चांदी की पायल की आकर्षक डिजायन और पहनने का महत्व। Payal Design

भारतीय संस्कृति में गहनों का बहुत महत्व है। शादी ब्याह और अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में औरतें गहनों से सज-धज ऐसे पहुंचती है जैसे कोई सामाजिक कार्यक्रम नहीं बल्कि कोई गहनों की प्रदर्शनी हो। सिर से पांव की छोटी उंगली तक महिलाएं गहने पहनती है, सभी प्रकार के गहनों का अपना महत्व है। गहना श्रृंगार की वस्तु हमेशा से रही है, जो आज भी है।
 

भारत में औरते गहनों की बहुत शौकीन होती है। जब भी वो किसी उपहार की मांग करती है तो उस समय वो सोने-चांदी के आभुषण को सबसे पहले मांगती है। शादी-ब्याह तय करते समय भी लड़की के परिजनों द्वारा लड़की के लिए गहने की मांग किया जाना कोई विशेष बात नहीं है। लेकिन आज हम ऐसे ही पायल, पाजेब की बात करने जा रहे हैं, जो एक गहना है। 


क्या होती है, पायल?


पायल या पाजेब जिसे कुछ लोग पायजेब भी कहते हैं, महिलाओं का एक गहना है। यह पैरों में पहना जाने वाला गहना है। यह टखने पर टिकी हुई होती है, इसी के कारण अंग्रेजी में इसे अंकलेट (Anklet) कहा जाता है। यह पायल सोने और चांदी दोनों क़ीमती धातुओं से बनाई जा सकती है। पायल कुँवारी और विवाहित सभी महिलाएं पहनती है। पायल चांदी की अथवा सोने की एक चैन (साँकल) जैसी एक वस्तु है जिसके निचले हिस्से पर घूंघरू भी लगे हुए होते हैं। पायल का कोई एक रूप नहीं है, य़ह विभिन्न डिजायन और तौल में उपलब्ध होती है, इसी के कारण इसकी विभिन्न डिजायन की बाजार में मांग की जाती रहती है। 

पायल महिलाओं द्वारा पैर की ऐड़ी से थोड़ा ऊपर टखने के चारो ओर पहना जाने वाला एक आभुषण है। इस गहने घूंघरू लगे होने के कारण इसे घूंघरू और नूपुर भी कहा जाता है। यह एक चांदी अथवा सोने की एक छड़ होती है, जिसके कारण कई लोग इसे छड़ा भी कहते हैं। पायल में एक कड़ी, हुक या नट लगा हुआ होता है, जिससे यह पैर के चारो और लपेट कर बाँध दी जाती है। पायल को खोला भी जा सकता है लेकिन अधिकांश महिलाएं इसके महत्व को ध्यान में रखते हुए खोलती नहीं है। 

पायल का महत्व -


पायल मात्र गहना ही नहीं है, इसके कई अन्य शारीरिक और मानसिक महत्व भी है। पायल पहनने से मस्तिष्क में शांति और शारीरिक बल की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि सिंधु घाटी सभ्यता के जमाने में भी महिलाओ द्वारा आभुषण पहने जाने का उल्लेख मिला है। पायल के कुछ महत्व निम्नलिखित है - 

  • शारीरिक ऊर्जा का सरंक्षण - मानव शरीर से निकलने वाली शारीरिक ऊर्जा पैरों के रास्ते से निकलती है तो चांदी विद्युत ऊर्जा का बेहतर संवाहक होने के कारण चांदी की पायल उस ऊर्जा को मानव शरीर में संरक्षित करने में मददगार साबित होती है। 
  • छनक से सकारात्मक वातावरण - पायल में घूंघरू लगे होते हैं, इसी कारण इसे घूंघरू और नूपुर कहा जाता है। इसे पहनकर चलने पर यह एक संगीत का निर्माण करती है, यह संगीत मानसिक सुख प्रदान करता है। 
  • पैर की वसा को कम करना - पायल अथवा पाजेब टखने पर पहना जाने वाला आभुषण है, यह टखने को आकर्षक बनाने के साथ ही इसकी वसा को कम करने में सहायक होता है। यह ठीक उसी प्रकार से काम करता है, जैसे आजकल कई मोटापा राहत देने के लिए बेल्ट दिए जाते हैं तथा मोटापा कम करने के लिए कोई वजन को उठाया जाता है। 
  • हड्डियाँ मजबूत करना - यह नियत जगह पर रहने से पैर की वसा कम होती है। इसके अतिरिक्त चांदी के घर्षण से और नीयत भार के बने रहने से पैरों की मांसपेशियां और हड्डियां मजबूत होती हैं। 
  • ब्लड सर्कुलेशन को नियंत्रित करना - पायल पहनने से ब्लड सर्कुलर नियमित हो जाता है जिससे पैरों में सूजन नहीं आती है। 
  • दर्द से राहत - पायल पहनने से पैरों की स्वतः कसरत होती रहती है। पैरों पर नियमित चांदी का स्पर्श होते रहने से पैरों में दर्द नहीं होता है।
  • पैर का दर्द कम करना - पायल पहनने से पैर की मांसपेशियां और हड्डियाँ मजबूत होती है जिसके कारण पैर का दर्द भी ठीक हो जाता है। 
  • मजबूत इच्छा-शक्ति - जब शरीर में नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न ना हो। मांसपेशियां और हड्डियाँ मजबूत हो तो महिला की इच्छा शक्ति का मजबूत होना लाजिमी है इसी मजबूत इच्छा-शक्ति के कारण वो परिवार के सभी सदस्यों में सामंजस्य स्थापित कर मजबूती से संचालित करती हैं। 

