चार वर्षीय स्नातक कोर्स करने के फायदे। 4 Years Graduation Course

चार वर्षीय स्नातक कोर्स करने के फायदे। 4 Years Graduation Course

डिग्री लेना हर किसी कि दिली तम्मना होती है। हर कोई चाहता है कि वह किसी नामी विश्वविद्यालय से डिग्री ले। भारतीय युवाओं की बात करे तो पिछले कुछ समय से उनमे डिग्री लेने का क्रेज बढ़ा हैं। युवाओं के साथ ही सेवारत अधेड़ भी खुले विश्वविद्यालय से या स्वयंपाठी विद्यार्थी के तौर पर डिग्री लेने के लिए उत्साहित नजर आ रहे है। डिग्री लेकर हर कोई सेवा क्षेत्र में रोजगार के अवसर तो कार्यरत लोग उन्नति की राह को आसान करने की कोशिश करते हैं। इनके अतिरिक्त कई लोग अध्ययन तो कई शौक के लिए भी डिग्रीधारी बनने के लिए स्नातक कर रहे हैं। 
चार वर्षीय स्नातक कोर्स करने के फायदे। 4 Years Graduation Course

जब भी हमारे सामने स्नातक की बात होती है अथवा स्नातक कोर्स की बात होती है तो अक्सर हमारे मन में तीन वर्षीय कोर्स की छवी उभरकर सामने आ जाती है। लेकिन अब तीन वर्षीय स्नातक के दिन जाते नजर आने लगे हैं। नई शिक्षा नीति के अनुसार भारतीय विश्विद्यालय अब 3 वर्ष के साथ चार वर्षीय स्नातक कोर्स करवा रहे हैं। तीन वर्ष की जगह चार वर्ष का स्नातक का कोर्स छात्रों को भी आकर्षित करने लगा है क्योंकि यह तीन वर्षीय कोर्स के मुकाबले में अधिक फायदेमंद है।

क्या है चार वर्षीय स्नातक कोर्स?


भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों में स्नातक कोर्स अब तीन की बजाय साल साल का कर दिया गया है। चार वर्षीय स्नातक कोर्स को 8 सेमेस्टर (प्रतिवर्ष 2 सेमेस्टर) में बांटा गया है। प्रत्येक 2 सेमेस्टर को पूरा करने के साथ विद्यार्थी को अलग-अलग उपाधि प्रदान की जाएगी। चार वर्षीय स्नातक कोर्स की खासियत यह है कि महज दो सेमेस्टर को पूरा करने के बाद भी अगर आप आगे की पढ़ाई को छोड़ दे तो आपको 2 सेमेस्टर की पढ़ाई पूरी करने का प्रमाणपत्र प्राप्त होगा। ऐसे में प्रत्येक दो सेमेस्टर का अपना महत्व है, जो तीन वर्षीय स्नातक में दो वर्ष की पढ़ाई करने के बाद भी उसका कोई महत्व नहीं था बिना तीनों वर्ष की सभी परीक्षाओं के पास किए। लेकिन चार वर्षीय स्नातक में प्रत्येक वर्ष का महत्व है।

चार वर्षीय स्नातक कोर्स में विश्वविद्यालय द्वारा स्नातक (ऑनर्स) की उपाधि चार वर्ष का कोर्स करने के बाद दी जाती हैं, लेकिन आप बीच में ही छोड़ दे तब भी आपके द्वारा पढ़े गए प्रत्येक वर्ष (दो सेमेस्टर) का महत्व है।चार वर्षीय स्नातक कोर्स किताबी शिक्षा के साथ व्यावहारिक शिक्षा को भी समान महत्व देता है, उसी के चलते ग्रीष्मकालीन छुट्टियाँ में विद्यार्थी को व्यवहारिक ज्ञान प्राप्त करने के उदेश्य से प्रशिक्षण लेना होगा। 

