जोधपुर को आप सूर्यनगरी, ब्लू सिटी और नीले आसमाँ के नीचे नीले घरों के शहर के नाम से जानते हैं। जोधपुर की पहचान अपनी विरासत से लेकर यहां की संस्कृति और घरों को लेकर है। प्रतिवर्ष लाखो सैलानी यहां दुर्ग से लेकर ऐतिहासिक स्थानो को निहारने के लिए पहुंचते हैं।
अपनी विरासत से अलग जोधपुर कि पहचान हस्तशिल्प के कारण भी है। जोधपुर की मोजड़ी और सूट भी अपनी पहचान रखते हैं। जोधपुर का सूट पूरे भारत में अपनी पहचान रखता है।
जोधपुर का सूट : अर्थ -
जोधपुर का सूट भारत का राष्ट्रीय परिधान है। खास अवसर पर भारत का राष्ट्राध्यक्ष जोधपुर के सूट को पहनते हैं। इस सूट को राष्ट्रीय सूट की उपमा मिली हुई है। राष्ट्रीय सूट होने के नाते इस सूट को महान हस्तियां गर्व से पहनती है। यह जोधपुर में डिजायन होने के साथ ही पहली बार भी जोधपुर में ही बना इसी कारण इसे जोधपुर का सूट कहा जाता है।
जोधपुर में प्रादुर्भाव होने के कारण इसे जोधपुर का सूट या जोधपुरी कहा जाता है। जोधपुरी सूट में बंद गले का कोट और नीचे पतलून पहना जाता है। जोधपुर में कपड़े पर होने वाली हस्तकला के कारण कई बार इस कोट की कॉलर पर कढ़ाई भी आमतौर से मिल जाती है।
जोधपुर के सूट की पहचान -
जोधपुर का सूट सम्पूर्ण भारत में अपनी पहचान राष्ट्रीय पोशाक के रुप में रखता है। इसमे बंदगला कोट और पतलून होती है। इस कोट पर कई बटन होते हैं और बटन पर भी कढ़ाई का कार्य होता है। जोधपुर के सूट हल्के रंग रंग के होते हैं जिन पर हस्तकला कसीदा से फूल पत्ती बनाने का कार्य किया जाता है। इनकी बाजूएं पूरी होती है तथा कॉलर भी होती है। कॉलर पर भी कशीदाकारी होती है। इसे हाथ से बनाया जाता है। पतलून का रंग भी हल्का ही होता है। कई बार इनकी जेब के ठीक ऊपर फूल या कोई अन्य कलाकारी की जाती है।
जोधपुर के सूट की पहचान इसके रंग, कढ़ाई और बटनो से होती है। समान्य सूट की तुलना में यह बंद गले के कारण अलग और विशेष होते हैं। सामन्यतः हमारे राष्ट्राध्यक्ष (राष्ट्रपति) इस तरह के सूट को विशेष और राजकीय अवसर के समय पहनते हैं। इस प्रकार के सूट पर पगड़ी पहनने से व्यक्ति के पहनावे का निखार आ जाता है। सच कहें तो किसी ज़माने में यह जोधपुर के राजघराने की राजकीय अथवा शाही पोशाक थी, जिसे भारत की आज़ादी के उपरांत राजकीय पोशाक घोषित कर दिया गया।
जोधपुर के सूट का प्रादुर्भाव -
कई लोग यह जानने को बेताब हैं कि आखिर हमारी राजकीय पोशाक जोधपुर के सूट का प्रादुर्भाव कैसे हुआ। उन्हें बता देते हैं कि जोधपुर के सूट का प्रादुर्भाव जोधपुर राज्य के महाराजा तख्त सिंह के तीसरे पुत्र और अंग्रेजी सेना के अधिकारी सर प्रताप द्वारा किया गया। सर प्रताप का जोधपुर में बड़ा नाम है। इन्होंने जोधपुर में झीले, महल और शिक्षा के लिए स्कूल खोले। राजस्थान हाई कोर्ट का निर्माण इन्हीं के द्वारा करवाया गया।
सर प्रताप 1878 में महारानी विक्टोरिया की डायमंड जुबली में गए तो उनके कपड़े और बैग सब कुछ जहाज में खो गया। जहाज में खो जाने के बाद उन्होंने लंदन पहुंचने के बाद उन्होंने कपड़ा मंगवा कर अपनी डिजायन के आधार पर बंद गले का कोट और पतलून खुद ही डिजायन कर दिया। जब वो यह पोशाक पहनकर पार्टी में पहुंचे तो लोगों ने पूछा यह कैसी पोशाक है? उन्होंने उत्तर देते हुए कहा यह जोधपुरी सूट है। लोगों ने उनकी पोशाक की खूब सराहना की।
इसके बाद बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह भी बंद गले का कोट और पगड़ी पहन जब लंदन पहुंचे तो उनकी ड्रेस की खूब सराहना हुई। उनसे भी पूछा यह कैसी पोशाक है? तो उनका उत्तर भी जोधपुरी सूट ही था। यह जोधपुर से बीकानेर होते हुए पूरे राजस्थान में ख्याति पाने लगी। आजादी के बाद इसे राजकीय पोशाक घोषित कर दिया गया तो इसने देश के बाहर भी ख्याति पाई।
कहाँ मिलता है जोधपुर का सूट -
जोधपुर के सूट का नाम सुनते ही लोगों के दिल में ख्याल आता है कि यह जोधपुर में ही मिलता होगा। लेकिन ऐसा नहीं है। इस प्रकार के सूट का जोधपुर में प्रादुर्भाव होने के कारण इसे जोधपुर का सूट नाम दिया गया, लेकिन यह जोधपुर के साथ ही राजस्थान के लगभग सभी शहरो में इसे सिला जाता है। राष्ट्रीय पोशाक घोषित किए जाने के बाद से इस तरह का सूट पूरे भारत के कई शहरों में सिला जाने लगा है। इसे आप अपने शहर में भी कपड़ा ले सिला सकते हैं, लेकिन कशीदाकारी करने के लिए आपको राजस्थान ही आना होगा। राजस्थान के अलावा लगभग सभी शहरो में इसे सिला तो जाता है, लेकिन कशीदाकारी नहीं होती है।
आजकल इसे आप ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं। विभिन्न ऑनलाइन वेबसाइट के जरिए आप इसे खरीद सकते हैं। विभिन्न वेबसाइट पर विभिन्न डिजायन के जोधपुर के सूट उपलब्ध है, जहां से आप आसानी से खरीद सकते हैं। खरीदने से पहले कपड़ा और कशीदाकारी को अवश्य देख लेना चाहिए। कपड़ा और कशीदाकारी से ही इसका मूल्य तय होता है।
क्यों खास है जोधपुर का सूट?
