एक कहावत तो अपने सुनी ही होगी कि "नशा शरीर का नाश करता है।" नशा करने से व्यक्ति को लत लग जाती है, जिससे उसे नशा करना ही होता है। लंबे समय तक नशा करने से शरीर नशे का आदी हो जाता है, जिससे शरीर कमजोर होने लगता है और व्यक्ति का मानसिक संतुलन भी बिगड़ने लगता है। नशा करने से व्यक्ति को शारीरिक, आर्थिक और मानसिक नुकसान होता है, इसके बावजूद भी नशा करता है। नशा तो नशा है, वो व्यक्ति को स्वयं में ही उलझा कर रखता है, आप यूँ भी कह सकते हैं कि खुद का शारीरिक स्वास्थ्य भी भूला देता है।
भारत सरकार समेत तमाम राज्यों कि राज्य सरकारे समय-समय पर नशा विरोधी अभियान चलाकर प्रयास करती है कि देश कि युवा पीढ़ी को किस तरीके से नशे कि लत से दूर किया जाए। नशे कि बढ़ती दर से सरकार हर समय युवाओ के भविष्य को लेकर चिंतित नजर आती है, इसी कारण सरकार नशीले प्रदार्थो पर भारी मात्रा में टैक्स लगा देती है। भारी टैक्स से सरकार समाज के विभिन्न वर्गों को को नशे से हतोत्साहित करने का प्रयास लंबे समय से चल रहा है।
युवाओ में नशे का चलन -
आजकल नशे का चलन युवाओ के मध्य तेजी से बढ़ रहा है। युवा वर्तमान में नशे कि लत में कुछ यूँ डूब रहा है, जैसे बरसों बाद प्रेमिका से मिला प्रेमी अपनी प्रेमिका कि आँखों में डूब मदहोश हो जाता है, जो न जाने कितने ही बरसों से इस मिलन कि वेला का इंतजार कर रहा था। उसका मुकाम और जिन्दगी का एकमात्र लक्ष्य मात्र यह मिलन ही था, बरसों से बस उसकी ही तलाश थी। बरसों बाद मिलन से उत्साहित वो प्रेमी अपनी प्रेयसी की जुल्फों में खो जाता है, उससे नजर हटाने और दूर होने की शंका मात्र ही उसे इतना भयभीत कर दे कि उसकी रुह तक कांप जाएं।
मौसम कि अदा, फिजा कि मस्ती, जीवन के रंगों और दुनियादारी को छोड़कर आजकल कई युवा ठीक वैसे ही खो जाते है; नशे में। प्रेमिका कि आँखों में डूबा और जुल्फों में उलझा प्रेमी नहीं निकल पाता उसकी गहराई और महक से वैसे ही नशे में डूबा युवक नहीं निकल पाता है है नशे कि लत से। प्रेमिका कि मीठी बाते, प्रेमी को अपने एकांत कि तन्हाई दूर करने को बुलाती है, प्रेमिका के स्नेह कि गहराई में डूब जाने को आमंत्रित करती है, ठीक उसी तरह नशे कि लत युवको को खिंच लाती है, मैखाने की बंद दीवारों में, जहाँ अंधकार है, आज कि दुनियादारी से दूरी है बस का गहराई है तन्हाई है उसके भविष्य को अंधकार में डूबा देने की।
कैसे लगती है नशे कि लत?
युवाओ मे नशे कि लत समाज ही लगाता है, इसके फायदे गिना काल्पनिक बहाने बता। यह बहाने इतने गहरे होते हैं कि एक शरीफ व्यक्ति को खिंचा चला आता है, नशे कि दुनिया में। फिर नशेड़ी का परिवार बिलख-बिलख कर रोता है, दिन कि दोपहरी में। नशेड़ी के बच्चे मोहताज हो जाते हैं दाने-दाने को और नशेड़ी मस्त रहता है अपनी नशे कि पुड़िया खाने को। नशा एक ऐसा जाल है कि जो उसमे फंस गया, वो खुद भी नहीं निकल सकता है इस गुस्ताख से। इतना कुछ होने के बावजूद युवा कैसे हो जाते हैं नशेड़ी? इसके कुछ कारण इस प्रकार हैं -
- दोस्तों द्वारा फैशन का हवाला देकर - आजकल नशा युवाओं में फैशन हो गया है। जो शराब नहीं पीता उसे उसके दोस्त कहते हैं यह कोई नशा नहीं है, य़ह तो फैशन है, इसलिये हम पीते हैं। साथ ही वो बड़े आत्मविश्वास से बोलते हैं, इसका क्या कल छोड़ दे लेकिन इसे छोड़ने के बाद वो आज कि दुनिया का हिस्सा कैसे बनेंगे? इसे छोड़ते ही वो आधुनिकता से बाबा युग के जमाने में पहुंच जाएंगे। तुम भी आज कि दुनिया का हिस्सा बनना चाहते हो तो आओ इसे पीओ और जियो। बस ऐसी बेतुकी बातों से नशे से दूर रहने वाला भी उनकी संगत में आ अपने परिवार पर बोझ बन जाता है। ऐसा मैं कह रहा हूँ बाकी नशेड़ी तो कहेगा इसमे क्या खर्च होता है? इसे छोड़ दूँ तो कल को मैं पुराने ज़माने का हो जाऊँगा और कोई मुझे काम ही नहीं देगा। बस यही सब नशेड़ी के पास है, जो बहाने कर किसी भी भावुक को नशेड़ी अपनी दुनिया में ले ही आता है।