चार वर्षीय स्नातक का पाठ्यक्रम और अंक (क्रेडिट) - 


चार वर्षीय स्नातक कोर्स तीन वर्षीय स्नातक से अलग है। यह कोर्स सेमेस्टर स्कीम में बंटा हुआ है, प्रत्येक वर्ष दो सेमेस्टर होते हैं, प्रत्येक सेमेस्टर में कौशल विकास अथवा प्रशिक्षण के भी अंक होते हैं, ऐसे में किताबी शिक्षा के अतिरिक्त व्यावहारिक शिक्षा को भी स्थान है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) के चार वर्षीय स्नातक के पाठ्यक्रम पर एक नजर। चार वर्षीय स्नातक कोर्स में प्रवेश लेने के लिए विद्यार्थी के पास 10+2 या समकक्ष योग्यता का होना अनिवार्य है। 

प्रथम वर्ष - प्रथम वर्ष दो सेमेस्टर में बंटा हुआ है। पहले सेमेस्टर में 5 विषय (कौशल विकास समेत) के प्रति विषय 4 क्रेडिट से कुल 20 क्रेडिट का कोर्स है वहीं दूसरे सेमेस्टर में भी 5 विषय (क्षेत्र प्रोजेक्ट/प्रशिक्षण समेत) 20 क्रेडिट है। 


प्रथम वर्ष के दो सेमेस्टर को पूरा करने के बाद शिक्षा छोड़ देने वाले विद्यार्थियों को भी अंडर ग्रेजुएट सर्टिफिकेट दिया जाएगा। 

द्वितीय वर्ष - द्वितीय वर्ष में भी दो सेमेस्टर है प्रत्येक सेमेस्टर 20 क्रेडिट का का है, द्वितीय वर्ष का 40 क्रेडिट का कोर्स पूरा करने वाले विद्यार्थियों को अंडर ग्रेजुएट डिप्लोमा दिया जाएगा। 

तृतीय वर्ष - तृतीय वर्ष के दोनों सेमेस्टर के 40 क्रेडिट के कोर्स को पूरा करने के पश्चात्‌ स्नातक की उपाधि मिल जाएगी। तृतीय वर्ष में विशेष कोर विषय और वैकल्पिक विषयों का ही अध्ययन करना होता है, जो आपके द्वारा चयनित किए किए गए संकाय के पाठ्यक्रमों से संबंधित होते हैं। 

चतुर्थ वर्ष - चतुर्थ वर्ष में ऑनर्स या अनुसंधान से सम्बन्धित उपाधि दी जाती है। चतुर्थ वर्ष में आपके द्वारा चुने गए विषय के परास्नातक प्रथम वर्ष का कोर्स पढ़ाया जाता है। इस वर्ष में चुने हुए संकाय के साथ मास्टर्स के विषय पढ़ने होते हैं। 

चार वर्षीय स्नातक कोर्स 3 की जगह चार वर्ष का का प्रत्येक वर्ष में दो सेमेस्टर है, कुछ विषय विश्वविद्यालय द्वारा निर्धारित है तो कुछ विद्यार्थी द्वारा ऐच्छिक विषय के तौर पर लेने होते हैं, उन्हीं विषय के आधार पर निर्धारित होता है कि आपकी स्नातक की उपाधि कला, वाणिज्य या विज्ञान संकाय की है। 

जो विद्यार्थी चार वर्षीय स्नातक कोर्स को पूरा कर लेते हैं और ऑनर्स की उपाधि प्राप्त कर लेते हैं वो विद्यार्थी एक वर्ष का अतिरिक्त कोर्स कर विश्वविद्यालय से मास्टर्स (परास्नातक) की उपाधि प्राप्त कर सकते हैं। 

जो विद्यार्थी तीन वर्ष का स्नातक कोर्स करते हैं, उन्हें मास्टर्स की डिग्री को पूरा करने में दो वर्ष का समय लगता है वहीं चार वर्षीय स्नातक कोर्स करने वाले विद्यार्थियों को 1 वर्ष में मास्टर्स डिग्री प्राप्त हो जाती है। 

