बच्चों को ना दे मोबाइल फोन ना देखने दे रील। Baccho ko Na de Mobile

बच्चों को ना दे मोबाइल फोन ना देखने दे रील। Baccho ko Na de Mobile

आजकल बच्चों को मोबाइल फोन देकर व्यस्त किए जाने का तरीका सभी घरों में आम हो गया है। गृहणियां जब घरेलू कार्यो में व्यस्त होती है तो बच्चों को मोबाइल फोन देकर व्यस्त कर देती है, ताकि बच्चे मोबाइल देखते रहे और वो घर के काम करती रहे। कुछ महिलाएं जो दिनभर मोबाइल देखती है तो बच्चे भी उनके साथ मोबाइल की स्क्रीन पर नजर गड़ाए रहते हैं। तरीका कोई भी हो बच्चों में मोबाइल देखने की लत दिनोदिन बढ़ती ही जा रही हैं। 
आजकल हर घर में बच्चे आपको मोबाइल देखते हुए मिल जाएंगे। थोड़े से समय मोबाइल देखने से ही धीरे-धीरे बच्चों में भी मोबाइल देखने की आदत लग जाती है और आदत से मजबूर कुछ बच्चे भी इस तरीके के हो गए हैं कि अगर उन्हें मोबाइल ना दिया जाए तो खाना भी नहीं खाते। बच्चों में मोबाइल देखने की प्रवृति बढ़ रही है उसके पीछे परिजनों का ही हाथ है। आजकल बच्चों में रील देखने की प्रवृत्ति आम हो गई है।

क्या होती है रील - 


रील एक छोटी वीडियो है, जो 1 मिनट से कम अवधि की होती है। यह सोशल मीडिया एप्प व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, फेसबुक और अन्य सोशल साइट्स पर पर अपलोड होती है। 

रील को अपलोड करने वाला व्यक्ति कोई गाना, कला और अन्य कोई भी शॉर्ट वीडियो लगा देता है, जो फॉलो करने वाले व्यक्ति को दिखता है। छोटे बच्चे अपने नाम से कई प्लेटफॉर्म पर रील अपलोड नहीं कर सकते हैं किन्तु माता-पिता के नाम से आईडी बनाकर अपलोड करते भी है और दूसरे लोगों के द्वारा अपलोड की गई रील को देखते भी है। 

बच्चों में मोबाइल पर रील देखने की आदत कैसे पड़ रही?


छोटे-छोटे बच्चों को मोबाइल के लिए जिद करते हुए तो आपने देखा ही होगा। क्या इन्हें मोबाइल देखते हुए देखकर आपने कभी सोचा आखिर ये बच्चे मोबाइल देखने की जिद क्यों करते हैं? किस वज़ह से इनको मोबाइल की लत लग गई, तो जानते हैं बच्चों में मोबाइल की लत लगने के कारण -
  • परिवार के सदस्यों से - जब परिवार के सदस्य दिनभर अनावश्य मोबाइल देखते रहते हैं तो साथ में बच्चे भी देखने लगते हैं। आप अनावश्यक लोगों को फॉलो कर रील देखते हैं तो बच्चे भी देखने लगते हैं। 
  • अनावश्यक मोबाइल देने से - गृहणियों और पुरुषों द्वारा अकारण बच्चों को मोबाइल दिया जाता है तब बच्चे मोबाइल में सोशल साइट्स खोलकर रील देखना शुरु कर देते है। 
  • काम के बदले मोबाइल देना - आजकल घरों में एक नया ही चलन चल गया है, मेरा राजा बेटा यह काम करेगा तो मोबाइल मिलेगा। ऐसे बच्चों को मोबाइल का लालच देंगे तो बच्चा क्या करेगा? कभी सोचा। 
  • बच्चे के स्वयं द्वारा देखना -जब मोबाइल रखा हुआ होता है या चार्ज में डाल रखा होता है तो बच्चे उठाकर देखने लगते हैं।

जब बच्चे को रोका टोका नहीं जाता है माता-पिता स्वयं ही बच्चों को मोबाइल दे अपने काम में व्यस्त हो जाए तो यही हो रहा है। बच्चे मोबाइल लेकर घण्टों उसी में लगे रहते हैं। 