जोधपुर का सूट या जोधपुरी सूट राजकीय पोशाक होने के कारण कई लोग इसकी खासियत को जानना चाहते हैं। जो इसकी खासियत को जानना चाहते हैं, उन्हें हम निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से इसकी खासियत को बता देते हैं -
- बन्द गला - जोधपुरी सूट के कोट का गला बंद होता है। इस प्रकार का गला अन्य सामान्य कोट में देखने को नहीं मिलता है। बिल्कुल गले के पास बटन लगा हुआ होता है।
- हल्का रंग - जोधपुरी कोट और पतलून का रंग बिल्कुल हल्का होता है। हालांकि यह विभिन्न हल्के रंगों में बाजार में उपलब्ध होता है।
- कढ़ाई - जोधपुरी कोट पर कढाई अथवा कशीदाकारी का कार्य हाथो से किया जाता है। इसकी कढ़ाई के कारण ही इसकी अनोखी पहचान है।
- बटन - इस प्रकार के सूट के कोट में कई बटन लगे हुए होते हैं। इसमे बटन पर भी कढ़ाई का कार्य होता है। कई बार महंगी धातु के भी बटन लगाए जाते हैं।
- पतलून - जोधपुरी पोशाक में कोट के नीचे पतलून पहनीं जाती है। सामन्यतः पतलून का रंग सफेद होता है।
- पगड़ी - जोधपुरी सूट पहनने वालों को पगड़ी पहनने की आवश्यकता होती है, बिना पगड़ी के सूट की शोभा नहीं आती है।
- कॉलर - जोधपुरी सूट बंद गले का होता है, इसमे कॉलर होती है। कॉलर के बिल्कुल पास एक बटन भी लगा हुआ होता है।
जोधपुरी सूट की खासियत उपर्युक्त सभी विशेषताओं के कारण होती है। आप बाजार से जोधपुरी सूट खरीदते समय इसे इन सभी विशेषताओं के आधार पर पहचान कर खरीद सकते हैं।
जोधपुर के सूट की कशीदाकारी -
जोधपुरी सूट मे होने वाली कशीदाकारी अथवा कढ़ाई विशेषज्ञों द्वारा हाथ से की जाती है। आजकल राजस्थान के लगभग सभी शहरों में यह कार्य होने लगा है। आजकल इस कार्य के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाता है। जोधपुर में सूट सिलने वाले सभी कारीगर कपड़े पर पहले ही कशीदाकारी करा पोशाक बनाते हैं।
जोधपुर का सूट अपनी इसी अनोखी विशेषता के कारण शादी विवाह में भी उपयोग में लिया जाने लगा है। हाल ही में मुकेश अंबानी के पुत्र अनंत अंबानी भी अपनी शादी में इसी तरह के बंद गले के सूट में नजर आए थे।
अन्य प्रश्न -
प्रश्न - जोधपुरी सूट के कोट के नीचे क्या पहना जाना चाहिए?
उत्तर - जोधपुरी सूट के नीचे सफेद रंग की पतलून पहनी जाती है। कुछ लोग इसके नीचे जोधपुर के अंदाज में धोती भी पहन लेते हैं, लेकिन पतलून पहना जाना सही रहता है।
प्रश्न - जोधपुरी सूट की पहचान क्या है?
उत्तर - जोधपुरी सूट की पहचान बन्द गला के कोट से है। अन्य किसी भी प्रकार के सूट में बंद गला का सूट नहीं होता है।
प्रश्न - जोधपुरी सूट के कोट के अंदर क्या पहना जाना चाहिए?
उत्तर - आप चाहें तो जोधपुरी कोट के अंदर सफेद रंग का कुर्ता पहनना चाहिए।
प्रश्न - जोधपुरी सूट को शादी विवाह के अवसर पर क्यों पहना जाता है?
उत्तर - जोधपुरी सूट बंद गला होने से इस पर आसानी से इस पर दुपट्टा पहना जा सकता है, इसलिए शादी विवाह के अवसर पर बंद गला सूट पहना जाता है।
प्रश्न - जोधपुरी सूट का मूल्य कितना होता है?
उत्तर - जोधपुरी सूट का मूल्य ₹1500 से ₹ 10000 तक सामन्यतः होता है। अधिक महँगा भी मिल सकता है।
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