ओरिएंट सिमेंट को अडानी ने खरीदा, क्या यह एकाधिकार?

सिमेंट आज की सबसे बड़ी जरूरत है क्योंकि यह हर निर्माण कार्य की नींव है। मकान, सड़कें, पुल, डैम और औद्योगिक ढाँचे बिना सिमेंट के संभव नहीं। यह मजबूती, टिकाऊपन और आधुनिक विकास का आधार बन चुका है।

भारत सिमेंट उत्पादन में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है। यहाँ विशाल खनिज भंडार, बढ़ती निर्माण गतिविधियाँ और तेज़ी से बढ़ता इंफ्रास्ट्रक्चर इस उद्योग को मजबूती देते हैं। सड़कों, मकानों और औद्योगिक परियोजनाओं की बढ़ती मांग भारत को वैश्विक सिमेंट बाजार में महत्वपूर्ण स्थान दिलाती है।

ओरिएंट सिमेंट - 

ओरिएंट सिमेंट लिमिटेड भारत की एक प्रमुख सिमेंट उत्पादक, निर्माता कंपनी है। इस कंपनी की स्थापना 1979 में हुई थी। कंपनी देश के नामी गिरामी और भरोसेमंद व्यावसायिक घराने "बिड़ला समूह" से सम्बन्ध रखती है। यह कंपनी मूल रूप से बिड़ला परिवार के सी.के. बिड़ला समूह का हिस्सा रही है और गुणवत्ता, भरोसेमंद उत्पाद तथा आधुनिक निर्माण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जानी जाती है। 

ओरिएंट सिमेंट का पहला प्लांट तेलंगाना के देवपुर में स्थापित किया गया, जिसकी प्रारंभिक क्षमता 1 मिलियन टन थी। आज इसकी उत्पादन क्षमता कई गुना बढ़ चुकी है और यह विभिन्न राज्यों में ग्राहकों को सेवा प्रदान कर रही है। कंपनी के प्रमुख उत्पादों में पोर्टलैंड पोज़ोलाना सिमेंट (PPC), ऑर्डिनरी पोर्टलैंड सिमेंट (OPC) और पोर्टलैंड स्लैग सिमेंट (PSC) शामिल हैं। ओरिएंट सिमेंट लगातार टिकाऊपन, उच्च गुणवत्ता और पर्यावरण अनुकूल उत्पादन तकनीकों पर ध्यान केंद्रित करती है।

वर्तमान में ओरिएंट सिमेंट के प्लांट और उत्पादन क्षमता - 

ओरिएंट सिमेंट लिमिटेड (Orient Cement Limited, OCL) भारत की प्रमुख सिमेंट कंपनियों में से एक है। कंपनी की उत्पादन संरचना विभिन्न राज्यों में फैली हुई है, जिसमें तीन मुख्य उत्पादन प्लांट शामिल हैं। यह प्लांट निम्नांकित हैं - 

  1. देवपुर, तेलंगाना (Devapur, Telangana): - यह प्लांट एक “इंटीग्रेटेड” यूनिट है, जहाँ क्लिंकर का निर्माण और सिमेंट का उत्पादन दोनों होते हैं। देवपुर प्लांट कंपनी का प्रमुख और पहला प्लांट है, जो उच्च गुणवत्ता वाले सिमेंट के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग करता है। इस प्लांट की क्लिंकर उत्पादन क्षमता लगभग 2.8 मिलियन टन प्रति वर्ष है, जबकि सिमेंट उत्पादन क्षमता लगभग 3.5 मिलियन टन प्रति वर्ष है। यह दक्षिण भारत की बड़ी मांग को पूरा करता है और कंपनी की कुल उत्पादन श्रृंखला में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
  2. चित्तापुर, कर्नाटक (Chittapur, Karnataka): - यह प्लांट भी एक “इंटीग्रेटेड” यूनिट है, जहाँ क्लिंकर का निर्माण और सिमेंट का उत्पादन दोनों होते हैं। चित्तापुर प्लांट आधुनिक तकनीक और उन्नत मशीनरी से सुसज्जित है, जो उच्च गुणवत्ता वाले सिमेंट के लगातार उत्पादन को सुनिश्चित करता है। यह प्लांट स्थानीय बाजार के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर सिमेंट की आपूर्ति करता है, जिससे कंपनी की वितरण क्षमता में वृद्धि होती है। चित्तापुर प्लांट की क्लिंकर उत्पादन क्षमता लगभग 2.5 मिलियन टन प्रति वर्ष है, जबकि सिमेंट उत्पादन क्षमता लगभग 3.0 मिलियन टन प्रति वर्ष है। यह कंपनी की कुल उत्पादन श्रृंखला में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
  3. जलगाँव, महाराष्ट्र (Jalgaon, Maharashtra): जलगाँव प्लांट एक ग्राइंडिंग (split-grinding) यूनिट है, जहाँ केवल सिमेंट की ग्राइंडिंग की जाती है। क्लिंकर अन्य प्लांट्स से इस यूनिट में लाया जाता है। यह प्लांट उत्तर भारत के बाजार की मांग को पूरा करने में मदद करता है और कंपनी की वितरण क्षमता को मजबूत बनाता है। जलगाँव प्लांट की सिमेंट ग्राइंडिंग क्षमता लगभग 2.0 मिलियन टन प्रति वर्ष है। यह प्लांट कंपनी की कुल उत्पादन श्रृंखला में महत्वपूर्ण योगदान देता है और समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करता है।
ओरिएंट सिमेंट की कुल सिमेंट उत्पादन क्षमता लगभग 8.5 मिलियन टन प्रति वर्ष है, जिसमें क्लिंकर की क्षमता 5.6 मिलियन टन है। कंपनी अपने प्लांट्स में आधुनिक तकनीक और टिकाऊ उत्पादन प्रणाली अपनाकर गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता को लगातार बढ़ा रही है।

