अन्नपूर्णा रसोई योजना, राजस्थान सरकार कि महत्वाकांक्षी योजना है। इस योजना में
जरूरतमंद लोगों को सरकार मात्र 8/- रुपये में भरपेट उच्च गुणवत्ता का भोजन देती
है। इस योजना में जरूरतमंद लोगों को शुद्ध, ताजा, शाकाहारी, स्वादिष्ट और पौष्टिक
भोजन दिया जाता है। जरूरतमंद गरीबों और मजदूरों को एक जगह बिठाकर सम्मानजनक तरीके
से खाना दिया जाता है।
रोटी, कपड़ा और मकान मनुष्य कि प्राथमिक आवश्यकता है। सरकार प्रत्येक व्यक्ति को
निम्न दर पर भोजन उपलब्ध कराने के उदेश्य से सार्वजनिक स्थलों के आसपास एक
निश्चित स्थान पर भोजन उपलब्ध हो ताकि "कोई भूखा ना सोये" के मूलमंत्र को ध्यान
में रखते हुए अन्नपूर्णा रसोई योजना को संचालित कर रही है। अपने मूलमंत्र के साथ
सरकार का उदेश्य प्रत्येक व्यक्ति को बाजार मूल्यों से कई गुना कम दरों पर
विटामिन युक्त ऐसा भोजन उपलब्ध कराना है, जिससे व्यक्ति के स्वास्थ्य पर कोई
विपरीत असर ना हो।
कब शुरू हुई अन्नपूर्णा रसोई योजना? अन्नपूर्णा रसोई योजना कि शुरुआत -
अन्नपूर्णा रसोई योजना कि शुरुआत भारत में बहुत पहले से हो गई। राजस्थान में
अन्नपूर्णा रसोई योजना कि शुरुआत वसुंधरा राजे ने 15 दिसंबर 2016 को की।
मुख्यमंत्री राजे ने योजना कि शुरुआत के समय जरूरतमंद लोगों को सस्ते भोजन का
आश्वासन दिया था। योजना कि टैग लाइन रखी गई "सबके लिए भोजन, सबके लिए सम्मान" थी। जब वसुन्धरा राजे सरकार द्वारा इस योजना की शुरुआत की गई तब वेन द्वारा चिन्हित स्थलों पर निश्चित समय से खाना दिया जाता था।
भारत में रसोई कि शुरुआत -
भारत में अगर सरकार द्वारा सस्ती दरों पर चलाई गई रसोई योजना की बात की जाए तो सबसे पहले नाममात्र शुल्क के साथ रसोई योजना की शुरुआत
तमिलनाडु राज्य से हुई। वर्ष 2013 में तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व. जयललिता ने "अम्मा कैंटीन" के
नाम से भारत में सबसे पहले किसी राज्य में रसोई योजना की शुरुआत की थी। अम्मा
कैंटीन में सुबह से लेकर दोपहर और शाम तक के खाने व्यवस्था प्रतिदिन की
गई। सुबह के नाश्ते में मात्र 2 रुपये में और 5 रुपये में पोंगल राइस दिए जाते
थे। दोपहर के खाने में सांभर चावल, लेमन राइस, करी पत्ता चावल केवल
5रुपए में और दही चावल 3 मात्र रूपय में दिए जाते। रात के खाने में दो चपाती और
एक कटोरी दाल 3 रुपये में दी जाती थी।
राजस्थान में अन्नपूर्णा योजना कि शुरुआत और विकास -
राजस्थान में जो आज हम अन्नपूर्णा रसोई योजना देख रहे हैं, यह विभिन्न चरणों
से गुजरते हुए आज कि स्थिति में पहुंची है। वर्ष 2016 में तत्कालीन वसुंधरा
राजे सरकार में शुरु हुई अन्नपूर्णा योजना में कुछ परिवर्तन कर अशोक गहलोत
सरकार नें इसे इंदिरा गांधी रसोई योजना नाम दे योजना और थाली में दी जाने वाली
सामग्री में परिवर्तन कर इसे विकसित किया तो वही वर्तमान सरकार नें सामग्री कि
