सोशल मीडिया : जान पर भारी, सरकार बनाये सख्त नियम। Social Media

सोशल मीडिया : जान पर भारी, सरकार बनाये सख्त नियम। Social Media

आजकल सोशल मीडिया का उपयोग उस हर मुद्दे को उठाने के लिए किया जा रहा है, जिससे समाज को उचित राह पर ले जाया जा सके। लोगों को एकजुट कर मानवता का संदेश दिया जा सके। मुसीबत में फंसे लोगों की सहायता की जा सके और समाज में सतर्कता को बढावा दिया जा सके। 

सोशल मीडिया : जान पर भारी, सरकार बनाये सख्त नियम। Social Media


लेकिन पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया का उपयोग कम और दुरुपयोग ज्यादा हो रहा है। पिछले कुछ सालो से सोशल मीडिया का उपयोग जानकारी देने और लोगों में सतर्कता बढ़ा मुसीबत से बचाने की बजाय लोगों को मुसीबत में फंसाने के लिए होने लगा हैं। इस सब के पीछे है, कमजोर कानून व्यवस्था। 

सोशल मीडिया - 


सोशल मीडिया लोगों के बीच बातचीत करने का एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है। इसके माध्यम से एक दूसरे के साथ ऐसे प्लेटफॉर्म के उपयोगकर्ता कोई जानकारी, अपने विचार, व्यक्तिगत संदेश आदि को लिखित के साथ जैसे वीडियो के माध्यम से भी साझा कर सकते हैं। सोशल नेटवर्किंग पर सूचनाएं एकसाथ कई लोगों तक पहुंचाने के लिए उपयोगकर्ताओं द्वारा आपस में समुदाय बनाए (ग्रुप, मित्र, कम्यूनिटी) जाते हैं। इन्हीं ग्रुप और मित्रों के कारण इसे सोशल मीडिया कहा जाता है। सोशल मीडिया का उपयोग मित्रों, रिस्तेदारों और सगे संबंधियों को वापस में ऑनलाइन जोड़े रखने के साथ ही कई अन्य लोगों जोड़कर चर्चा किए जाने से हैं। 

सोशल मीडिया अथवा सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट जो वापस मित्र और ग्रुप बनाने का प्लेटफॉर्म प्रदान करती है, इनका उदय प्रौद्योगिकी विकास के साथ शुरु हुआ। पहले यह ई-मेल तक ही सीमित थी। वर्तमान में यह तकनीकी के बदलते स्वरुप में वीडियो शेयरिंग से वीडियो कॉलिंग तक पहुंच गई है। समय के साथ कई लोग एक साथ बैठकर एक ही समय में अपने विचार ऑडियो और वीडियो के माध्यम से भी साझा कर सकते हैं। ऐसी साइट्स के कुछ उदाहरण - फेसबुक, मेसेंजर, ट्विटर, कू, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप आदि। ये सभी वो वेबसाइट और एप है जिसने सोशल मीडिया को वर्तमान स्वरुप दिया है। इन्हीं के माध्यम से व्यक्ति आभासी रुप से अपने मित्रों और समाज के अन्य लोगों से जुड़कर सोशल मीडिया का हिस्सा बनता है। 

सोशल मीडिया पड़ रहा जान पर भारी - 


सोशल मीडिया का उदय अपनी व्यक्तिगत जानकारी और विचारो का आदान प्रदान करने के उदेश्य से किया गया। लेकिन समय के साथ इसका स्वरुप पूरी तरह से बदलता गया। उपयोगकर्ताओं के अपने विचारो का स्थान कॉपी पेस्ट तक सीमित हो गया। अब सोशल मीडिया पर कॉपी किए गए कंटेंट के साथ अन्य लोगों के बनाये गये कंटेंट को फॉरवर्ड करने तक सीमित हो गया। ऐसा करते समय लोग यह तक नहीं देखते हैं कि इसका परिणाम क्या होगा? किसी की व्यक्तिगत जानकारी और किसी के फोटो और वीडियो उनकी अनुमति के बिना तेजी से शेयर किए जा रहे हैं। 