ओरिएंट सिमेंट का अंबुजा सिमेंट द्वारा अधिग्रहण - 

अंबुजा सिमेंट लिमिटेड, जो पहले गुजरात अंबुजा सिमेंट लिमिटेड के नाम से जानी जाती थी, अब अडानी समूह के स्वामित्व में है। 2022 में होल्सिम ग्रुप से अंबुजा और एसीसी का अधिग्रहण करने के बाद, अडानी समूह ने अंबुजा सिमेंट में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 70.3% कर ली थी। इस अधिग्रहण के बाद, अंबुजा सिमेंट की कुल उत्पादन क्षमता में वृद्धि की गई है, जिससे कंपनी को भारतीय सिमेंट बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद मिली है।

स्वामित्व संरचना:

अंबुजा सिमेंट की वर्तमान स्वामित्व संरचना इस प्रकार है:

  • अडानी परिवार (Adani Family) - 67.56% ल
  • लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (LIC) - 5.07%
  • एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस - 1.59% 
  • एचडीएफसी एसेट मैनेजमेंट - 1.46% 
  • कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट - 0.99% 

इस प्रकार, अडानी परिवार की हिस्सेदारी अंबुजा सिमेंट में प्रमुख है, जिससे कंपनी की रणनीतिक दिशा और निर्णयों में उनका महत्वपूर्ण प्रभाव है।

अधिग्रहण प्रक्रिया:

अडानी समूह ने होल्सिम ग्रुप से अंबुजा और एसीसी का अधिग्रहण 2022 में किया था, जिसकी कुल राशि लगभग 10.5 अरब अमेरिकी डॉलर थी। इस अधिग्रहण के बाद, अडानी समूह ने अंबुजा सिमेंट की उत्पादन क्षमता में वृद्धि की योजना बनाई है, जिससे कंपनी को भारतीय सिमेंट बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद मिली है।

अंबुजा सिमेंट का वर्तमान मालिकाना हक अडानी परिवार के पास है, जो कंपनी की रणनीतिक दिशा और निर्णयों में प्रमुख भूमिका निभाता है।

अंबुजा सीमेंट ने ओरिएंट सीमेंट में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए दो प्रमुख समझौतों के माध्यम से शेयर खरीदी। यह प्रक्रिया अक्टूबर 2024 में शुरू हुई और 2025 में पूरी हुई।

