राजस्थान सरकार ने हाल ही में सरकारी नौकरी में 50% सीट महिलाओ के लिए आरक्षित करने का फैसला किया है। बीजेपी ने विधानसभा चुनाव के समय अपने घोषणापत्र में महिलाओ को 50%आरक्षण देने का वादा किया था, उसी वादे को पूरा करने के लिए यह घोषणा अंतरिम बजट सत्र से पूर्व कर दी है।
राजस्थान सरकार ने यह घोषणा तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती के लिए होने वाली आगामी भर्तियों के लिए यह घोषणा की है। सरकार के इस फैसले की घोषणा मुख्यमंत्री ने की। मुख्यमंत्री ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि महिलाओं के सशक्तिकरण और सर्वागीण विकास के लिए पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में यह वादा किया था, जिसे अब सरकार पूरा करने जा रही है।
संकल्प पत्र का एक और वादा हमारी सरकार ने किया पूरा...
— Bhajanlal Sharma (@BhajanlalBjp) June 14, 2024
राजस्थान की नारी शक्ति के सर्वांगीण उन्नयन की दिशा में हमारी सरकार द्वारा तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में महिलाओं के लिए आरक्षण की सीमा 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने का निर्णय लिया गया है।
यह निर्णय 'सशक्त नारी,… pic.twitter.com/rKROdc2Tuu
क्या था पहले प्रदेश में महिला आरक्षण का नियम -
राजस्थान प्रदेश की सरकार द्वारा महिलाओ को तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में 50% आरक्षण देने का फैसला किया है, जो पहले 30% था। सरकार द्वारा पहले से चले आ रहे 30% महिलाओं के आरक्षण को बढ़ाकर 50% किए जाने की घोषणा की है। सरकार अब पहले से चले आ रहे महिलाओं को दिए जाने वाले 30% आरक्षण में 20% की बढ़ोतरी करते हुए, इसे कुल 50% करने जा रही है।
कैसे लागू होगा 50% महिला आरक्षण?
कई लोगों को महिला आरक्षण को लेकर विभिन्न प्रकार के भ्रम है। कई लोग प्रश्न कर रहे हैं कि महिला आरक्षण से उनके वर्ग की पोस्ट पर प्रभाव होगा। ऐसे ही कई लोग मानते हैं कि पहले जिस प्रकार से किसी भी रिक्ति में अलग-अलग पद विभिन्न वर्ग के लिए आरक्षित होते थे ठीक उसी प्रकार से आगे कुल पद में से 50% पद महिला के लिए आरक्षित हो जाएंगे। शेष पद समान्य वर्ग के साथ आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए होंगे।
ऐसे जो भ्रम फैलाए जा रहे हैं, उनका वास्तविकता से कोई सम्बंध नहीं है। ऐसे भ्रम लोगों द्वारा अपनी समझ से या किसी अन्य कारण से फैलाए जा रहे हैं, इसके बारे मे स्पष्ट नहीं कह सकते हैं। किन्तु हम बताने जा रहे हैं, आपको वर्गीकरण के बारे में की किस प्रकार से आरक्षण दिया जाएगा।
50% महिला आरक्षण वर्गवार दिया जाएगा, जैसा आप तक 50% दिया जाता रहा है। महिलाओ को उसी वर्ग में 50% दिया जाएगा, जिस वर्ग से उनका सम्बंध है। महिलाओ का आरक्षण खुला आरक्षण नहीं है। ऐसे में किसी वर्ग विशेष को प्रभाव नहीं होगा। सभी वर्गों को समान रूप से से प्रभावित करेगा।
उदाहरण से इसे आप कुछ इस तरह से समझ सकते हैं। अगर तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा के लिए आयोग द्वारा 20000 पद जारी किए गए तो उसमे 10000 पद महिलाओ के लिए सुरक्षित होंगे किन्तु समान्य वर्ग या किसी अन्य वर्ग से नहीं। ये 10000 पद वर्गवार आरक्षित होंगे। ऐसे में कुल 20000 में से 10000 पद इस तरीके से सुरक्षित किए जाएंगे।
