ट्रम्प के इरादों को मोदी से मिला झटका किया अमेरिकी कंपनी को भारत में बैन। Jane street

ट्रम्प के इरादों को मोदी से मिला झटका किया अमेरिकी कंपनी को भारत में बैन। Jane street

डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित होने के बाद से ही दुनिया भर में ट्रंप टैरिफ का खौफ छाया हुआ हैं। राष्ट्रपति पद की औपचारिक शपथ लेने के बाद से ही ट्रंप पूरी दुनिया के देशों को टैरिफ की धमकी देते हुए उन्हें बर्बाद करने और आर्थिक तंत्र को बर्बाद करने की चुनौती देते रहे हैं। अमेरिका के साथ स्थापित व्यापार और स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप रखने वाले देशों को भी ट्रंप प्रतिदिन अमेरिका के साथ व्यापारिक समझौते रद्द कर टैरिफ लगाने के साथ ही अनैतिक की शक्ति कि धौंस दिखा रहे हैं।
ट्रम्प के इरादों को मोदी से मिला झटका किया अमेरिकी कंपनी को भारत में बैन। Jane street

ट्रंप की ऐसी धमकी के बाद अब खबर भारत से आई है। भारत ने अमेरिका अमेरिका और अमेरिका की शक्ति की परवाह किए बिना ही एक अमेरिकी कंपनी को भारतीय बाजार से बाहर का रास्ता दिखा दिया 

जेन स्ट्रीट (Jane Street) भारत में बैन - 


भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने 3 जुलाई 2025 को अमेरिकी क्वांट ट्रेडिंग फर्म Jane Street के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए इसे भारतीय शेयर बाजार से प्रतिबंधित कर दिया है। यह आदेश एक अंतरिम (अस्थायी) प्रतिबंध है, जिसमें Jane Street और उसकी सहयोगी संस्थाओं को भारतीय डेरिवेटिव मार्केट में व्यापार करने से रोका गया है।

SEBI के अनुसार, Jane Street ने जनवरी 2023 से मार्च 2025 के बीच Nifty 50 और Bank Nifty इंडेक्स में ट्रेडिंग के दौरान “expiry-day manipulation” की रणनीति अपनाई। इसका मतलब है कि फर्म ने इंडेक्स की कीमतों को कृत्रिम रूप से प्रभावित किया, जिससे खुद को लाभ और अन्य निवेशकों को नुकसान हुआ। SEBI ने इस रणनीति से हुए करीब ₹36,671 करोड़ के लाभ में से ₹4,844 करोड़ को “अवैध कमाई” (unlawful gains) मानते हुए उसे फ्रीज़ कर दिया है।

यह SEBI द्वारा किसी विदेशी निवेशक पर अब तक की सबसे सख्त कार्रवाई मानी जा रही है। Jane Street ने इन आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि वह नियामक के साथ सहयोग करेगी। फर्म को 21 दिनों का समय दिया गया है ताकि वह SEBI को अपना पक्ष प्रस्तुत कर सके।

इस बैन का असर न केवल Jane Street पर पड़ेगा, बल्कि भारत के डेरिवेटिव बाजार और विदेशी निवेशकों की रणनीतियों पर भी इसका प्रभाव दिख सकता है। यह कार्रवाई दर्शाती है कि SEBI अब हेज फंड्स और एल्गोरिदमिक ट्रेडिंग फर्मों की गतिविधियों पर सख्त नजर रखे हुए है।

यह मामला आने वाले समय में विदेशी फर्मों के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल बन सकता है।

जेन स्ट्रीट भारत में क्या कार्य करती थी/हैं? -

 
जेन स्ट्रीट (Jane Street) एक अमेरिकी क्वांटिटेटिव ट्रेडिंग फर्म है, जो पूरे विश्व में एल्गोरिदमिक ट्रेडिंग के लिए जानी जाती है। भारत में इसका व्यापार मुख्य रूप से शेयर बाजार के डेरिवेटिव सेगमेंट, यानी F&O (Futures & Options) ट्रेडिंग तक सीमित था। यह फर्म भारत में प्राथमिक रूप से Nifty 50 और Bank Nifty जैसे इंडेक्स ऑप्शंस में भारी मात्रा में ट्रेड करती थी।

भारत में Jane Street का व्यापार:

