चाय पर शायरी : महत्ता, ग़म और सुकून। Chay Par Shayari

चाय पर शायरी : महत्ता, ग़म और सुकून। Chay Par Shayari

चाय दिनचर्या का ऐसा हिस्सा है, जिसे हर कोई जीना चाहता है। आप किसी के घर जाओ पानी का पूछे या ना पूछे पर चाय का जरूर पूछ लिया जाता है। चाय स्थान खासतौर से भारतीय संस्कृति में इतना मजबूत हो गया है कि लोग बोलते हैं कि फलां के घर गया तो चाय पानी का भी नहीं पूछा।

चाय पर शायरी : महत्ता, ग़म और सुकून। Chay Par Shayari

ऐसे में हम आपको चाय पर कुछ शायरी बताने जा रहे हैं। चाय पर कुछ शायरी आप एक दूसरे को सुना सकते हैं, जिससे अगला व्यक्ति आपकी तारीफ करने से खुद को ना रोक सके।

चाय की महत्ता - 


चाय का अपना महत्व बन गया है, मानव कि जिंदगी में। बिन चाय की प्याली के हमे जीवन अधूरा लगने लगता है। चाय की प्याली हाथ में आते ही आँखों की चमक तेज हो जाती है। चाय गटकने से दिल को सुकून मिलता है। चाय के महत्व के बारे में कुछ शायरी और उनका विवरण निम्नानुसार है - 

चाय की प्याली में ज़िन्दगी का असली रंग है।
चाय की चुस्की में तब स्वाद जब तेरा संग हैं।।

चाय पीने वाले के लिए चाय की प्याली का बहुत महत्व है उनके जीवन की खुशी (रंग) उसी में छुपा हुआ होता है। चाय की प्रत्येक चुस्की का स्वाद तब ही मिलता है जब आपकी चाहने वाली आपके साथ हो।

चाय की प्याली को पीने से शांति मिलती है। 
यह ही तो है जिसे पीने से ताजगी मिलती है।। 

चाय पीने वालों को सुकून और शांति तब मिलती है, जब चाय की प्याली उनके हाथ में आती है। हाथ आने के बाद जब वो व्यक्ति उसे पी लेता है, तब उसे ताजगी की अनुभूति होती है। 

चाय है जिंदगी की सबसे अच्छी साथी।
इसे पीते ही शक्ति आए जैसे बने हाथी।।

चाय पीने वालों के लिए यह एक सर्वश्रेष्ठ साथी है, कोई काम करते थक जाए तो चाय उनकी साथी बनती है। चाय को पीते ही व्यक्ति के शरीर में एक शक्ति आ जाती है, जिससे वह हाथी के समान शक्ति का अनुभव करता हैं। 

चाय की प्याली बन गई है जिंदगी का हिस्सा। 
बिना चाय का कप उठाए कैसे सुना दे किस्सा।। 

वर्तमान समय में चाय व्यक्ति के जीवन का हिस्सा ही बन गई है। अगर चाय का कप सुबह सवेरे हाथ में आ जाए तो आदमी कुछ बोल भी नहीं सकता है। 

सच कहूँ तो चाय पर पूरी एक किताब लिख दूँ। 
जो चाय ना ना पीते उन्हें खराब कंजूस लिख दूं।।

चाय की महत्ता अब इतनी बढ़ चुकी है कि अब मैं चाहूँ तो इस पर किताब लिख सकता हूँ। उसी किताब में चाय नहीं पीने वालों को कंजूस अथवा मितव्ययी लिख सकता हूँ। 

चाय का आमंत्रण - 


चाय पर आमंत्रण बहुत आम बात है। हर कोई किसी को भी चाय पर राह चलते हुए भी आमंत्रित कर देते हैं। आओ बैठे चाय पीते हैं। कोई घर पर आता है, तब भी कहते हैं रुको चाय बनाते हैं। ऐसे में चाय का आमंत्रण आम होता जा रहा है। चाय के आमंत्रण को लेकर पेश है कुछ शायरी - 

मिलों कभी चाय पर जिंदगी के किस्से बुनेंगे।
तुम खामोशी से कहना हम बेसब्री से सुनेंगे।।

