मारवाड़ राजस्थान के एक विशेष क्षेत्र को कहा जाता है। पूर्व काल में जोधपुर राज्य के अधीन आने वाले क्षेत्र को मारवाड़ के नाम से जाना जाता था। आज भी इस क्षेत्र को मारवाड़ कहा जाता है। इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों को मारवाड़ी और साथ ही इनके द्वारा बोली जाने वाली भाषा को मारवाड़ी भाषा कहा जाता है।
आज भारत समेत पूरी दुनिया में मारवाड़ी लोगों की पहचान तेज-तर्रार व्यापारी के रूप में है। मारवाड़ी शब्द कानो में पड़ते हैं व्यक्ति के मन में एक पारंपरिक परिधान में सजे-सधे व्यापारी की तस्वीर आँखों के सामने उभरकर आ जाती है।
मारवाड़ और मारवाड़ी का अर्थ -
राजस्थान राज्य का पश्चिमी हिस्सा जो अरावली पर्वतमाला से अन्य राजस्थान से अलग होता है तथा जहां बारिश नाममात्र की होती है, उसे मारवाड़ कहा जाता है। मारवाड़ शब्द 'मारवट' का अपभ्रंश है। मरवट या मरुवट का अर्थ मार देने वाला प्रदेश होता है। यहां दूर-दूर तक फैला रेगिस्तान जहां पानी की भयंकर कमी। गर्मी की ऋतु में 50° का तापमान और कंटीले झाड़। इस प्रदेश को लेकर कभी दिल्ली के बादशाह शेरशाह सूरी ने कहा "मुट्ठी भर बाजरे के लिए हिन्दुस्तान की बादशाहत खो देता।" इस प्रदेश को कहते हैं मारवाड़। बाद में जोधपुर की रियासत ही मारवाड़ कहलाने लगी। वर्तमान समय का जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर, जालोर और नागौर क्षेत्र मारवाड़ कहलाने लगा, जिसकी राजधानी जोधपुर थी।
इस प्रदेश के निवासियों को मारवाड़ी कहा जाता है। यहाँ के लोगों द्वारा बोली जाने वाली बोली (भाषा) को भी मारवाड़ी कहा जाता है। इस प्रदेश की विशेषता को देखते हुए यहां अधिकांश लोग व्यापार करने लगे जिसके कारण इसके आसपास यानी अरावली द्वारा विभाजित किया जाने वाला पूरा पश्चिम का हिस्सा ही मारवाड़ी व्यापारियों का प्रदेश कहलाने लगा।
क्यो प्रसिद्ध है मारवाड़ी?
मारवाड़ क्षेत्र के रहने वाले लोग 'मारवाड़ी' भारत समेत पूरे विश्व में फैले हुए हैं। यह विश्व के तमाम हिस्सों में फैले हुए लोग जहां भी रहते हैं, वहाँ अपना व्यवसाय करते हैं। मारवाड़ी लोगों की पहचान सफल व्यापारी के रूप में होने का कारण इनके द्वारा भारत समेत दुनिया के हर हिस्से में इनका अपना व्यवसाय है। जहां व्यवसाय और व्यापार की बात आती है, वहाँ मारवाड़ी व्यापारी का जिक्र ना हो ऐसा संभव ही नहीं।
व्यापार के सफ़ल संचालन के लिए मारवाड़ी लोगों की पहचान है और व्यापारिक कौशल के कारण ही यह दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। ब्रिटिश काल के दौरान भी मारवाड़ी व्यापारी जूट और कपड़े का व्यापार करते थे। उसके बाद भारत ने बढ़ते औद्योगिकीकरण के साथ ही इन्होंने अपने व्यापार का विस्तार और विविधीकरण कर लिया। आज दुनियाभर में इन्हें व्यापारिक साहस और नवप्रवर्तन के नेतृत्वकारी उद्घोषक के रुप में पहचाना जाता है। भारत में, मारवाड़ी व्यापारी की पहचान सेठ और साहूकारों के रुप में रही है, ऐसे में मारवाड़ी निवेश और बैंकिंग और वित्तीय प्रबंधन के कार्यो के लिए भी प्रसिद्ध हैं। वर्तमान समय में मारवाड़ी पेशेवर युवक चार्टर्ड अकाउंटेंट, कंपनी सचिव और सलाहकार के रुप में पहचान बना रहे हैं।