चार वर्षीय स्नातक कोर्स के फायदे - 


चार वर्षीय स्नातक कोर्स पूरा करने वाले विद्यार्थियों को 3 वर्षीय कोर्स पूरा करने वाले विद्यार्थियों के मुकाबले में कई लाभ प्राप्त होते हैं। चार साल के स्नातक को करने वाले विद्यार्थियों को निम्न फायदे हैं - 
  • प्रत्येक वर्ष के लिए प्रमाणपत्र - चार वर्षीय स्नातक कोर्स चार वर्ष है। प्रत्येक एक वर्ष के कोर्स को पूरा करने के बाद विश्वविद्यालय द्वारा क्रमशः प्रमाणपत्र, डिप्लोमा स्नातक और स्नातक ऑनर्स की उपाधि दी जाती हैं। 
  • बीच में छोड़ने से नुकसान नहीं - 3 वर्षीय स्नातक कोर्स को दो वर्ष का पूरा करने के बाद छोड़ देने से बाद भी विद्यार्थी 10+2 ही रहता है, उसे पूरा 3 वर्ष का कोर्स करना अनिवार्य होता है, 10+2 से अतिरिक्त योग्यता को अर्जित करने के लिए। किंतु चार वर्षीय स्नातक कोर्स में प्रतिवर्ष प्रमाणपत्र प्राप्त होता है, जो अतिरिक्त योग्यता को दिलाता है। एक वर्ष का कोर्स करके छोड़ दे तब अंडर ग्रेजुएट सर्टिफिकेट, दो वर्ष पश्चात अंडर ग्रेजुएट डिप्लोमा तीसरे वर्ष स्नातक और अंतिम वर्ष स्नातक ऑनर्स प्राप्त होता है, ऐसे में प्रत्येक वर्ष का महत्व है बिना चार वर्ष का पूरा किये ही उसे 10+2 के अतिरिक्त योग्यता प्राप्त हो जाती है। 
  • एक वर्ष मे परास्नातक  - चार वर्षीय स्नातक कोर्स को पूरा कर लेने के बाद विद्यार्थी उसी विश्वविद्यालय या समान विषय मे परास्नातक (उस विश्वविद्यालय में चार वर्षीय पाठ्यक्रम से स्नातक का होना आवश्यक) की उपाधि देने वाले विश्वविद्यालय से एक वर्ष में परास्नातक कर सकते हैं।
  • कौशल विकास - चार वर्षीय स्नातक कोर्स में प्रतिवर्ष एक सेमेस्टर में चार क्रेडिट का कौशल विकास का कार्य होता है। इसके जरिए उपाधि प्राप्त करने के लिए कौशल विकास से सबंधित कार्य किए जाते हैं जो किताबी शिक्षा के अतिरिक्त है। 
  • प्रशिक्षण और क्षेत्र संबंधित प्रोजेक्ट कार्य - प्रत्येक वर्ष एक विषय कौशल ज्ञान से सम्बन्धित तो दूसरा प्रशिक्षण (इंटर्नशिप) से सम्बन्धित होता है।  
  • सीधे NET परीक्षा - चार वर्षीय स्नातक कोर्स को पूरा करने के पश्चात्‌ आप लेक्चरशिप के लिए राष्ट्रीय टेस्टिंग एजेंसी (NTA) द्वारा राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (NET) की परीक्षा मे सम्मिलित हो सकते हैं। 
  • बहुआयामी शिक्षा - चार वर्षीय स्नातक कोर्स में तीन वर्षीय स्नातक के मुकाबले में बहुआयामी है। इस कोर्स में किताबी शिक्षा के अतिरिक्त कौशल विकास और इन्टर्नशिप दी जाती हैं। 

चार वर्षीय स्नातक कोर्स में विद्यार्थी को शोध का अवसर प्राप्त होता है। नई शिक्षा नीति द्वारा इस कोर्स को शुरु किये जाने के कारण यह कोर्स आधुनिक है और समकालिक मुद्दो को कोर्स और पाठ्यक्रम में विशिष्ट स्थान है। 

चार वर्षीय स्नातक कोर्स के बाद नोकरी - 


चार वर्षीय स्नातक कोर्स के बाद क्या सरकारी नौकरी के लिए आवेदन किया जा सकता है? यह अक्सर प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों और उनके परिजनों के मन में आता है। कई लोग सोचते हैं कि एक वर्ष अतिरिक्त होने का अर्थ यह है कि स्नातक की योग्यता वाली परीक्षाओं का आवेदन चार वर्ष पूर्ण करने के बाद कर सकते हैं। एक वर्ष अतिरिक्त के साथ ही कुछ लोग सोचते होंगे की चार वर्षीय स्नातक ऑनर्स (रिसर्च) का अर्थ मास्टर डिग्री के समान ही है। 

