D2M बिना सिम कार्ड और इन्टरनेट के ही चलेगा वीडियो आपके मोबाइल में

D2M बिना सिम कार्ड और इन्टरनेट के ही चलेगा वीडियो आपके मोबाइल में

आजकल मोबाइल पर वीडियो देखने का चलन कितना तेजी से बढ़ा है, हम सब यह बात जानते ही है। यूट्यूब, ओटीटी और टीवी एप्प ने मोबाइल पर वीडियो देखने का चलन तेजी से बढ़ा दिया। उसी का नतीज़ा है कि आजकल हर कोई व्यक्ति जो मोबाइल रखता है, वो मोबाइल में वीडियों देखने के लिए इन्टरनेट के प्लान पर भारी भरकम राशि देकर महंगे और अधिक जीबी डेटा प्लान लेता है, ताकि दैनिक डेटा खत्म ना हो।


आज आपको ऐसी तकनीक के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें आपको डेटा प्लान लेने कि कोई आवश्यकता नहीं है? आपको एक मोबाइल कि आवश्यकता है, ना किसी सिम कार्ड कि और ना ही किसी इन्टरनेट प्लान की। ऐसे में आपको ना जरूरत है ऐसे मोबाइल कि जो किसी विशेष जनरेशन (4 जी या 5 जी) किसी भी मोबाइल में बिना सिम कार्ड डाले आप अनलिमिटेड डेटा का उपयोग कर सकते हैं। अब बात करते हैं, ऐसी तकनीक D2M के बारे में।

D2M तकनीक क्या है?


D2M आईआईटी कानपुर द्वारा विकसित एक देशी/भारत में विकसित घरेलू डायरेक्ट-टू-मोबाइल तकनीक है। इस तकनीक के द्वारा मोबाइल उपभोक्ता बिना डेटा प्लान या सिम कार्ड लिए अपने मोबाइल में वीडियों स्ट्रीम कर सकता है। आईआईटी कानपुर ने प्रसार भारती और टेलीकॉम डेवलपमेंट सोसायटी के सहयोग से इस तकनीक को विकसित किया है। 

कैसे काम करेगा D2M? 


इस तकनीक का उपयोग करने के लिए आपको एक मोबाइल के साथ D2H (डायरेक्ट-टू-होम) के एंटीना कि तरह फिलहाल एक विशेष एंटीना D2M कि आवश्यकता होगी। यह सॉफ्टवेयर तकनीक नहीं हार्डवेयर तकनीक है। 


D2M मोबाइल में वीडियों स्ट्रीम करने के लिए 526-852MHz बैंड पर काम करेगा। इसके लिए मोबाइल को एक एंटीना के पास रखना पड़ेगा या उसकी रेंज में रखना होगा। यह एंटीना D2H सैटेलाइट के जैसी ही अपनी सैटेलाइट से डेटा ले मोबाइल में वीडियों स्ट्रीम करने में मदद करेगा। इसके लिए यह टेरेस्ट्रियल टेलीकम्युनिकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर और पब्लिक ब्रॉडकास्टर द्वारा सुझाए गए स्पेक्ट्रम का उपयोग करेगा।

क्या फायदा होगा D2M तकनीक आने के बाद? 


वर्तमान में भारत में मोबाइल सेवा में कार्यरत कंपनियां इन्टरनेट सुविधा के माध्यम से वीडियों स्ट्रीमिंग (देखने) कि सुविधा प्रदान कर रही है। D2M कि सुविधा उपलब्ध होने के बाद मोबाइल कंपनियां के टावर्स पर ट्रैफिक कम होने कि उम्मीद है, क्योंकि 50 से अधिक शिक्षा, दूरदर्शन और अन्य क्षेत्रों के चैनल सहित रेडियो बिना इन्टरनेट कनेक्टिविटी के मोबाइल में चलने से टावर्स बेहतर गति से इन्टरनेट सेवायें प्रदान करेंगे।  इससे वीडियो संबंधी सामग्री का वितरण तेजी से संभव होगा। दूसरी ओर, जहां इन्टरनेट सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं (दूरदराज़ के क्षेत्रों में) वहाँ भी सैटेलाइट के माध्यम से मोबाइल एंटीना से एक बेहतर रिसीवर के रुप में डेटा को ग्रहण कर वीडियो स्ट्रीम कि सुविधा को उपलब्ध कराएगा। 