पायल महज गहना नहीं है यह महिला को एक शक्ति प्रदान करता है। उसके चलने से उत्पन्न होने वाला संगीत एक शांत और सुखद माहौल को निर्मित करता है। इसी सुखद माहौल के दम पर परिवार में सुख, शांति और वैभव बढ़ता है। 

महिलाएं क्यों पहनती है, घुँघरू वाली पायल?


महिलाएँ गहने की शौकिन होती है, श्रृंगार महिला का पसंदीदा काम है। पायल को गहने के तौर पर पहनती है। पैरों के श्रृंगार में पायल का महत्व है। अधिकांश महिलाएं घूंघरू वाली पायल को एक समान्य पायल के मुकाबले में अधिक योगदान देती हैं। खासतौर से नवविवाहित महिला घूंघरू वाली पायल अधिक पहनती है, समान्य पायल के मुकाबले में। नवविवाहिता महिला के चलने से पायल की छनक एक मधुर ध्वनि बिखेरती है, इसी के कारण यह पायल पहनी जाती है। 

पायल सुहाग की निशानी के तौर पर भी पहनी जाती है तो घुँघरू वाली पायल अपने प्रेमी को रिझाने के लिए। पायल की छनक मधुर संगीत के साथ सकारात्मक ऊर्जा का वातावरण तैयार करती है, जिससे घर में शांति को बढावा मिलता है। साथ ही महिलाओ द्वारा घूंघरू वाली पायल इसलिए भी पहनी जाती है जो छड़ से अलग होते हैं और स्वतंत्र होते हैं जिससे उनका पैर से अधिक स्पर्श होता है। पैर से चांदी का अधिक स्पर्श होने से पैर की मांसपेशियां और हड्डियाँ मजबूत होती है। 

पायल कि कुछ खास डिजायन -


पायल पहनने का इतिहास बहुत पुराना है बहुत पहले से पायल पहनी जाती थी। पायल पहनने का इतिहास सिंधु घाटी सभ्यता से होने के अवशेष मिले हैं। समय के साथ पायल को अधिक आकर्षक और फैशन का गहना बनाने के लिए इसकी डिजायन में बदलाव होता रहा है, हम यहां कुछ विशेष डिजायन की बात करेंगे क्योंकि डिजायन तो दिन-प्रति दिन बदलती रहती है, ऐसे में कोई विशेष डिजायन नहीं हो सकती है लेकिन कुछ खास डिजायन अवश्य है, जो सभी प्रकार की डिजायन में समाहित होती है तो आइये बात करते उन खास डिजायन की जो सभी पायल में उपलब्ध होती है। 

साँकल (चैन) - 


यह साधारण पायल है, यह चांदी की चैन नुमा होती है। इसमे जड़ाई का बहुत ही कम काम होता है। इसमे थोड़े से घूंघरू लगे हुए होते हैं। यह एक साँकल ही होती है, जो नियमित रुप से पहनी जाने वाली पायल है। इस तरह की पायल पर अधिक कलाकारी और मीनाकारी नहीं होती है। यह अन्य पायल के मुकाबले में सस्ती होती हैं। 

