बहुत ज्यादा गर्मी के दिन और जीवन। Garmi ka Mausam

बहुत ज्यादा गर्मी के दिन और जीवन। Garmi ka Mausam

गर्मी के दिनों में तपती दोपहरी में जीवन थम सा जाता है। आदमी तो आदमी जानवर भी चक्कर खाने लगते हैं। भरी दुपहरी में इतना सन्नाटा पसर जाता है, मानो यहां के सभी लोग, जानवर और पंछी कहीं दूसरी जगह चले गए हों। सड़क, गलियां और बाजार एकदम सुने। 
बहुत ज्यादा गर्मी के दिन और जीवन। Garmi ka Mausam


गर्मी के दिनों में तपती दुपहरी में लोग घरों में यूँ दुबक जाते हैं जैसे शेर के दहाड़ने से गीदड़ गुफा में दुबक जाते हैं। ऐसी धूप भरी दुपहरी में गांवों की तो छोड़ो जिवंत शहर जो 24 घंटे भागते रहते हैं वो भी थमने लगते हैं। सैंकड़ों लोगों से भरी हुई सड़के थमने लगती हैं।


क्या होती है गर्मी -


गर्मी का मौसम गर्म वातावरण को कहा जाता है। इस वक़्त सूर्य पृथ्वी के नजदीक होता है जिसके कारण तापमान इतना अधिक बढ़ जाता है, जिससे वातावरण में नमी नाममात्र की हो जाती है। पृथ्वी पर नमी घट जाने से चमड़ी को जला देने वाली गर्मी पड़ती हैं। 

हालांकि यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि गर्मी के मौसम में पृथ्वी सर्दी के मौसम की तुलना में अधिक नजदीक होती है। लेकिन यह मामूली अन्तर है, इतना अधिक नहीं जो दोनों में कोई समानांतर स्थापित कर सके। भयंकर गर्मी के पीछे का कारण नमी का घट जाना होता है। 

अंतरिक्ष ठंडा क्यों? 


गर्मी के दिनों में पहाड़ी क्षेत्रो में पर्यटन बढ़ जाता है, मैदानी क्षेत्र के लोग ऊंचे स्थलों पर पर्यटन के उदेश्य से चले जाते हैं। साथ ही कुछ लोग गर्मी के दिनों में स्वास्थ्य लाभ लेने के लिए ऊंचे स्थलों पर जाते हैं। ऊंचे पहाड़ी स्थलों पर मैदानी भाग की अपेक्षाकृत अधिक ठंड होती है तथा वहाँ का तापमान कम होने के साथ नमी और ऑक्सीजन भी अधिक होता है। अक्सर हम देखते हैं कि गर्मियों की छुट्टियों में कई भारतीय परिवार मैदानी भागों से हिमालय की ओर विभिन्न पर्यटन और धार्मिक स्थलों को जाते हैं। शिमला, मंसूरी, नैनीताल, दार्जिलिंग और धर्मशाला में ईन दिनों में पर्यटक बढ़ जाते हैं। गर्मी के दिनों में सदियों से ठंडे प्रदेशों के लिए धार्मिक यात्राओं का चलन रहा है। गर्मी की मार को समझते हुए ही सरकारी संस्थानों में भी छुट्टियाँ रहती है जैसे विद्यालय, न्यायालय आदि। 

एक बात साफ़ है कि गर्मी के मौसम में ठंडी हवा गर्म होकर ऊपर उड़ने लगती है जिससे धरातल पर, ऊंचाई की अपेक्षा में अधिक गर्मी फैलती है। दूसरा सुर्य से निकलने वाली किरणें अंतरिक्ष (निर्वात) से होकर गुज़रती है जो धरातल से टकराती है इसलिए उनका ताप धरातल पर फैलता है। इसे आप यूँ समझ सकते हैं, जैसे अगर कहीं आग जलाई जा रही है तो जहां जल रही है वहाँ तापमान होगा लेकिन उसके 5 फीट दूर रखे हुए लोहे को बर्तन को गर्म कर देती है क्योंकि आग की लौह से निकलने वाला तापमान 5 फिट की दूरी से गुजर बर्तन से टकरा उसे गर्म कर देता है। ठीक इसी प्रकार निर्वात से तापमान बिना किसी वस्तु से टकराए सीधा निकल जाता है तो यह अंतरिक्ष को गर्म नहीं कर पाता है।