चाय पर ही जिंदगी से जुड़ी हुई बाते होती है। जिसे आमंत्रित किया जाता है, उसके साथ जिंदगी की बाते करेंगे। आप (जिसे आमंत्रित किया है) वो आराम से बात करेंगे और हम उनकी बात को होश खोकर सुनेंगे। 

चाय में चीनी की जगह ग़म और तजुर्बा मिलाएँगे हम। 
आजा खोई हुई जिंदगी तुझे कड़क चाय पिलाएंगे हम।। 

चाय मे चीनी की अहमियत होती है। इसी से चाय मिठी बनती है। लेकिन आप हमारे आमंत्रण को स्वीकार करेंगे तो चीनी की जगह तजुर्बा मिला इसे मीठी बना देंगे। आप घर आओ तो आपको कड़क दमदार चाय पिलाएंगे। 

सुबह की पहली चाय और आया तुम्हारा ख्याल। 
आजा मेरी रूठी हुई जिन्दगी हो जाएगी तू न्याल।। 

सुबह की चाय के साथ ही आपका ख्याल अथवा याद मेरे मन में आ गई। अगर आप मेरे से रूठे हुए हैं तो भी आ जाओ, हमसे मिलकर आपको बहुत खुशी होने के साथ ही आपकी जिंदगी संवर जाएगी। 

दिल मिले या ना मिले हाथ हर किसी से मिलाते है। 
द्वार आए हर मेहमान को चाय जरूर पिलाते है।। 

हमारा दिल किसी व्यक्ति से मिले या ना मिले कोई परवाह नहीं है, अगर मामला चाय से सम्बन्धित हो। इसी भावना के कारण हम घर आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को चाय जरूर पिलाते है, भले वो व्यक्ति हमारा शत्रु ही क्यों ना हो? 

सुकून नही मिलेगा तुम्हें किसी और के साए में। 
मोहब्बत घोल कर पिलाएंगे तुम्हें अपनी चाय में।। 
 
अगर आप हमसे दूर चले जाते हैं।  तब आपको हमारे बगैर सब सुनसान लगेगा और आपका मन नहीं लगेगा। हमारे पास आयेगे तो हम चाय मे मोहब्बत घोलकर आपको पिलाएंगे। 

चाय का नशा -


चाय मे एक नशा तो होता ही है। लेकिन चाय लोगों के लिए एक नशा बन गई है। चाय जिनके लिए नशा है उनके लिए चाय पिलाने वाले और चाय पीने से ही राहत मिलती है। चाय के नशे पर पेश है कुछ शायरी - 

जब पिलाने वाले के दिल में मिठास होती है। 
चाय कितनी भी फीकी हो झक्कास होती है।।

अगर चाय पिलाने वाला व्यक्ति बड़े प्रेम भाव से चाय पीला रहा है तो समझो चीनी नहीं होने पर भी मीठी ही लगती है। चाय का नशा पिलाने वाले पर निर्भर है। 

कितने होंगे ऐसे जो चाय पर व्याख्यान दे देते हैं। 
हम व्याख्यान सुन फिर चाय का कप उठा लेते हैं।। 

ऐसे बहुत सारे लोग है जो चाय नहीं पीने के कारण गिनाते रहते हैं। लेकिन हमे ऐसे लोगों से कोई मतलब नहीं हम उनकी बातों को बेफिजूल मानकर उनकी पूरी बात सुनने के बाद फिर चाय का कप उठाकर इसे पीना शुरु कर देते हैं। 

चाय के नशे में खुद इतना खो जाता हूँ। 
दुनिया की परवाह से बेखबर हो जाता हूँ। 

चाय में इतना नशा है कि जब मैं इसे पीता हूँ तो ऐसा नशा चढ़ जाता है कि मैं दुनिया की खैर खबर छोड़ खुद मै ही समा जाता हूँ। 

चस्का ये चाय का मोहब्बत से भी लजीज हैं। 
इश्क़ भी फीका पड़ जाए चाय ऐसी चीज हैं।। 

चाय एक नशा है यह नशा मोहब्बत से भी बड़ा और स्वादिष्ट हैं। चाय के इस नशे के सामने तो इश्क का नशा भी फीका हो जाता है क्योंकि इश्क में डूबा जोड़ा भी चाय की दुकान पर ही मिल जाता है। 