घूंघरू वाली पायल - 


इस प्रकार की पायल में घूंघरू लगे हुए होते हैं। महिला के चलने पर छन-छन की आवाज आती है, जो मधुर ध्वनि के साथ सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं। इस तरह की पायल विशेषतौर से बच्चे और नववधू के लिए उपयुक्त होती है। यह पायल दिल को सुकून देने वाली होती है जिसके कारण प्रेयसी अपने प्रेमी को रिझाने के लिए पहननी है। नववधू अपने पति से प्रेम को प्रगाढ़ करने के लिए इस प्रकार कि पायल को विशेष महत्व देती हैं। 

मटर वाले घूंघरू - 


इस प्रकार कि पायल में मटर के दाने के आकार के घूंघरू लगे हुए होते हैं। महिला के चलने पर छन-छन की आवाज नहीं करते हैं ये चांदी के स्पर्श से पैरों को मजबूती देने में सहायक होते हैं। मटर के दाने वाले घूंघरू कठोर होते हैं तथा अंदर से खोखले नहीं होते हैं और ना ही इन्हें कड़ी से जोड़ा जाता है जो समान्य घूंघरू की तरह हिलते रहे, जिसके कारण ऐसे घूंघरू वाली पायल समान्य पायल से अधिक मजबूत और भारी होती है। 

झालर वाली पायल - 


झालर वाली पायल में चैन के नीचे चांदी की झलरी लगी हुई होती है। इस कारण इसे झालर वाली पायल कहते हैं। आजकल अधिक वजन और पायल को अधिक आकर्षक बनाने के उदेश्य से साँकल पर 4-5 झालर भी लगाई जा सकती है। इस झालर में भी कई प्रकार की पत्ती और फूलों की डिजायन दी जा सकती है। 

जड़ाव और मीनाकारी वाली पायल - 


जड़ाव में चैन पर या चैन के नीचे के हिस्से में नगीने लगे हुए होते हैं, साथ ही विभिन्न प्रकार की कलाकृतियां की जाती है इसलिए इसे जड़ाव वाली पायल कह सकते हैं। इस तरह की पायल में आप महंगे रत्न लगा सकते हैं। यह पहनने से अधिक दिखावे का गहना है जिसके कारण इसकी घड़ाई अन्य प्रकार की पायल से अधिक होती है क्योंकि मीनाकारी में अधिक मेहनत लगती हैं। 

आजकल बाजार में विभिन्न डिजायन की पायल उपलब्ध है। ऊपर बताई गई डिजायन महज नमूने के लिए है। वर्तमान में तौल के मुताबिक पायल बनने के कारण चटाई के आकार की, कमरबंद आकार की और अन्य कई प्रकार की पायल बाजार में मिल जाती है। एक ही पायल में आपको सभी डिजायन मिल सकती है। गुंथी हुई तार के साथ आपको कड़ी से बनी हुई पायल भी बाजार में मिल सकती है। 

पायल की कोई नियत डिजायन नहीं है आप सुनार की दुकान जा अपनी पसंद की डिजायन का भी ऑर्डर दे सकते हैं, सुनार उस डिजायन के अनुरूप पायल बना सकता है क्योंकि चांदी और सोने का काम हाथ से होता है जिसके कारण इसकी कोई नियत डिजायन नहीं होती है। मशीन से होने वाले कार्यो की एक नियत डिजायन हो सकती है लेकिन हाथ से होने वाले काम की नीयत डिजायन नहीं होती है। आप हमेशा यह ध्यान रखें कि गहनों में कितनी मुनाकारी अधिक होती है, गहने शुद्ध होने की प्राययिकता उतनी ही कम होती जाती है जिससे उनकी उम्र पर भी प्रभाव होता है। 

निष्कर्ष -


पायल औरतों का गहना है। इसका श्रृंगार में योगदान है। पायल पैर में पहनी जाती है लेकिन इसका महत्व बहुत अधिक है। पायल का महत्व एक सुहागिन ही जानती है, इसलिए कोई भी शादी वर पक्ष की तरफ से आने वाले गहनों में बिना पायल के संभव ही नहीं है। वधु पक्ष की तरफ से अपनी बेटी के लिए जो गहने की मांग की जाती है, उनमे पायल नहीं होती है किन्तु वर पक्ष की तरफ से जो गहने वधु को उपहार स्वरूप दिए जाते हैं उनमे पायल अवश्य होती है। पायल कोई मांगने योग्य गहना नहीं है यह एक आवश्यक गहना है, इसी के कारण इसे वर पक्ष की तरफ से आवश्यक मानते हुए ही दिया जाता है। आज से नहीं बल्कि पहले से ही भारत में विवाह पूर्व मंगनी की रस्म होती रही है। भारत में होने वाली मंगनी में लड़के वालों की तरफ से लड़की को जो गहने दिए जाते हैं कई बार उसमे पायल प्रमुखता से होती हैं।

