हम अक्सर निजीकरण के दोष की बात करते हैं और विभिन्न निजी कंपनी की मनमानी और सरकारी कंपनी स्थापना के बारे में बात करते हैं। खास तौर से जब बात महंगाई की होती है तो लोग निजी कंपनी की आलोचना करते हुए सरकारी कंपनी स्थापना की मांग करते हैं और सभी निजी कंपनी पर सरकार का कब्जा किए जाने के पक्षधर हो जाते है।
ऐसे में मन में कई प्रश्न उठने लगते है। हर कोई ऐसे मन में उठने वाले प्रश्नों का जवाब चाहता है तो हम आपके उन प्रश्नों के साथ ही जवाब देने का प्रयास करते हैं। तो पहले देख लेते हैं कि उसे समय लोगों के मन में कौन-कौन से प्रश्न आते हैं और उनके संभावित जवाब क्या है उसका भी वर्णन करते हैं।
क्या निजी कंपनी को सरकार अपने पास ले सकती हैं?
जी, बिल्कुल किसी भी निजी कंपनी को सरकार अपने पास ले सकती है। कंपनी का प्रबंधन और स्वामित्व अधिग्रहीत कर सभी निर्णय अपने स्तर पर कर सकती हैं। सरकार द्वारा किसी निजी कंपनी को अधिग्रहित करने की इस प्रक्रिया को राष्ट्रीयकरण कहा जाता है।
राष्ट्रीयकरण क्या होता है?
राष्ट्रीयकरण से तात्पर्य किसी प्रकार की निजी स्वामित्व वाली संपति को राष्ट्र को समर्पित किए जाने से है, इस सम्पति पर राष्ट्र वा राष्ट्र के लोगों का अधिकार हो जाता है। एक प्रकार से राष्ट्रीयकरण, निजीकरण का विपरित हो जाता है। ऐसी सम्पति पर राष्ट्र का का अधिकार हो जाता है।
राष्ट्रीयकरण से तात्पर्य यह है कि सरकार द्वारा किसी निजी क्षेत्र की कंपनी/सम्पति या उद्योग विशेष का स्वामित्व और नियंत्रण निजी क्षेत्र से अपने हाथ में ले लेने से है। यह एक ऐसी विशिष्ट प्रक्रिया है, जो निजी संपत्ति को सार्वजनिक संपत्ति में बदलने का कार्य करती है, जिससे सरकार उस विशिष्ट संपत्ति की मालिक बन जाती है, जिसका राष्ट्रीयकरण किया गया।
राष्ट्रीयकरण (Nationalisation) क्या है?
राष्ट्रीयकरण एक प्रकार की प्रक्रिया है, जिसमें निजी कंपनी अथवा संपत्ति को सरकारी घोषित कर दिया जाता है। सरकार द्वारा बिजी कंपनी को राष्ट्र के लिए सुरक्षित कर दिया जाता है अथवा समर्पित कर दिया जाता है इस प्रक्रिया को राष्ट्रीयकरण के नाम से जाना जाता है यह निजीकरण के बिल्कुल उल्टी प्रक्रिया होती है, निम्नलिखित तथ्यों के माध्यम से आप इसे बेहतर तरीके से समझ सकते हैं।
1. राष्ट्रीयकरण का अर्थ किसी देश अथवा राष्ट्र द्वारा किसी विशिष्ट कंपनी या इंडस्ट्री का नियंत्रण निजी क्षेत्र से अधिग्रहीत करते हुए अपने हाथ में लेने से है।
2. राष्ट्रीयकरण जिस किसी कंपनी की संपत्ति का होता है, वह राष्ट्रीयकरण से सरकार की सार्वजनिक संपत्ति बन जाती है, जिसका प्रभाव यह होता हैं कि सरकार अब कंपनी के लाभ या नुकसान की जिम्मेदार होती हैं।
राष्ट्रीयकरण का उदाहरण -
भारत में अगर राष्ट्रीयकरण के उदाहरण को देखा जाएं तो सबसे बड़ा उदाहरण बैंकिंग क्षेत्र में किया गया राष्ट्रीयकरण है, भारत सरकार द्वारा 1966 में उस समय के निजी क्षेत्र के प्रमुख बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया। राष्ट्रीयकृत किए गए निजी क्षेत्र के प्रमुख बैंक में बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया, यूको बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, पंजाब नेशनल बैंक और केनरा बैंक इत्यादि शामिल थे। यह निजीकरण भारत में बेहतर बैंकिंग सेवाएं देने के लिए किया गया, किंतु केवल दो दशक में ही पुनः इस क्षेत्र में निजीकरण की आवश्यकता होने लगी।
वर्ष 1945 में, फ्रांस सरकार ने कार निर्माता रेनॉल्ट को जब्त कर लिया क्योंकि उसके मालिकों ने नाजी शासन के साथ सहयोग किया था। यह भारतीय बैंकिंग की तुलना में अलग श्रेणी का उदाहरण है।
राष्ट्रीयकरण का उद्देश्य (Objectives of Nationalization) -
