अरविंद केजरीवाल के एक तीर के दो निशान असफल प्रयास। Swati Maliwal

अरविंद केजरीवाल के एक तीर के दो निशान असफल प्रयास। Swati Maliwal

दिल्ली में पिछले दस साल से सत्ता में काबिज आम आदमी पार्टी में इन दिनों बड़ा ड्रामा चल रहा है। पार्टी के चुनाव चिह्न पर राज्यसभा पहुंची और लगभग आठ साल (वर्ष 2015 में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी के पूर्ण बहुमत से सत्ता में आने के बाद से जनवरी, 2024 में राज्यसभा सदस्य चुने जाने तक) महिला आयोग की अध्यक्षा रही स्वाति मालीवाल ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निजी सहायक विभव कुमार पर मारपीट और बदसलूकी का केस लगा दिया। स्वाति मालीवाल द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी के मुताबिक 13 मई, 2024 को स्वाति मालीवाल जब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर (कैम्प ऑफिस) उनसे मिलने के के लिए पहुंची, वहाँ मुख्यमंत्री के निजी सहायक को कॉल किया लेकिन कोई जबाब नहीं मिला तो वो अंदर चली गई। वहाँ मौजूद स्टाफ ने उन्हें बताया कि मुख्यमंत्री यहीं है तो वो सोफ़े पर बैठ इंतजार करने लगी। 

मुख्यमंत्री के पहुंचने से पहले उनका निजी सहायक विभव कुमार वहाँ पहुंचा और स्वाति मालीवाल से उलझ गया। इसके बाद विभव कुमार ने मालीवाल के साथ मारपीट भी की। मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक स्वाति मालीवाल के गले पेट और गाल पर चोट के निशान भी है।

मारपीट को लेकर क्या कह रहे हैं, लोग?


स्वाति मालीवाल के साथ हुए अमानवीय व्यवहार के बाद लोग सोशल मीडिया साइट्स पर अजीब तरीके से पेश आ रहे हैं। अधिकतर लोग जो इस घटनाक्रम की भर्त्सना करते हैं, वो अरविंद केजरीवाल को ही पूरे मामले में घसीट रहे हैं। कई का मत है कि मुख्यमंत्री का निजी सहायक ऐसा नहीं कर सकता बिना मुख्यमंत्री की अनुमती के। तो कई लोग सीधे ही सवाल पूछ रहे हैं कि मुख्यमंत्री के निजी सचिव द्वारा एक महिला के साथ मुख्यमंत्री आवास पर क्रूरता की है, ऐसे में मुख्यमंत्री को उन्हें हटा देना था। हालांकि मुख्यमंत्री ने अपने निजी सचिव की गिरफ्तारी के बाद बीजेपी कार्यालय पर धरना देने का ऐलान कर दिया।

दूसरी तरफ कई सोशल मीडिया का उपयोग करने वाले इस पूरे मामले को राज्यसभा से जोड़कर देख रहे हैं। राज्यसभा सीट को फसाद की जड़ बता रहे हैं, कुछ ट्वीट आप नीचे चित्र में देख सकते हैं।

ट्विटर से लेकर फेसबुक तक भरे पड़े है ऐसी पोस्ट से। हर किसी का एक ही आक्षेप कि राज्यसभा है फसाद। हर किसी के पास एक ही तर्क है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की चुनाव से पूर्व पेरोल पर जमानत कराने वाले कांग्रेस के वरिष्ट नेता, भारत सरकार के पूर्व मंत्री और सुप्रीम कोर्ट के वकील अभिषेक मनु सिंघवी को मुख्यमंत्री तोहफे के तौर पर राज्यसभा भेजना चाहते थे। इसके लिए स्वाति मालीवाल से इस्तीफा दिलाना चाहते थे लेकिन बात नहीं बनी।