- समाज द्वारा रीत बताकर - समाज में ऐसे लोग भी होते हैं, खासतौर से ग्रामीण इलाकों में, जो नशे को समाज की रीत बताकर इसे एक से दूसरे तक फैलाते है। ये लोग ऐसे होते हैं जो सामाजिक कार्यक्रमों में अपने नए संगी साथी बनाने के लिए नवयुवकों को लक्षित कर उन्हें समाज कि रीत के नाम से नशा देने का काम शुरु कर देते हैं। ये लोग मना करने वालों से भावनात्मक रूप से पेश आकर उसे अपनी बातों से झांसे में लेने का कार्य करते हैं। ऐसे खुराफाती लोग समाज और रीत के नाम पर अपना मकसद पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं, अपने मार्मिक और कृत्रिम व्यवहार से।
- साथियों द्वारा बल आने का बोलकर - समाज में कई तरह कि भ्रांतियां है, वैसे यह भी एक भ्रांति है कि नशा करने से शारीरिक बल आता है, मनुष्य वो कार्य भी कर लेता है जो करने का उसमे शारीरिक सामर्थ्य नहीं होता है। खासतौर से मजदूरी करने वाले लोग जिन्हें शारीरिक बल कि अधिक आवश्यकता होती है, उनमे इस प्रकार की भ्रांतियां पाई जाती है। इसी भ्रांति के चलते नशे के आदी मजदूर अपने साथ आए नए साथी को नशेड़ी कर ही देते हैं, नशे के नित नए फायदे गिनाकर।
- असामाजिक तत्वों द्वारा चोरी-छिपे - यह बहुत ही कम पाया जाता है, यह भी किसी को भी नशे कि लत लगाने का एक असरदार कार्य साथ ही हस्तसिद्ध भी। कभी आपने सोचा कि किसी होटल से अगर आप एक सप्ताह लगातार चाय पी लेते हैं तो फिर उसी होटल कि चाय पीना आदत ही हो जाती है। कभी कहीं दूसरी जगह से पी तो फिर वहाँ से नहीं पीने से बैचैनी होने लगती है, ऐसा नशे कि अल्प मात्रा के चलते होता है। वहाँ कोई जटिल नशा नहीं होता केवल कुछ मसालों का नशा मात्र होता है। किंतु चोरी छिपे नशा सिखाने वाले अधिकतर कामगार लोग होते हैं जो मज़दूरों को चाय के साथ नशीले प्रदार्थ मिलाकर देते हैं, जिससे उनसे अधिक काम करवाया जा सके, लेकिन उनकी यह हरकत मजदूरों को नशेड़ी कर देती है।
- नशेड़ी द्वारा कंपनी का हवाला देकर - कई नशेड़ी इस प्रकार के होते हैं, जो बोलते हैं कि अगर अकेले में नशा करे तो उन्हें मजा नहीं आता है, ऐसे में जो उनके पास बैठा हो उन्हें नशा लेने के लिए प्रस्ताव देते हैं। ऐसे प्रस्ताव देने वाले नशेड़ी के प्रस्ताव को स्वीकार कर आप लंबे समय तक उनका साथ देते रहे तो एक दिन आपका भी नशेड़ी होना तय है। बेहतर यही होता है कि ऐसे लोगों से दूरी बनाये रखे। अगर साथ रहना आवश्यक है तो उन्हें प्रेम से समझा सकते हैं किन्तु जो ना नहीं कर सकते हैं, उन्हें ये नशेड़ी बनाकर ही मानते हैं।
नशा हमेशा साथी से ही सीखा जाता है, उसकी शुरुआत कोई परिचित ही करता है, फिर आदमी शुरु करता है खुद खरीदकर नशा लेना। आदमी खुद से कभी नशा लेने कि शुरुआत करता है, वो किसी दूसरे के साथ से ही नशा लेना सीखता है। छोटे बच्चे कभी भी स्वयं नशा ख़रीदने नहीं जाते हैं, किन्तु एक बार कोई उन्हें नशा दे दे, तो फिर खुद ही खरीदने चले जाते हैं।
सरकार और समाज कि लापरवाही के चलते बच्चे नशा सीख रहे हैं, समाज के लोग बच्चों को नशा सीखा रहे हैं तो दूसरी ओर सरकार द्वारा इस प्रकार के कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं, जिससे स्कूल या कॉलेज के आसपास असामाजिक तत्वों द्वारा बच्चों को नशे कि दुनिया में उतरने से रोका जा सके।
नशे कि लत से समाज को खतरा -