  • आसान पहुंच - इतना ही नहीं, इस तकनीक कि उपलब्धता के बाद उन क्षेत्रो के लोगों को भी टीवी देखने कि सुविधा उपलब्ध हो जाएगी जहां टीवी कि पहुंच नहीं है, वहाँ भी यह तकनीक आसानी से अपनी पहुंच बना लेगी। 
  • मोबाइल ट्रैफिक जाम से निपटना - भारत में फिलहाल इन्टरनेट पर करीब 70% डेटा का उपयोग वीडियो देखने में किया जा रहा है, ऐसे में इस तकनीक कि शुरुआत होने के बाद एक तरफ लोगों को फ्री में वीडियों देखने को मिलेगी जिससे मोबाइल ट्रैफिक जाम कि स्थिति में सुधार होगा तो दूसरी ओर, अति आवश्यक सेवाओं कि उपलब्धता कम समय में आसानी से वितरित कि जा सकेगी। यह सेवा मोबाइल उपभोक्ताओं कि जेब पर हो रहे असर को कम करने में भी कारगर साबित होगी। 
  • शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा का प्रसारण - बिना डेटा के वीडियों स्ट्रीम किए जाने की स्थिति में आने वाले समय में भारत में 80 करोड़ मोबाइल उपभोक्ता की संख्या और बढ़ने वाली है। साथ ही इन्टरनेट सुविधा का उपयोग नहीं करने वाले भी इस सुविधा तरफ आकर्षित होंगे, जिससे भारत सरकार के साथ विभिन्न राज्यों कि सरकारे अपनी योजनाओं को बेहतर तरीके से लोगों तक पहुंचाने में कामयाब होगी। दूसरी ओर, लोगों द्वारा शिक्षाप्रद वीडियों को आसानी से देखा जाएगा जिससे शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर तरीके से लोगों तक पहुंचा इन्हें अधिक गुणवत्तापूर्ण बनाया जा सकेगा साथ ही लोग स्वयँ ही शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए प्रेरित होंगे, जिससे सरकारी खर्च भी कम होगा। 

क्या है, अड़चन? D2M के लिए चुनौतियाँ


कोई भी कार्य या तकनीक जितनी बढ़िया दिखती है, उतनी बढ़िया हो यह आवश्यक नहीं है। D2M को एक बेहतर इन्टरनेट के विकल्प के तौर पर देखा जरूर जा रहा है लेकिन इसकी जांच तो आने वाले समय में ही होगी लेकिन कई बुद्धिजीवी इसे लेकर कई तरह के तर्क दे आने वाली चुनौतियों को बता रहे हैं, जिससे आप इसके नुकसान को समझ सकते हैं, तो इसे आप D2M के नुकसान भी कह सकते हैं, जो इस प्रकार हो सकते हैं - 