सरकार द्वारा किसी निजी कंपनी को अधिकृत करने के कई उद्देश्य हो सकते हैं इनमें से कुछ उद्देश्य का हम वर्णन करेंगे जो कुछ इस प्रकार हो सकते हैं।
1. सामाजिक कल्याण और समानता : -
जब देश की सरकार को ऐसा लगता है कि धन का पुनर्वितरण किया जाना जरूरी है। धन का वितरण सही और सामाजिक रुप से आनुपातिक दृष्टि से नहीं है या संपत्तियों का केंद्रीकरण किसी विशेष लोगों के हाथों में हो रहा है, ऐसी परिस्थिति में सरकार राष्ट्रीयकरण कर सकती हैं। इससे निम्न लाभ हो सकते है।
- धन पुनर्वितरण : राष्ट्रीयकरण का उपयोग उन उद्योगों या परिसंपत्तियों पर नियंत्रण करके धन और शक्ति का पुनर्वितरण करने के लिए किया जा सकता है, जिनसे कुछ व्यक्तियों या समूहों को अनुपातहीन रूप से लाभ पहुंचता है। ऐसा किसी विशेष परिस्थितियों में ही किया जा सकता है। वर्तमान परिपेक्ष्य में ऐसा किया जाना काफी कठिनाई से भरा हुआ हो सकता है।
- राष्ट्रीय आवश्यकताओं को प्राथमिकता देना : कुछ उद्योगों पर नियंत्रण लेकर सरकार राष्ट्रीय आवश्यकताओं को प्राथमिकता दे सकती है, जैसे आवश्यक सेवाएं प्रदान करना, स्थानीय उद्योगों को समर्थन देना, या संसाधनों तक उचित पहुंच सुनिश्चित करना।
- श्रमिकों की सुरक्षा : वित्तीय जवाबदेही केंद्र के एक अध्ययन में कहा गया है कि राष्ट्रीयकरण का उपयोग श्रमिकों की सुरक्षा के लिए भी किया जा सकता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके साथ उचित व्यवहार हो और उनकी नौकरियां सुरक्षित रहें।
2. आर्थिक विकास और स्थिरता :
किसी देश द्वारा आर्थिक विकास में स्थिरता उत्पन्न करने के लिए भी राष्ट्रीयकरण किया जा सकता है। इससे निम्नानुसार लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं।
- पिछड़े वर्गों के हितों की रक्षा करते हुए उन्हें रोजगार उपलब्ध कराना।
- अधिकाधिक रोजगार उपलब्ध करना।
- कम लाभ वाले उद्योगों को चलाए रखना।
- रणनीतिक उद्योगों पर नियंत्रण : -
3. रणनीतिक उद्योगों पर नियंत्रण : -
ऐसे उद्योग दो राष्ट्रीय सुरक्षा और सामरिक दृष्टि से राष्ट्र के लिए अति महत्वपूर्ण होते हैं। ऐसे उद्योगों का राष्ट्रीयकरण जरूरी हो जाता है। साथ ही रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण उद्योगों का भी राष्ट्रीयकरण जरूरी होता हैं। भारत में बैंकिंग सेवा के साथ बीमा क्षेत्र का राष्ट्रीयकरण एक प्रकार से रणनीतिक रुप से ही किया गया था।
4. राष्ट्रीय और क्षेत्रीय असमानता को दूर करने के उद्देश्य से : -
भारत जैसे बड़े राष्ट्र में किसी सेवा का राष्ट्रीयकरण क्षेत्रीय समानता को दूर करने के लिए किया जा सकता है। इसके लिए सरकार नई कंपनी भी स्थापित कर सकती हैं। उदाहरण के लिए विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए बस सेवा या राज्य परिवहन सेवाओं को संचालित किया गया।
4. अन्य कारण : -
उपर्युक्त कारणों के अलावा सरकार निम्नलिखित उद्योगों को ध्यान में रखते हुए भी राष्ट्रीयकरण कर सकती हैं।
- एकाधिकार का मुकाबला : - राष्ट्रीयकरण का उपयोग उन एकाधिकारों या बड़ी कंपनियों को तोड़ने के लिए किया जा सकता है जिनके बारे में माना जाता है कि वे उपभोक्ताओं या अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रही हैं।
- आवश्यक सेवाएं सुनिश्चित करना : - राष्ट्रीयकरण का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए किया जा सकता है कि आवश्यक सेवाएं, जैसे सार्वजनिक परिवहन या बिजली, उचित मूल्य पर उपलब्ध हों और सभी के लिए सुलभ हों।
- बाज़ार की अकुशलताओं को सुधारना : - राष्ट्रीयकरण का उपयोग बाजार की अकुशलताओं को दूर करने के लिए किया जा सकता है, जैसे कि जब निजी कंपनियां कुछ क्षेत्रों में पर्याप्त निवेश नहीं कर रही हों या पर्याप्त नौकरियां उपलब्ध नहीं करा रही हों।
राष्ट्रीयकरण में क्या उद्योगपतियों से उद्योग छीन लिया जाता है?