आपकी ऐसी कोई शंका है तो आपको बता दे कि चार वर्षीय ऑनर्स स्नातक होने के बाद आप एक वर्ष में परास्नातक (मास्टर) कर परास्नातक सम्बन्धित प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग ले सकते हैं। स्नातक से संबंधित प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेने के लिए चार वर्षीय स्नातक कोर्स के तीन वर्ष के कोर्स को पूर्ण कर भी प्रतियोगी बन सकते हैं, क्योंकि तीन वर्ष में 120 क्रेडिट पूर्ण करने के बाद आप आवेदन कर सकते हैं। मास्टर डिग्री तब पूर्ण मानी जाती है जब इसके बाद एक वर्ष का अतिरिक्त कोर्स कर लिया जाता है। चार वर्षीय स्नातक कोर्स स्नातक + मास्टर (प्रवेशिका/ प्रथम वर्ष) के समान है। ऐसे में आप उन सभी नोकरी के लिए योग्य हैं जिनकी योग्यता स्नातक या समकक्ष है। 

चार वर्षीय स्नातक कोर्स में कौशल विकास के साथ ही इंडस्ट्री ट्रेनिंग दी जाती है, जिसके कारण कई बार स्नातक करने वाले युवाओं को ट्रेनिंग के दौरान ही जॉब मिल जाती है। ट्रेनिंग के दौरान व्यवहार कुशल विद्यार्थियों को इंडस्ट्री जॉब ऑफर कर देती है। एक समान्य तीन वर्षीय स्नातक कोर्स के मुकाबले में अतिरिक्त विषय और पाठ्यक्रम का अध्ययन करने के साथ व्यावहारिक शिक्षा प्राप्त करने से युवाओ में उद्यमिता के गुण उत्पन्न किए जाते हैं ताकि वो स्वयँ बाजारो में रोजगारों का सृजन कर सके। साथ ही आने वाले समय में सरकार द्वारा अतिरिक्त योग्यता वाली (खासतौर से चार वर्षीय स्नातक कोर्स) सरकारी नोकरियो की व्यवस्था की जा सकती हैं। 

चार वर्षीय स्नातक में प्रवेश की प्रक्रिया - 


चार वर्षीय स्नातक कोर्स में प्रवेश लेने के लिए विद्यार्थी द्वारा केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, विभिन्न प्रदेशों के प्रादेशिक माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, मुक्त विद्यालयी शिक्षा बोर्ड और अन्य संस्थाओं द्वारा 10+2 या समकक्ष शिक्षा प्राप्त करने के बाद विश्विद्यालय की वेबसाईट पर चार वर्षीय स्नातक कोर्स के लिए आवेदन करना होगा। ऑनलाइन आवेदन करते समय विश्वविद्यालय द्वारा मांगे गए सभी प्रमाणपत्र स्कैन कर जमा कराए। विद्यार्थी द्वारा अपेक्षित सभी जानकारी को सही से भरे, विश्वविद्यालय द्वारा मांगे जाने पर सभी दस्तावेज की हार्ड कॉपी स्वयँ उपस्थित हो कार्यालय में जमा कराए, अन्यथा आवश्यकता नहीं होगी काउंसलिंग से पूर्व। 

आपके द्वारा आवेदन किए जाने के पश्चात विश्वविद्यालय अपनी प्रवेश नीति के अनुसार प्रवेश परीक्षा या मेरिट के आधार पर सूची जारी करेगा। विश्वविद्यालय द्वारा सूची जारी किए जाने के पश्चात्‌ विद्यार्थी विश्वविद्यालय द्वारा निर्धारित की गई फीस जमा कराने के पश्चात प्रवेश ले सकते हैं। चार वर्षीय स्नातक कोर्स में प्रवेश के बाद विश्वविद्यालय द्वारा निर्धारित की गई सेमेस्टर फीस और परीक्षा फीस का भुगतान निर्धारित समय में कर सभी विषय की परीक्षा नियत समय से दे ताकि आपकी उपाधि में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न ना हो। 