गर्मी में होने वाली परेशानियां - 


गर्मी के मौसम में जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। गर्मी के दिनों में हड्डियों को गला देने वाली और चमड़ी लो जला देने वाली भयंकर गर्मी पड़ती हैं। धरातल पर बढ़ती गर्मी के साथ हवाएं भी गर्म होने लगती है, ईन गर्म हवाओं को स्थानीय भाषा में 'लू' कहा जाता है। ये हवा इतनी गर्म होती है जैसे दोपहर में घर से बाहर निकले तो लगता है कि हम किसी जलती हुई भट्टी के पास खड़े हो गए हैं। भट्टी की गर्मी शरीर को जैसे तपा देती है वैसा ही ताप लगने लगता है। अचानक से शरीर का तापमान बढ़ने लगता है। जब शरीर का तापमान बढ़ने लगता है तो मस्तिष्क अपनी क्रिया से शरीर को ठंडा करने और ताप को नियन्त्रित करने के लिए पसीना छोड़ने का निर्देश देता है। ऐसे में आदमी पसीने से तरबतर होने लगता है। शरीर इतना पसीना छोड़ता है कि कपड़े तक गिले हो जाते हैं। 

गर्मी के मौसम में धरातल पर गर्मी बढ़ने से शरीर का भी तापमान बढ़ने लगता है। शरीर का तापमान बढ़ने से बुखार, खांसी और गले में खराश हो जाना आम बात है। कई बार गर्म हवा लू के सम्पर्क में आने से जुकाम के समान लू लगने की बीमारी हो जाती है। शरीर में गर्मी के बढ़ जाने से शरीर पर लाल-लाल दाने निकलने लगते हैं, जिससे भी बुखार और सिरदर्द होने लगता है। गर्मी में शरीर का तापमान बढ़ने से जो अत्यधिक पसीना आता है, उससे शरीर में पानी की कमी भी हो सकती है। शरीर के निर्जलीकरण होने से उल्टी दस्त और जी मचलने जैसी समस्याओं के उत्पन्न होने का खतरा बन सकता है। इनके अतिरिक्त गर्मी के मौसम में पेट की गर्मी बढ़ने से मुँह में छाले और मुहांसों की समस्या भी हो सकती है। बहुत ज्यादा गर्मी के दिनों में रात को गर्मी बढ़ जाने से अनिद्रा की समस्या भी बढ़ जाती है। शरीर की कई समस्याओं का प्रभाव मस्तिष्क पर भी होता है जिससे मानसिक संतुलन में बिगड़ सकता है। इनके अतिरिक्त चक्कर आने, धुँधला दिखना, हाथ पैर में दर्द और शरीर में जकड़न भी हो सकती है। 

कैसे करे गर्मी और लू से बचाव - 


गर्मी से कई बीमारियो की उत्पत्ति होती है, ऐसे में हमे गर्मी से बचने के लिए लिए कई प्रकार के जतन करने पड़ते हैं। ये जतन इसलिए किए जाते हैं ताकि गर्मी से बचाव हो सके। खुद को बीमार होने से बचाया जा सके। राजस्थान (जहां बहुत ज्यादा गर्मी पड़ती हैं) वहाँ लोग खुद को गर्मी से बचाने के साथ ही लू से बचाने के लिए कई प्रकार के जतन करते हैं। इनमे से कुछ निम्नलिखित है -

