नशे की ज़द में युवा : सरकार छुड़ा रही फ्री में नशा। NashaMukti

नशे की ज़द में युवा : सरकार छुड़ा रही फ्री में नशा। NashaMukti

नशा स्वास्थ्य और जेब दोनों के लिए हानिकारक है, लेकिन यह बात युवाओं को कब समझ आएगी? कोई कह नहीं सकता है। आज देश का युवा नशे की लत में बूरी तरह से डूब रहा हैं। नशे के लिए युवा किस हद तक उतर जाता है, यह कोई नहीं जानता है। नशे के लिए युवा अपने ही घर में चोरी जैसे घिनौने कृत्य को अंजाम देने से भरे बाजारो में लूटपाट तक करने को उतारु हो जाते हैं। नशे की लत में पड़े युवा की एक ही तलब नशे की आपूर्ति। 

नशे की ज़द में युवा : सरकार छुड़ा रही फ्री में नशा। NashaMukti

नशा करने की लत जिस रफ़्तार से युवाओं में बढ़ रही है उस हिसाब से आने वाले समय में देश में कामगारों की संख्या में कमी हो जाएगी। देश की अर्थव्यवस्था के सामने संकट खड़ा हो जाएगा। काम करने वाले नशे में झूमते रहे तो खाद्यान्न तक के संकट खड़े हो सकते हैं। काम करने वाले नशे में काम करे तब उत्पाद की गुणवत्ता कितनी होगी? ऐसी कई समस्याएं खड़ी हो जाती है, देश और अर्थव्यवस्था के समक्ष। लूट-खसोट, चोरी और डाका तो नागरिको को असुरक्षित ही कर देता है, नशेड़ी लोगों की बस्ती में। 

नशे के शिकार युवा की पहचान -


युवाओ में नशे की चलन तेजी से बढ़ रही है। युवा नशे को फैशन के तौर पर स्वीकार कर रहा है। कई पेशेवर संगठन युवाओ को नशे धकेलने के लिए प्रयासरत हैं। युवाओ को नशे में धकेलने के लिए कई प्रकार के हथकंडे अपना रखे हैं। ये संगठन युवाओं को नशे में धकेलने के बाद मोटी रकम वसूलते है। इस गैंग का नेटवर्क बड़ा विस्तृत होता गया, ऐसे में किसी भी मासूम को नशे में धकेला जा सकता है। बच्चों और युवाओं को इस गैंग से दूर रखने के लिए उन पर नजर रखना आवश्यक है। लेकिन गैंग के पेशेवर सदस्य युवाओं को इस तरीके से अपनी और खिंच लेते हैं, जिससे उनके परिचितों को भनक तक नहीं लगती है। किंतु सावधान लोग नशे के शिकार व्यक्ति, युवा के हान-भाव और चाल-चलन को देखकर समझ जाते हैं। ऐसे में प्रत्येक सजग व्यक्ति का कर्तव्य है कि नशे के शिकार की पहचान कर इसकी जानकारी उसके परिजनों को दे। नशे के शिकार युवाओं को निम्नलिखित तरीके से पहचाना जा सकता है - 
  • बार-बार दवा, केप्सूल लेने की तलब। 
  • बिना कारण के ही दवा खाना। 
  • अचानक से व्यवहार में परिवर्तन कभी शांत तो कभी खुश, उल्लास की स्थिति। 
  • आंखे लाल रहना अथवा नींद आने की स्थिति में रहना। 
  • भीड़ में भी एकांत महसूस करना। 
  • मित्र मंडली में बदलाव कर लेना। 
  • दो घण्टे लगातार बैठने पर उबासी आना। 
  • बेतुकी बाते और जिद करना। 
  • खाना खाने और काम में कम रुचि। 
इसके अतिरिक्त नशे के आधार पर भी कुछ लक्षण हो सकते हैं। शराब के आदि या अन्य दुर्गन्ध वाली नशीली वस्तुओ का सेवन करने वाले सुगंधित चीजे चबाते है। ड्रग्स लेने वालों के शरीर पर सुई का निशान और सिगरेट पीने वालों की अंगुलियों का जला हुआ होना इत्यादि। यूं भी आप समझ सकते हैं कि नशेड़ी बिना काम भी अधिकांश समय अकेले रहते हैं या घर के बाहर ही घूमते हैं। 

कैसे छुड़ाए नशा?