पहले विशेषतौर से ग्रामीण इलाक़ों में लड़की के अलावा नन्हें लड़के को नहीं पायल पहना दी जाती थी। बच्चे जब चलने के लिए कदम उठाते थे तो पायल की छन-छन आवाज आती थी। इस आवाज को सुनकर बच्चे और कदम उठाने को उत्साहित होते। इससे बच्चे चलने में माहिर हो जाते, चलना ठीक से सीखने के बाद बच्चे इस बात की कोशिश करते जिससे बच्चे इस प्रकार से चले जिससे पायल के घुँघरू की आवाज आ सके। यह प्रक्रिया बच्चों को कलात्मक तरीकों से चलने में पारंगत करती थी। वर्तमान में इस प्रकार की कला को सिखाने के लिए विभिन्न प्रकार के शैक्षिक संस्थान और कला केंद्र बने हुए हैं जो व्यक्तित्व विकास के नाम से कोर्स चला मोटी रकम की वसूली करते हैं, लेकिन पहले यह काम पायल ही सीखा देती थी।

पायल चांदी से बनने वाला एक आभूषण है जो सुहाग की निशानी भी है। साथ ही पारम्परिक रूप से पहना जाने वाला आभुषण है। चांदी के इस आभूषण में कई प्रकार के गुण हैं उसी के कारण इसका अत्यधिक प्रचलन है। यह एक प्रकार का लचीला गहना है जिसका वजन और डिजायन सुनिश्चित नहीं होता है। इसी के कारण इसकी मांग आज फैशन के दौर में भी बहुत अधिक है। आवश्यकता, फैशन, मांग और कला के अनुसार इसे आकार और डिजाइन दी जा सकती हैं। आजकल महिलाएं अपनी इच्छा के अनुसार इसे सुनार को ऑर्डर दे बना सकती है। सुनार अपने ग्राहक की आवश्यकता के अनुसार वजन, रत्न और नाप की पायल बना देते हैं। गहने बनाने की कला एक बड़ी कलाकारी है, इसी कला को सिखाने के लिए परंपरा के साथ आजकल विभिन्न तकनीकी संस्थानों द्वारा भी शिक्षा दी जा रही है। 

सजना संवरना महिलाओ की आदत होती है लेकिन संस्कार को देखे को 16 श्रृंगार भी हमारी संस्कृति रही है। उसी संस्कृति को बचाने के लिए पायल और अन्य आभुषण पहने जाते हैं। साथ ही वर्तमान समय दिखावे का समय है। व्यक्ति अपनी आय और संपदा का समाज में प्रदर्शन करना चाहता है। इस प्रदर्शन के लिए महंगी वस्तुओ का क्रय करता है ताकि खुद को अपने दोस्तों और अन्य लोगों से अलग दिखा सके। ठीक उसी प्रकार महिलाएं अपनी पारिवारिक संपदा के प्रदर्शन के लिए गहनों को विशेष महत्व देती है। आजकल महंगे हीरे और रत्नों की मांग बढ़ रही है, इसी के साथ चांदी के स्थान पर सोने की पायल और मीनाकारी के साथ रत्न जड़ित पायल की मांग भी बढ़ रही हैं। आजकल प्रेमी भी अपनी प्रेमिका को सोने-चांदी के उपहार देते हैं तो अंगुठी के बाद दूसरे स्थान पर पायल आती हैं।

अन्य प्रश्न -


प्रश्न: पायल का अर्थ क्या है?

उत्तर: नूपुर और घूंघरू लगी हुई पैर में पहनने की एक साँकल।

प्रश्न: पायल के पर्यायवाची क्या है?

उत्तर: पायल, पायजेब, पाजेब, घूंघरू, नूपुर और छड़ा।

प्रश्न: पायल आभूषण को कहां पहना जाता है?

उत्तर: पायल महिलाओं द्वारा पैर में पहना जाने वाला एक आभुषण है।

प्रश्न: पायल की खास डिजायन के क्या नाम है?

उत्तर: साँकल, झालर, घूंघरू, मटर के घूंघरू, मीनाकारी और रत्न जड़ित।

प्रश्न: पायल की रेट क्या है? 

उत्तर: पायल की कोई निश्चित रेट नहीं है। यह भार, कलाकार, मीनाकारी और रत्नों के मूल्य से तय होती है। 

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