जोधपुर के पत्थर से डिजाइन घर बजट में

घर और घर बनाना सभी का सपना होता है। सभी चाहते हैं कि उनका घर महल जैसा हो। हर कोई चाहता है कि उसका मकान लाखो में एक हो। मकान कि डिजाइन, नक्काशी और बाहरी हिस्सा ऐसा हो कि वह राहगीरों कि नज़रे थाम ले और बोलने को मजबूर करे वाह! क्या घर है? कितना खूबसूरत, अद्भूत! लगता है मकान नहीं महल है, धरती के निवासियों ने नहीं देवताओं ने बनाया है, घर कि डिजाइन स्वयं विश्वकर्मा जी ने बना अपने ही हाथो से नक्काशी कर यह महलनुमा घर बनाया है।

आजकल लोग लाखो नहीं बल्कि करोड़ों रुपये घर बनाने में खर्च कर रहे हैं। वो चाहते हैं कि ऐसा मजबूत, टिकाऊ, खूबसूरत और अद्भूत घर बनाये जो आने वाली पीढ़ियों के लिए काम आए। साथ ही आदमी सोचता है कि ऐसा घर बनाया जाए कि एक बार बनाओ फिर जिंदगीभर मरम्मत कि आवश्यकता ना हो और ना ही रंग-रोगन की। घर ऐसा बने कि कभी पुराना ही ना लगे, हमेशा नए जैसा दिखे। सर्दी, गर्मी, बरसात, धूप, छांव या कोहरे का कोई असर ना हो। ना कभी चमक फीकी पड़े ना कभी देखने वाले नजर कोई कमी ढूंढ सके।

आज आपको बताते हैं ऐसे घर बनाने के बारे में जिसमें ना रंग-रोगन कि आवश्यकता है और ना ही दीवार गिरने, झुकने और टेढ़ी होने का डर। ना छत के धँसने का डर तो ना ही घर में पानी आने का खौफ। सबसे बड़ी बात दीवारों में दरार तो भूल ही जाओ। ऐसा मजबूत घर जो आपने राजस्थान के किलों और दुर्ग तस्वीरों में देखे वैसा ही घर आप भी बना सकते हैं, बजट भी उतना ही होगा, मजबूती ज्यादा होगी और घर देखने वालों कि नज़रे थम जाएगी। बस ऐसा मजबूत घर बनाने के लिए आपको जरुरत है, राजस्थान के पत्थरों की, तो आइये जोधपुर और ले जाइए बजट कि राशि में अद्भूत पत्थर। 

राजस्थान के पत्थर से बने किले और मंदिर - 


आपने भारत और राजस्थान में कई किले देखे होंगे, जो राजस्थान के विभिन्न जिलों में निकाले जाने वाले पत्थरों से बने हुए हैं। दिल्ली का लाल किला धौलपुर के पत्थर से बना हुआ है, आगरा का ताजमहल मकराना, नागौर के पत्थर से निर्मित है तो अयोध्या का भव्य राम मंदिर भी धौलपुर के पत्थरों से बना। यह पत्थर भी बहुत अद्भूत और नक्काशी योग्य है, लेकिन यह आपका बजट बिगाड़ सकता है, इसलिए हमे बात करते हैं जोधपुर के पत्थरों कि जो आपको बजट में ऐसा ही आलीशान और भव्य घर बनाने के लिए बजट कि राशि में उपलब्ध हो जाएगा। 

जोधपुर के पत्थर और घर।। Jodhpur ke Patthar ke Ghar 


जोधपुर का पत्थर राज्य के अन्य जिलों के मुकाबले में सस्ता है, जो आसानी से आपके बजट में आ सकता है। सस्ता होने के साथ ही घर बनाने में अतिउपयोगी है, यही कारण है कि जोधपुर शहर और जोधपुर जिले के ग्रामीण इलाक़ों में शत प्रतिशत घर जोधपुर के पत्थर से बने हुए हैं। साथ ही जोधपुर के आसपास के जिलों में भी कई घर जोधपुर के पत्थरों से बने हुए हैं। जोधपुर में मिलने वाला बलुआ पत्थर कई रंगों का होता है, जिसके उपयोग से आप घर को बेहतर लुक दे सकते हैं। जोधपुर के पत्थर के रंग हल्के सफेद, लाल, भूरा, पीला और गुलाबी विशेष हैं। 
 

जोधपुर पत्थर कि डिजायन।। Jodhpur Patthar ki Design 


जोधपुर के बालसमंद, केरु, सेतरावा और बालेसर के साथ कई इलाक़ों में पत्थर निकलता है। जोधपुर के बलुआ पत्थर को खदानों से निकालने के बाद अलग-अलग डिजायन दिया जाता है। परंपरागत रुप से मकान कि दिवारें बनाने के लिए खंड/खंडे, छत डालने के लिए पट्टीयां, खिड़की दरवाजे के लिए छपणा (चौखट) एंव नींव के लिए आसलेट और मकान का पार्टीशन करने या फर्श डालने के लिए छाप। 

