जब किसी विशिष्ट व्यक्ति की आय मे वृद्धि होती है, तब आय वृद्धि के परिणामस्वरूप उसके खर्च में जो वृद्धि होती है, उसे जीवनशैली महंगाई कहा जाता है। जीवनशैली महंगाई के नियमानुसार जब भी व्यक्ति कि आय अथवा वेतन में वृद्धि होती है तो उसके साथ ही उससे व्यय में स्वतः ही वृद्धि हो जाती है। कई बार तो ऐसा भी देखने को मिलता है कि व्यक्ति आय की अपेक्षा में व्यय की वृद्धि अधिक हो जाती है, इसे जीवनशैली की मुद्रास्फीति कहते हैं।
जब व्यक्ति की आय में वृद्धि होती है तब व्यक्ति अपने नियमित व्यय में वृद्धि करने लगता है। कई बार तो ऐसा भी देखने को मिलता है कि व्यक्ति उच्च जीवन-शैली को अपनाने के चक्कर में अपने व्यय (खर्च) को इतना बढ़ा देता है कि उसकी संपूर्ण आय भी बढ़े हुए खर्चों को चुकाने में खर्च हो जाती हैं। यह महंगाई से भिन्न है। महँगाई जानने के लिए यह पढ़े
जीवन शैली की महंगाई का नियम -
जब व्यक्ति कि आय में वृद्धि होती है, तब व्यक्ति के व्यय में भी वृद्धि होती है। इस नियम के अनुसार आय और व्यय में धनात्मक संबंध है। जब आय में वृद्धि होती है तो व्यय बढ़ता है, जब आय घटती है तो व्यय भी घटता है। इसे आप निम्न उदाहरण से समझ सकते हैं।
उदाहरण - महेश अपनी शिक्षा पूरी कर एक कंपनी में नौकरी करने लगता है। नौकरी करने लगता है। शिक्षा प्राप्ति के दौरान उसकी आय रुपये 0 थी। अब नोकरी के दौरान उसे प्रथम वर्ष में 200000 रुपये वेतन प्राप्त होता है, और खर्च 180000 रुपये।
स्थिति 1 - अगर महेश का वेतन 10% प्रतिवर्ष (पूर्व वर्ष के वेतन की तुलना में) बढ़ता है और व्यय 6% प्रतिवर्ष (पिछले वर्ष के व्यय से) बढ़ता जाता है। जिसे आप सारणी से आप इस प्रकार समझ सकते हैं। उसके द्वारा की जाने वाली बचत पर किसी प्रकार का ब्याज उपलब्ध नहीं है, तब 10 साल के लिए उसकी बचत और संचयी बचत ज्ञात की हुई है।
वर्ष | आय | खर्च | बचत | संचयी बचत |
---|---|---|---|---|
1 | 180000 | 180000 | 20000 | 20000 |
2 | 220000 | 190800 | 29200 | 49200 |
3 | 242000 | 202250 | 39750 | 88950 |
4 | 266200 | 214390 | 51810 | 140760 |
5 | 292820 | 227250 | 65570 | 206330 |
6 | 322100 | 240890 | 81210 | 287540 |
7 | 354310 | 255340 | 98970 | 386510 |
8 | 389740 | 270660 | 119080 | 505590 |
9 | 428710 | 286900 | 141810 | 647400 |
10 | 471580 | 304110 | 167470 | 814870 |
उपर्युक्त सारणी में लिए गए आय और व्यय के आंकड़ो के आधार पर निम्न रेखाचित्र खिंचा गया है, जिसमें आय वृद्धि के साथ व्यय में भी वृद्धि देखी जा सकती है।
स्थिति 2 - अगर महेश का वेतन 10% प्रतिवर्ष (पूर्व वर्ष के वेतन की तुलना में) बढ़ता है और व्यय 8% प्रतिवर्ष (पिछले वर्ष के व्यय से) बढ़ता जाता है। जिसे आप सारणी से आप इस प्रकार समझ सकते हैं। उसके द्वारा की जाने वाली बचत पर किसी प्रकार का ब्याज उपलब्ध नहीं है, तब 10 साल के लिए उसकी बचत और संचयी बचत बताई गई है।
