना आवश्यक होता है। प्राणी के मस्तिष्क द्वारा कार्य करने की एक सीमा होती है। अगर मनुष्य उस सीमा को पार कर लेता है तो शरीर स्वत ही निद्रा की श्रेणी में चला जाता है। 

नींद अथवा निद्रा मनुष्य के शरीर को आराम देने की वह क्रिया है, जिसमें मनुष्य का मस्तिष्क सोचने और समझने की शक्ति को काफी हद तक समाप्त कर देता है। मनुष्य एक शांत वातावरण में चला जाता है। इस अवस्था में मनुष्य के आसपास होने वाली क्रियाओं का उसे किसी प्रकार का आभास नहीं होता है। अगर वातावरण में कोई तत्कालिक बदलाव आता है तो मनुष्य की निद्रा की अवस्था भंग हो जाती है। इस बदलाव से आशय एकदम से सर्दी या गर्मी का एहसास और अशांति इत्यादि से हैं।

मनुष्य को क्यों आती है, नींद? 

मनुष्य के लिए नींद को लेना आवश्यक होता है। अगर मनुष्य किसी रात को सोता नहीं है तो अगले दिन उसका शरीर टूटने लगता है और नींद आने लगती है। ऐसे में कई बार लोग सवाल करते हैं, आखिर नींद लेना जरूरी क्यों हैं? अगर आपके दिमाग में भी इस तरह का प्रश्न आता है, तो जान लीजिए नींद आने के कारण जो निम्न है - 
  • आराम - मानव अथवा कोई भी जिवित प्राणी एक सीमा तक ही निर्बाध कार्य कर सकता है। इस सीमा के पूर्ण होते ही उसे नींद आने लगती है क्योंकि शरीर के सभी हिस्से थक जाते हैं। ऐसे में उसे आराम की सख्त आवश्यकता होती है, इस आराम की आवश्यकता के कारण ही उसे नींद आने लगती है। 
  • स्वास्थ्य - नींद लेना मानव स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। बिना नींद लिए मानव के हृदय समेत शरीर के कई अंगों पर दुष्प्रभाव हो सकते हैं। इससे मानव शरीर गंभीर बीमारियों से घिर सकता है। रक्तचाप के बढ़ने घटने से लेकर माइग्रेन होने तक की समस्या उत्पन्न हो सकती है। 
  • मस्तिष्क - मानव और अन्य प्राणियों में मस्तिष्क निरंतर कार्य करता रहता है। मस्तिष्क को कुछ पल के लिए आराम देना आवश्यक होता है मस्तिष्क को आराम नहीं देने पर यह कार्य करना बंद कर देता है। ऐसे में मानव मस्तिष्क को आराम देने के लिए नींद की आवश्यकता होती है। 
उपर्युक्त सभी कारणों से मनुष्य और अन्य प्राणियों को नींद आती है। बिना नींद लिए मनुष्य का शरीर भारी होने लगता है और उसे चक्कर भी आने लगते हैं। कई बार नींद पूरी नहीं होने से मस्तिष्क सही से कार्य नहीं करता है, जिससे उसकी आंखे बंद होने लगती है। आँखों के बंद होने से उसे धुँधला दिखने लगता है और अपनी जगह पर गिरने की स्थिति मे आ जाता है। 

मनुष्य के लिए दिन में 6-8 घंटे नींद लेना आवश्यक होता है। नींद के अभाव में उसके शरीर के अंग कार्य करना बंद कर देते हैं। मस्तिष्क भी पूरी तरह से कार्य नहीं करता है, जिससे मनुष्य का मन और मस्तिष्क असंतुलित हो जाता है। 

पढ़ने से नींद क्यों आती हैं? 


किताब, पत्रिका या इतिहास पढ़ने से नींद आने के कई कारण है। इनका प्रभाव मनःस्थिति से है, इसी कारण कई लोग किताब खोलने के ऊँघने लगते हैं तो कुछ हर्षित होकर घन्टों पुस्तकों में खोए रहते हैं। तो जानते हैं, नींद आने के कुछ प्रमुख कारण - 