वर्तमान में बदलती तकनीक के साथ पत्थरों कि डिजायन मशीनों से होने लगी है, जिसके कारण परंपरागत पत्थरों कि डिजायन के साथ आधुनिक डिजायन के पत्थर भी उपलब्ध होने लगे हैं जिनमे मकान कि डिजायनी/डिजाइनयुक्त दिवारें और अग्रभाग बनाने के लिए लीरी पत्थर और कड़ाऊ लीरी। डोम बनाने के लिए नक्काशी योग्य पिलर इत्यादि। इनके अतिरिक्त मशीनों से पत्थर कि कटाई होने से और फिनिशिंग वर्क होने के कारण फर्श के लिए मार्बल के विकल्प के तौर पर साफ और चिकनी छापे। 

जोधपुर के पत्थरों के घरों कि डिजाइन - Jodhpur ke Patthar Makan ka Design 


जोधपुर के पत्थर से घरों के अग्र भाग को आकर्षक डिजायन दी जा सकती है। इस डिजायन को आप पत्थर कि डिजाइन के अनुसार चार भागों में बांट सकते हैं। 
  • साधारण खंडे, 
  • रोपेस खण्डे,
  • लीरी या लीरियां,
  • कड़ाऊ  और
  • कड़ाऊ लीरी। 

साधारण खंडे और रोपेस खंडे (ईंटनुमा पत्थर) कि डिजाइन बहुत पहले से चली आ रही, इस कारण जोधपुर शहर और आसपास के इलाक़ों में 20 वीं शताब्दी के बने हुए घरों का बाह्य डिजाइन इसी प्रकार के खंडों का होता है। वर्तमान में, वर्ष 2000 के बाद मशीनों (पत्थर कटाई और फिनिशिंग वर्क) के उपयोग के बाद पत्थरों को डिजायन देने का कार्य बहुतायत होने लगा, जिसके बाद से घरों के डिजायन में तीन और प्रकार जुड़ गए। 

साधारण खंडे  के मकान - यह सबसे सस्ता जोधपुर के पत्थर से बनने वाला मकान है, इसमे ना तो कोई घड़ाई करनी होती है और ना ही कोई नक्काशी होती है। खण्डे को चौकोर कर दिवारें चुनी (बनाई) जाती है। सामान्यतः अन्य डिजाइन के मकानों में भी अग्रभाग को छोड़कर अन्य भाग कि दिवारें इसी प्रकार के खंडो से बनाई जाती है। 


रोपेस खण्डे - यह खंडे पहले से चलते आ रहे हैं, परंपरागत जोधपुर के पत्थरों के जो उस ज़माने कि बेहतर डिजायन देने के लिए उपयोग में लिए जाते थे। यह समान्य खंडों से थोड़े बड़े आकार के होते हैं, तथा पत्थर के कारीगर उन्हें हल्की गोलाईनुमा आकार देकर बीच में थोड़ा उभार लाया जाता है, ताकि मकान कि दिवारें आकर्षक लगे। आजकल इस तरह के पत्थर सरकारी भवनों में उपयोग किए जाते हैं, इसलिए कुछ लोग इन्हें सरकारी दीवारों में उपयोग का पत्थर बोलते हैं। सरकारी कार्यालयों के साथ पहले जब यह घरों में उपयोग लिया जाता था, तो सफेद सीमेंट से टीफ(जहां दो पत्थर जुड़ते है, वहाँ सफेद रंग कि सीमेंट से जोड़ लगाना) कि जाती थी।

 
 लीरी या लीरियां - वैसे लीरी जैसलमेर के पत्थर कि प्रसिद्ध है, किंतु आजकल जोधपुर के पत्थरों कि भी लीरी घरों को डिजाइन देने के लिए उपयोग में ली जाने लागी है। यह खंडो से लंबाई में अधिक लंबी होती है, किंतु चौड़ाई कम होती है। इन्हें भी रोपेस खंडों कि तरह उभार दिया जाता है। यहां, विशेष ध्यान दिया जाए लीरी हल्के पीले पत्थर कि होती है, इस रंग के पत्थर सेतरावा के आसपास निकलते है। सामन्यतः इस तरह के पत्थरों को जैसलमेर के पत्थर ही कहा जाता है, किंतु जोधपुर में भी यह आसानी से मिल जाता है। यह डिजाइन आजकल तो जोधपुर के सफेद और लाल पत्थरों को भी दी जाने लगी है क्योंकि आजकल कि विशेष डिजायन में भी लीरी का उपयोग बढ़ गया है।

 
कड़ाऊ  - यह डिजायन पत्थरों कि कटिंग का कार्य शुरु होने के बाद शुरु हुई। इस डिजाइन में आसलेट (मोटे 6 इंच लम्बे और चौड़े) जिसे दरवाजे कि चौखट, नींव में लगाने के लिए उपयोग लिया जाता उसे ही फिनिशिंग के बाद मकान के अग्रभाग के लिए उपयोग में लिया जाने लगा। यह दीवार को बहुत मजबूती देता है क्योंकि इस तरह के पत्थर को ट्रैक्टर जैसे वाहन गुजरने के लिए पुल बनाने में भी प्रयोग में लिया जाता है। 