  • गर्मी में बाहर ना निकले - गर्मी के मौसम में खासतौर से जब बहुत ज्यादा गर्मी हो उस समय अनावश्यक घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। आवश्यकता होने पर ही निकले। तपती दोपहरी में तो स्थानीय लोग भी अपना काम धंधा रोककर आराम करते हैं। 
  • सीधे गर्मी के सम्पर्क में ना आए - आवश्यकता होने पर बहुत ज्यादा गर्मी होने के बावज़ूद भी आपको घर के बाहर जाना हैं तो आपको सीधे धूप के संपर्क में आने से बचना चाहिए। इससे बचने के लिए शरीर और सिर को ढंक दे, हो सके तो आँखों पर छांव के लिए चश्मा या टोपी का उपयोग करे। 
  • ठण्डी तासीर का खाना खाए - गर्मी के मौसम में ठंडी तासीर वाले फल और सब्जी ले। गर्मी के मौसम में आने वाले फल जैसे आम पपीता और ऐसी ही सब्जी जो गर्मी के दिनों में आती है जैसे केर, सांगरी और प्याज इत्यादि ले। 
  • मसाले ना खाए - गर्मी के दिनों में अत्यधिक तीखा और मसालों वाला भोजन बिल्कुल भी ना ले। अत्यधिक तीखा और मसालों वाला भोजन शरीर की गर्मी को बढ़ा देता है, जिससे गर्मी लगने और गर्मी जनित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। 
  • कम भोजन ले - गर्मी के मौसम में शरीर की गर्मी स्वतः ही बढ़ जाती है ऐसे में खुद को गर्मी से बचाने के लिए ठण्डी तासीर का भोजन लेने के साथ इस बात का भी ध्यान रखे की भोजन कम मात्रा में ले, अधिक भोजन लेने से पाचन ना होने का खतरा और निर्जलीकरण हो सकता है है, जिससे उल्टी और दस्त की शिकायत हो सकती हैं। 
  • पानी अधिक पीए - शरीर को निर्जलीकरण होने से बचाने के लिए पानी अधिक मात्रा में पीए। अधिक मात्रा में पानी पीने के साथ ही ध्यान रखे कि पानी ठंडा तथा पीने योग्य स्वच्छ हो। 
  • आरामदायक कपड़े पहने - गर्मी के मौसम में आरामदायक कपड़े पहनने चाहिए जो शरीर को आरामदायक स्थिति में रख सके। टाइट कपड़े पहनने से अत्यधिक पसीना आने से शरीर पर फंगस, दाद, खुजली हो सकती हैं। 
  • स्थानीय चीजे अधिक खाए - इस मौसम में बाहर की चीजों की बजाय स्थानीय चीजों को तवज्जो देनी चाहिए क्योंकि स्थानीय चीजे जो इस मौसम में मिल सकती है जैसे आम, तरबूज, अंगूर, पपीता जैसे फल और प्याज, केर सांगरी जैसी सब्जियां ठंडी तासीर की होती है जो इस मौसम में भोजन के अनुकूल होती हैं। 
  • तेल का कम उपयोग करे, तरल पदार्थ अधिक ले - मसालेदार और तीखा भोजन ना लेने के साथ तेल का उपभोग भी कम कर देना चाहिए। इसके साथ ही दही, छाछ, लस्सी और नींबू पानी, नारियल पानी के उपभोग को बढ़ा देना चाहिए, जिससे शरीर में जल की कमी ना हो। 

गर्मी से बचने के लिए वो सभी उपाय किए जाने चाहिए जो संभव हो सके। अगर गर्मी से बचने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जाता है तो ऐसे में गर्मी लग सकती है। बहुत ज्यादा गर्मी होने पर वहाँ के स्थानीय लोग जो घर से दूर खेत में काम करते हैं वो पेड़ों की छांव में आराम करते हैं साथ ही लू से बचने के लिए खेत में झोपड़ी बना देते हैं और दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक उसी झोपड़ी में समय को व्यतित कर खुद का गर्मी से बचाव करते हैं।

हीटवेव क्या होती है? 


हीटवेव, गर्म हवा (लू) को कहा जाता है। यह गर्मी के दिनों में चलने वाली गर्म हवा हैं। सूरज द्वारा उगले जाने वाले ताप से चलने वाली समान्य हवा गर्म होने लगती है। इन दिनों सरकार द्वारा लोगों को घरों में रहने की अपील की जाती है। हालांकि तेज धूप और लू में लोग घरों से बाहर निकलना कम ही पसंद करते हैं। लू के दिनों में कुंए और बावड़ी का पानी अपने समान्य जलस्तर से नीचे चला जाता है तो कई जगह तो सूख ही जाता है। 

इन दिनों खासतौर से शहरी क्षेत्रो के लोग घरों में रहने से बिजली की खपत बढ़ जाती है। बढ़ी हुई बिजली की खपत को पॉवर हॉउस पूरा करने में असमर्थ रहते हैं, जिसके कारण ट्रांसफॉर्मर तक जलने की शिकायतें आने लगती है। सामन्यतः उल्टी दस्त के मरीजों की संख्या भी बढ़ जाती है, जिससे लू के अधिक घातक होने के समाचार देशभर से मिलते रहते हैं। 

सीधे सूर्य के संपर्क में आने से क्यों बचे? 


गर्मी के दिनों में सीधे सूर्य के संपर्क में नहीं आना चाहिए, सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणें मानव शरीर के लिए बहुत घातक होती है। अधिक समय तक सूर्य की किरणों के संपर्क में रहने से कैंसर तक हो सकता है। इसके साथ ही त्वचा संबंधित कई प्रकार की बीमारी होने का खतरा बन सकता है। 

जो लोग गर्म प्रदेश के निवासी नहीं होते हैं वो सीधे सूर्य की किरणों के सम्पर्क में गर्मी के दिनों में आते हैं तो कई बार बेहोश तक हो जाते हैं। शरीर पर चमड़ी जल जाती है और फोड़े होने लगते हैं, लेकिन जो ऐसे प्रदेश के निवासी हैं उन्हें इस तरह की समस्या का सामना नहीं करना होता है क्योंकि शरीर गर्मी के अनुकूल हो जाता है जिससे समान्य व्यक्ति को इस तरह की समस्या नहीं हो सकती हैं। 