मारवाड़ी व्यापारियों का व्यावसायिक कौशल -
मारवाड़ी लोगों की हमेशा से पहचान व्यापारी के रुप में रही है, ऐसे में मारवाड़ी लोगों में व्यापारिक एंव व्यावसायिक कौशल जन्मजात पाया जाता है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का 6% हिस्सा मारवाड़ी व्यापारियों के पास है, ऐसे में आप समझ सकते हैं कि प्रत्येक मारवाड़ी का अपना खुद का व्यवसाय है। घर का माहौल भी व्यावसायिक ही होता है। घर का प्रत्येक सदस्य व्यापार से जुड़ा हुआ है। ऐसे में मारवाड़ी समुदाय के बच्चों को व्यापार और व्यवसाय के लिए विशेष शिक्षा और प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं है। इनके बच्चों का प्रशिक्षण घर से ही शुरु हो जाता है, इन्हें स्कूल भेजने का उदेश्य हिसाब-किताब सीखना होता है ना की इतिहास का अध्ययन। यहां एक कहावत हर घर में होती है, बच्चा हिसाब-किताब जानता ही है तो पिता के किसी काम से जाने पर दुकान को खुला रख ही लेगा। इसी कहावत के बल पर उसे व्यापार का वास्तविक प्रशिक्षण 12 साल की उम्र से ही मिलने लगता है।
मारवाड़ी लोगों का व्यवसाय पारिवारिक होता है, परिवार से ही उन्हें इस बात का अनुभव हो जाता है कि निवेश कहाँ करना है, कैसे करना है? जोखिम उठाने की शक्ति पारिवारिक होती है, इसी के कारण इन्हें व्यवसाय स्वयँ आगे बढ़ाता है। जोखिम के साथ ही निवेश के गुण और व्यवहार शैली व्यवसाय में ना सिर्फ स्थापित करती है बल्कि स्थायित्व भी प्रदान करती हैं।
क्यो सफल है, मारवाड़ी?
भारत और दुनिया के सफल व्यवसायियों की गणना की जाए तो अनेकों मारवाड़ी व्यापारियों के नाम उभरकर सामने आयेंगे। इनकी सफलता के पीछे जो राज है, उसे हर कोई जानना चाहता है तो आइये जानते हैं इनकी सफ़लता के राज -
- बेहतर निवेश - एक बेहतर निवेश ही आपको बेहतर प्रतिफल दे सकता है। अधिक जोखिम भरा निवेश आपकी शुरुआती पूंजी को ही खो सकती हैं। कुछ निवेश छोटे समय के लिए उपयुक्त हो सकते हैं लेकिन दीर्घकाल में प्रतिफल नहीं दे पाते हैं। मारवाड़ी व्यापारी को निवेश की समझ परिवार से ही प्राप्त हो जाती है, उनके निवेश शुद्ध प्रतिफल देने के साथ ही व्यापार को स्थायित्व प्रदान करने वाले होते है।
- व्यवसायिक साहस - कई लोगों के पास धन तो होता है किन्तु निवेश और व्यावसाय करने का साहस नहीं। मारवाड़ी लोगों में व्यवसाय शुरु करने का जो साहस होता है उसी का उन्हें प्रतिफल मिलता है।
- लचीला व्यवहार - मारवाड़ी व्यापारी व्यापार से संबंधित व्यवहार और नैतिक मूल्य परिवार से सीखता है, जिससे उनका व्यवहार व्यापार के प्रति अधिक लचीला हो जाता है। इसी व्यवहार के कारण वो ग्राहक के अनुरुप अपना व्यवहार बना उनसे लंबे समय तक रिश्ता बनाकर अपने व्यापार का स्वरुप बदल विस्तार करते रहते हैं।