जब बात राष्ट्रीयकरण की होती है तो लोगों के मन में सवाल आता है कि राष्ट्रीयकरण के समय सरकार लोगों की संपत्ति छीन लेती है। संपत्ति के बदले में संपत्ति के मालिकों को कुछ भी हासिल नहीं होता है। लेकिन सच्चाई इसके बिल्कुल उल्ट है। सरकार निजी क्षेत्र से जप्त की गई संपत्ति के बदले में एक निश्चित राशि का भुगतान करती है। इस राशि का भुगतान करने के लिए कई प्रकार की विधियों का उपयोग भी किया जाता है। कुछ ऐसी विधियां हम स्पष्ट करने जा रहे हैं।
राष्ट्रीयकरण के समय भुगतान की विधियां : -
जब सरकार किसी कंपनी का राष्ट्रीयकरण करती है, तो वह आमतौर पर कंपनी के मालिकों को उस कंपनी की संपत्ति और शेयर के मूल्य के बराबर भुगतान करती है। यह राशि सरकार और उद्योगपतियों की सहमति से निश्चित की जाती है। इस प्रकार की विधि का उपयोग भारत में बैंकों का राष्ट्रीयकरण करने के लिए उपयोग में ली गई। बैंक के मालिकों के अंश का एक निश्चित राशि में भुगतान किया गया।
भुगतान का प्रकार : -
राष्ट्रीयकरण के समय सरकार उद्योगों के मालिकों को भुगतान करने के लिए विभिन्न प्रकार के भुगतान का सहारा लेती हैं। इनमें हो नगदी, शेयर या अन्य परिसंपत्तियां।
भुगतान का निर्धारण : - भुगतान का निर्धारण आमतौर पर कंपनी के मूल्यांकन पर आधारित होता है, जो कि कंपनी की संपत्ति, शेयर और अन्य परिसंपत्तियों के मूल्य पर निर्भर करता है।
अतिरिक्त मुआवजा : - कुछ मामलों में, सरकार कंपनी के मालिकों को अतिरिक्त मुआवजा दे सकती है, जैसे कि वे किसी विशेष उद्योग में काम कर रहे हैं या कंपनी ने किसी विशिष्ट क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ऐसा तब होता है, जब कोई उद्योग सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हो जाता हैं।
एक बार पुनः स्पष्ट कर देते हैं कि भारत में बैंकिंग क्षेत्र के बैंक का राष्ट्रीयकरण करने के लिए प्रथम विधि का उपयोग किया गया।
राष्ट्रीयकरण के लाभ
सरकार द्वारा निजी क्षेत्र के उद्योगों को अधिग्रहित कर उन्हें सरकारी कंपनी में बदल देने से या उनका राष्ट्रीयकरण कर देने के प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं।
- सार्वजनिक हित : - राष्ट्रीयकरण से महत्वपूर्ण उद्योगों (जैसे बैंक, रेलवे) का नियंत्रण सरकार के पास आता है, जिससे संसाधनों का उपयोग जनकल्याण के लिए होता है।
- आर्थिक स्थिरता : - सरकार आवश्यक क्षेत्रों में मूल्य नियंत्रण और आपूर्ति स्थिरता सुनिश्चित कर सकती है, जिससे महंगाई और कमी जैसी समस्याएं कम होती हैं।
- समान विकास : - राष्ट्रीयकृत उद्योग क्षेत्रीय और सामाजिक असमानताओं को कम करने में मदद करते हैं, क्योंकि लाभ निजी हाथों के बजाय समाज को मिलता है।
- रोजगार सृजन : - राष्ट्रीयकरण से बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर बढ़ते हैं, विशेषकर सरकारी क्षेत्र में।