मात्रा में परिवर्तन करते हुए, अपने शुरुआती नाम में पुनः परिवर्तित कर दिया।
योजना बदलती सरकारों के साथ परिवर्तित होती रही और लाभार्थी को सामग्री कि
गुणवत्ता के साथ मात्रा में बढ़ोतरी का लाभ मिलता गया, जिससे योजना में विकास
होता रहा।
किस प्रकार हुआ सामग्री कि मात्रा और गुणवत्ता में परिवर्तन -
जब वर्ष 2016 में वसुन्धरा राजे सरकार नें इस योजना को शुरु किया तब लाभार्थी
को नाश्ता दोपहर का खाना और रात का खाना मोबाइल वैन से चिन्हित स्थानो पर मिलता
था। यह योजना राजस्थान के शहरी क्षेत्रो तक सीमित थी हदिसंबर, 2018 में
राजस्थान में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी और वसुंधरा राजे सरकार कि विदाई के
साथ अन्नपूर्णा रसोई योजना कि भी विदाई हो गई। दो साल बाद 20 अगस्त, 2020 को इस
योजना के नाम परिवर्तन के साथ कई बदलाव कर इस नए नाम 'इंदिरा गांधी रसोई योजना'
के नाम से प्रदेश के सभी नागरिक निकायों में 358 रसोई के साथ पुनः संचालित
किया।
समय के साथ गहलोत सरकार नें विधानसभा चुनाव पूर्व विधानसभा में वर्ष 2023-24
का बजट पढ़ते हुए इसे ग्रामीण कस्बों में लागू किए जाने कि घोषणा की। 10
सितंबर, 2023 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने
टोंक जिले के निवाई तहसील के झिलाय गॉव से पूरे प्रदेश के ग्रामीण इलाक़ों में
इंदिरा रसोई का शुभारंभ किया। वर्ष 2023 के अंत तक 1000 शहरी क्षेत्रो में रसोई
खोले जाने के लक्ष्य के अनुरुप 992 संचालित होने लगी। वही ग्रामीण क्षेत्रो में
भी 1000 रसोई में से 400 का शुभारंभ किया गया, भविष्य में ग्रामीण क्षेत्रो में
भी 1000 रसोई के साथ प्रदेश में कुल 2000 रसोई का लक्ष्य रखा गया।
दिसंबर, 2023 मे हुए चुनाव में कांग्रेस पार्टी के हार जाने के बाद बीजेपी कि
नई सरकार नें एक बार पुनः नाम परिवर्तित कर 'श्री अन्नपूर्णा रसोई योजना' कर
दिया। नाम परिवर्तन के साथ भोजन के मेन्यू और मात्रा में भी परिवर्तन किया।
रसोई कि संख्या में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया गया किंतु सरकार द्वारा
दी जाने वाली अनुदान राशि को 17 रुपये से बढ़ाकर 22 रुपये कर दिया, ताकि भोजन
कि मात्रा को बढ़ाया जा सके।
इंदिरा रसोई योजना और अन्नपूर्णा रसोई योजना में अन्तर -
सरकार/आधार | वसुंधरा राजे | अशोक गहलोत | भजनलाल |
---|---|---|---|
नाश्ता का मेन्यू |
पोहा, सेवइयां, इडली-सांभर, लापसी (मीठा दलिया), ज्वार खिचड़ा,
बाजरा खिचड़ा, गेहूं खिचड़ा |
- | - |
मूल्य | 5 रुपये | - | - |
मात्रा | - | - | - |
दोपहर का भोजन मेन्यू | दाल-चावल, गेहूं का चूरमा, मक्का का नमकीन खीचड़ा, रोटी का उपमा, दाल- ढ़ोकली, चावल का नमकीन खीचड़ा, कढ़ी-ढ़ोकली, ज्वार का नमकीन खीचड़ा, गेहूं का मीठा खीचड़ा | दाल, सब्जी, 5 रोटी और आचार शामिल होता है। प्रत्येक थाली में 100 ग्राम दाल, 100 ग्राम सब्जी, 250 ग्राम रोटी और आचार |