नशा एक लत है, इसे छोड़ना व्यक्ति के वश में नहीं होता है। लेकिन कोई भी काम नामुमकिन भी नहीं होता है, दृढ़ निश्चय कर ले तो पहाड़ को भी पिघला सकता है। ऐसे में नशा भी छोड़ सकता है, लेकिन उसके पहले खुद को भावनात्मक रूप से से मजबूत करना होगा। घर पर नशा छोड़ने के लिए और छुड़ाने के लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं - 
  • इच्छाशक्ति को मजबूत बनाये। 
  • तनाव से निपटना सीखे और थोड़ा दर्द सहन करे। 
  • नींबू पानी और अन्य लिक्विड लेते रहे। 
  • खुद को व्यस्त रखे। 
  • परिवार के सदस्यों से बातचीत करे। 
हालांकि हमारा राय है कि युवा नशा गलत तरीकों से सीखते हैं और अपने दोस्तों से ऐसे में उनके लिए घर पर नशा छोड़ना काफी मुश्किल काम हो सकता है। ऐसे में उन्हें नशा मुक्ति केंद्र जाना चाहिए, जहां वो आसानी से नशा छोड़ सकते हैं। 

नशा मुक्ति केंद्र -


नशा मुक्ति केन्द्र से आशय ऐसी जगह से है, जहां नशे से शिकार व्यक्ति को नशे से मुक्त करने के लिए सलाह, दवा और प्रशिक्षण दिया जाता है। आवश्यक होने पर मरीज़ को भर्ती भी किया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि अधिक लंबे समय तक व्यक्ति द्वारा नशा लेने से व्यक्ति उसका बहुत आदी हो जाता है और घर पर नशा नहीं छोड़ सकता है। घर पर नशा छोड़ते समय उसे नींद न आना, भूख न लगना, असहनीय दर्द और बैचैनी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में उसे नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती करा देना जरूरी होता है। दूसरी और नशा मुक्ति केंद्र के बाहर पग-पग पर नशे का प्रलोभन है, उससे निपटने के लिए भी उसे भर्ती किया जा सकता है। 

नशा मुक्ति केंद्र नशे से मुक्त करने की प्रक्रिया को चलाने वाला केंद्र है, जो मरीज़ को नशे से मुक्त करने के लिए आवश्यक कदम उठाता है। नशा मुक्ति केंद्र में व्यक्ति को नशा छोड़ने के लिए दवा, खाना देने के अतिरिक्त व्यायाम कराया जाता है और तनाव से मुक्त रखने के लिए प्रशिक्षण और योग कराए जाते हैं। नशा मुक्ति केंद्र एक अस्पताल होने के साथ-साथ एक पुनर्वास केंद्र है, जो बिना नशे के जीना सिखाता है। भविष्य में आने वाले नशे के प्रलोभन से निपटना सिखाता है। 

नशा मुक्ति केंद्र मरीज़ को न्यूनतम 10-15 दिन और आवश्यक होने पर इससे भी अधिक दिन तक भर्ती रखता है ताकि उसके शरीर से टॉक्सिक पूरी तरह से निकल जाए और उसे नशे की तलब ना हो। नशा छोड़ने की दशा में मरीज़ भयंकर दर्द का सामना करता है, साथ ही जो मानसिक परेशानी पैदा होती है उससे निपटने के लिए चिकित्सा स्टाफ भी होता है। नशा मुक्ति केंद्र में एक चिकित्सक और दो-तीन नर्सिंग कर्मी भी होते हैं, जो किसी प्रकार की ट्रॉमा की स्थिति में मदद करते हैं। इसके अतिरिक्त चिकित्सा स्टाफ मरीज़ का स्वास्थ्य परिक्षण कर उसे आवश्यक निर्देश दे किसी भी परिस्थिति से निपटने से प्रयास करते हैं। 