पहले वर्गवार आरक्षण को समझ लीजिए। कुल 20000 पद पर आरक्षण इस तरीके से है (पद रोस्टर के अभाव में कम ज्यादा हो सकते हैं, लेकिन हम आरक्षण को ध्यान में रखते हुए काल्पनिक उदाहरण पेश कर रहे हैं। इसे आप सही ना समझे क्योंकि पिछले लंबे समय से पद आरक्षित किए गए प्रतिशत के अनुसार नहीं आ रहे हैं। उसका कारण अलग है। लेकिन फिर भी हम उदाहरण के लिए पद प्रतिशत निर्धारित आरक्षण के अनुसार रख रहे हैं।
वर्ग | प्रतिशत | पद |
---|---|---|
सामान्य | 36 | 7200 |
ओबीसी | 21 | 4200 |
एससी | 16 | 3200 |
एसटी | 12 | 2400 |
ईडब्ल्यूएस | 10 | 2000 |
एमबीसी | 5 | 1000 |
कुल | 100 | 20000 |
राजस्थान में 50% महिला आरक्षण लागू किए जाने के बाद निर्धारित आरक्षण के अनुसार पद की संख्या का विभाजन इस प्रकार से हो सकता है, जिसकी टेबल नीचे दी गई है। आपको एक बार पुनः बता देते हैं कि यह टेबल ऊपर दिए गए काल्पनिक उदाहरण से ही बनाई गई है।
वर्ग | प्रतिशत | सामान्य पद (50%) | महिला आरक्षित पद (50%) | कुल |
---|---|---|---|---|
सामान्य | 36 | 3600 | 3600 | 7200 |
ओबीसी | 21 | 2100 | 2100 | 4200 |
एससी | 16 | 1600 | 1600 | 3200 |
एसटी | 12 | 1200 | 1200 | 2400 |
ईडब्ल्यूएस | 10 | 1000 | 1000 | 2000 |
एमबीसी | 5 | 500 | 500 | 1000 |
कुल | 100 | 10000 | 10000 | 20000 |
राजस्थान में विभिन्न वर्गों के लिए निर्धारित किए गए आरक्षण के आधर पर ही हममे आपको समझाया है। लेकिन पिछले लंबे समय से खासतौर से ओबीसी वर्ग के लिए रोस्टर नियमो का पालन नहीं किए जाने से भर्ती विज्ञापनों में पदों की संख्या निर्धारित आरक्षण के अनुसार नहीं होती है। ऐसे में हम पहले ही स्पष्ट कर देते हैं कि इतने प्रतिशत ही पद मिलेंगे यह आवश्यक नहीं है।
लेकिन आपको यह समझना चाहिए कि अधिकाँश भर्ती में ओबीसी वर्ग के पद कुल विज्ञप्ति के पदो के 15% के आसपास रहते हैं, ऐसे में आप 15% मान ले तो आधे ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए खुले (सामान्य) रहेंगे शेष 50% महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगे। ऐसा ही अन्य वर्ग में रहेगा।
राजस्थान में 50% महिला आरक्षण का क्यों हो रहा है विरोध?
राजस्थान प्रदेश की भजनलाल सरकार द्वारा 50% पद (तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती) महिलाओ के लिए आरक्षित किए जाने के पाश्चात् विभिन्न छात्र संगठन, विपक्ष और प्रतियोगी पुरुष युवा विरोध कर रहे हैं। उनके द्वारा विरोध किए जाने का कारण 50% पद आरक्षित किया जाना है। युवा (पुरुष) अभ्यर्थियों का कहना है कि सरकार द्वारा 50% पद महिलाओ के लिए जिस प्रकार से आरक्षित किए हैं, उससे लगता है कि आने वाले समय में 70% पदो पर महिलाओ की भर्ती सुनिश्चित हो जाएगी।
युवाओं द्वारा 70% का दावा किए जाने का कारण है कि खुले पदों पर भी महिलाओ की नियुक्ति को रोका नहीं जाना। पहले 50% पदो को सामान्य रखते हुए अगर शेष 50% पदो पर आरक्षण दिया जाता है तो इसका अर्थ है कि पहले 50% पद महिला और पुरुष दोनों के लिए होंगे। शेष बचे 50% पद पर केवल महिलाएं ही योग्य होगी। ऐसे में स्पष्ट है अगर किसी भर्ती में समान्य वर्ग के पहले 50% पद पर मेरिट के अनुसार महिला और पुरुष समान संख्या में सफल हो जाते हैं। तो उस वर्ग में कुल 100% पदों पर 25% पुरुष और शेष 75% महिलाये चयनित होगी।
यदि तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में महिला का आरक्षण 50% आरक्षित हुआ! @madandilawar