समाज बार-बार चेतावनी देता रहता है कि सोशल मीडिया का वर्तमान स्वरुप समाज के लिए बहुत घातक है। यह समाज को जोड़ने के स्थान पर तोड़ने का काम कर रही है। सोशल मीडिया आ जानकारी देने या लेने का प्लेटफॉर्म ना होकर एक - दूसरे पर भद्दे कमेंट्स करने से लेकर हंसी उड़ाने तक का प्लेटफॉर्म बनकर रह गया है। सकारात्मकता को पीछे छोड़ नकारात्मकता का हिस्सा बन गया है।

सोशल मीडिया से तंग आ आत्महत्या - 


अक्सर ऐसी खबरे सुनने में आती है कि किसी ने आत्महत्या कर ली। सोशल मीडिया से परेशान होकर या उनकी निजी जानकारी को वायरल कर देने से आत्महत्या किए जाने के कई मामले सामने आए हैं। पर वायरल वीडियो से परेशान होकर आत्महत्या किए जाने का सम्भवतः पहला मामला जोधपुर, राजस्थान से आया है। इस मामले ने सबकी नज़रे खिंची है। एक हाजिर जबाब शख्स सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने से बूरी तरह से टूटकर आत्महत्या कर लेता है तो गुमसुम रहने वालों का क्या?

राजस्थान में कबाड़ का काम करने वाला बुजुर्ग व्यक्ति सोशल मीडिया में उस पर बने मीम से परेशान हो चुका था। सोशल मीडिया पर वीडियो के साथ वायरल हुए मीम ने उसका जीना दूभर कर दिया। आखिर मीम से परेशान बुजुर्ग ने आत्महत्या कर ली। 

बुजुर्ग द्वारा ऐसा कदम उठाने का कारण - 


राजस्थान में पिछले दिनों एक जापानी यूट्यूबर युवती मेगुमी पर्यटन के लिए आई थी। युवती जब राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में भ्रमण कर रही थी। इस दौरान वह एक दिन व्लॉगर शिवम लखारा के साथ कच्ची सड़क से जा रही थी। जब उन्होंने रास्ते में एक बुजुर्ग को हाथ ठेला खिंचते देखा तो गाड़ी को रोककर उस बुजुर्ग की मदद करने के लिए प्रस्ताव दिया। इस दौरान उनका कैमरा भी चालू था। उनमे जो बातचीत हुईं वो कुछ इस प्रकार से थी। 

व्लॉगर शिवम लखारा और जापानी युवती सड़क किनारे गाड़ी खड़ी कर बातचीत कर रहे हैं, यह बातचीत जो वीडियो में है। 