  • मोबाइल ऑपरेटर और इन्टरनेट सेवा प्रदाता - भारत में इन्टरनेट सेवाओं का बड़ा उद्योगिक स्वरुप है, कई मोबाइल कंपनियां इससे जुड़ी हुई है। ऐसे में मोबाइल सेवा प्रदाता इसका विरोध कर रहे हैं। उन्हें लगता है कि इस तकनीक को अपनाए जाने के बाद उनका बाजार सिमटने लगेगा। 
  • डेटा कि गुणवत्ता - सरकार द्वारा यह सेवा अभी पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरु कि जा रही है, ऐसे में वीडियो कि गुणवत्ता बेहतर हो सकती है क्योंकि दबाब और ट्रैफिक नाममात्र का है, लेकिन जब सेवा को सभी क्षेत्रों में उपलब्ध कराया जाए, उस वक़्त इसकी गुणवत्ता क्या होगी? यह इस पर एक प्रश्नचिन्ह है। 
  • वीडियो और चैनल कि समीक्षा - जो वीडियो और टीवी चैनल के साथ अन्य चैनल और ओटीटी उपभोक्ताओं को निःशुल्क उपलब्ध करायी जायेगी, ऐसे में किस प्रकार के वीडियो उपलब्ध होंगे, इसके साथ ही इस पर भी सवालिया निशान है कि निःशुल्क उपलब्ध होने वाले वीडियो कि समीक्षा कौन करेगा कि यह वीडियो दिखाने योग्य है या नहीं। 
  • नियंत्रण और नियमन -  इसका नियंत्रण और नियमन कैसे होगा? कौन समय-समय पर सेवाओं के निरिक्षण का कार्य करेगा? क्या दूरसंचार विभाग स्वयं इसका नियमन करेगा या राज्य स्तर पर भी कोई विभाग इस प्रकार कि सेवाओं के नियमन के लिए कार्य करेगा? य़ह सभी बाते अभी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है। 
  • व्यावसायिक रुपांतरण - वर्तमान में जो सूचना आ रही है, उसके मुताबिक डेटा फ्री होगा, जिसका शुल्क नहीं होगा। ऐसे में इसका व्यावसायिकरण किस आधार पर होगा? बिना व्यवसायीकरण के आकर्षक के साथ शिक्षाप्रद एवं ज्ञानवर्धक वीडियों कि उपलब्धता संभव नहीं हो पाएगी। 
  • पहुंच - अभी जो D2M को लेकर शोर शराबा हो रहा है, उसके मुताबिक यह प्रणाली दूर-दराज के इलाक़ों के लिए वरदान साबित होने वाली है। साथ ही यह भी बताया जा रहा है कि यह तकनीकी उन इलाक़ों में सुविधा प्रदान करेगी जहां टीवी कि पहुंच नहीं ऐसे में प्रश्न है क्या जहां टीवी और d2h के सैटेलाइट नहीं है वहाँ इस तकनीक के सैटेलाइट किस प्रकार से कार्य करेंगे। 
  • कंटेंट प्रदाता और उपभोक्ता - निःशुल्क सेवा होने के कारण कौन वीडियो कंटेंट प्रदान करेगा सरकारी संस्थान, निजी संगठन या संस्थान या कोई और। साथ ही उपभोक्ता की आवश्यकता के वीडियो होंगे या सरकारी योजनाओं और राज्य सरकार का प्रचार करने का प्लेटफॉर्म मात्र बन कर रह जाएगी यह अति आधुनिक तकनीक। 

कहाँ शुरु होगी D2M तकनीक? 


पिछले वर्ष 2023 में बेंगलुरु, नोयडा और कर्तव्य पथ पर पायलट प्रोजेक्ट हो चुका है, अब भारत सरकार 19 राज्यों में प्रसार भारती के सहयोग से इस योजना का पायलट प्रोजेक्ट चलाने जा रही है। 19 राज्यों के निम्न शहरो में इस पायलट प्रोजेक्ट चलाया जाएगा - 
बेंगलुरु, कर्तव्य पथ दिल्ली, नोयडा, आगरा, लखनऊ, वाराणसी, जयपुर, जोधपुर, अहमदाबाद, वडोदरा, मुंबई, पुणे, हैदराबाद, विशाखापट्टनम, चैन्नई, कोलकाता, गुवाहाटी, शिलांग और इम्फाल इत्यादि। 

किस देश में चल रही हैं D2M तकनीक? 


दुनिया में सबसे पहले D2M भारत मे बनी है। सांख्या लैब और आईआईटी कानपुर ने इस तकनीक को बनाया है। प्रसार भारती के सहयोग से इसका परिक्षण पायलट प्रोजेक्ट के जरिए से बेंगलुरु, नोयडा और कर्तव्य पथ दिल्ली मे वर्ष 2023 में हो चुका है। 

D2M तकनीक के लिए कौनसा app इंस्टॉल करे? 