सरकारी नशा मुक्ति केंद्र (Nasha Mukti Kendra) -


राजस्थान समेत सभी राज्यों के जिला स्तर के मेडिकल कॉलेज में और अस्पतालों में सरकारी नशा मुक्ति केंद्र होता है। यहां नशा मुक्ति के लिए निःशुल्क दवा दी जाती है। आवश्यक होने पर  दवा फविभिन्न गैर-सरकारी संगठनों द्वारा संचालित किए जाने वाले अस्पतालों में मरीजों को भेजकर इलाज कराया जाता है, आवश्यकता होने पर वहाँ भर्ती भी कराया जा सकता है। ये अस्पताल मरीजों का निःशुल्क ईलाज करते हैं। इनमे मिलने वाली दवा भी निःशुल्क होती है। जिला स्तरीय सरकारी अस्पतालों के मानसिक विभाग के साथ ही नशा मुक्ति के केंद्र समाहित होते हैं। 

सरकार द्बारा संचालित किए जाने वाले नशा मुक्ति केंद्र में मरीज़ को लंबे समय तक भर्ती नहीं किया जाता है। आवश्यकता होने पर एक सप्ताह के लिए भर्ती किया जाता है और पांच दिन की दवा दी जाती है। दवा देने के दिनों की संख्या को परिस्थितियों के अनुसार बढ़ाया जा सकता है। सामन्यतः नशे के शिकार व्यक्ति को अधिकतम दो महीने तक निःशुल्क दवा दी जाती है। इतना समय काफी होता है क्योंकि अधिक समय तक दवा लेने से मरीज़ का दवा के प्रति नशा हो सकता है। अन्य किसी प्रकार की परेशानी होने पर भी ये सरकारी अस्पताल उसका ईलाज निशुल्क कर सकते हैं। 

Nasha Mukti Slogan in Hindi (नशा मुक्ति के आदर्श वाक्य) - 


नशा मुक्ति पर जबरदस्त आदर्श वाक्य और इसके प्रचार की आवश्यकता आज सरकार और समाज दोनों को है, ताकि समाज के लोगों को नशा मुक्त किया जा सकता है, ऐसे कुछ आदर्श वाक्य निम्न है - 


1. ये जो तू नशीली चीजे घोट रहा है, 
    असल में बच्चों का गला घोट रहा है। 
 
2.  लड़खड़ाती है टांगे, घुमता है सिर। 
     नशा है यह भाई, क्यों लेता फिर।।  
 
3.  घर मे मचा हुआ है तंगहाली का हाहाकार। 
     नशेड़ी उधार मांगता फिरे बीच बाजार।।
 

4.  क्यों नहीं तू यह नशा छोड़ रहा है। 
     क्यों अपना तन-मन तोड़ रहा हैं। 

 
5.  जो स्वार्थ से नशे को नहीं छोड़ सकता है, 
     वो अपने परिवार को भी तोड़ सकता है। 
 
6.  सबका है एक सपना, नशा मुक्त हो भारत अपना। 
     इसके लिए होगा तपना, तब पूरा होगा यह सपना।। 

7.   आओ शपथ लेते हैं, नशे को आज ही ना कहते हैं। 
      दो कदम साथ चलते हैं, स्वस्थ शरीर को करते हैं। 

8.   मेहनत थोड़ी कम ही सही 
     नशा सेहत के लिए ठीक नहीं। 

9.   लाल नींद से भरी आँखों को देख बच्चे डरते हैं। 
      फिर भी लोग नशे जैसा घिनौना कृत्य क्यों करते हैं। 