वर्ष | आय | खर्च | बचत | संचयी बचत |
---|---|---|---|---|
1 | 200000 | 180000 | 20000 | 20000 |
2 | 220000 | 194400 | 25600 | 45600 |
3 | 242000 | 209950 | 32050 | 77650 |
4 | 266200 | 226750 | 39450 | 117100 |
5 | 292820 | 244890 | 47930 | 165030 |
6 | 322100 | 259580 | 62520 | 227550 |
7 | 354310 | 280350 | 73960 | 301510 |
8 | 389740 | 302780 | 86960 | 388470 |
9 | 428710 | 327000 | 101710 | 490180 |
10 | 471580 | 353160 | 118420 | 608600 |
उपर्युक्त सारणी में लिए गए आय और व्यय के आंकड़ो के आधार पर निम्न रेखाचित्र खिंचा गया है, जिसमें आय वृद्धि के साथ व्यय में भी वृद्धि देखी जा सकती है।
जब व्यक्ति जीवनशैली की महंगाई को अधिक दर से बढ़ा देता है तो उसकी बचत कम होने लगती है। कई बार उपभोक्ता अथवा वेतनभोगी व्यक्ति अपने खर्च को आय से अधिक बढ़ा देता है तो उसकी बचत शून्य हो जाती है। उपर्युक्त दोनों सारणी और रेखाचित्र से स्पष्ट है कि जब उपभोक्ता खर्च की दर को अधिक रखता है तो बचत कम होती है।
जीवनशैली की महंगाई के लागू होने के कारण -
जैसे ही व्यक्ति की आय में वृद्धि होती है वैसे ही व्यक्ति अपने खर्च को भी बढ़ा देता है। उदाहरण के तौर पर रमेश एक कॉलेज का विद्यार्थी है, जो एक कमरे में किराये पर रहता है। लेकिन जैसे ही वह कॉलेज की शिक्षा प्राप्त कर नौकरी करने लगेगा और उसे वेतन की प्राप्ति होगी तो वह कार, मोटर साइकिल आधी खरीद लेगा। जैसे-जैसे उसके वेतन में वृद्धि होती जाएगी वैसे-वैसे वह घर, घर का सामान, विवाह का खर्च और पत्नी के लिए गहने खरीदने लगेगा। अधिक आय बढ़ने पर विलासिता का अधिक सामान और ब्रांडेड और महंगी वस्तुओं और सेवाओं पर अधिक खर्च करने लगता है।
निम्नलिखित कारणो से जीवनशैली की महंगाई लागू होती है -
- दिखावा - जब व्यक्ति की आय बढ़ती है, तब वह दिखाने का प्रयास करता है कि उसने खूब कमाया है, इसके लिए वह घर, कार, अलमारी, घड़ी और चश्मा आदि खरीदता है। अधिक आय बढ़ने पर क्लब का मेंबर बन जाता है और मोटी रकम खर्च करता है।
- प्रभाव ज़माना - अपने साथियों और सहकर्मियों में अपनी सफ़लता को दिखाने और उन पर प्रभाव जमाने के लिए अनावश्यक खर्च करता है।
- भावना - मैं सफल हूँ, मैंने कमाया है इसलिए मैं इन्हें खर्च करने का हकदार हूँ कि भावना के कारण आवश्यकता से अधिक खर्च कर देता है।
जब व्यक्ति की आय में वृद्धि होती है तो उसके साथ ही अपने खर्च को बढ़ा देता है। वह दूसरों को देखकर उनके बराबर व्यय करने लगता है तो कभी उनसे अधिक भी। वह बाजार से आवश्यकता खरीददारी कर एक तरफ अपना बजट बिगाड़ देता है तो दूसरी ओर बाजार मांग को बढ़ाकर मांग और आपूर्ति के संतुलन को अवस्थित (ऊपर खिंचका देता है) कर देता है, जिससे बाजार में मूल्य वृद्धि होने लगती है।
जीवनशैली की महंगाई कम कैसे करें?