300 ग्राम चपाती, 100 ग्राम दाल, 100 ग्राम सब्जी, 100 ग्राम
चावल, मिलेट्स, खिचड़ी आदि के साथ अचार
|
मूल्य | 8 रुपये | 8 रुपये | 8 रुपये |
मात्रा | - | 450 ग्राम | 600 ग्राम |
रात का भोजन मेन्यू |
दाल-ढ़ोकली, बिरयानी, ज्वार की मीठी खिचड़ी, चावल का नमकीन खीचड़ा,
कढ़ी-चावल, मक्के का नमकीन खीचड़ा, बेसन गट्टा पुलाव, बाजरे का मीठा
खीचड़ा, दाल-चावल, गेहूं का चूरमा |
दाल, सब्जी, 5 रोटी और आचार शामिल होता है। प्रत्येक थाली में 100 ग्राम दाल, 100 ग्राम सब्जी, 250 ग्राम रोटी और आचार |
300 ग्राम चपाती, 100 ग्राम दाल, 100 ग्राम सब्जी, 100 ग्राम
चावल, मिलेट्स, खिचड़ी आदि के साथ आचार
|
मूल्य | 8 रुपये | 8 रुपये | 8 रुपये |
मात्रा | - | 450 ग्राम | 600 ग्राम |
अन्य | मोबाइल वैन | निश्चित स्थान | निश्चित स्थान |
इंदिरा रसोई योजना और अन्नपूर्णा रसोई योजना में अन्तर को भोजन में दी जाने
वाली सामग्री के साथ मात्रा में परिवर्तन से देखा जा सकता है। साथ ही श्री
अन्नपूर्णा रसोई योजना में इंदिरा गांधी रसोई योजना कि तुलना में 50 ग्राम रोटी
और 100 ग्राम चावल कि मात्रा को बढ़ा दिया। साथ ही टैग लाइन रखी 'लक्ष्य
अंत्योदय - प्रण अन्त्योदय - पथ अंत्योदय'।
पात्रता -
अन्नपूर्णा रसोई योजना में पात्रता संबंधित कोई शर्तें नहीं थी। जब इंदिरा
रसोई योजना के नाम से इस योजना कि शुरुआत हुई तब राजस्थान का नागरिक होना इसकी
पात्रता थी, बाद में नागरिको के साथ पर्यटकों को भी योजना का लाभ दिया जाने
लगा।
लाभ लेने कि प्रकिया -
इस योजना का लाभ लेने के लिए लाभार्थी दोपहर के भोजन 8:30 से 1:00 बजे तक
(नाश्ता कि व्यवस्था बंद किए जाने के बाद से खाना ही) और रात या शाम का खाना
खाने के लिए शाम 5:00 बजे से 8:00 बजे तक अपने परिचय पत्र के साथ रसोई में खाने
के स्थल पर काउन्टर पर उपस्थित हो अपना मोबाइल नंबर और 8 रुपये का भुगतान कर
लाभ ले सकता है। लाभार्थी का पंजीयन ऑनलाइन होता है, जिसके कारण परिचय पत्र के
साथ मोबाइल का होना आवश्यक है।
खाना खाने के लिए आप जब रसोई के काउन्टर पर उपस्थित होंगे तब सबसे पहले आपको 8/- रुपये का कूपन लेना होगा। इसके लिए आप 8 रुपये जमा करा वहाँ के कंप्यूटर पर रिकार्ड की दृष्टि से आपका फोटो खींच आपका नाम पिता का नाम और मोबाइल नंबर दर्ज करेंगे। आपके मोबाइल पर इसकी पुष्टि के उदेश्य से एक मैसेज भी आता है। इसके बाद आपको एक प्लास्टिक का टोकन देंगे। इसके बाद आप रसोई में जा खाना खा सकते हैं। खाना देते वक़्त आपका टोकन आपसे ले लिया जाएगा। यहाँ ध्यान दीजिए आपकी फोटो सिर्फ एक बार ली जाएगी एंट्री के पहले और बाद में दोनों समय नहीं।
क्यो बदला इंदिरा रसोई योजना नाम?