- बेहतर वित्तीय प्रबंधन - मारवाड़ी लोग अल्प संसाधनो से निकले हुए लोग हैं। उनके परिवार आज जहां भी है उनकी पारिवारिक शिक्षा में अल्प संसाधनो से बेहतर प्रतिफल प्राप्त करने का कौशल हस्तांतरण मौजूद हैं। ऐसे में उनसे बेहतर वित्तीय संसाधनो का मितव्ययी तरीके से उपयोग किया जाना कोई नहीं जानता। मितव्ययी व्यवहार और समय से फैसला लेना उन्हें दुनिया के सर्वश्रेष्ठ व्यावसायियों की श्रेणी में खड़ा करता हैं।
- स्वयं द्वारा नेतृत्व - मारवाड़ी स्वयं निर्णय लेते हैं और संचालन में भी स्वयं अग्रिम पंक्ति में खड़े होते हैं। स्वयं द्वारा कार्य किए जाने से जो नियंत्रण स्थापित होता है वही उनकी सफ़लता का राज है। कई लोग दुकान तो लगा देते हैं लेकिन उन्हें उस काम की जानकारी ही नहीं होती या यह सोचकर कोई काम खुद नहीं करते कि मैं तो सेठ हूँ, मैं क्यों करूंगा? मैं तो सेठ हूँ, यह मारवाड़ी व्यापारियों के व्यवहार और कार्यो में होता ही नहीं है।
इनके अतिरिक्त रुपये का महत्व क्या है? जो मुनाफा हुआ उसका उपयोग कहाँ करना चाहिए यह उनके खून में होता है। मारवाड़ी लोग प्रतिस्पर्धा में व्यवहारिक प्रतिस्पर्धा करते हैं, मूल्य और तौल की नहीं। वो ग्राहक की समस्याओं का निवारण करने के लिए 24 घण्टे उपस्थित रहता है, हाथो हाथ उसकी समस्या का निपटारा करता है क्योंकि उसके स्वभाव में कल कर देंगे होता ही नहीं है। इसी के कारण वो सर्वश्रेष्ठ है।
क्यो पूरे भारत में फैले हुए है मारवाड़ी?
आप भारत के किसी भी कौने में चले जाए आपको मारवाड़ी व्यापारी अवश्य मिलेगा। मारवाड़ी व्यापारी देश के साथ विदेश तक फैले हुए हैं। एक आम लोकोक्ति मारवाड़ी लोगों के लिए कही जाती है, जहां व्यापार है, वहाँ मारवाड़ी है। ऐसे में क्या देश क्या विदेश? लेकिन सबके मन में एक सवाल जरूर आता है, आखिर यह मारवाड़ी सब जगह पहुंचे कैसे और पहुंचने के बाद वहीं के होकर कैसे रह गए? अपने क्षेत्र से बाहर जाने के बाद भी उनका व्यवहार क्यों नहीं बदला? तो कुछ तथ्य आपकी नजर में लाते हैं जिनकी बदौलत मारवाड़ी व्यापारी पूरी दुनिया में बिखर वही के होकर रह रहे हैं, अपने दिलों में अपनी संस्कृति और शिक्षा को समेटे हुए, ऐसे कुछ कारण निम्न है -
- पुराने समय से व्यापारी - मारवाड़ी लोग पुराने समय से व्यापारी थी। मारवाड़ी लोगों का सम्पूर्ण भारत में व्यापार का इतिहास ब्रिटिश हुकूमत से भी पुराना है। जो पुराने है वो सर्वत्र विद्यमान है तो मारवाड़ी भी व्यापार की दुनिया में सर्वत्र विद्यमान हैं।
- कड़ी से कार्य - मारवाड़ी लोग कड़ी में कार्य करते हैं। जहाँ उत्पाद का कच्चा माल उत्पादित होता है, वहाँ से माल उपभोक्ता को बेचा जाता है। मारवाड़ी एक कड़ी में काम करते हैं, जिसके कारण पूरे भारत के साथ ही यह विदेशों तक नेटवर्क को मजबूती देने के लिए बिखरे हुए हैं।