शिवम - (एक बुजुर्ग को हाथ ठेला खिंचते हुए दिखाते हुए) वो एकदम बूढे है, वो सामने आ रहे हैं आप देख सकते हैं, मैं आपको झूम करके दिखाता हूँ आप देखिए। इस कच्चे के अंदर से आ रहे हैं तो हमने कहा मेगुमी 'यह जो बाबा जी है (मेगुमी हाँ कहते हुए) ये बूढे है, हम इनकी मदद करते हैं। यहां से इनकी गाड़ी यहां से निकलवाते है। ओके (मेगुमी ओके)। 
शिवम - बाबा जी राम-राम। 
(बाबा जी चुप, कोई पीछे से कहता है बोलते नहीं है। 
बाबाजी - (राजस्थानी भाषा में) भंगार लेणो है थारे (तुम्हें क्या कबाड़ लेना है।) 
शिवम -  (राजस्थानी भाषा में) धक्को देवो थोड़ो धक्को (आपकी गाड़ी के धक्का लगाते हैं।) 
बाबाजी -  (राजस्थानी भाषा में) धक्को दे थारे घरो रे (धक्का लगाओ अपने घर वालों के) 
हंसते हुए 
शिवम - म्हे थोरी हेल्प करने आया (हम आपकी मदद करना चाहते हैं) 
बाबा जी - गाड़ी दे री हेल्प करने सारुं (तुम्हारी कार दे दो मदद करना चाहते हो तो) 
शिवम - ना गाड़ी तो ना दे सको ( ना कार नहीं दे सकते) 
सन्नाटा... 
शिवम - लो बाबा जी पाणी तो पी लो (बाबाजी आप पानी तो पी लीजिए) 
बाबा जी - म्हारे खने घणोई थारे पीणो होवे तो पा दूं। (मेरे पास बहुत हैं, तुम्हें पीना है तो मैं पीला देता हूं) 
आवाज - ओ ठाडो तो पी लो, नाराज ना होवो बाबाजी (यह ठंडा है पी लीजिए, नाराज मत हो) 
बाबाजी - माथा कूट मत कर बुओ जा, मिनक हुज्या (बकवास मत कर चला जा, आदमी की तरह व्यावहार सीख) 
शिवम - (मुँह पर उंगली देते हुए) भाई भलाई रो जमानो कोनी ओ देख लो थै। (भलाई का समय नहीं रहा देख लीजिए) 

वीडियो का कुछ हिस्सा आप ट्वीट में देख सकते हैं। 

इस वीडियो को यूट्यूब पर पोस्ट किया गया, जिसे काटकर इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया और मीम लिखा गया 'भंगार ले लो'। यह वीडियो तेजी से वायरल होने लगा। यूट्यूब के अलावा इंस्टाग्राम पर वीडियो को तेजी से शेयर किया गया। जिसके कारण बाबाजी की पहचान भंगार वाले बाबाजी के रुप में होने लगी। वो जहां जाते इंस्टाग्राम के नौसिखिए उन्हें घेर लेते। शायद यह सोचकर कि वो कुछ कह दे तो उनका वीडियो भी वायरल हो जाए। पिछले कुछ समय से वो इस बात को लेकर परेशान थे, और अवसाद में चले गए। 

रविवार, 23 जून 2024 को बाबाजी अपने कबाड़ के काम से लोहावट जोधपुर में थे। जब वो हाई वे से अपना हाथ ठेला लेकर निकल रहे थे तो कुछ युवको ने उन्हें पहचान लिया और घेर लिया। सभी युवक उन्हें 'भंगार लेना है' कहकर चिढ़ाने लगे। इससे परेशान हो बाबाजी पत्थर लेकर उनके पीछे भागे। लेकिन युवक भागते हुए भी उन्हें चिढ़ा रहे थे और वीडियो बना रहे थे। इससे वो और अधिक परेशान हो गए और पास के पेड़ पर चढ़कर रस्सी से आत्महत्या कर ली। 

क्या यह गलत नहीं? - 


हम इन्हें यूट्यूबर या सोशल इनफ्ल्यूचर कहने की बजाय असामाजिक तत्व कहना अधिक उपयुक्त समझते हैं। ऐसे असामाजिक तत्वों द्वारा सभी जगह माहौल को बिगाड़ने की हरकत के साथ ही क्षेत्र विशेष या व्यक्ति विशेष की शांति से खिलवाड़ के प्रयास हमेशा से किए जाते रहे हैं, ऐसे सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म पर। ये असामाजिक तत्व कहीं नहीं केमरा लेकर वीडियो शूट करने लगते हैं। कई बार ऐसे लोगों से बचने के लिए कई बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे इनसे दूर नहीं भागते हैं। लेकिन इनका यह वीडियो शूट का नाटक चलता रहता है। ऐसे में कई बार भरे बाजारो में किसी को इस तरीके से शूट (वीडियो रिकॉर्ड) कर दिया जाता है, जो वो कभी नहीं चाहता। इतना ही नहीं ऐसा वीडियो भी वो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपलोड कर देते हैं। 