  • F&O ट्रेडिंग में विशेषज्ञता - 
Jane Street ने भारत में शेयर बाजार के F&O सेगमेंट में, खासतौर पर index options (जैसे Nifty और Bank Nifty) में ट्रांजैक्शन किए। यह ट्रेडिंग expiry day strategies पर केंद्रित थी, जिसमें विकल्प अनुबंधों की समाप्ति तिथि के दिन इंट्रा-डे खरीद-बिक्री शामिल थी।
  • Arbitrage और Algo Trading
फर्म का मॉडल एल्गोरिदमिक और हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग (HFT) पर आधारित था। इसका उद्देश्य बहुत कम समय में कीमतों के छोटे फर्क से मुनाफा कमाना था। यह भारत के कैश, फ्यूचर्स और ऑप्शन मार्केट में एक साथ सक्रिय रहकर arbitrage से लाभ उठाती थी।
  • भारतीय ब्रोकर्स के माध्यम से निवेश
जेन स्ट्रीट - Jane Street) की भारत में पंजीकृत दो संस्थाएं थी, जो भारत में अपनी सेवाएं दे रही है, जो निम्न है - 
- JSI Investments Pvt Ltd
- JSI2 Investments Pvt Ltd
इनके माध्यम से यह फर्म भारतीय स्टॉक एक्सचेंज (NSE, BSE) से जुड़ी थी।
  • लाभ का स्रोत
SEBI के अनुसार, Jane Street ने जनवरी 2023 से मार्च 2025 के बीच ₹36,671 करोड़ का सकल लाभ कमाया, जिसमें से ₹4,843 करोड़ “अवैध मुनाफा” बताया गया।

Jane Street का भारत में व्यापार शुद्ध रूप से हाई-वॉल्यूम, क्वांटिटेटिव डेरिवेटिव ट्रेडिंग था। फर्म ने कोई पारंपरिक निवेश या म्यूचुअल फंड सेवा नहीं दी, बल्कि एल्गो-आधारित खरीद-बिक्री से लाभ कमाया। SEBI द्वारा की गई कार्रवाई के बाद इस व्यापार पर फिलहाल रोक लगा दी गई है।

जेन स्ट्रीट पर क्या आरोप और कारवाई - 


भारतीय बाजार नियामक SEBI ने अमेरिकी ट्रेडिंग फर्म Jane Street के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं। SEBI का कहना है कि Jane Street ने भारतीय डेरिवेटिव मार्केट में सूचकांक (index) हेरफेर करके अवैध मुनाफा कमाया। खासकर Bank Nifty और Nifty 50 जैसे इंडेक्स के एक्सपायरी दिनों पर, Jane Street ने "marking the close" जैसी रणनीतियों का इस्तेमाल कर इंडेक्स के क्लोजिंग भाव को प्रभावित किया। इससे उन्होंने ऑप्शंस ट्रेडिंग में भारी लाभ कमाया।
  1. मुख्य आरोप – इंडेक्स हेरफेर (Index Manipulation): - Jane Street ने "Bank Nifty" और "Nifty 50" जैसे सूचकांकों की कीमतों को expiry के दिन जानबूझकर प्रभावित किया, जिससे ऑप्शंस ट्रेडिंग में भारी मुनाफा कमाया जा सके।
  2. रणनीति "Marking the Close": – कम्पनी ने ट्रेडिंग के अंतिम मिनटों में बड़े लेनदेन कर क्लोजिंग प्राइस को मनचाहे ढंग से सेट किया, जिससे उनके पास मौजूद ऑप्शंस का मूल्य अचानक बढ़ गया।
  3. अवैध मुनाफा – ₹4,843 करोड़: – SEBI का कहना है कि January 2023 से March 2025 के बीच Jane Street ने ₹36,500 करोड़ का मुनाफा कमाया, जिसमें ₹4,843 करोड़ "unlawful gains" माने गए हैं।
  4. ट्रेडिंग पर प्रतिबंध: – Jane Street की भारत स्थित इकाइयों पर भारतीय शेयर और डेरिवेटिव बाजारों में ट्रेडिंग करने पर रोक लगा दी गई है।
  5. बैंक खाते फ्रीज: – SEBI ने इनके बैंक खातों से कोई पैसा निकालने पर भी रोक लगा दी है, जिससे अवैध रूप से कमाया गया मुनाफा कहीं और ट्रांसफर न हो सके।
  6. पहले चेतावनी दी गई थी: – फरवरी 2025 में NSE और SEBI ने Jane Street को मैनिपुलेटिव गतिविधियों के लिए चेतावनी दी थी, लेकिन उन्होंने नियमों का पालन नहीं किया।
  7. जांच जारी है: – यह आदेश अंतरिम है; Jane Street को 21 दिनों में जवाब देने या अपील करने की अनुमति दी गई है। SEBI अन्य एक्सचेंज और सूचकांकों की भी जांच कर रहा है। 
यह मामला भारत में बाजार पारदर्शिता और नियमन की दृष्टि से ऐतिहासिक माना जा रहा है।

जेन स्ट्रीट पर जुर्माना कितना लगाया? 


भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने अमेरिकी ट्रेडिंग फर्म जेन स्ट्रीट पर अब तक का सबसे बड़ा जुर्माना लगाया है। SEBI ने यह कार्रवाई भारतीय शेयर बाजार में कथित सूचकांक में हेरफेर (Index Manipulation) के आरोप में की है। जेन स्ट्रीट और उससे जुड़ी संस्थाओं से ₹4,843.57 करोड़ (लगभग $570 मिलियन) की अवैध कमाई (unlawful gains) वापस लेने का आदेश दिया गया है।

SEBI के अनुसार, जेन स्ट्रीट ने बैंक निफ्टी ऑप्शंस में एक रणनीति के माध्यम से भारी मुनाफा कमाया, जो बाजार की पारदर्शिता और निष्पक्षता के खिलाफ थी। जांच में पाया गया कि उन्होंने कुछ ट्रेड्स जानबूझकर इस तरह से किए जिससे बाजार की दिशा प्रभावित हुई। इस तरह की रणनीति को SEBI ने "manipulative and deceptive" करार दिया।

इसके अलावा, जेन स्ट्रीट और उससे जुड़ी दो संस्थाओं पर प्रतिभूति बाजार में भाग लेने पर प्रतिबंध भी लगा दिया गया है। यह प्रतिबंध एक साल तक प्रभावी रहेगा। जेन स्ट्रीट ने इस आदेश के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का संकेत दिया है। यह मामला भारत में विदेशी फर्मों की निगरानी और नियामक सख्ती की एक महत्वपूर्ण मिसाल बन गया है।

जेन स्ट्रीट का खंडन - 


जेन स्ट्रीट ने भारतीय बाजार नियामक SEBI द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों का खंडन किया है। SEBI ने जेन स्ट्रीट पर बैंक निफ्टी ऑप्शंस में बाज़ार हेरफेर (Index Manipulation) का आरोप लगाया था और ₹4,843.57 करोड़ की अवैध कमाई जब्त करने का आदेश दिया था। जेन स्ट्रीट का आधिकारिक बयान:
We disagree with SEBI's findings and will continue to engage with the regulator. Jane Street remains committed to complying with all applicable regulations in every jurisdiction we operate in.
(“हम SEBI के निष्कर्षों से असहमत हैं और नियामक के साथ समन्वय बनाए रखेंगे। जेन स्ट्रीट हर देश में लागू नियमों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है।”)
Jane Street spokesperson (4 जुलाई 2025)

कंपनी ने आरोपों को स्वीकार नहीं किया है। उन्होंने संकेत दिया है कि वे कानूनी रूप से SEBI के आदेश को चुनौती दे सकते हैं। उनका रुख है कि उन्होंने भारत में भी स्थानीय कानूनों के तहत ही ट्रेड किया

यह खंडन इस बात का संकेत देता है कि जेन स्ट्रीट भारत में अपने संचालन को समाप्त नहीं करना चाहता, बल्कि SEBI के आदेश के खिलाफ अपील या पुनरीक्षण की रणनीति पर काम कर रहा है। कंपनी की प्रतिष्ठा और वैश्विक ट्रेडिंग नेटवर्क के लिए यह मामला संवेदनशील बन गया है।

जेन स्ट्रीट के पास अब कानूनी और अन्य विकल्प -


SEBI द्वारा लगाए गए जुर्माने और प्रतिबंध के खिलाफ जेन स्ट्रीट के पास भारत में कुछ प्रमुख कानूनी विकल्प उपलब्ध हैं। ये विकल्प भारत के प्रतिभूति कानूनों और न्याय प्रणाली के तहत तय होते हैं।