लोग करते हैं गर्मी आने की प्रार्थना - 


गर्मी के दिनों में जीवन बड़ा विषम हो जाता है। मनुष्य कई तरह की समस्याओं का सामना करता है, इसके बावजूद भीषण गर्मी की प्रार्थना करते हैं। लोग चाहते हैं की भीषण गर्मी हो। यहां के निवासी गर्मी का उसी प्रकार से इंतजार करते हैं, जैसा इंतजार मानसून के लिए किया जाता है। 

बहुत ज्यादा गर्मी का इंतजार किए जाने का कारण यह है कि जिस वर्ष जितनी अधिक गर्मी होती है उस वर्ष उतनी ही अधिक बरसात होती है। अगर मौसम में नमी बनी रह जाती है तो मानसून कमजोर रहता है, जिससे बारिश नहीं होती है। कमजोर मॉनसून के होने से गर्मी से भी भीषण समस्या का सामना करना पड़ता है इसलिए लोग चाहते हैं कि अधिक गर्मी हो ताकि मानसून बढ़िया रहे। 

 
गर्म प्रदेशों का जीवन - 


बहुत ज्यादा गर्मी पड़ने वाले स्थानो के लोग गर्मी के मौसम में ढीले-ढाले कपड़े पहनते हैं। सिर को ढँक कर रखते हैं। गर्म प्रदेशों में बारिश कम होती है जिसके कारण पानी की कमी होती है ऐसे में लोग खुले हवादार मकान बनाकर निवास करते हैं। गर्म प्रदेशों में बरसात कम होने से वनस्पतियों का अभाव पाया जाता है। यहां पाए जाने वाले पशु-पक्षियों मे भी कई दिनों तक बिना पानी के जीवन जीने की कला होती है तथा हरी-पत्तियों की बजाय सूखे भूसे को पचा लेते हैं और उसी से अपना जिवन चला सकते हैं। 

बहुत ज्यादा गर्मी के दिनों में यहां के लोग स्थानीय कंटीले झाड़ पर लगने वाले फलों का सेवन बढ़ा देते हैं, जो इन्हें गर्मी से लड़ने में शक्ति प्रदान करता है। जल को अत्यधिक गर्म होने से बचाने के लिए जलकुंड को भूमि में बनाते है या भूमिगत जल का दोहन कर पीने के उपयोग में लेते हैं। पशु-पक्षी भी गर्मी के दिनों में झाड़ीनुमा पेड़ों की शरण लेते हैं। भूमि में बिल बनाकर रहने वाले जीव भूमि और बिलों में गर्मी बढ़ जाने से बाहर आ जाते हैं, जिससे जिवन चक्र शिकारी जानवरों का आसान हो जाता है। 

ऐसे गर्म प्रदेशों में पाए जाने वाले झाड़ और वृक्ष गर्मी के मौसम में अपने सभी पत्तों को गिरा देते हैं और टहनियों को ही पत्तों का रुप दे उन्हीं से प्रकाश संश्लेषण की क्रिया कर अपना भोजन बना लेते हैं। कई पेड़ों के कांटे यह काम करते हैं। यहां के पशु ऐसी कांटेदार झाड़ी को खाकर अपना पेट भर लेते हैं तो मनुष्य भी ऐसी झाड़ियों से ही ठण्डी तासीर की जड़ी-बूटियों और फलों का ला सेवन कर गर्मी से होने वाली बीमारियो के प्रति रोग-प्रतिरोधक क्षमता को अर्जित करते हैं। 

अन्य प्रश्न - 


प्रश्न: भारत में सबसे अधिक गर्मी कहाँ पड़ती हैं? 

उत्तर: भारत के राजस्थान राज्य के के चूरू जिले में सर्वाधिक गर्मी पड़ती है, वर्ष 2021 में यहां 51° हो गई थी। 

प्रश्न: सर्वाधिक गर्मी किस महीने में पड़ती हैं? 

उत्तर: भारत में सर्वाधिक गर्मी मई-जून महीने में पड़ती है। 

प्रश्न: भारत में सर्वाधिक गर्मी किस राज्य में पड़ती हैं? 

उत्तर: भारत में सर्वाधिक गर्मी राजस्थान राज्य में पड़ती है। 

प्रश्न: दुनिया का सबसे गर्म शहर कौनसा है? 

उत्तर: अमेरिका का केलिफोर्निया जहां 1913 में 56.7° सेल्सियस तक गर्मी हो गई थी। 

प्रश्न: दुनिया में सबसे अधिक गर्मी कहाँ पड़ती हैं?

उत्तर: ईरान देश के dasht-e-lut में जहां अब तक सर्वाधिक 70.7° सेल्सियस तक पहुंच गई थी। 

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