बच्चों द्वारा रील देखने से नुकसान -


आपने पहले भी कई बार अख़बार या पत्रिकाओं में पढ़ा होगा या किसी से सुना और टीवी पर देखा होगा कि बच्चों द्वारा अधिक समय तक मोबाइल या टीवी स्क्रीन को देखने से उनकी आँखों की रोशनी पर बुरा असर होता है। बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर होता है। यह सब तो होने ही है लेकिन रील देखने वाले बच्चों के कम समय में भी कई ऐसे असर देखने को मिलते हैं, जो आपके साथ साझा करना आवश्यक है -

  • आवश्यक चीजों को गलत सीखना - रील में समयावधि निश्चित होती है, ऐसे में जो रील को अपलोड कर रहा है वो अपना संदेश कम समय में पूरा पहुंचाने के लिए आवाज (जो बोल रहा है) की गति को बढ़ा देता है (sound motion 2x) ऐसे में सही आवाज नहीं आती और उच्चारण गलत होने लगता है, जिसके कारण बच्चे कई चीजे गलत सीखने लगते हैं। मोबाइल में रील देखने वाले बच्चे जब गिनती सीखते है तो कई अक्षर मन में ही खा जाते हैं और कुछ सही से नहीं बोल पाते हैं। 
  • गलत लिखना - जब बच्चे गलत ही सीखते है तो रोज़मर्रा में उपयोग होने वाले शब्दों का उच्चारण गलत कर उन्हें गलत ही लिखना शुरू कर देते हैं। कई बार रील में शॉर्ट वीडियों की भांति जरूरी शब्दों के टेक्स्ट की शॉर्ट फॉर्म बताई जाती है बच्चे वैसा ही लिखना शुरु कर देते हैं। जैसे because को bcos आदि ।
  • गलत बोलना - जब सुनते गलत है तो सीखते ही गलत है फिर सामने सही शब्द लिखा हुआ होने के बावजूद ही गलत ही पढ़ेंगे और गलत ही बोलेंगे। 
  • जल्दी भूल जाना - रील देखने वाले बच्चों में जल्दी भूल जाने की समस्या भी होती है। ऐसी समस्या की उत्पत्ति दरअसल उनके कन्फ्यूश होने के कारण होती है। पहले जो शॉर्ट वीडियो देखा उसमे घोड़े को कुछ बोल रहा था अगले में कुछ और... बच्चा कनफ़्यूश हो जो आता है वही भूलने लगता है। 
  • अकेलापन - मोबाइल में डूबा बच्चा अकेलापन अधिक चाहता है उसे कोई डिस्टर्ब करने वाला नहीं चाहिए, और ना ही कोई बात करने वाला। ऐसे में बच्चों में अकेलापन की समस्या की उत्पत्ति होना आम बात है। 
आपको बता दे कि रील देखने वाले बच्चे बोलने से अधिक हावभाव और दिखने वाली चीजों पर ध्यान देते हैं। ऐसे में आप उन्हें घरेलू और आम बात नहीं सीखा सकते वो सवाल ही करता रहेगा और कन्फ्यूजन को और बढ़ा देगा। ऐसे मे आपको चाहिए कि बच्चों को रील देखने से बचाए अन्यथा आप उसकी सीखने की गति को कम करने के सहायक बन जाएंगे। 

कैसे रील देखने से रोके बच्चों को - 


बच्चे मे जो लत लग गई है वो अधिक स्थायी नहीं है। अगर आप दृढ़ निश्चय कर ले तो बच्चे को कुछ ही दिन में ना सिर्फ रील से बल्कि मोबाइल से भी दूर कर सकते हैं। उसके आने वाले भविष्य को सुनहरा करने और उसको रील से रियल में लाने के लिए आपको कुछ कदम उठाने होंगे जो बच्चे को मोबाइल से दूर करने में सहायक सिद्ध होंगे - 