  • SAT (Securities Appellate Tribunal) में अपील
जेन स्ट्रीट SEBI के आदेश को सीधे SAT में चुनौती दे सकती है, जो SEBI के फैसलों की समीक्षा करने वाला स्वतंत्र न्यायिक निकाय है। समय सीमा: आमतौर पर SEBI के आदेश के 45 दिनों के भीतर अपील करनी होती है। उद्देश्य: SEBI के लगाए गए जुर्माने, ट्रेडिंग बैन और अन्य निर्देशों को निलंबित या रद्द कराना। SAT फास्ट-ट्रैक पर मामलों को निपटाता है।
  • उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में रिट याचिका
अगर जेन स्ट्रीट को लगता है कि SEBI का आदेश प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है या प्रक्रिया में खामी है, तो वे High Court या सीधे Supreme Court में रिट याचिका (Writ Petition) दायर कर सकते हैं। उदाहरण: अगर उन्हें उचित सुनवाई नहीं मिली या आदेश पक्षपाती हो।
  •  सेबी के समक्ष पुनर्विचार / संशोधन याचिका
कभी-कभी कंपनियां SEBI को ही Review Petition देकर आदेश में संशोधन या राहत की मांग करती हैं, खासकर अगर कोई तथ्यात्मक चूक या कानूनी त्रुटि हुई हो। हालांकि यह सीमित असरकारी उपाय होता है।
  • भारत-अमेरिका व्यापार/कूटनीतिक दबाव (अप्रत्यक्ष रास्ता)
जेन स्ट्रीट जैसी बड़ी फर्में कूटनीतिक या व्यापारिक मंचों (जैसे: US-India Trade Dialogue) पर भी अपने हितों की वकालत कर सकती हैं, खासकर यदि उन्हें लगता है कि भारतीय नियामकों का निर्णय अनुचित या व्यापार विरोधी है।

संक्षिप्त 

विकल्प उद्देश्य समय सीमा
SAT में अपील आदेश को चुनौती देना 45 दिन
उच्च न्यायालय/SC में रिट संवैधानिक अधिकारों की रक्षा तुरंत
SEBI से पुनर्विचार आदेश में संशोधन या स्पष्टीकरण लचीलापन
कूटनीतिक हस्तक्षेप (अप्रत्यक्ष)  रणनीतिक दबाव दीर्घकालिक

क्यों अमेरीका को झटका? 


जेन स्ट्रीट पर भारत में SEBI द्वारा लगाया गया ₹4,843.57 करोड़ का जुर्माना और प्रतिबंध अमेरिका के लिए एक झटका इसलिए माना जा रहा है क्योंकि:
  1. अमेरिका की प्रतिष्ठित ट्रेडिंग फर्म पर सीधी कार्रवाई - जेन स्ट्रीट अमेरिका की सबसे बड़ी और प्रभावशाली प्रोप-ट्रेडिंग फर्मों में से एक है। उस पर भारत जैसे उभरते बाजार में रिकॉर्ड स्तर की नियामकीय कार्रवाई: (a) अमेरिका की फाइनेंशियल ताकत को चुनौती देती है। (b) यह संकेत देती है कि भारत अब बिना दबाव के विदेशी दिग्गजों के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है।
  2. अमेरिकी नियामकों की तुलना में सख्त कदम - SEBI का यह एक्शन अमेरिकी नियामक एजेंसियों जैसे SEC या CFTC से अधिक सख्त दिखा: (a) अमेरिका में कई बार ऐसी फर्मों को सिर्फ चेतावनी या छोटे जुर्माने से छोड़ा जाता है। (b) भारत में सीधे मार्केट से बैन + मुनाफा जब्त करना एक मजबूत उदाहरण बन गया।
  3. भविष्य के निवेशकों के लिए सिग्नल - यह अमेरिका की बाकी फर्मों और हेज फंड्स के लिए एक संकेत है कि भारत: (a) केवल पूंजी नहीं, नैतिक बाज़ार व्यवहार को प्राथमिकता देगा।(b) "Regulatory Arbitrage" (जहाँ नियमों का फायदा उठाया जाए) अब भारत में नहीं चलेगा।
  4. भू-राजनीतिक प्रभाव - भारत और अमेरिका के बीच व्यापार और निवेश संबंध लगातार गहरे हो रहे हैं। ऐसे में:(a) भारत द्वारा जेन स्ट्रीट पर कार्रवाई करना यह दिखाता है कि भारत अब नीतिगत स्वतंत्रता से निर्णय ले रहा है — न कि विदेशी दबाव में। (b) इससे अमेरिका को यह झटका लगता है कि "भारत में उनकी कंपनियों को हमेशा छूट नहीं मिलेगी।"

संक्षेप में:

कारण अमेरिका के लिए झटका क्यों
अमेरिकी फर्म पर ऐतिहासिक कार्रवाई अमेरिकी वित्तीय प्रतिष्ठा को चुनौती
भारतीय नियामक की सख्ती  अमेरिकी नियमों से अधिक कठोर उदाहरण
निवेशकों को स्पष्ट सिग्नल भारत में नियमों का उल्लंघन महंगा पड़ेगा
व्यापार संतुलन पर असर निवेश माहौल की शर्तें बदलीं


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