पूर्व में जब वसुंधरा राजे द्वारा अन्नपूर्णा रसोई योजना के नाम से शुरु किया
था, तब इसे भोजन कि देवी अन्नपूर्णा देवी या अन्नदा के नाम से शुरु किया। लेकिन
प्रदेश में सरकार बदलने के बाद अशोक गहलोत सरकार नें 2 वर्ष तक योजना को बंद
रखा। कोरोना काल में विपक्ष द्वारा लगातार अन्नपूर्णा रसोई कि उपयोगिता की बात
किए जाने के बाद इसे वर्ष 2020 में कांग्रेस पार्टी से प्रधानमंत्री रही इंदिरा
गांधी के नाम से 'इंदिरा रसोई योजना' के नाम से पुनः शुरु किया। ऐसे में इसका
नाम परिवर्तन पूर्ववर्ती सरकार के समय ही हो गया। साथ ही चिन्हित स्थान कि जगह
निश्चित स्थान पर ही खाने कि व्यवस्था की गई।
अशोक गहलोत सरकार के जाने के बाद नई सरकार नें इस योजना का नाम पुनः परिवर्तित
कर' श्री अन्नपूर्णा रसोई योजना' कर दिया। हालांकि सरकार नें नाम परिवर्तित किए
जाने का कोई कारण नहीं बताया लेकिन कांग्रेस पार्टी से भारत कि पूर्व
प्रधानमंत्री रही इंदिरा गांधी का नाम जुड़ा होने के कारण इसे पुनः बदलकर भोजन
कि देवी अन्नपूर्णा के नाम पर 'श्री अन्नपूर्णा रसोई योजना 'कर दिया
गया।
अन्य राज्यों में संचालित रसोई योजनाएं -
- उत्तर प्रदेश - प्रभु कि रसोई योजना - गरीबो को मुफ्त भोजन मिले कोई भूखा ना सोये के उदेश्य से सहारनपुर से शुरु की गई।
- गुजरात - अन्नपूर्णा रसोई योजना - 10 रुपये में भरपेट भोजन। मुख्यतः इसमे गुजराती खाना ढोकला, ख़मण और गुजराती कढ़ी परोसी जाती है।
- मध्य प्रदेश - दीनदयाल रसोई योजना - 2017 में शुरु कि गई, प्रति व्यक्ति 10 रुपये में भोजन।
- पंजाब - साडी रसोई योजना - 10 रुपये में भोजन के उदेश्य से 2017 में शुरु कि गई।
- दिल्ली - आम आदमी कैंटीन - 10 रुपये में भोजन मिलता है, इसे LNJP अस्पताल कि ओर से शुरु किया गया।
पश्चिम बंगाल कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 'मां कि रसोई' और दिल्ली के
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी पूरे दिल्ली में रसोई खोलने कि घोषणा कि थी,
जो अब तक शुरु नहीं हुई है। पंजाब में सरकार बदलने के बस रसोई योजना ठप्प है तो
वही तमिलनाडु कि अम्मा रसोई योजना कि तर्ज़ पर महाराष्ट्र में सस्ती थाली रसोई
योजना कि 2020 में घोषणा हुई थी, लेकिन अब तक धरातल पर नहीं उतर सकीं है।
अन्नपूर्णा रसोई योजना का लाभ -
आजकल लोग काम के उदेश्य से घरों से बाहर रहते हैं। एक तरफ जहां प्रत्येक छोटे-बड़े कस्बों मे कोई होटल नहीं होती है तो दूसरी ओर सभी होटल में खाना खा सके (होटल में खाना अपेक्षाकृत महँगा होता है) यह सम्भव भी नहीं है। घर के बाहर रहने वाले लोगों और गरीब लोगों को खाने के लिए किसी प्रकार की चुनौती का सामना नहीं करना पड़े इसी उदेश्य को ध्यान में रखते हुए अन्नपूर्णा रसोई योजना की शुरुआत हुई थी। इसके अतिरिक्त अपने घर से दूर किसी काम से या इलाज के उदेश्य से अस्पताल जाने वाले लोग, पर्यटक और विद्यार्थियों को खाने में किसी प्रकार की चुनौती का सामना ना करना पड़े इसे भी ध्यान में रखा गया।