- राष्ट्रीय सुरक्षा : - रणनीतिक क्षेत्रों (जैसे ऊर्जा, रक्षा) का राष्ट्रीयकरण देश की सुरक्षा को मजबूत करता है।
- निजी एकाधिकार पर नियंत्रण : - राष्ट्रीयकरण निजी कंपनियों के एकाधिकार और शोषण को रोकता है।
- आय का पुनर्वितरण : - राष्ट्रीयकृत उद्योगों से प्राप्त आय का उपयोग सामाजिक कल्याण योजनाओं, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में किया जा सकता है।
हालांकि, राष्ट्रीयकरण के कुछ नुकसान भी हो सकते हैं, जैसे नौकरशाही और अक्षमता, लेकिन इसके लाभ व्यापक और दीर्घकालिक हो सकते हैं। ऐसे में राष्ट्रीयकरण से होने वाले नुकसान को ध्यान में रखते हुए उनका वर्णन करना भी जरूरी है, जो इस प्रकार से हो सकता है।
राष्ट्रीयकरण के नुकसान
जहां लाभ की संभावना प्रबल होती हैं वहां नुकसान की संभावना लाभ के मुकाबले में तीव्र हो सकती हैं। ऐसा राष्ट्रीयकरण में भी संभव है। ऐसे में इसके प्रमुख नुकसान निम्नलिखित हो सकते है।
- नौकरशाही और अक्षमता : - सरकारी नियंत्रण के कारण निर्णय लेने में देरी और नौकरशाही बढ़ सकती है, जिससे उद्योगों की कार्यक्षमता प्रभावित होती है।
- लागत में वृद्धि : - राष्ट्रीयकृत उद्योगों में अक्सर खर्चे बढ़ जाते हैं, क्योंकि सरकार लाभ के बजाय सामाजिक लक्ष्यों को प्राथमिकता देती है।
- नवाचार में कमी : - निजी क्षेत्र की तुलना में राष्ट्रीयकृत उद्योगों में प्रतिस्पर्धा कम होने से तकनीकी नवाचार और सुधार की गति धीमी हो सकती है।
- वित्तीय बोझ : - घाटे में चलने वाले राष्ट्रीयकृत उद्योग सरकार पर वित्तीय बोझ डाल सकते हैं, जिससे करदाताओं पर दबाव बढ़ता है।
- राजनीतिक हस्तक्षेप : - राष्ट्रीयकृत उद्योगों में राजनीतिक प्रभाव और भ्रष्टाचार की संभावना बढ़ सकती है, जिससे प्रबंधन कमजोर होता है।
- कर्मचारी प्रेरणा में कमी : - सरकारी क्षेत्र में नौकरी की स्थायित्व के कारण कर्मचारियों की कार्य प्रेरणा और उत्पादकता कम हो सकती है।
- बाजार प्रतिस्पर्धा पर प्रभाव : - राष्ट्रीयकरण से निजी क्षेत्र की भागीदारी कम हो सकती है, जिससे बाजार में प्रतिस्पर्धा और गुणवत्ता प्रभावित होती है।
इसलिए, राष्ट्रीयकरण के लाभों के साथ-साथ इन नुकसानों पर भी विचार करना आवश्यक है।
निष्कर्ष : -
वर्तमान दौर में सार्वजनिक क्षेत्रों के कर्मचारियों की हड़ताल, ढुलमुल रवैया और अकुशलता के चलते सरकार राष्ट्रीयकरण के स्थान पर निजीकरण का सहारा ले रही हैं। जब तक राष्ट्रीय अथवा सरकारी कंपनी के कर्मचारियों में कार्य को बेहतर तरीके से करने का भाव नहीं आता है, तब तक राष्ट्रीयकरण का कोई लाभ नहीं है। सरकार द्वारा किसी कंपनी का राष्ट्रीयकरण कर कर्मचारियों को दिए जाने वाले वेतन भत्ते से समाज पर बोझ का निर्माण किया जाना है।
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