D2M के लिए कोई एप्प नहीं है। यह तकनीक रेडियो तकनीक आधारित हैं, जो एक एंटीना द्वारा संचालित होगी। यह हार्डवेयर तकनीक है, जो सैटेलाइट से डेटा ग्रहण करने के लिए एंटीना के माध्यम से संचालित होगी। भविष्य में मोबाइल में चिप के जरिए से भी प्रदान कि जा सकती है। 

D2M और यूट्यूब चैनल 


भारत समेत दुनियाभर में यूट्यूब द्वारा दिए जाने वाले मौद्रिक लाभ को देखते हुए कई यूट्यूब चैनल फर्जी खबरों के साथ निम्न गुणवत्ता के वीडियो प्रसारित कर रहे हैं। D2M सुविधा की उपलब्धि के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए फैलाए जाने वाले फर्जी न्यूज और दिनों-दिन पनप रहे यूट्यूब चैनल्स पर लगाम लगाई जा सकेगी। यहाँ आने वाले वीडियो और चैनल कि गुणवत्ता नियामक संस्था द्वारा पहले से निर्धारित कर निरिक्षण के बाद प्रसारण कि अनुमति दी जाएगी। 


अन्य प्रश्न जो आपके मन में है - 


प्रश्न: D2M कब तक पूरे देश में शुरु हो जाएगी? 

उत्तर: अभी तक भारत सरकार द्वारा D2M को पूरे देश में शुरु किये जाने कि कोई तिथि निर्धारित नहीं कि है, उम्मीद है कि वर्ष 2024 के अंत तक पूरे देश में लागू हो जाए। 

प्रश्न: मेरे मोबाइल को D2M से जोड़ने में कितना खर्च आएगा?

उत्तर: फ़िलहाल D2M का एंटीना 2500 रुपये का है, बाजार में मांग बढ़ने के बाद इसे चिप का रुप दिया जा सकता है, जिससे इसकी कीमत 150 रुपये के आसपास हो सकती है। 

प्रश्न: क्या मेरा मोबाईल D2M के योग्य हैं? 

उत्तर: अगर आपके पास 4g या 5g मोबाइल है तो आप एंटीना से D2M का लाभ उठा सकते हैं। इसके लिए आपको बाजार से D2M एंटीना खरीदना पड़ेगा। बिना एंटीना के आप D2M का लाभ नहीं ले सकते हैं। 

प्रश्न: क्या D2M का कोई सॉफ्टवेयर है? 

उत्तर: D2M सॉफ्टवेयर आधारित तकनीक नहीं है, य़ह हार्डवेयर आधारित तकनीक है, इसके लिए आपको बाजार से एंटीना खरीदना पड़ेगा। 

प्रश्न: D2M के लिए सर्वश्रेष्ठ एप्प कौनसी है? 

उत्तर: D2M के लिए कोई एप्प नहीं है। आपके मोबाइल में इसे चालू करने के लिए बाजार से एंटीना खरीदना पड़ेगा। 

प्रश्न: क्या मेरे गॉव में D2M चलेगा? 

उत्तर: फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तहत 19 राज्यों के चिन्हित शहरो में चलाया जा रहा है, पूरे भारत में लागू किए जाने के बाद आपके गॉव में भी चलेगी। 

प्रश्न: D2M एंटीना कहाँ मिलेगा? 

उत्तर: य़ह मोबाइल हार्डवेयर कि दुकान पर मिलेगा, जहां set-up box और d2h मिलते हैं, वहाँ भी मिल सकता है। 

प्रश्न: किस प्रकार के मोबाइल पर D2M काम करेगा? 

उत्तर: इसके लिए आपको एडवांस स्मार्टफोन (4g और 5g), कम शोर वाले एम्पलीफायर, बेसबैंड फिल्टर और रिसीवर एंटीना की जरूरत होगी। मोबाइल के अंदर आने वाली चिप को विकसित करने पर काम किया जा रहा है। 

प्रश्न: क्या बिना एंटीना के D2M से वीडियों चलाया जा सकता है? 

उत्तर:अभी तक ऐसी सुविधा उपलब्ध नहीं है, आने वाले समय में मोबाइल के अंदर एक चिप को लगाया जा सकता है, उसके बाद आपको एंटीना लेने कि आवश्यकता नहीं है। 

प्रश्न: D2M से चलने वाले मोबाइल कब आएंगे? 

उत्तर: D2M से कोई भी मोबाइल चलाया जा सकता है, जो 4g और 5g हो, इस सुविधा का ईन मोबाइल से लाभ लेने के लिए आपको बाजार से एक एंटीना खरीदना पड़ेगा। 

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