पर्ची सरकार: राजस्थान सरकार का मखौल

पर्ची सरकार: राजस्थान सरकार का मखौल

दिसम्बर, 2023 में राजस्थान में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 200 में से 115 सीट जीतकर पूर्ण बहुमत से सरकार बना ली। मतों कि गणना के करीब 15 दिन बाद मुख्यमंत्री ने शपथ ली तो मंत्रिमंडल के गठन में नई सरकार को एक महीने का समय लग गया। जब से मुख्यमंत्री ने पद और गोपनीयता कि शपथ ली तो राजस्थान में एक ट्रेंड ही चल पड़ा पर्ची सरकार। 

सोशल मीडिया के उपयोगकर्ताओं के साथ ही विपक्ष के नेता और विपक्ष के दलों का टीवी पर चर्चा में पक्ष रखने वाले प्रवक्ता भी राजस्थान कि नई भजनलाल शर्मा सरकार को पर्ची सरकार कहकर मखौल उड़ा रहे हैं। इन सब बातों से आगे बढ़कर सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर भी कई लोग तो हर बात के लिए राजस्थान सरकार या बीजेपी की राजस्थान सरकार कहने कि जगह सिर्फ पर्ची सरकार नाम से सम्बोधित कर लेख लिख रहे हैं।
 
ऐसे में प्रश्न उठता है आखिर वर्तमान राजस्थान सरकार को क्यो कहते है पर्ची सरकार? यह पर्ची सरकार शब्द कहाँ से आया? आखिर विपक्ष के नेता और विपक्षी पार्टियों के समर्थक पर्ची सरकार कहकर क्यों मखौल उड़ा रहे हैं? 

क्यों कहते हैं, पर्ची सरकार? 


कांग्रेस पार्टी (विपक्षी दल) के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने सबसे पहले वर्तमान सरकार पर कटाक्ष करते हुए इसे पर्ची सरकार कहा, उसके बाद से सोशल मीडिया पर उपयोगकर्ता विभिन्न प्रकार के ट्वीट, पोस्ट करने के साथ ही रील बनाने लगे जिससे पर्ची सरकार शब्द ट्विटर पर ट्रेंड होने लगा

इस पूरे वाक्ये पर तहलका उस वक्त मच गया, जब राजस्थान के पूर्व चर्चित शिक्षा मंत्री और वर्तमान समय में राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने राजस्थान सरकार को पर्ची सरकार कहकर तंज कसे। 
    

गोविंद सिंह डोटासरा ने - "राजस्थान में भाजपा कि सरकार नहीं है, भजन लाल कि सरकार नहीं है, य़ह पर्ची सरकार है! दिल्ली से पर्ची आती है, आपने सबने देखा, मीडिया के भाइयो ने देखा होगा। जैसे पिक्चर में होता है ना वो अली बाबा और चालीस चोर  ऐसे खुल जा पर्ची। वरिष्ट नेताओं कि चेहरे की हवाईया उड़ती है, किसी कि समझ में आता नहीं है। कोई ताली नहीं बजती है, कोई उत्साह नहीं है, कोई उमंग नहीं है कोई खुशी नहीं है। लटके हुए चेहरे देखते हैं, यह क्या हो गया। यह पर्ची सरकार एक महीने तक अपना मंत्री मंडल नहीं बना पाई, आखिर दिल्ली से एक और पर्ची आई, रात्री में बंद लिफाफे में मुख्यमंत्री जी दिल्ली से वो पर्ची ले आए और मंत्रिमंडल को शपथ दिलाई।"

क्यों कहा पर्ची सरकार? 


जैसा कि आपको पता ही है कि 3 दिसम्बर, 2023 को आए 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजों में 3 राज्यों मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी की बहुमत कि सरकार बनी। चुनाव परिणाम आने के कई दिन बाद भी भारतीय जनता पार्टी के विधायकों द्वारा ना तो विधायक दल कि मीटिंग की और ना ही विधायकों ने मुख्यमंत्री बनाने के लिए किसी को अपना नेता नहीं चुना। वो दिल्ली से चिट्टी आने का इंतजार कर रहे थे। विधायकों ने अपने मुख्यमंत्री का चयन पार्टी कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी पर छोड़ दिया। 

पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने भाजपा के वरिष्ठ नेता और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत तीन लोगों (विनोद तावडे और सरोज पांडे) को पर्यवेक्षक बनाकर राजस्थान भेजा। पर्यवेक्षक समिति के तीनों नेताओं ने विधायक दल कि मीटिंग 12 दिसंबर, 2023 को शाम 4 बजे शुरु की। मीटिंग शुरु होने के कुछ ही मिनट बाद राजनाथ सिंह ने एक कागज कि पर्ची पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे सिंधिया को दी। उसी कागज कि पर्ची में राजस्थान के होने वाले नए मुख्यमंत्री का नाम लिखा हुआ था। वसुंधरा राजे भी नाम पढ़कर एक बार चौंक ही गई क्योंकि पर्ची में लिखे हुए नए मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा का नाम सबको हैरान करने वाला था। 