— Krishna Verma (@Krishna07128294) June 22, 2024
तो महिलाएं कुल भर्ती के 70% पद को भर देगी@BhajanlalBjp pic.twitter.com/yMnebVrURg
पुरुष युवा प्रतियोगी पिछले आंकड़ों के आधार पर दावा कर रहे हैं कि जब महिलाओ का आरक्षण 30% था तब महिलाओं का चयन कुल पद संख्या के 40% होता था। अब सरकार द्वारा इसे बढ़ाकर 50% कर दिया तो वो कुल पद संख्या के 70% पदों पर चयनित होगी।
सरकार और मंत्रियों के भ्रामक ब्यान -
एक तरफ युवा सरकार द्वारा तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती मे दिए गए महिलाओ को 50% आरक्षण से ही नाराज चल रहे हैं। पुरुष युवा अभ्यर्थियों की नाराजगी सोशल मीडिया से सड़कों पर साफ देखी जा रही है। दूसरी ओर सरकार के मंत्री महिलाओ को 50% आरक्षण तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती से आगे सभी सरकारी पदों पर देने का ऐलान कर रहे हैं। ऐसे में युवाओं का विरोध भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। जब युवा विरोध चरम पर आया तो सरकार के शिक्षामंत्री का नया ब्यान आया।
#Jaipur थर्ड ग्रेड में महिलाओं को आरक्षण एल-1 कैटेगिरी में मिलेगा@madandilawar @RajGovOfficial @shashimohan_s #RajasthanWithZee pic.twitter.com/GEObf3xHUQ
— ZEE Rajasthan (@zeerajasthan_) June 21, 2024
सरकार के शिक्षामंत्री मदन दिलावर ने नया ब्यान दिया कि सरकार द्वारा हाल ही में तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में महिलाओं के लिए घोषित किए गए 50% आरक्षण का लाभ केवल लेवल-1 मे ही मिलेगा। आपको बता दे लेवल-1 शिक्षक वो होते हैं जो कक्षा 1-5 तक पढ़ाते हैं और उनकी योग्यता बीएड की बजाय बीएसटीसी होती है। लेकिन यहां यक्ष प्रश्न अब भी वही है कि अगर यह लेवल-1 में दिया जा रहा है तो फिर सरकार द्वारा जब घोषणा की गई तब यह बात क्यों नहीं बताई गई। ऐसे में युवा अपना तर्क देते हुए बता रहे हैं कि सरकार का यह फैसला कैसे माना जा सकता है, जब वो खुद ही अंधेर में है।
कुछ लोग कह रहे हैं, बिहार की तरह हो जाएगा भंग -
हाल ही में बिहार सरकार द्वारा बढ़ाए गए आरक्षण को पटना हाई कोर्ट ने अवैध करार देते हुए उसे रद्द कर दिया। बिहार सरकार द्वारा दिए गए आरक्षण को रद्द किये जाने के बाद युवा इसे एक किरण की नजर से देखने लगा है। युवाओं के साथ विभिन्न संघठन भी इसे एक शानदार फैसला बताते हुए तर्क दे रहे हैं कि इसी आधार पर राजस्थान में भी बढ़ाया हुआ आरक्षण कोर्ट में पहुंचते ही रद्द कर दिया जाएगा।
हालांकि हम आपको बता दें कि बिहार और राजस्थान में दिए गए आरक्षण का मूल स्वरुप और प्रकृत्ति अलग अलग है। ऐसे में इसे बिहार की तर्ज़ पर रद्द नहीं किया जा सकता है। बिहार की सरकार द्वारा दिया गया आरक्षण, आरक्षण के मूल स्वरुप के विरुद्ध था। लेकिन राजस्थान में दिया गया आरक्षण, आर्कषण के मूल स्वरूप के विरुद्ध नहीं है।
बिहार की सरकार ने सरकारी नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए आरक्षण की उपरी सीमा 60% (ईडब्ल्यूएस का 10%मिलाकर) को पार कर दिया। बिहार सरकार ने ईडब्ल्यूएस को मिला कर कुल आरक्षण 75% कर दिया। बिहार सरकार ने ओबीसी वर्ग के आरक्षण को 12 प्रतिशत से 18%, ईबीसी 18 प्रतिशत से 25%, एससी 16 प्रतिशत से 20%, एससी 1% प्रतिशत से बढ़ाकर 2% करने का प्रस्ताव पारित किया। पहले जो कुल 47% आरक्षण था, उसे बढ़ाकर 65% और 10% ईडब्ल्यूएस का मिलाकर 75% हो रहा था। कोर्ट ने सरकार के इस फैसले को संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के विरुद्ध करार देते हुए रद्द कर दिया।