आमतौर पर जब व्यक्ति की आय में वृद्धि होती है तो व्यक्ति अपने व्यय को भी बढ़ा देता है। अपनी बचत पर पर जोर देना बंद कर देता है। ऐसे में उसे बढ़ी हुई आय का कोई फायदा नहीं होता है क्योंकि आय के मुकाबले में वास्तविक खर्च के लिए राशि समान बनी रहती है। ऐसे में वो निम्नलिखित तरीके से अपनी आय में वृद्धि कर जीवनशैली की महंगाई को कम कर सकता है।
- स्वतः बचत योजना - विलासिता या जीवनशैली की महंगाई से निपटने के लिए व्यक्ति को स्वतः बचत योजना में निवेश करना चाहिए। जैसे बीमा, म्युचुअल फण्ड और आवर्ती जमा योजना आदि।
- वास्तविक और भावी आय को ध्यान में रखते हुए योजना - जब व्यक्ति अपनी वास्तविक और भावी आय को ध्यान में रखते हुए खर्च करे तो वह जीवनशैली की महंगाई को कम कर सकता है, क्योंकि वो अपनी वास्तविक आय के मुकाबले में नियंत्रित खर्च करेगा।
- अनुभवी लोगों की सलाह ले - खर्च करने से पहले अनुभवी लोगों की सलाह अवश्य लें। ऐसा करने से आप वाजिब दाम पर वस्तु खरीद पाएंगे और आवश्यक खर्च से भी बच जाएंगे। नया घर बनाने से पहले जिसने घर बनाया उससे सलाह ले ऐसा वाहन खरीदने या अन्य के लिए भी कर सकते हैं।
- अनावश्यक खर्च कम करे - जो भी आपके अनावश्यक खर्च है जैसे पार्टी, दिखावा और प्रभाव जमाने के लिए। ऐसे खर्च कम करे। इन्हें कम करने के लिए अपने खर्च को प्रतिमाह लिखते रहे ताकि अनावश्यक खर्च को पहचान कर कम किया जा सके।
- सावधानी से खर्च करे - आपको जब भी कोई बड़ा धन खर्च करना है तो सलाह लीजिए, खासतौर से पूंजीगत खर्च के लिए। दूसरी तरफ छोटे और अनावश्यक खर्च को काबू में रखे जो सिर्फ़ दिखावे के लिए किए जा रहे हैं।
खर्च को कम करने के लिए अनावश्यक खर्च को जानना बहुत जरूरी है, इसके लिए आप प्रतिदिन किए जाने वाले खर्च को लिखकर आवश्यकता खर्च की पहचान करे। फिर धीरे-धीरे ऐसे खर्च को कम करने के लिए आवश्यक कदम उठाए।
आवश्यक प्रश्न -
प्रश्न: पैसे बहुत आते टिकते क्यों नहीं?
उत्तर: जब पैसे बहुत आते हैं तो व्यक्ति अपनी जीवन-शैली की महंगाई को बढ़ा देता है, जिसके कारण जीतने भी पैसे आते हैं वो उच्च शैली का जीवन जीने में खर्च हो जाते हैं। इसे कम करने के लिए खर्च करने की आदत में सुधार करे।
प्रश्न: आय बढ़ने के साथ खर्च क्यों बढ़ जाते हैं?
उत्तर: जब व्यक्ति की आय बढ़ती है तो उसके साथ ही खर्च बढ़ा देता है। इसे अर्थशास्त्र की भाषा में जीवनशैली की महंगाई कहा जाता है, इसी के कारण आदमी आय की अपेक्षा में खर्च अधिक बढ़ा देता है।
प्रश्न: अनावश्यक खर्च को कम कैसे किया जा सकता हैं?
उत्तर: नमस्ते आय की अपेक्षा में खर्च अधिक होना याना जीवनशैली की महंगाई। इसे कम करने के लिए दिखावे के खर्च को कम करे किसी कि बराबरी में खर्च ना करे और अन्य अनावश्यक खर्च की पहचान के लिए खर्च को लिखते रहे ताकि आवश्यकता के खर्चों को पहचान वही करे अनावश्यक नहीं।
प्रश्न: बचत कि आदत कैसे डाली जा सकती है?
उत्तर: जब आपकी आय बढ़ती है तो उसके साथ खर्च भी बढ़ जाता हैं। ऐसे में व्यक्ति की बचत शून्य बनी रहती है, बचत को बढावा देने के लिए उसे प्रतिदिन के खर्च लिखकर अनावश्यक खर्च कम करने चाहिए।
प्रश्न: तनख्वाह की राशि महीने के अंत तक पूरी खत्म क्यों हो जाती है?
उत्तर: हो सकता है कि आपकी तनख्वाह प्रतिमाह बढ़ रही है और आपको अधिक बढ़ने की उम्मीद है, जिसके कारण आपकी जीवनशैली महंगाई अधिक है। इसे नियंत्रित करे अन्यथा जितने भी पैसे आएंगे खर्च होते रहेंगे।
0 टिप्पणियाँ