हालांकि भारतीय जनता पार्टी ने भजन लाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाकर केंद्रीय नेतृत्व ने मास्टर स्ट्रोक खेल दिया। बीजेपी के लिए कई मायनों में भजन लाल शर्मा राजस्थान के लिए उपयुक्त दावेदार थे। उनके उपयुक्त होने के कई कारण हैं जिन्हें आप इस लेख में पढ़ सकते हैं तो क्यों चुन लिया भजनलाल शर्मा को राजस्थान का मुख्यमंत्री। हालांकि विपक्ष के नाते ही सही वर्ष 2022 में राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कि बगावत झेल चुकी कांग्रेस को भारतीय जनता पार्टी का ऐसा फैसला और विधायकों का केंद्रीय नेतृत्व के प्रति समर्पण और अनुशासन कांग्रेस पार्टी को पसंद नहीं आया। राजस्थान कांग्रेस पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष से पार्टी के कार्यकर्ता वर्तमान सरकार का मखौल बनाने के लिए पर्ची सरकार कहने लगे, जिसके पर्ची सरकार शब्द चर्चा में आया और सोशल मीडिया पर ट्रेंड होने लगा। उसके बाद तो सभी इसे पर्ची सरकार ही कहने लगे। 


कांग्रेस पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष के अतिरिक्त हाल ही में चुने गए नेता प्रतिपक्ष टीका राम जूली ने भी नेता चुने जाने के बाद भजन लाल सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि प्रदेश कि भजन लाल सरकार पर्ची कि सरकार है और पहले से ही घिरी पड़ी है, साथ ही केंद्र पर भी ईडी के दुरूपयोग के आरोप लगाए। इसके अलावा कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता भी टीवी बहस के दौरान कई बार पर्ची सरकार का जिक्र करते रहते हैं। 

जैसा कि आपको पता ही है कि केंद्र कि सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किस प्रकार से विपक्ष के कटाक्ष को ही अपना मास्टर स्ट्रोक बना खेलते हैं जैसे विपक्ष के चौकीदार चोर है के जबाब में मैं भी चौकीदार। चाय बेचता था के बदले में चाय वाला, गरीब माँ का बेटा इत्यादि। ऐसे में राजस्थान में भी भाजपा के नेता पर्ची पर खुलकर बोलते नजर आ रहे हैं। राजस्थान विधानसभा में विधायकों के एकदिवसीय प्रशिक्षण शिविर में विधायकों को संबोधित करते हुए भाजपा से राज्यसभा सदस्य घनश्याम तिवारी ने एक विधायक के पर्ची के जिक्र पर बोला "पर्ची बड़ी खतरनाक चीज है, जब निकलती है तो लोगों के होश उड़ जाते हैं। 

वर्तमान राज्य सरकार में कृषि मंत्री और पूर्व भाजपा से राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा राजस्थान में कांग्रेस पार्टी के द्वारा चुने गए नेता प्रतिपक्ष और नेता प्रतिपक्ष के ब्यान पर पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस में तो पर्ची ही छोड़िए, कान में फूस-फुसाकर फैसला सुना देते हैं। क्योंकि कांग्रेस ने भी नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने से पूर्व विधायकों कि मीटिंग नहीं ली थी, और ना ही विधायकों से औपचारिक तौर से कुछ पूछा। ऐसे में बीजेपी को भी मौका मिल गया कांग्रेस पार्टी को घेरने का। 

तो पर्ची का चला मखौल अब बीजेपी से काँग्रेस कि तरफ मुड़ता नजर आ रहा है। ऐसा इसलिये हो रहा है क्योंकि कांग्रेस ने भी अपना नेता प्रतिपक्ष बीजेपी के मुख्यमंत्री से भी बदतर तरीके से चुना। कांग्रेस द्वारा नेता प्रतिपक्ष चुने जाने के एक दिन पूर्व ही टीकाराम द्वारा कांग्रेस पार्टी को 10 करोड़ रुपये दान दिए जाने कि चर्चा ने सोशल मीडिया पर जोर पकड़ रखा था, ऐसे में बीजेपी कभी भी कांग्रेस पर पलटवार कर उनके दांव पर ही कब खेल जाएगी पता ही नहीं चलेगा। 

क्यों पड़ सकता है यह कांग्रेस पर भारी? 