वैसे हम और आप किसी को नशा नहीं करने की सलाह दे तो उत्तर आता है, क्या तुम्हारे पैसे से कर रहा हूँ? लेकिन सत्यता यह है कि आप देश के नागरिक होने के हमारे भी कुछ है। अगर आपका स्वास्थ्य खराब हुआ तो आपको सरकारी अस्पताल में भी इलाज कराना पड़ सकता है, ऐसे में आपका इलाज तो सरकारी पैसे से यानी हमारे पैसे से हो सकता है, तो आप सीधे यह जबाब नहीं दे सकते हैं।
नशा करने से घर में आर्थिक तंगी आ सकती है, शरीर नौकरी या मजदूरी करने योग्य नहीं रह सकता है। ऐसे में कई युवा, युवावस्था में बूढे हो जाते हैं। मजदूरी और पैसे के अभाव में भी शरीर नशेड़ी से नशा करने का आह्वान करता है, जिससे वह आपराधिक कृत्यों को अंजाम देता है। आजकल बढ़ती लूटपाट, चोरी और डकैती के पीछे नशा ही छुपा हुआ है। नशे का आदी व्यक्ति नशा लेने के बाद सार्वजनिक स्थलों पर उत्पात कर लोगों को परेशान करता है तो सड़कों पर दुर्घटना का कारण बनता है।
युवाओ को नशे से दूर करने के उपाय -
नशे में डूबते युवाओ को बचाने का संकल्प आज सभी को लेने कि आवश्यकता है। नशा समाज का नाश कर रहा है, ऐसे में हमारी और आपकी सबकी एक ही चिंता होनी चाहिए, कैसे युवा पीढ़ी को नशे से दूर करे? इसी कड़ी में कुछ उपाय आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं, युवा पीढ़ी को नशे से दूर करने के लिए, जो निम्न है -
- स्वास्थ्य के प्रति प्रेरित करना - युवा पीढ़ी को नशे से बचाने के लिए उन्हें स्वयं के स्वास्थ्य के प्रति प्रेरित करना चाहिए। स्वास्थ्य कि सोचने वाले युवा नशे कि लत में नहीं आ सकते हैं, उन्हें लगता है यह बिमारी का कारण है। ऐसे में सजग व्यक्ति अपने स्वास्थ्य को बिगाड़ने के लिए नशे कि आदत में नहीं पड़ेगा।
- खेल में रुचि पैदा करना - हमे युवाओ को खेल के प्रति प्रेरित करना चाहिए, खेल अनुशासन सिखाता है तो दूसरी ओर शरीर को तरोताजा रखता है, जिससे नशे कि लत नहीं लग सकती है।
- व्यस्त रखना - युवाओं को व्यस्त रखे जाने का पूरा प्रयास किया जाना चाहिए, ऐसा करने से उन्हें फ्री का समय नहीं मिलेगा और वो नशे कि लत में नहीं पड़ेगा। व्यस्त व्यक्ति अन्य लोगों से कम ही मिलता है, जिससे शिकारियों का शिकार नहीं हो पाएगा। यहाँ शिकारी से तात्पर्य ऐसे लोगों से है जो दूसरों को नशा सीखा देते हैं, कसमें देकर।
- डिटाॅक्सिफिकेशन - जो युवा नशे कि गिरफ्त में आ गए हैं, उन्हें नशे की दुनिया से दूर करने के लिए शरीर से नशे के विषाक्त तत्वों को साफ करना आवश्यक है। इसके लिए खूब पानी पीए, नींबू और अदरक का रस ले।
- दवा - अगर कोई युवक गलती से नशे कि लत का शिकार हो जाए तो उसे नशे से बचाने के लिए अस्पताल पहुंचा आवश्यकता के अनुरुप दवा दिलाई जाए। ऐसा करने से उसे नशे कि लत से निकाला जा सकता है और एक परिवार को बचाया जा सकता है।
- शिक्षा - सकारात्मक शिक्षा से एक मजबूत व्यक्तित्व और समाज का निर्माण होता है, इसलिए आवश्यकता है सकारात्मक शिक्षा की। आप युवाओ को सकारात्मक शिक्षा देकर नशे की लत में डूबने से बचा सकते हैं।
- मनोवैज्ञानिक उपचार - जो युवा नशे का शिकार हो गया है या हो सकता है, उसे मनोवैज्ञानिक तौर तरीकों से समझाया जाए, भविष्य कि चुनौतियों को गिनाये इससे वो नशे कि लत से दूर हो सकता है।
नशा समाज के लिए एक चुनौती है, इसे चुनौती कि तरह ही देखा जाना चाहिए। नशे से दूरी करना आवश्यकता है आज की। समाज और युवाओं को बचाना हमारा कर्तव्य है इसलिए हमे अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए नशे से दूर रहना चाहिए और अगर कोई नशा करता है तो उसे भी इससे दूर करने का प्रयास करना चाहिए।
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