10.  आज नशे को ना कर दो, 
        सुनहरे कल को हां कर दो। 

नशा मुक्ति अभियान और हमारी जिम्मेदारी - 


नशा मुक्ति सरकार का एक अभियान मात्र नहीं है। यह सरकार द्वारा समाज कल्याण के लिए चलाया जाने वाला एक प्रोग्राम है। हम सब की जिम्मेदारी बनती है, समाज को नशा मुक्त बनाने के लिए। हमारी जिम्मेदारी है कि किसी व्यक्ति को जो नशे की लत में बूरी तरह से डूब गया है, उसे अस्पताल में दाखिला दिलाए। जब तक हम नशे के शिकार को अस्पताल या नशा मुक्ति केंद्र तक लेकर नहीं जाएंगे तब तक इस अभियान का कोई अर्थ नहीं रह जाता है। सरकार ईलाज दे सकती है लेकिन नशे के शिकार अथवा पीड़ित को चिन्हित नहीं कर सकती है। 

सरकार द्वारा संचालित नशा मुक्ति केंद्र के अतिरिक्त विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा भी मुक्ति केंद्र संचालित किए जा रहे हैं। आजकल कई निजी नशा मुक्ति केंद्र भी संचालित हो रहे हैं। कई निजी नशा मुक्ति केंद्र जो सरकार द्बारा नशा मुक्ति अभियान के तहत पंजीकृत है जो रियायती दरों के साथ अनुदान पर ईलाज करते हैं, वहाँ भी ईलाज कराया जा सकता है। 

अन्य प्रश्न -


प्रश्न - नशा मुक्ति केंद्र क्या होता है? 

उत्तर - नशा मुक्ति केंद्र एक ऐसा अस्पताल होता है, जो नशे के शिकार व्यक्ति को नशा छोड़ने के लिए दवा, परामर्श और प्रशिक्षण प्रदान करता है। आवश्यकता होने पर पेशेवर चिकित्सकों की देख रेख में मरीज़ को भर्ती कर आवश्यकता के अनुसार उपचार देता है। नशा मुक्ति केंद्र सही मायने में नशे के शिकार व्यक्ति को नशे से मुक्त करता है। 

प्रश्न - कहा सरकार द्बारा नशा मुक्ति केंद्र चलाए जाते हैं? 

उत्तर - जी हां, जिला स्तरीय अस्पतालों में सरकार द्वारा नशा मुक्ति केंद्र चलाए जाते हैं। 

प्रश्न - नशा कैसे छुड़ाया जा सकता है? 

उत्तर - नशा छोड़ने के लिए पीड़ित की इच्छाशक्ति का होना आवश्यक है। अगर मरीज़ में इच्छा शक्ति की कमी है तो नशा मुक्ति केंद्र से परामर्श करे जो प्रत्येक सरकारी जिला स्तरीय अस्पताल में होता है। 

प्रश्न - नशा छोड़ना क्यों जरूरी है? 

उत्तर - नशा स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव करता है, दूसरी तरफ नशे की पूर्ति के लिए व्यक्ति को भारी राशि खर्च करनी होती है। ऐसे में इकतरफ स्वास्थ्य खराब तो दूसरी ओर भारी खर्च। ऐसे में व्यक्ति स्वयं को नशे से दूर करना चाहता है, किंतु कमजोर इच्छाशक्ति के चलते कर नहीं सकता है। उसे नशा छोड़ने की इच्छा-शक्ति देने और परिवार की आर्थिक तंगहाली से बाहर निकालने के लिए सरकारी नशा मुक्ति अभियान चला लोगों को नशे की गिरफ्त से दूर करती हैं। 

प्रश्न - घर पर नशा छोड़ने में क्या परेशानी आती हैं? 

उत्तर - घर पर नशा छोड़ा जा सकता है किन्तु कई चीजें इसमे बाधा बनती है। ईन बाधाओं में दूसरों द्वारा दिए जाने वाले नशे के प्रलोभन तक शामिल होते हैं, जिसके कारण घर पर नशा छोड़ना मुश्किल होता है। दूसरी ओर घर पर कोई एक्सपर्ट के साथ नहीं होने से व्यक्ति जब नशे की तलब और तड़प से असहनीय दर्द को झेलता है तो वो फिर नशा कर देता है, जिसके कारण घर पर नशा छोड़ना मुश्किल हो जाता है। 


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