स्वाति मालीवाल से हुई मारपीट के बाद दो दिन तक उनकी तरफ से कोई मुकदमा दर्ज नहीं कराया गया ना ही आम आदमी पार्टी की तरफ से इस मामले पर कोई ब्यान आया। लेकिन 2 दिन बाद आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस कर स्वाति मालीवाल के साथ हुए अमानवीय व्यवहार की निष्पक्ष जांच की बात कही। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद मालीवाल द्वारा मुक़दमा दर्ज कराया गया।

संजय सिंह द्वारा की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस पर भी सोशल मीडिया में खूब बवाल मचा और कई उपयोगकर्ता ने इसे संजय सिंह द्वारा अपने बचाव (राज्यसभा सदस्यता) के लिए की गई प्रेस कांफ्रेंस बता दी।

अरविंद केजरीवाल अपनी ही पार्टी के नेताओं को ठिकाने लगाने के बेताज बादशाह -


अरविंद केजरीवाल के पहचान एक सफल नेता दबाने वाले राजनेता के रूप में है। ऐसे में उनके इस कृत्य का कारण भी खुद को फसाद से दूर रखकर स्वाति मालीवाल को पार्टी और राज्यसभा सांसद से किनारे करने की कोई साजिश भी हो सकती है। इसी तरह का इशारा करते हुए भारतीय जनता पार्टी की नेत्री और पूर्व में आम आदमी पार्टी की नेता रही साजिया इल्मी ने इसे अरविंद केजरीवाल के इशारे पर हुई मारपीट करार दिया है।


इस के भी कई मायने है क्योंकि अरविंद केजरीवाल से सभी भली-भांति परिचित है, किस प्रकार से उन्होंने अपनी ही पार्टी के नेताओ को बेइज्जत कर पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया हर कोई जानता है। खासतौर से अरविंद केजरीवाल ने उन सभी नेताओ को पार्टी से बाहर किया जो वर्ष 2006 से अरविंद केजरीवाल के गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) से जुड़े हुए थे। उनमे से कुछ कुमार विश्वास, कपिल मिश्रा, आशुतोष, प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव पार्टी छोड़ चुके हैं। अधिकांश ने अरविंद केजरीवाल को भ्रष्टाचारी बताया और कुमार विश्वास का मामला राज्यसभा का रहा। इसके अलावा जो दिल्ली में विधायक या सांसद है उनमे मनीष सिसौदिया (पूर्व उपमुख्यमंत्री), सत्येंद्र जैन (पूर्व मंत्री) और संजय सिंह (सांसद) जेल जा चुके हैं। हालाँकि संजय सिंह अब बाहर है।

ऐसे में यह जगजाहिर है कि अरविंद केजरीवाल खुद को बचाने के साथ ही खुद को पार्टी में सर्वश्रेष्ठ नेता बनाये रखने के लिए किसी की भी पार्टी से निकासी कब और कैसे करा दे? कोई नहीं जानता।

कौन है स्वाति मालीवाल -


स्वाति मालीवाल दिल्ली (केंद्र शासित राज्य) से देश के सर्वोच्च सदन राज्यसभा की आम आदमी पार्टी से निर्वाचित सदस्य है। उनका निर्वाचन इसी साल हुआ है, जिसकी शपथ उन्होंने फरवरी, 2024 में ली। इससे पहले वर्ष 2015 से दिल्ली महिला आयोग की लगातार आठ वर्ष तक अध्यक्षता रही। महिला आयोग कि अध्यक्षा रहते हुए इन्होंने बीजेपी को हमेशा से घेरने का काम किया। अरविंद केजरीवाल के करीबी नेताओं में से एक है।

स्वाति मालीवाल ने वर्ष 2006 में अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसौदिया द्वारा स्थापित किए गए एनजीओ 'परिवर्तन' से समाज सेवा की दुनिया में कदम रखा। 2011 में अन्ना हज़ारे के नेतृत्व वाले 'इंडिया अगेंस्ट करप्शन' आन्दोलन से जुड़ी। इसके बाद कई साल दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा रही। स्वाति मालीवाल, अरविंद केजरीवाल के करीबी और राजनीति में आने से पहले से अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में कार्य कर चुकी राजनेता है।

कौन है, विभव कुमार?