  1. आँखों कि पुतलियों का शिथिल होना - यह आपने हमेशा से महसूस किया होगा कि जब आप किताब पढ़ते हैं तो आँखों कि पुतलियों पर अत्यधिक दबाब आता है, जिसके कारण पुतलियाँ छोटी होने लगती है। दूसरा यह भी कारण है कि किसी चीज को सावधानी से देखने और गौर करते समय भी दबाब आता है, जो अध्ययन के समय अधिक होने लगता है, जिसके कारण आंखे शिथिल होकर बंद हो सोने कि स्थिति में आ जाती है। 
  2. पढ़ते समय आँखों और मस्तिष्क के अलावा पूरा शरीर आराम कि स्थिति में होना - जब हम पढ़ते हैं तो नजरे किताब के पन्नों में गड़ी हुई होती है और मस्तिष्क में पढ़ी हुई चीजों को याद करने के अलावा संबंध स्थापना कि कोशिश होती है, अन्य सभी अंग और मांसपेशियां आराम कि मुद्रा में होती है, जिसके कारण आदमी ऊँघने लगता है, यही कारण है कि नींद आने लगती है। जैसे हम बस या कार में एक जगह बैठ यात्रा करते हैं या खुले हवादार कमरे में आराम कुर्सी पर बैठते हैं तो शरीर के आराम कि मुद्रा में होने के कारण नींद आने लगती है। 
  3. तनाव से मुक्ति - जब व्यक्ति पढ़ने लगता है तो उसका मन एक जगह पुस्तक में केंद्रित होने लगता है। मन के केंद्रित होने से व्यक्ति जीवन के तनाव से मुक्त होने लगता है, तनाव से मुक्त होने से दिमाग और मन को शांति मिलती है उससे मांसपेशियों को भी आराम मिलता है, यही आराम उसे नींद आने कि स्थिति कि ओर धकेलता है। 
  4. अत्यधिक आराम कि स्थिति का होना - पढ़ने वाले बालक या व्यक्ति जब अत्यधिक आराम कि स्थिति में बैठकर (आराम कुर्सी या बेड पर लेटकर) पढ़ते हैं तो नींद का आना बेहद लाजिमी है। ऐसा करने से मांसपेशियां शिथिल होने लगती है जो स्वयं सुप्त अवस्था में आने लगती है। 
  5. मेमोरी (याद करना) का दबाब - पढ़ते समय व्यक्ति जो पढ़ रहा है, उसे याद करने कि कोशिश करता है। यहीं कारण है नींद का। क्योंकि मन एकचित हो उन्हें याद करने कि कोशिश करता है तो दिमाग सोने कि अवस्था में चला जाता है। दिमाग एक निश्चित सीमा तक ही याद रख पाता है। यही कारण है कि नींद कि समस्या वालों कि याददाश्त कमजोर होती हैं, क्योंकि वो कुछ याद रखने का प्रयास करना चाहें तो भी दिमाग इसे नकार देता है। 

आजकल डॉक्टर भी इनसोमनिया (नींद नहीं आने कि बीमारी) के मरीजों को आराम से बैठकर किताब या पत्रिका पढ़ने कि सलाह देते हैं। पढ़ाई करना नींद आने के लिए एक थेरेपी कि तरह कार्य करता है। तो वही भारतीय आयुर्वेद विज्ञान के मुताबिक निश्चित स्थिति में बैठकर पढ़ना एक योग है, जो अनिद्रा का दुश्मन है। 

पढ़ते समय नींद आए तो क्या करे? नींद को कैसे भगाएं? 


अब नजर डालते है, नींद से बचने के कुछ उपायों पर जिससे नींद छूमंतर हो जाए और आप अपना दिमाग किताबों में लगा बेहतर तरीके से याद कर सके। आइए जानते हैं पढ़ाई करते समय नींद को दूर करने के कुछ उपाय :