  • प्रमोटर समूह से 46.8% हिस्सेदारी की खरीद - अबुजा ने सीके बिरला समूह के प्रमोटर सदस्यों से कुल 9.59 करोड़ (95.9 मिलियन) शेयर खरीदे। इसमें से 7.76 करोड़ शेयर (37.9%) प्रमोटर समूह से और 1.82 करोड़ शेयर (8.9%) कुछ सार्वजनिक शेयरधारकों से प्राप्त किए गए। प्रत्येक शेयर की कीमत ₹395.40 निर्धारित की गई, जिससे कुल लेन-देन ₹8,100 करोड़ (लगभग $963 मिलियन) का हुआ। 
  • ओपन ऑफर के माध्यम से 26% अतिरिक्त हिस्सेदारी की खरीद - प्रथम चरण के बाद, अंबुजा ने सार्वजनिक शेयरधारकों से 26% अतिरिक्त हिस्सेदारी खरीदने के लिए ओपन ऑफर जारी किया। इसमें 5.34 करोड़ शेयर शामिल थे, जिनकी कीमत भी ₹395.40 प्रति शेयर थी। इस ऑफर के पूरा होने के बाद, अंबुजा की कुल हिस्सेदारी बढ़कर 72.66% हो गई, जिससे वह ओरिएंट सीमेंट की प्रमुख प्रमोटर बन गई। 

इस अधिग्रहण के बाद, अंबुजा सीमेंट ने ओरिएंट सीमेंट में पूर्ण नियंत्रण प्राप्त किया और कंपनी के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगी।

ओरिएंट सिमेंट क्यों बिक गई? 

ओरिएंट सिमेंट की सीके बिरला परिवार से अंबुजा को बिक्री के पीछे कई कारण थे। मुख्य कारण आर्थिक और रणनीतिक दोनों थे:

1. पुनर्विन्यास और निवेश की जरूरत - सीके बिरला समूह ने अपने संसाधनों को अन्य व्यवसायों में निवेश करने की प्राथमिकता दी। ओरिएंट सिमेंट में नए विस्तार और तकनीकी अपग्रेड के लिए बड़े निवेश की आवश्यकता थी। उन्हें लगा कि अंबुजा जैसे बड़े समूह को यह बेहतर तरीके से संभाल सकता है।

2. सीमेंट उद्योग में प्रतिस्पर्धा बढ़ना - भारतीय सीमेंट मार्केट में प्रतिस्पर्धा लगातार बढ़ रही थी। अल्ट्राटेक, रामको और अंबुजा जैसी बड़ी कंपनियों के मुकाबले ओरिएंट सिमेंट की क्षमता और वितरण नेटवर्क सीमित था। बड़े समूह के अधिग्रहण से कंपनी को मार्केट शेयर बढ़ाने का अवसर मिला।

3. प्रबंधन और ऑपरेशन का नियंत्रण -  सीके बिरला परिवार ने निर्णय लिया कि कंपनी का प्रबंधन और संचालन अंबुजा को सौंपना बेहतर रहेगा। इससे कंपनी को बेहतर तकनीकी, वितरण और वित्तीय संसाधनों का लाभ मिल सके।

4. वित्तीय लाभ - इस बिक्री से सीके बिरला समूह को ₹8,000 करोड़ से अधिक का राजस्व प्राप्त हुआ, जिसे वे अन्य व्यवसायों और निवेशों में लगा सकते थे।

ओरिएंट सिमेंट सीके बिरला परिवार ने अंबुजा को बेची ताकि बड़े निवेश, प्रतिस्पर्धा, प्रबंधन सुधार और ₹8,000 करोड़ से अधिक वित्तीय लाभ प्राप्त हो, जिससे संसाधन अन्य व्यवसायों में लग सके।

अडानी ग्रुप द्वारा खरीद के बाद शेयर मे गिरावट - 

ओरिएंट सीमेंट के शेयरों में अंबुजा/अडानी अधिग्रहण के बाद गिरावट के कारणों को विस्तार से समझा जा सकता है। नीचे पॉइंट वाइज और विस्तार के साथ विवरण दिया गया है:

1. ओपन ऑफर मूल्य बनाम बाजार मूल्य - अंबुजा सीमेंट ने ओरिएंट सीमेंट के 26% शेयर ₹395.40 प्रति शेयर की दर से खरीदे। उस समय शेयर बाजार में ओरिएंट सीमेंट ₹250–₹270 के बीच ट्रेड कर रहा था। इस बड़े अंतर ने निवेशकों में यह धारणा बनाई कि कंपनी का वास्तविक मूल्य बाजार मूल्य से काफी कम है। इसके परिणामस्वरूप, कई निवेशकों ने अपने शेयर बेचने शुरू कर दिए।

2. वित्तीय प्रदर्शन में गिरावट - मार्च 2025 तिमाही में ओरिएंट सीमेंट का शुद्ध लाभ 38.31% घटकर ₹42.07 करोड़ हो गया और बिक्री 7.08% घटकर ₹825.19 करोड़ रही। कमजोर वित्तीय प्रदर्शन ने बाजार में कंपनी की वृद्धि क्षमता पर सवाल उठाए। इसी कारण से शेयर मूल्य ₹351.25 से गिरकर ₹251.65 तक पहुंच गया, जो लगभग 17% की गिरावट थी।