चार वर्षीय स्नातक कोर्स कहाँ से करे? - 


चार वर्षीय स्नातक कोर्स आप भारत में मान्यता प्राप्त किसी भी विश्वविद्यालय से कर सकते हैं। किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर जाकर आप विश्वविद्यालय द्वारा संचालित किए जाने वाले कोर्स की सूची देखकर चार वर्षीय स्नातक कोर्स के लिए आवेदन कर सकते हैं। 

चार वर्षीय स्नातक कोर्स करने के लिए आप विश्विद्यालय के अधीन आने वाले कॉलेज से भी कर सकते हैं। आप इनके अतिरिक्त किसी मुक्त विश्वविद्यालय से भी स्नातक कोर्स कर सकते हैं। अगर आप किसी निजी विश्वविद्यालय से ऐसा कोई कोर्स करने जा रहे हैं तो पहले यूजीसी से मान्यता देख लीजिए साथ ही इस बात का ध्यान दे की निजी विश्विद्यालय ऐसा कोर्स कैम्पस से ही संचालित कर सकते हैं किसी शाखा या दूरस्थ संस्थान से नहीं। 

आजकल डिग्री संबंधित होने वाले अधिकांश फ्रॉड को निजी विश्वविद्यालय के स्वघोषित एजेंट द्वारा (जिनका विश्वविद्यालय से कोई संबंध होता तक ही नहीं है) अंजाम दिया जाता है। ऐसे लोग बिना विश्वविद्यालय की सहमति के ही डिग्री बना बांट देते हैं। तो दूसरी ओर कई विश्वविद्यालय भी इस प्रकार के कोर्स की डिग्री दे देते हैं, जिस कोर्स का संचालन यूजीसी की नियमो के अनुसार अनुचित है। विश्वविद्यालय द्वारा किए जाने वाले फ्रॉड से बचने के लिए आप यूजीसी की वेबसाइट पर विश्विद्यालय द्वारा संचालित किए जाने वाले कोर्स की सूची का जांच अवश्य करे। विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने के लिए विश्वविद्यालयों के कार्यालय से संपर्क करे किसी शाखा या एजेंट से नहीं। एजेंट द्वारा दी जाने वाली डिग्री का कोई महत्व नहीं होता है और ऐसी डिग्री से नोकरी पाने के लिए आवेदन करना या नोकरी पाना नियमो के विपरीत है जिसके कारण कारावास तक हो सकता है। 

समान्य प्रश्न -


प्रश्न - चार वर्षीय स्नातक कोर्स में प्रवेश प्राप्त करने के लिए न्यूनतम योग्यता क्या है? 

उत्तर - चार वर्षीय स्नातक कोर्स में प्रवेश प्राप्त करने के लिए 10+2 योग्यता का होना अनिवार्य है।

प्रश्न - चार वर्षीय स्नातक कोर्स के बाद मास्टर डिग्री का कोर्स कितने समय का है?

उत्तर - चार वर्षीय स्नातक कोर्स के मास्टर डिग्री एक वर्ष में की जा सकती है?

प्रश्न - क्या बी ए करने के बाद NET की परीक्षा दी जा सकती हैं?

उत्तर - अगर आपने भारत के किसी मान्यता प्राप्त विश्विद्यालय से चार वर्षीय स्नातक कोर्स के अंतर्गत बी ए किया है तो आप उस वर्ष की NET परीक्षा मे सम्मिलित हो सकते हैं।

प्रश्न - स्नातक पूरा करने की न्यूनतम अवधि कितने वर्ष की है?

उत्तर - स्नातक कोर्स पूरा करने की न्यूनतम अवधि 3 वर्ष की है।

प्रश्न - क्या अब बी ए मे भी कंपनी ट्रेनिंग लेनी होगी?

उत्तर - अगर आप तीन वर्ष की बजाय चार वर्षीय स्नातक कोर्स कर रहे हैं तो आपको बी ए के दौरान भी कंपनी ट्रेनिंग अनिवार्य रूप से लेनी होगी। 

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