चाय और ग़म -


चाय को लोग अपनी जिंदगी के ग़म भुलाने के लिए पीते हैं। इसमे एक नशा होता है। इस नशे के कारण लोग चाय को अपने ग़म भुलाने के लिए पीते हैं। इसी को लेकर पेश है कुछ शायरी - 

आज फिर हम उनकी यादो में इतना खो गए। 
चाय तो पी गए लेकिन बिस्कुट धरे ही रह गए।।

जब किसी की याद में आदमी खोने लगता है तो उसे चाय की याद आती है। ऐसे हम भी अपने ग़म में खो जाने के बाद चाय पीने चले गए। चाय की प्याली तो पूरी पी गए लेकिन चाय के साथ निकाले गए बिस्किट भूल गए। 

मिलने जाते हैं किस्से हज़ारों आते हैं नहीं। 
जब तक चाय की प्याली सामने आती नहीं।। 

जब किसी के घर मिलने के लिए जाते हैं तो तब तक कोई किस्सा याद नहीं नहीं आता है, जब तक चाय की प्याली नहीं थमा दी जाती है। चाय पीने के बाद जीवन के सारे ग़म भूल दूसरी बातों में लग जाते हैं। 

उल्फत भरी जिन्दगी में कितने ग़म है।
एक कप चाय में यह मिटाने का दम है। 

हर व्यक्ति की जिंदगी में कई प्रकार की उलझने है कई प्रकार के गम है। लेकिन चाय की प्याली में जीवन की सभी उलझनों और ग़म को मिटाने की ताकत है। 

ग़म की कड़कती धूप में चाय ही छाया है। 
चाय पीने का ख्याल फिर मन में आया है।। 

चाय पीने से मन के ग़म दूर होते हैं इसलिए कितनी भी गर्मी हो तब भी आदमी चाय पीकर खुद को तरोताजा महसूस करता है। चाय पीने वाले के लिए यह तेज धूप में भी एक छांव है, इसलिए मेरे मन में चाय पीने का ख्याल फिर से आया है। 

चाय से सुकून - 


चाय पीने वाला व्यक्ति ग़म में भी चाय पीता है और सुकून के समय उसे दोहरा करने के लिए भी चाय पीता है। चाय से सुकून मिलने के संदर्भ में कुछ शायरी इस प्रकार हैं - 

ग़म में डूबी चेहरे की रौनक तब खिल उठती है। 
जब सुनसान सड़क पर चाय की टपरी दिखती है।। 

चाय पीने वाले को शांति चाय पीने से ही मिलती है। उसे अगर कोई चिंता है, जिसकी लकीरें साफ चेहरे पर दिख रही हो। वो चिंता की लकीरें भी उस समय रौनक ले आती है। जब सुनसान जगह अथवा सड़क पर उसको चाय की दुकान मिल जाती है। 

कोई सुकून भरी जगह घुमने को मिल जाए। 
वहाँ रौनक दुगुनी करने चाय भी कोई ले आए।। 

चाय पीने वाले व्यक्ति को कितने भी सुकून में भी चाय की तलाश होती है। इसलिए कहा है कि कोई ऐसी जगह मिल जाए तो तन्हाई से दूर और सुकून से भरी हुई हो। उस ऐसी सुकून भरी जगह पर चाय की दुकान मिल जाए तो सुकून दुगुना हो जाता है।

चाय की प्याली में बहुत आराम है। 
यह जिन्दगी के ग़म का विराम हैं।। 

चाय पीने वाले व्यक्ति के लिए चाय किसी अमृत से कम नहीं है। यह प्याली उस व्यक्त्ति को आराम और सुकून देती है। इस आराम और सुकून से उसके मन में उमड़ रहा खयाली दौर समाप्त हो जाता है अथवा उस पर एक विराम लग जाता है। 

चाय की एक-एक बूंद आशा देती है। 
ख्यालो के तूफान को विराम देती है।। 

चाय के कप से जैसे-जैसे चाय पीते है तो प्रत्येक घूंट सुकून देती है। यह घूंट जीवन की उलझन और ग़म के ख्यालो को भी विराम दे सुकून के कुछ पल जीने के लिए देती है। 



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