कड़ाऊ लीरी - जब को मकान को अधिक आकर्षण देने के लिए कड़ाऊ पत्थर और लीरी दोनों को एक साथ उपयोग में ले। ऐसे मकान आजकल कि सबसे बेहतर डिजायन के मकान कहलाते हैं। 


उपर्युक्त सभी मे से आप कोई भी डिजायन का मकान जोधपुर के पत्थर का उपयोग कर सकते हैं। यह सभी डिजायन दीवारों के लिए है। आप बालकनी, पिलर और ऊपर गुंबद के लिए भी जोधपुर का पत्थर उपयोग ले सकते हैं। आजकल जोधपुर के पत्थर से फव्वारा भी बनने लगा है। इसलिए बात करते हैं पत्थरों की कुछ विशेष डिजायन की। 

जोधपुर के पत्थरों कि डिजायन - 


पट्टी - छत्त डालने के लिये पट्टियां उपयोग में ली जाती है, सामन्यतः उनकी लंबाई 10-11 फीट की होती है, चौड़ी 1 फीट। पहले खदान से लाकर उपयोग कि जाती थी किन्तु आजकल मशीनों से चिकनी कि जाती है। 

पत्थर के पिलर पिलर और डिजाइन - 


यह एक प्रकार का खंबा अथवा स्तंभ है, जो आपने घरों के बरामदे और मंदिरों में देखा होगा। घरों और मंदिरों में वास्तुकला का अनुपम उदाहरण पेश करने के लिए विभिन्न प्रकार के पत्थर के स्तंभ लगाए जाते हैं। आजकल लोग इसका उपयोग घर को आकर्षित बनाने के लिए करने लगे हैं। पत्थर के स्तंभ और इनकी डिजायन के लिए यह पढ़े (पत्थर के पिलर कि डिजायन)

जोधपुर के पत्थर के मकान कि विशेषताएं - 


जोधपुर के पत्थर पर तेजाब का भी कोई असर नहीं होता है, ऐसे में इसका रंग परिवर्तित होने का कोई डर नहीं रहता, इसके रंग एक समान ही बने रहते हैं सर्दी गर्मी और बरसात में। यह पत्थर काफी मजबूत होता है जिसके कारण इसमे कोई टूट-फूट नहीं होती, जिससे मरम्मत कि आवश्यकता कम होती है। इससे बने मकान कि बनावट आकर्षण होती है तथा दीवारें चौड़ी होती है जिससे मकान हर वातावरण में उपयुक्त बने रहते हैं। 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न - 


प्रश्न: जोधपुर के पत्थर के मकान का डिजाइन कैसा होता है?

उत्तर: जोधपुर के पत्थर के मकान का डिजायन आप अपनी आवश्यकता के अनुसार करा सकते हैं। जिसमें साधारण, रोपेस, लीरी, कड़ाऊ लीरी प्रमुख है।

प्रश्न: जोधपुर के पत्थर कि डिजाइन कैसी होती है?

उत्तर: जोधपुर में बनने वाले मकान का पूरा कार्य पत्थर से ही होता है इसलिए इसकी डिजायन दीवारों, छत और फर्श बनाने के लिए अनुकूल होती है। मकान को आकर्षण देने के लिए आप कारीगर से अलग प्रकार कि भी डिजायन दिला सकते हैं क्योंकि यह पत्थर बहुत लचीला होता है, इसी कारण इस पर बेहतर नक्काशी संभव है। 


प्रश्न: जोधपुर के पत्थर के मकान कैसे होते हैं? 

उत्तर: जोधपुर के पत्थर के मकान बहुत मजबूत होते हैं। देखने में आकर्षण और लंबे समय तक बने रहते हैं। जब इन्हें हटाया जाता है, आधुनिक डिजायन का नया मकान बनाने के लिए तब इनकी छत कि पट्टियां उतारकर दूसरा मकान बनाने के लिए उपयोग में ले ली जाती है, ऐसे में आप कह सकते हैं कि सिर्फ जोधपुर ही एक ऐसा शहर है, जहां छत सालोंसाल नहीं सदियों चलती है। 

प्रश्न: जोधपुर के पत्थर का पिलर कैसे होते हैं? 

उत्तर: जोधपुर के पत्थर का पिलर बहुत मजबूत होता है, इसकी चौड़ाई और मोटाई एक फीट कि होने के कारण इस पर नक्काशी भी बेहतर तरीके से कि जा सकतीं हैं, तो दूसरी ओर इतनी मोटाई इसे मजबूती भी प्रदान करती है। इसकी आकृति पहली तस्वीर में दर्शाई गई है, खंबेनुमा। 

प्रश्न: जोधपुर के पत्थर कि रेट क्या है? 

उत्तर: जोधपुर का पत्थर दिवार, छत, बालकनी और फर्श सभी के लिए उपयोग में लिया जाता है, ऐसे में इसकी रेट इसकी डिजायन और उपयोग के अनुसार अलग-अलग है। नींव में डाले जाने वाले पत्थर का भी मूल्य होता है क्योंकि इसका उपयोग सड़क बनाने में भी होने लगा है। 

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