3. नकारात्मक विश्लेषक राय - ब्रोकरेज फर्मों और बाजार विश्लेषकों ने अधिग्रहण के बाद संभावित परिचालन बदलाव और कंपनी की स्वतंत्रता में कमी की आशंका जताई। निवेशकों ने इसे जोखिम के रूप में देखा और शेयर बेचने का रुख अपनाया।

4. मूल्य और मनोविज्ञान का असर - ओपन ऑफर और बाजार मूल्य के बीच अंतर निवेशकों की धारणा पर बड़ा असर डालता है। जब निवेशकों को लगता है कि शेयर महंगे हैं या जोखिम अधिक है, तो वे जल्दी बिकवाली करते हैं। यह मनोवैज्ञानिक प्रभाव शेयर में तेजी से गिरावट का कारण बनता है।

5. पुनर्प्राप्ति के संकेत - हालांकि, जुलाई 2025 में ओरिएंट सीमेंट ने ₹205 करोड़ का शुद्ध लाभ दर्ज किया। यह पिछले वर्ष की तुलना में कई गुना अधिक था। इसके परिणामस्वरूप शेयर की कीमत ₹267.8 तक बढ़ी, जो निवेशकों के लिए सकारात्मक संकेत है।

निष्कर्ष:

ओरिएंट सीमेंट के शेयरों में गिरावट मुख्य रूप से ओपन ऑफर मूल्य और बाजार मूल्य के बीच अंतर, कमजोर वित्तीय प्रदर्शन और निवेशकों की चिंता के कारण हुई। हाल के लाभ और बेहतर प्रदर्शन के संकेत धीरे-धीरे शेयर की रिकवरी की उम्मीद बढ़ा रहे हैं।

महत्वपूर्ण प्रश्न :

प्रश्न: अंबुजा ने ओरिएंट सीमेंट की कितनी हिस्सेदारी खरीदी?

उत्तर: अंबुजा ने कुल 72.66% हिस्सेदारी खरीदी, जिसमें 46.8% प्रमोटर से सीधे शेयर खरीदकर और 26% ओपन ऑफर के माध्यम से हासिल की गई।

2. प्रश्न: अधिग्रहण की कुल लागत कितनी थी?

उत्तर: प्रमोटर से हिस्सेदारी खरीद की कीमत ₹395.40 प्रति शेयर थी, और कुल लेन-देन लगभग ₹8,100 करोड़ (लगभग $963 मिलियन) का हुआ।

3. प्रश्न: ओपन ऑफर क्या था और क्यों किया गया?

उत्तर: SEBI नियमों के तहत, प्रमोटर हिस्सेदारी खरीदने के बाद सार्वजनिक शेयरधारकों को अपने शेयर बेचने का अवसर देना आवश्यक था। इसी प्रक्रिया को ओपन ऑफर कहते हैं।

4. प्रश्न: अधिग्रहण का मुख्य कारण क्या था?

उत्तर: सीके बिरला परिवार ने कंपनी को बेचने का निर्णय लिया ताकि बड़े निवेश, तकनीकी अपग्रेड, प्रतिस्पर्धा में सुधार और वित्तीय लाभ प्राप्त हो सके।

5. प्रश्न: शेयर बाजार में अधिग्रहण के बाद क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर: ओपन ऑफर मूल्य और बाजार मूल्य में अंतर के कारण शेयरों में लगभग 17% गिरावट देखी गई। बाद में, कंपनी के बेहतर वित्तीय प्रदर्शन से शेयर में सुधार हुआ।

6. प्रश्न: नियामक स्वीकृति की जरूरत क्यों थी?

उत्तर: SEBI और CCI की मंजूरी आवश्यक थी। SEBI निवेशकों के हित की सुरक्षा के लिए ओपन ऑफर नियम लागू करता है, जबकि CCI प्रतिस्पर्धा के नियम सुनिश्चित करता है।

7. प्रश्न: अधिग्रहण से ओरिएंट सीमेंट को क्या लाभ मिला?

उत्तर: अंबुजा के अधिग्रहण से कंपनी को बेहतर प्रबंधन, तकनीकी सहयोग, वित्तीय संसाधन और वितरण नेटवर्क का लाभ मिला। 

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