पर्ची बड़ी खतरनाक होती है, ऐसा कहना है घनश्याम तिवाड़ी का। लेकिन आप सब तो जानते ही हैं कि बीजेपी के फैसले इस प्रकार के होते हैं कि पत्रकारों और खबरों के सूत्रों तक को हवा नहीं लगती है, दूसरी और कांग्रेस के फैसले का लोगों को पहले से ही पूर्वानुमान हो जाता है और बीजेपी अपनी सोशल मीडिया टीम के साथ एक धारणा को पैदा कर लोगों को अपने पाले में ला खड़ा करती है। साथ ही बीजेपी किसी भी समय सटीक निर्णय ले विपक्ष को जबाब दे सकती है, जबकि कांग्रेस के पास बीजेपी को जबाब देने का ना तो ज़ज्बा है और ना ही कला, ऊपर से उसके निर्णय पहले से ही लोगों और सोशल मीडिया पर आ जाने से सही से घेराबंदी करने में कामयाब नहीं हो सकती है। 

कुल मिलाकर कहा जाए तो पर्ची कि सरकार, फुस-फुसाकर विपक्ष तक आ गई हैं। जो कुछ भी हो रहा है, लोग तो इसे देखकर विभिन्न प्रकार कि पोस्ट सोशल मीडिया पर कर ही रहे हैं, आगे भी करते रहेंगे। आप भी जुड़े रहे हमारे साथ ताकि आप यह जान सके ऐसा हो रहा है तो क्यों? इसके लिए आज ही हमे सब्सक्राइब करे और हमारे सोशल मीडिया से भी जुड़े।


मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का पर्ची सरकार पर ब्यान -


30 जनवरी, 2024 को राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने राजस्थान कांग्रेस सरकार के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के पर्ची वाले ब्यान को लेकर माननीय राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के जबाब के दौरान पर्ची वाले ब्यान का भी जबाब दिया। उन्होंने कहा कि "कांग्रेस कि सरकार प्रीपेड सरकार थी। जितना पैसा डालो, उतने दिन काम होता था, यह (कांग्रेस कि सरकार) खर्ची कि सरकार थी, अब बीजेपी कि सरकार आई है, जो धरती पुत्रों कि सरकार है।" इस दौरान उन्होंने कांग्रेस सरकार में हुए पेपर लीक, बजरी माफिया, गैंगस्टर, ईआरसीपी और जल जीवन मिशन में हुए घोटाले का भी जिक्र किया था इसी दौरान उनका पर्ची वाली सरकार के ब्यान के प्रतिउत्तर में यह ब्यान आया।


क्या पर्ची सरकार कहना सही है? 


भारत एक शुद्ध लोकतांत्रिक देश है। लोकतांत्रिक दायरे में रहते हुये सत्ता पर कटाक्ष करने के लिए विपक्ष विभिन्न प्रकार के तरीकों का इस्तेमाल करता है। राजस्थान में विपक्ष द्वारा नई सरकार को घेरने के लिए इस रणनीति का उपयोग किया गया। सरकार को घेरने के लिए विपक्ष द्वारा अपनाए गए ऐसे तरीकों को अनुचित नहीं कहा जा सकता है, खासतौर से भारत में। भारत में पहले भी विपक्षी दलों द्वारा सरकार को ऐसी ही उपमा दी जाती रही हैं। 

भारतीय जनता पार्टी भी किसी दौर में केंद्र में रही मनमोहन सिंह सरकार को 'रिमोट कंट्रोल सरकार' कहकर संबोधित करती थी। इसके बाद 2g और कोयला घोटाले जैसे बड़े घोटालों के सबूत सार्वजनिक होने के बाद घोटालों की सरकार और भ्रष्टाचार की सरकार कहती रही। इतना ही नहीं राजस्थान की पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार के कालखंड में अशोक गहलोत द्वारा सरकार गिरने के डर से अपने समर्थक विधायकों को बार-बार होटल में बंद किए जाने के पश्चात तत्कालीन विपक्ष (भारतीय जनता पार्टी) ने अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार को 'होटल सरकार' कहने के साथ ही खुलेआम प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर चोरी होने के बाद 'पेपर चोरों की सरकार' कहकर संबोधित किया जाता था। 

इतिहास के विभिन्न घटनाक्रम इस बात का साक्ष्य है कि सत्ताधारी दल और सरकार को लोगों के सामने उजागर करने के लिए विभिन्न प्रकार की रणनीतियों का उपयोग करता है, उन रणनीतियों में से एक रणनीति है सरकार को उपमा देना। 


 प्रश्न : पर्ची सरकार किसे कहते हैं?

उत्तर: राजस्थान कि भजनलाल सरकार को पर्ची सरकार कहकर कांग्रेस ने धावा बोला उसके बाद से भजनलाल शर्मा सरकार को पर्ची सरकार कहा जाता है।


प्रश्न : राजस्थान सरकार को सबसे पहले पर्ची सरकार किसने कहा?

उत्तर: राजस्थान कि भजनलाल शर्मा सरकार को सबसे पहले पर्ची सरकार, राजस्थान कांग्रेस पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा। 

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