  • अनावश्यक मोबाइल ना दे - अपने बच्चों को बिना किसी कारण के मोबाइल ना दे। ऐसा करते ही बच्चे जिद करने लगते हैं, अगर बच्चा जिद कर सकता है तो समय सीमा बनाकर मोबाइल दे। कुछ समय तक आप समय सीमा बनाते रहे और साथ ही रील ना देखने की हिदायत दे तो कुछ समय के बाद बच्चा मोबाइल का उपयोग बंद कर देगा। 
  • बच्चे को मोबाइल का लालच ना दे - आप जरा सी बात पर बच्चे को मोबाइल देने का लालच देकर काम कराते हैं तो आप स्वयं अपनी आदत में सुधार करे। बच्चों को ऐसे लालच ना दे। बच्चे लालच से ही अगर मोबाइल और रील में घुस गए तो उन्हें निकालना काफी मशक्कत भरा काम होगा, उन्हें वापस निकालना। 
  • आप स्वयं बच्चों के सामने मोबाइल ना देखे - अगर आप स्वयं ही बच्चों के सामने मोबाइल देखते हैं तो स्वयं की आदत में सुधार लाए। आपको मोबाइल देखता देखकर बच्चों का भी मोबाइल देखने का मन होता है। 
  • सोशल मीडिया एप लॉक रखे - बच्चे आपका ही मोबाइल उपयोग करते हैं अगर आपके मोबाइल में कोई सोशल साइट्स है तो उन्हें लॉक रखे। अगर आप मोबाइल पर रील देखने है तो आपकी तरह बच्चे भी देखने लगेंगे, इससे उनकी आदत लग सकती है, रील देखने की। इससे बचने के लिए ऐसे एप को लॉक रखे।अगर आपके लिए आवश्यक नहीं है तो हटा भी सकते हैं। 
  • बच्चों से बात करे, मोबाइल ना दे - जब बच्चे स्कूल से लौटकर आते हैं तब वो मोबाइल लेने की जिद्द करने लगते हैं। बच्चों को मोबाइल देने से बचने के लिए बच्चों से बात करे, उनका अकेलापन दूर होता रहेगा और वो मोबाइल से दूर होते जाएंगे। 
  • उन्हें खेलने को दे - जब बच्चे कोई काम नहीं कर रहे होते हैं तो मोबाइल मांगने लगते हैं। ऐसे फ्री समय में बच्चे को खेलने दे। इससे बच्चे का शारीरिक स्वास्थ्य भी मजबूत होगा और मोबाइल देखने की आदत भी जाती रहेगी। 
  • बच्चों को व्यस्त रखे - बच्चों को किसी काम में व्यस्त रखे, जब बच्चे व्यस्त रहेंगे तो ना उन्हें मोबाइल की याद आएगी और ना ही मोबाइल लेने की जिद करेंगे। 

दोस्तों आपको याद होगा जब हम कोरोना के दौर से गुजर रहे थे, उस वक़्त 24 घंटे घर में पूरे परिवार के रहने से मोबाइल ही साथी बन गया। उस समय की बात करते हुए रमेश जी बता रहे थे कि बच्चों को दिनभर मोबाइल में गेम खेलने की आदत लग गई। जब हालत बेहतर हुई लॉक डाउन समाप्त हुआ तो रमेश जी वापस काम पर जाने लगे। बच्चे दिनभर उदास रहने लगे। जैसी ही रमेश जी काम से लौटते ही बच्चे मोबाइल पर टूट पड़ते गेम खेलने।

रमेश जी कहते हैं वो बच्चों की इस आदत से बूरी तरह से परेशान हो गए, थककर उन्होंने कारण जानना चाहा तो पता चला कि बच्चे गेम में डूब चुके हैं। आगे वो कहते हैं कि उन्होंने बच्चों की आदत को बदलने के लिए मोबाइल से पहले सभी गेम को हटाया, खुद भी खेलना बंद किया और जहां कहीं से बच्चे डाउनलोड कर सकते वो सभी ऐप को लॉक किया। बच्चे थोड़े दिन उदास रहे लेकिन धीरे-धीरे पटरी पर लौट आए, उन्होंने आपस में खेलना शुरू किया जो गेम घर में खेल सकते थे और मोबाइल माँगना भी बंद कर दिया। आप भी उनकी तरह कुछ कर सकते हैं। 