- राजस्थान में सीमित क्षेत्र - राजस्थान का ही एक विशेष हिस्सा जो पूर्व में जोधपुर रियासत था मारवाड़ है, इतने सीमित क्षेत्र के लोग मारवाड़ी है। यह सीमित क्षेत्र भी जल संकट से जूझ रहा हैं, ऐसे में इन्होंने व्यावसाय के लिए सीमा को तोड़कर अपना नेटवर्क पूरे भारत के साथ वैश्विक स्तर पर बना लिया।
- अनुकूलनशीलता - कोई व्यक्ति नोकरी के उदेश्य से दूसरे प्रदेश जाता है तब भी लौट अपने प्रदेश आ जाता है, किंतु मारवाड़ी व्यापार के लिए पूरे भारत में बिखरे हुए हैं और वो जहां है उस क्षेत्र के अनुकूलन हो वही के हो वही व्यापार कर रहे हैं, यह सब उनकी जैसा देश वैसा वेश की कहावत को चरितार्थ करने का अनूठा उदाहरण है।
- स्थायी व्यापार - मारवाड़ी लोगों का स्थायी व्यापार है, ऐसे में वो जहां पहुंच जाते हैं वही व्यापार शुरु कर उसे वही स्थायी कर देते हैं जिसके चलते जो मारवाड़ी, मारवाड़ को छोड़ बाहर चले गए वो वही रहने लग गए किन्तु उनका मारवाड़ के अन्य व्यापारियों के साथ आज भी ऐसा ही रिश्ता है जो मारवाड़ के साथ ही देश-विदेश के अन्य हिस्सों में रहते हैं।
मारवाड़ी एक बार कहीं भी दुकान खोल देता है तो अपने व्यवहार के कारण वहाँ के लोगों में अपनी गहरी साख स्थापित कर वही पर अपने व्यापार को स्थायी कर देता है, यही कारण है कि आज मारवाड़ी जहां पहुंच जाता है समझो उसकी अगली पीढ़ियां तब तक वहीं रहेगी जब तक वो अपने व्यवसाय का विस्तार कर दूसरी जगह उससे बेहतर व्यवसाय शुरु ना कर दे।
मारवाड़ी लोगों (व्यापरियों) की खासियत -
मारवाड़ी लोग जहां भी रहते वहाँ उनकी पहचान अन्य लोगों के बीच भी आसानी से की जा सकती है, इनकी दुकान की पहचान करना भी बहुत आसान है। ये लोग जहां जाते हैं वेश तो वहाँ का अपना लेते हैं अपने लसीले व्यवहार के कारण किन्तु अपनी शिक्षा और मूल व्यावहार को वैसा ही बनाया रखते हैं जो उनका वास्तविक है, ऐसे में इनकी पहचान आसान हो जाती है। इनकी पहचान इनकी खासियत से है, जिसे निम्न तत्व उजागर कर ही देते हैं -
- परिवार का व्यवसाय - मारवाड़ी लोगों का पारिवारिक व्यावसाय होता है। ऐसे में मारवाड़ी लोग रहते भी संयुक्त परिवार में है, परिवार ही इनकी शक्ति है। संयुक्त हिंदू परिवार के रुप में इनका व्यवसाय होता है जो परिवार के मुखिया द्वारा नियंत्रित होता है। पूरा परिवार व्यवसाय का हिस्सा होने के कारण सब व्यवसाय के प्रति समर्पित होने के साथ ही एक दूसरे के सहयोगी। पारिवारिक एकता और सहयोग इनके सफ़ल व्यापारी होने का मूलमंत्र है। जहां कहीं आपको सभी भाई एक व्यावसाय से जुड़े मिले तो समझो यह व्यापार मारवाड़ी व्यापारी का।
- मधुर व्यवहार - मारवाड़ी लोगों की पहचान उनके व्यापार के साथ व्यवहार से भी है। इनका व्यवहार मधुर होने के साथ ही व्यापार के प्रति झुका हुआ। जो ग्राहक एक बार इनके पास आ जाए उसे कभी दूर होने ही नहीं देते। 24 घण्टे आपकी सेवा में तत्पर को साक्षात करता है इनका व्यवहार।