  • अधिक रोशनी वाला कमरा - आप पढ़ाई ऐसी जगह पर करे, जहां अत्यधिक रोशनी हो। ऐसी जगह पढ़ाई करने से आँखों में शिथिलता कम आएगी और आप लंबे समय तक किताब आसानी से पढ़ पाएंगे। 
  • टेबल कुर्सी कि बजाय सिर्फ कुर्सी  का उपयोग - पढ़ते समय टेबल कुर्सी की बजाय सिर्फ कुर्सी का ही उपयोग करे। ध्यान रखें आराम कुर्सी का उपयोग ना करे क्योंकि आराम कुर्सी का उपयोग करने से जल्दी नींद आने लगती है, मांसपेशियां भी आराम कि मुद्रा में चली जाती है। 
  • बेड पर लेटकर न पढ़े - अगर आपको बेड पर लेटकर पढ़ने कि आदत है तो आज ही बदल लीजिए, बेड पर लेटकर पढ़ने से शरीर को अत्यधिक आराम मिलता है, ऐसे में नींद बहुत ही जल्दी आने लगती हैं। 
  • पढ़ने से पहले हल्का भोजन करे - पढ़ने से पहले हल्का भोजन लेना चाहिए, ऐसा करने से आलस कम आता है और नींद नहीं आती है, अधिक भोजन लेने से आलस अधिक आता है, जल्दी थकान होने लगती है और नींद आने लगती है। 
  • अधिक पानी पिएं - पढ़ने से होने वाली थकान के चलते शरीर बहुत ही जल्दी डिहाइड्रेट हो जाता है, डिहाइड्रेशन से बचने के लिए थोड़े-थोड़े अन्तराल से पानी पीते रहे, इससे थकान कम होगी और नींद नहीं आयेगी। 
  • बोलकर और लिखकर पढ़े - ऐसा करने से शरीर को अपेक्षाकृत कम आराम मिलेगा, जिसके कारण आपको तुरंत नींद नहीं आएगी। कुछ लोग ऐसी सलाह याददाश्त को बढ़ाने के लिए देते हैं, जिसका कारण भी मष्तिष्क को सुप्त अवस्था में जाने से रोकना होता है। 
  • थोड़ा विश्राम ले - पढ़ते समय नींद से बचने के लिए थोड़ा विश्राम ले सकते हैं। ऐसा करने के लिए थोड़ा घूम सकते हैं या घूम-घूम कर भी पढ़ सकते हैं, जिससे शरीर कि मांसपेशियों को अपेक्षाकृत कम आराम मिलेगा और आलस कम आएगा। 
ध्यान दे नींद आना कोई बीमारी नहीं है, नींद अत्यधिक आराम और ना पढ़ने कि आदत के कारण आती है। इससे बचने के लिए भरपूर मात्रा में नींद लेनी चाहिए। पढ़ने वाले बच्चों को दोपहर बाद थोड़ी नींद लेकर पढ़ने बैठना चाहिए, जिससे वो पढ़ते समय स्वयं को अधिक तरोताजा महसूस कर सके और नींद आने से रोक सके। इससे आलस भी नहीं आता है और याददाश्त भी मज़बूत होती है। 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:


प्रश्न: क्या पढ़ने के लिए टेबल और कुर्सी का उपयोग करना चाहिए? 

उत्तर: बिल्कुल भी नहीं, ऐसा करने से शरीर को अधिक आराम मिलता है और जल्दी नींद आने लगती है। हां, आपको अगर पढ़ने के साथ कुछ लिखना भी है तो टेबल का उपयोग अवश्य कर सकते हैं। 

प्रश्न: बच्चों को सामाजिक विज्ञान पढ़ते समय अधिक नींद क्यों आती है? 

उत्तर: सामाजिक विज्ञान विषय में अन्य विषय कि भाँति गतिविधियों का अभाव होता है, याद करने के लिए अधिक एकाग्रता कि आवश्यकता होती है। दिमाग के अलावा अन्य अंगों कि आवश्यकता नहीं होती है सामाजिक विज्ञान पढ़ने के लिए, जिसके कारण अन्य अंग शिथिल होने लगते हैं और मस्तिष्क में नींद छा जाती है। शिक्षक इसे रोचक बनाने के लिए गतिविधियों को अधिक जोड़े। 

प्रश्न: पढ़ने के लिए क्या आराम कुर्सी/आराम चेयर का प्रयोग करना चाहिए? 

उत्तर: जी नहीं, आराम कुर्सी पर बैठकर पढ़ने से शरीर को अत्यधिक आराम मिलता है, जिससे जल्दी नींद आने लगती है। नींद से बचने के लिए आराम कुर्सी कि बजाय साधारण कुर्सी का उपयोग करे। 

प्रश्न: पढ़ने से आलस क्यों आता है? 

उत्तर: जब आप किसी विषय पर केंद्रण करने का प्रयास करते हैं, उस समय नींद आने लगती है। आँखों और मस्तिष्क को छोड़कर अन्य सभी अंग आराम कि स्थिति में चले जाते हैं, जिसके कारण आलस आने लगता है। 

प्रश्न: बच्चे पढ़ने में एकाग्रता क्यों नहीं दिखाते हैं? 

उत्तर: बच्चे कुछ समय के लिए एकाग्रता दिखाने का प्रयास करते हैं, जिससे उन्हें जो शांति और आराम मिलता है, उससे नींद आने लगती है। नींद आने कि स्थिति से बचने के लिए बच्चे जो प्रयास करते हैं, उससे उनकी पढ़ने के प्रति एकाग्रता भंग हो जाती है।

प्रश्न: नींद के अध्ययन को क्या कहते हैं? 

उत्तर: नींद के अध्ययन को वैज्ञानिक भाषा में हिप्नोलाॅजी कहा जाता है। 

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1 टिप्पणियाँ

SKBN SCHOOL Sunthla Jodhpur ने कहा…
अच्छी जानकारी