कैसे बच्चों को मोबाइल से केवल सीखने ही दे - 


बच्चे जब मोबाइल हाथ में लेते हैं तो माता-पिता और भाई बहिन की अक्सर शिकायत होती - ओ, डेटा खत्म कर दिया। कभी यह नहीं देखते डेटा गया कहाँ? क्या देख रहे थे बच्चे - रील या कुछ और। इतना भी देखने का वक़्त नहीं है आपके पास तो फिर बच्चों का क्या? बच्चे समझदार नहीं है इतने की वो यह तय कर सके उन्हें क्या देखना है, जिससे सीख सके। आप चाहते हैं कि बच्चे मोबाइल हाथ में ले तो कुछ दिखे। इसके लिए आपको निम्न काम करने होंगे -
  1. सोशल मीडिया साइट्स के साथ यूट्यूब को भी लॉक करे। 
  2. पढ़ाई से रिलेटेड एप ही रखे।
  3. यूट्यूब से ना पढ़ने दे, हो सके तो ब्राउजर से पढ़ने दे, जिससे उनकी शब्दावली मजबूत हो और सही लिखना और बोलना सीख सके।
  4. यूट्यूब से पढ़ रहे हैं तो यह देखे कि कहीं स्पीड बढ़ा कर तो वीडियो नहीं चला रहे हैं, ताकि शॉर्ट भी देख ले बचे हुए समय में। 

अगर आज आप छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देंगे तो बच्चे की नींव मजबूत होगी वह सही पढ़ना और लिखना सीख पाएगा। अगर आपने आज ध्यान नहीं दिया और बच्चा गलत सीखता रहा तो उसके लिए गलतियां स्थायी हो जाएगी। 

बच्चों को मोबाइल देना आवश्यक हो तो क्या करे - 


अगर बच्चों को कुछ नया सीखने या पढ़ने के लिए (होमवर्क और अन्य स्कूल के कार्य) के लिए या ऑनलाइन ट्यूशन के लिए मोबाइल देना आवश्यक है। कई ऐसे परिवार भी है जहां बच्चे अकेले रहते हैं, अगर माता-पिता कामकाजी है तो फिर मोबाइल देना आवश्यक हो जाता है, ऐसे में आपके सामने बच्चों को रील से दूर रखने की चुनौती खड़ी हो जाती है। 

ऐसे में बच्चों को रील से दूर रखने के लिए आप मोबाइल में कोई भी सोशल साइट्स ना रखे। मोबाइल को चेक करते रहें। बच्चों को ऐसी चीजे देखने के लिए साफ मना करे। जिन बच्चों के पास 24 घंटे मोबाइल रहता है उन्हें मोबाइल को अधिक देखने के नुकसान समझाये ताकि वो समझ सके की भविष्य बड़ा है मोबाइल नहीं। हालाँकि छोटे बच्चों को मोबाइल ना दे। 

आवश्यक प्रश्न - 


प्रश्न: कितने साल के बच्चों को मोबाइल दे? 

उत्तर : 18 साल से कम उम्र के बच्चों को मोबाइल नहीं दे। अगर मोबाइल देखने की बात है तो 1 वर्ष से छोटे बच्चों को मोबाइल ना दे। 

प्रश्न: छोटे बच्चों को मोबाइल देने से क्या होता है? 

उत्तर : छोटे बच्चे अगर मोबाइल में रील देखते हैं तो उनकी भाषा को नुकसान हो सकता है, जिससे उनके पढ़ने-लिखने और सीखने पर विपरीत असर होता है।

प्रश्न: बच्चों को मोबाइल फोन में क्या देखने देना चाहिए? 

उत्तर : यूट्यूब पर पढ़ने लिखने या विशुध्द भाषा में आराम से सुनाई जाने वाली कहानियाँ देखने देनी चाहिए। 

प्रश्न: बच्चों के लंबे समय तक मोबाइल देखने से क्या होता है? 

उत्तर : बच्चे अगर लंबे समय तक मोबाइल देखते हैं तो उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर विपरीत असर होता है। 

प्रश्न: बच्चे मोबाइल में रील देखना अधिक पसंद क्यों करते हैं? 

उत्तर : इसे देखने में दिमाग नहीं लगाना पड़ता है, और ना ही कुछ सीखने लायक होता है इसलिए बच्चे रील देखना अधिक पसंद करते हैं।

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