आज कई जगह रसोई खुली हुई हैं वहाँ मजदूर और घुमंतू लोगों के साथ पर्यटक और विद्यार्थियों को खाना खाते हुए देखकर इस बात की तसल्ली अवश्य होती है कि जिस उदेश्य को ध्यान में रखते हुए और एक दूरदर्शिता को ध्यान में रखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे सिंधिया ने जो एक शुरुआत की आज वो एक मील का पत्थर साबित हो रहीं हैं। उनके द्वारा शुरू की गई योजना में समय-समय पर बदलाव किया जाना और रसोई की संख्या को बढ़ाया जाना इसकी सफ़लता को इंगित करता है। वर्तमान समय में रसोई योजना काग़जों से निकल कर धरातल पर उतर रही हैं।
रसोई योजना के शुरु होने के बाद से खाना हर किसी की पहुंच में हो गया है। आज हम घर के बाहर कहीं चाय पीने के लिए रुक जाए तो एक कप चाय के भी 10/- रुपये लिए जाते हैं। वही खाने के मात्र 8/- रुपये वसूल किए जाने से हर कोई खाने को उत्साहित नजर आता है। पहले जहां कई कस्बों में जब कोई अस्पताल या अन्य सरकारी कार्य के लिए जाता तो वहाँ की परिस्थिति के अनुसार कोई होटल उपलब्ध नहीं होता था, ऐसे में व्यक्ति बाहर नाश्ता कर खुद को संतुष्ट कर देता था लेकिन वर्तमान में ऐसे कस्बे नुमा शहरो में भी रसोई योजना शुरु हो जाने से अब नाश्ते की जगह खाने को स्थान मिलने लगा है।
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अन्य प्रश्न -
प्रश्न: राजस्थान में अन्नपूर्णा योजना कि शुरुआत कब हुई?
उत्तर: राजस्थान में अन्नपूर्णा योजना कि सबसे पहले शुरुआत मुख्यमंत्री
वसुन्धरा राजे के कार्यकाल में 15 दिसम्बर 2016 को जयपुर से हुई।
प्रश्न: इंदिरा रसोई योजना और श्री अन्नपूर्णा योजना में अन्तर क्या है?
उत्तर: श्री अन्नपूर्णा रसोई योजना में 600 ग्राम भोजन दिया जाता है, वही
इंदिरा रसोई योजना में 450 ग्राम भोजन दिया जाता है। श्री अन्नपूर्णा रसोई
योजना में 50 ग्राम चपाती और 100 ग्राम चावल अतिरिक्त दिया जाता
है।
प्रश्न: इंदिरा रसोई योजना और श्री अन्नपूर्णा योजना में समानता क्या है?
उत्तर: दोनों में दो समानता है दोनों का लाभ निश्चित स्थान (जहां रसोई है)
पर ही लिया जा सकता है, तथा लाभार्थी को 8 रुपये प्रति थाली चुकाना होता
है।
प्रश्न: श्री अन्नपूर्णा रसोई योजना का मेनू (मेन्यू) क्या है?
300 ग्राम चपाती, 100 ग्राम दाल, 100 ग्राम सब्जी, 100 ग्राम चावल,
मिलेट्स, खिचड़ी आदि के साथ आचार।
प्रश्न : अन्नपूर्णा योजना में थाली का मूल्य/रेट क्या है?
उत्तर: श्री अन्नपूर्णा रसोई योजना में लाभार्थी से 8 रुपये लिया जाता है,
सरकार प्रति थाली 22 रुपये अनुदान देती है। ऐसे में खाने का कुल मूल्य 30
रुपये है, किंतु लाभार्थी को प्रति थाली 8 रुपये चुकाना होता है।
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