- विक्रय की बजाय व्यक्तिगत रिश्ते पर जोर - जो ग्राहक एक बार भूल से भी दुकान तक पहुंच वो अगली बार योजना से वापस उसी दुकान पर कुछ खरीदने पहुंचे ऐसा वातावरण दुकान में बना ग्राहक को आकर्षित कर सके वो व्यापारी है, मारवाड़ी। मारवाड़ी जैसे तैसे माल बेचने में विश्वास नहीं करता है, यह अपने ग्राहको के साथ व्यक्तिगत रिश्ता बनाकर चलता है। ग्राहक को शिकायत का अवसर ही नहीं देना इनका एकमात्र लक्ष्य जो साक्षात करता है, "जो आए एकबार वो आए बार-बार।"
- स्वयं का व्यापार - मारवाड़ी लोगों को सेठ से संबोधित किया जाता है और व्यावसाय होता है व्यापार। सेठ जी दूसरे की दुकान पर काम क्यों करे? इनकी खुद की दुकान होती है इनके साहस के कारण। यह इनकी सबसे बड़ी खासियत भी है चार महीने में इतना सीख लेते हैं कि खुद का ही व्यावसाय शुरु कर देते हैं।
- इच्छाशक्ति से नेतृत्व - मारवाड़ी जब व्यापार की बात हो तो हमेशा आगे रहते हैं, ऐसे में व्यापार के कार्यो में पीछे कैसे रह सकता? अपनी स्वयं की इच्छा से व्यापार में होने वाले कार्यो के निष्पादन के लिए अग्रिम पंक्ति में आ खड़ा होता है एक मारवाड़ी। ऐसे में समझो किसी बड़े माॅल में आपको एक ही व्यक्ति नजर आ रहा है तो वो है मारवाड़ी।
भगवान यह दुकान तो आपकी ही है, आप भी। कोई समस्या हो जाए तो मैं बैठा हूँ ना। पैसे तो लगेंगे लेकिन शिकायत नहीं होगी। आप तो हर रोज आते हैं। आपके मोहल्ले या गॉव के वो हमेशा हमारे पास ही आते हैं उनसे पूछ लेना। ये शब्द कहीं बार-बार उपयोग में लिए जाते हैं तो वो है, मारवाड़ी व्यापारी का प्रतिष्ठान। यहां सामान नहीं व्यवहार मिलता है ऐसा व्यवहार ही इनकी सफलता का मंत्र।
अन्य प्रश्न
प्रश्न: मारवाड़ी कौनसी जाति हैं?
उत्तर: मारवाड़ी कोई जाति नहीं होती है, राजस्थान राज्य के मारवाड़ क्षेत्र के निवासियों को मारवाड़ी बोला जाता है तथा इनकी बोली (भाषा) को भी मारवाड़ी भाषा बोला जाता है।
प्रश्न: मारवाड़ी किस राज्य के होते हैं?
उत्तर: मारवाड़ी राजस्थान राज्य के है।
प्रश्न: मारवाड़ी क्या हैं?
उत्तर: राजस्थान राज्य के जोधपुर रियासत के अधीन आने वाले क्षेत्र को मारवाड़ कहा जाता है। इस क्षेत्र के निवासियों को मारवाड़ी कहा जाता है साथ ही इस क्षेत्र की भाषा भी मारवाड़ी ही कहलाती है।
प्रश्न: मारवाड़ में कौनसे जिले आते हैं?
उत्तर:मारवाड़ प्राचीन समय की जोधपुर रियासत थी इसके अधीन आने वाले जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, जैसलमेर और नागौर मारवाड़ कहलाते थे। हालांकि यहां ध्यान दे जैसलमेर स्वतंत्र रियासत थी लेकिन भौगोलिक विशेषता के कारण इसे मारवाड़ कहा जाता था।
प्रश्न: क्या मारवाड़ी और राजस्थानी एक ही होते हैं?
उत्तर: जी नहीं। प्रत्येक मारवाड़ी राजस्थानी है, किंतु सभी राजस्थानी मारवाड़ी नहीं। राजस्थान का एक विशेष क्षेत्र मारवाड़ कहलाता है और इसी क्षेत्र के लोग मारवाड़ी कहलाते हैं ना कि पूरे राजस्थान के लोग मारवाड़ी कहलाते हैं।
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