किसी को बिना पूछे ही उसका वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड कर देना कहाँ तक उचित है? किसी को पता ही नहीं होता है कि क्या हो रहा है? लेकिन कुछ दिन बाद उन्हें पता चलता है कि उनका वीडियो सोशल मीडिया पर चल रहा है तो उन पर क्या गुज़रती है? किसी का अनजाने में वीडियो बना दो रुपए के लिए वीडियो पोस्ट कर देना उचित तो नहीं है। इतना ही नहीं उस वीडियो को फिर तोड़ कर हज़ारों लोगों द्वारा अपलोड किया जाना उससे भी अधिक गलत है। इसे कोई कैसे सही ठहरा सकता है? बेशक यह गलत है। लेकिन कानून के अभाव में यह धड़ल्ले से चल रहा है। 

क्या कर सकती है, सरकार? 


इस समय जितनी आत्महत्या हो रही है, उनमे कई मामलें सोशल मीडिया से जुड़े हुए होते हैं। कई बार व्यक्ति उसके द्वारा कहे गए शब्दों को पुनः सुनकर आहत हो जाता है। उसने जिस वक्त कुछ कहा उस वक्त उसे नहीं पता था कि यह रिकॉर्ड हो रहा और कुछ दिन बाद उसकी सहमति के बिना ही सोशल मीडिया में होगा। ऐसे में व्यक्ति क्या किसी को देखते ही तत्पर हो जाए उस झूठी हंसी के लिए जो सोशल मीडिया का आकर्षण है। वो किसी को देखते ही सोचने लगे उसका वीडियो उतारा जा रहा है। यह तो सम्भव नहीं। अगर व्यक्ति हर वक़्त झूठी हंसी में डूबा रहा मक्कार दुनिया में तो अपनी जिंदगी कब जियेगा। व्यक्ति की स्वतंत्रता की बहाली के लिए सरकार को सोशल मीडिया के लिए कुछ नियम बनाने होंगे - 
  1. किसी भी शख्स कि अनुमती लिए बगैर वीडियो शूट ना किया जाए। 
  2. किसी भी शख्स की अनुमति के बिना वीडियो में उसका चेहरा ना दिखाया जा सकता है। 
  3. किसी भी शख्स का अनजाने में वीडियो ना बनाया जाए। 
  4. किसी भी शख्स की अनुमति लिए बिना उसकी आवाज़ का ईस्तेमाल वीडियो में ना किया जाए। 
  5. किसी भी व्यक्ति का वीडियो काट-छांट कर अपलोड ना किया जाए। 
  6. व्यक्ति द्वारा आपत्ति किए जाने पर सजा का प्रावधान हो। 
  7. आपत्ति की प्रक्रिया को आसान किया जाए। 
  8. आपत्ति की दशा में जुर्माने का प्रावधान हो क्योंकि ऐसे वीडियो कमाई के उदेश्य से बनाये जाते हैं। 
  9. सार्वजनिक स्थलों पर वीडियो शूट की अनुमती ना हो। 
  10. वीडियो शूट करने वालों का एक ड्रेस कोड हो। 
  11. व्यक्ति को एकबार दिखा लिखित सहमति ले वीडियो अपलोड किया जाए। 
  12. ऑनलाइन शिकायत (किसी भी व्यक्ति से) की प्रक्रिया हो।
  13. शिकायत के बाद वीडियो होल्ड कर दिया, जाना चाहिए। 
  14. अपलोड करने वाले व्यक्ति द्वारा लिखित सहमति को अपलोड किए जाने के बाद पुनः वीडियो दिखाया जाए। 
  15. चार बार शिकायत सही पाए जाने पर सोशल मीडिया खाते को पूरी तरह से निष्क्रिय किया जाए। 
सरकार ऐसी प्रक्रिया करने के साथ ही ऐसे सभी लोगों को ऑनलाइन पंजीकृत करे और उन्हें एक विशिष्ट क्रमांक प्रदान करे। 