हालांकि राजस्थान सरकार द्वारा महिलाओं को दिया गया 50% आरक्षण संविधान के खिलाफ नहीं है। यह आरक्षण की उपरी सीमा को प्रभावित नहीं करता है, ऐसे में इसे रद्द नहीं किया जा सकता है। राजस्थान सरकार द्वारा दिए गए आरक्षण में किसी वर्ग विशेष के पदो को प्रभावित नहीं करता है, ऐसे में इसे आप संविधान के खिलाफ नहीं कह सकते हैं।
क्यों बता रहे हैं सरकार के कदम को राजनीति -
सरकार द्वारा किया गया फैसला ना तो किसी रिपोर्ट पर आधारित है और ना ही विधानसभा में सर्वसम्मति या बहुमत से लिया गया फैसला। दूसरी ओर सरकार के मंत्रियों के कदम दर कदम बदलते ब्यान भी यह बात का सबूत है कि सरकार द्वारा किया गया फैसला सभी को विश्वास में लिए बिना किया गया है। बिना विश्वास और सहमति का फैसला राजनीति नहीं है तो क्या हैं? सरकार के मंत्रियों द्वारा दिए गए ब्यान का मूल घोषणा से मेल नहीं खाना भी इस बात को इंगित करता हैं।
सरकार द्वारा जब सरकारी नौकरी में महिलाओं को 50% आरक्षण देने का हक देता है तो शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए महिलाओं को इतना आरक्षण क्यों नहीं देता? दूसरी तरफ मुख्यमंत्री स्वयं ने घोषणा करते समय इसे अपने चुनावी घोषणा पत्र का वादा बताते हुए घोषणा की। चुनावी घोषणा को बिना सभी के हितों को ध्यान में रखते हुए जब धरातल पर उतार दिया जाए तो इसे राजनीति ना कहा जाए तो क्या कहा जाएगा?
क्या हो सकता है, अब?
सरकार द्वारा दिया गया यह आरक्षण संविधान के विरुद्ध नहीं है, किंतु यह समानता के अधिकार के खिलाफ है। यह लिंग भेद को साफ बढावा देता है। पुरुषों पर महिलाओ को ना सिर्फ प्राथमिकता है ब्लकि महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले अधिक अधिकार से रहा है। जब तक सरकार कुल पद में अधिकतम (समान्य +आरक्षित) 50% महिलाओ की भर्ती की घोषणा नहीं करती है, तब तक इसे पुरुषों के हकों के खिलाफ ही कहा जा सकता हैं। ऐसे में पुरुष इसका विरोध तेज कर सकते हैं।
- विरोध से वापस लिया जा सकता है - अगर पुरुष युवाओ का विरोध जारी रहता है तो सरकार इसे वापस ले सकती है। ऐसा ही भारतीय जनता पार्टी कि केंद्र में सरकार के द्वारा पारित तीन कृषि कानून के मामले में देखा गया था। इसके अतिरिक्त ड्राइवर हड़ताल के समय भी यातायात के बदले कानून को वापस लेने में देखा गया।
- समिति का गठन हो सकता है - सरकार किसी समिति का गठन कर सकती है और समिति द्वारा दिए गए सुझावों से लागू कर सकती है। जहां तक समिति की बात है वो इस बात का ख्याल रखेगी की महिलाओ की नियुक्ति कुल पद संख्या में 50%से अधिक ना हो।
- कोर्ट द्वारा वापस हो सकता है - कोर्ट द्वारा इसे रद्द किए जाने के चांस ना के बराबर है, फिर भी उम्मीद इस बात की है की कोर्ट वर्गवार आरक्षण से ऊपर उठकर कोई निर्णय ले। सभी पुरुष प्रतियोगिता को एक अनारक्षित वर्ग मानकर उनका हिस्सा संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के अनुसार तय करे।
आरक्षण के खिलाफ कब तक विरोध जारी रहेगा? सरकार झुकेगी या पुरुष प्रतियोगी आन्दोलन खत्म कर देंगे। यह सब भविष्य की गर्त में है, जो जल्द ही दिख जाएगा।
0 टिप्पणियाँ