विभव कुमार अरविंद केजरीवाल के निजी सहायक है। बिहार निवासी विभव कुमार पहले एक मैग्जीन के लिए काम करते थे 2011 में 'इंडिया अगेंस्ट करप्शन' आंदोलन के दौरान अरविंद केजरीवाल के सम्पर्क में आए। अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के सत्ता में आने के बाद 2015 में अरविंद केजरीवाल ने इन्हें अपना पीए बना दिया। जो अप्रैल 2024 तक पीए रहे। 

वर्तमान में विभव कुमार को सतर्कता निदेशालय ने उत्पाद शुल्क नीति मामले में जांच के बाद पद से मुक्त कर दिया है। कुमार पर पहले भी जल विभाग में घोटाले के आरोप को लेकर फरवरी 2024 में इनके घर पर ई डी की रेड हुई थी। विभव कुमार को अरविंद केजरीवाल के विश्वसनीय लोगों में से माना जाता है। 

एक तीर से दो निशान - 


अरविंद केजरीवाल अपनी ही पार्टी के विख्यात नेताओ को पार्टी से बाहर करने के लिए कुख्यात है। अब हो सकता है कि एक तीर से कम से कम दो तीर मारने की कोशिश की है। जो निम्न है 
  1. अपनी जमानत के लिए और भ्रष्टाचार के केस की पैरवी के लिए महँगा वकील शामिल करना 
  2. आगे बढ़ते नेता और पीए को पार्टी से बाहर करना। 

इस बार तीर चलाने के लिए केजरीवाल खुद हमेशा की तरह पर्दे से परे रहने के प्रयास में थे, लेकिन बात नहीं बनी तो अब पर्दे पर आए हैं। लोग कहते हैं केजरीवाल को इससे शर्मिंदगी सहनी पड़ी और पार्टी में टूट आई। लेकिन उनका इतिहास देखे तो यह केजरीवाल का इतिहास रहा है, कभी अपने दोस्त को पार्टी से बाहर कर किसी धनी को ले आए तो कभी किसी ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए तो उन्हें ही बदनाम किया। 

हालांकि यह तो निश्चित है कि केजरीवाल के लिए अब दिन पहले जैसे नहीं रहे हैं। खुद जेल जा चुके हैं और अधिकांश नेता खुद जानबूझकर केजरीवाल के साथ उस मजबूती से नहीं खड़े है जैसा पहले देखने को मिलता था। इस बार किसी नेता के खिलाफ खुद ही ने मोर्चा संभाला और धरना दिया। एक भ्रष्टाचार के आरोप झेल रहे बर्खास्त सहायक के सामने झुके हुए नजर आ रहे हैं। सुनने में आ रहा है कि जहां फसाद हुआ वहाँ के सीसीटीवी फुटेज के साथ छेडछाड की गई है और विभव कुमार ने भी अपना फोन फॉर्मेट कर दिया है। ऐसे में यह सब किसी गहरी साजिश के साथ होने के साफ संकेत है और मामला भी इतना भारी पड़ गया है, जिसे केजरीवाल के लिए संभलना मुश्किल है। घटना भी ऐसे समय में हुई है, जब केजरीवाल को 15 दिन बाद निश्चित रुप से जेल जाना ही है। समय की कमी और खुद द्वारा खेला जाने वाला खेल साथियो द्वारा खेल लेने से केजरीवाल के चेहरे की चमक को फीका कर रहा है। 

यहां केजरीवाल एक तीर से दो शिकार करने की सोच रहे थे, लेकिन अब उनको ही दो तीर लग गए हैं। 

  1. महँगे वकील को राज्यसभा नहीं भेज पाना 
  2. साथियो द्वारा सहयोग की जगह धोखा। 

खैर जो भी सत्य है उसे तो बाहर आना ही है, लेकिन जो ख़बरें बाजार में है, उसे आप तक पहुंचाने का हमारा कर्तव्य है तो हम देते रहेंगे सूत्रों और चर्चाओं के आधार से। 

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