समाज की जिम्मेदारी - 


सरकार के साथ समाज की भी जिम्मेदारी बनती है, ऐसे असामाजिक तत्वों से निपटने के लिए। समाज अगर ऐसे समाज कंटको के प्रति जिम्मेदारी से अपना कर्तव्य निभाए तो ऐसे असामाजिक तत्वों की दुकाने कुछ ही समय में बंद हो सकती है। इसके लिए समाज अपनी जिम्मेदारी निम्न तरीके से निभा सकता हैं - 
  1. ऐसे वीडियो को शेयर करने की बजाय रिपोर्ट करे। 
  2. ऐसे वीडियो जो किसी का मज़ाक़ बनाने के उदेश्य से बनाए जा रहे हैं, उन्हें रिपोर्ट के बाद क्रिएटर को ब्लॉक करे। 
  3. हो सके तो उसका स्क्रीन शॉट ले अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से रिपोर्ट करने को कहें। 
  4. कोई वीडियो संदिग्ध लगता है तो ऑनलाइन पुलिस को सूचित करे। 
  5. ऐसे लोगों को सार्वजनिक स्थलों पर वीडियो ना बनाने दे। 
समाज अगर सचेत हो जाए तो कई जिन्दगी बचाई जा सकती है।सोशल मीडिया पर आने वाले वक्त में इससे भी बुरा वक्त देखा जा सकता है, इस कमाई और बिना नियम के व्यवसाय मे। इससे निपटने के लिए समाज को आज नहीं तो कल खड़ा होना ही पड़ेगा। कल की बजाय अगर आज खड़े हो जाए तो कल सुनहरा हो सकता है। 

कुछ प्रश्न - 


प्रश्न - क्या कोई मेरा मेरी अनुमति के बिना फोटो वीडियो ले सकता है? 

जी, नहीं। बिल्कुल भी नहीं। कोई आपका आपकी अनुमती के बिना फोटो या वीडियो नहीं ले सकता है। 

प्रश्न - कोई मेरा बिना अनुमति के वीडियो बना रहा है, तो क्या करे? 

उत्तर - कोई अगर आपका, आपकी अनुमति लिए बगैर वीडियो बना रहा है तो आप उसे ऐसा करने से मना करे। साथ ही उसने जो फोटो और वीडियो ली है उसे पूरी तरह से नष्ट करने के लिए कहें। ऐसा नहीं करता हैं, जो उसके खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज कराए। 

प्रश्न - क्या कोई मेरा मेरी अनुमती के बिना वीडियो सोशल मीडिया में पोस्ट कर सकता है? 

उत्तर - जी नहीं, बिल्कुल भी नहीं। कोई भी व्यक्ति आपका वीडियो या फोटो आपकी अनुमती के बगैर सोशल मीडिया पर पोस्ट नहीं कर सकता है। 

प्रश्न - कोई मेरा वीडियो सोशल मीडिया पर मेरी अनुमती के बगैर पोस्ट कर दे तो क्या करे? 

उत्तर - कोई अगर आपका वीडियो आपकी अनुमति के बगैर सोशल मीडिया पर पोस्ट करता हैं तो आप नजदीकी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराए ताकि पुलिस आपके फोटो और वीडियो को समूल नष्ट करा सकती है। 

प्रश्न - सोशल मीडिया पर कोई दूसरे की फोटो वीडियो अपलोड करता हैं, उसकी जानकारी के बिना तो क्या करे? 

उत्तर - अगर आपको लगता है कि यह फोटो या वीडियो किसी की जानकारी के बिना अपलोड किया गया है तो आप ऐसे फोटो वीडियो को रिपोर्ट करे ताकि वेबसाइट स्वतः ही ऐसे वीडियो को हटा देगी। 

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