वर्तमान समय कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligency - AI) का युग है। AI ने मनुष्य के लिए कार्य आसान बनाए हैं और देशों के लिए प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ने के नए अवसर खोले हैं। AI का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में हो रहा है, जैसे कि स्वास्थ्य, शिक्षा, और उद्योग। यह एक तरफ जहां रोजगार के अवसर पैदा कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ नई चुनौतियां भी पेश कर रहा है। AI का भविष्य उज्ज्वल है, लेकिन इसके प्रभावों को समझना भी जरूरी है।
आज सभी देश कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उपयोग करके खुद को साबित करने के लिए प्रयासरत हैं। AI के क्षेत्र में निरंतर शोध और अनुसंधान के माध्यम से इसका विकास हो रहा है, जिससे नए अवसर और चुनौतियां उत्पन्न हो रही हैं। देश AI का उपयोग स्वास्थ्य, शिक्षा, उद्योग, और रक्षा जैसे क्षेत्रों में कर रहे हैं। AI की प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ने के लिए देश नए-नए तरीके अपनाकर अपने कौशल और संसाधनों का विकास कर रहे हैं।
हाल है अमेरीका के स्टैनफोर्ड फोर्ड विश्वविद्यालय (Stanford University) द्वारा जारी की गई, वैश्विक रैंक में अमेरीका और चीन के बाद भारत को तीसरे पायदान पर काबिज किया है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता की दुनिया में भारत को तीसरी रैंक दिए जाने के बाद कई लोग जानना चाहते हैं, आखिर भारत को यह रैंक किस आधार पर दी गई। अमेरिकी विश्विद्यालय द्वारा सर्वे किस आधार पर किया गया और यह रैंकिंग कैसे दी गई।
AI का अर्थ का प्रकार -
AI का पूर्ण रूप आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) है, जिसे हिंदी में कृत्रिम बुद्धिमत्ता कहा जाता है। यह कंप्यूटर और मशीनों को मानव जैसी बुद्धि प्रदान करती है ताकि वे सोच सकें, सीख सकें, निर्णय ले सकें और जटिल समस्याओं का समाधान कर सकें। AI मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है: नैरो AI (Narrow AI), जो किसी विशेष कार्य के लिए डिज़ाइन की जाती है जैसे भाषा पहचान या इमेज प्रोसेसिंग, और जनरल AI (General AI), जो मानव स्तर की व्यापक बुद्धि विकसित कर सके। आजकल अधिकतर उपयोग नैरो AI का ही होता है।
AI का उपयोग कई क्षेत्रों में हो रहा है। स्वास्थ्य सेवा में यह रोग निदान में मदद करता है, वित्त में धोखाधड़ी का पता लगाने में सहायक है, परिवहन में स्वचालित वाहन चलाने में और मनोरंजन में सिफारिश प्रणाली जैसे Netflix और YouTube में किया जाता है। AI उत्पादकता बढ़ाता है, समय बचाता है और मानवीय त्रुटियों को कम करता है। मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग AI के प्रमुख तकनीकी उपकरण हैं, जो डेटा से पैटर्न सीखकर निर्णय लेने में सक्षम बनाते हैं।
AI के विकास के साथ कुछ चुनौतियाँ भी हैं, जैसे गोपनीयता का उल्लंघन, रोजगार पर प्रभाव और नैतिक मुद्दे जैसे पूर्वाग्रह। भविष्य में जेनरेटिव AI और उन्नत मशीन इंटेलिजेंस नई क्रांति लाएंगे। कुल मिलाकर, AI आधुनिक दुनिया का अभिन्न हिस्सा बन चुका है और यह हमारे जीवन के हर क्षेत्र में बदलाव ला रहा है।
स्टैनफोर्ड की रैंकिंग किस आधार पर -
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी का ग्लोबल AI वाइब्रेंसी टूल 2025 देशों की AI प्रतिस्पर्धात्मकता को मापने के लिए बनाया गया है। यह रैंकिंग 2024 के डेटा पर आधारित है और सात प्रमुख स्तंभों के आधार पर देशों का मूल्यांकन करती है। इन स्तंभों में अनुसंधान एवं विकास, प्रतिभा, अवसंरचना, जिम्मेदार AI, अर्थव्यवस्था, नीति एवं शासन और जनमत शामिल हैं। प्रत्येक स्तंभ में विभिन्न संकेतकों को वेटेड स्कोर दिया जाता है, जो कुल स्कोर बनाने में मदद करता है।
- अनुसंधान एवं विकास (R&D): - इस स्तंभ में किसी देश द्वारा AI क्षेत्र में किए गए शोध और विकास की गहनता को मापा जाता है, जिसमें प्रकाशित AI पेपर, पेटेंट और नवाचार शामिल हैं। उच्च गुणवत्ता और मात्रा दोनों ही इस रैंकिंग को प्रभावित करते हैं।
- प्रतिभा (Talent): - प्रतिभा स्तंभ में AI विशेषज्ञों की संख्या, उनकी योग्यता और शिक्षा स्तर को मापा जाता है। उच्च प्रशिक्षित और कुशल विशेषज्ञ देश की AI प्रतिस्पर्धा बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- अवसंरचना (Infrastructure): - यह स्तंभ देश में उपलब्ध तकनीकी संसाधनों पर ध्यान देता है, जैसे उच्च गति कम्प्यूटिंग पावर, डेटा सेंटर, क्लाउड सेवाएं और नेटवर्क क्षमता, जो AI अनुसंधान और विकास को सक्षम बनाती हैं।
- जिम्मेदार AI (Responsible AI): - इस स्तंभ में AI के नैतिक उपयोग, सुरक्षा मानक, गोपनीयता नीतियाँ और जिम्मेदार AI प्रथाओं को मापा जाता है। इसका उद्देश्य तकनीकी विकास के साथ समाज और मानव हितों का संरक्षण सुनिश्चित करना है।
- अर्थव्यवस्था (Economy): - अर्थव्यवस्था स्तंभ में AI क्षेत्र में निवेश, स्टार्टअप्स की संख्या, बाजार का आकार और वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता शामिल होती है, जो देश की AI क्षमता को मजबूत बनाती है।
- नीति एवं शासन (Policy & Governance): - इसमें सरकार की AI नीतियों, नियमों, विनियमन और समर्थन कार्यक्रमों की समीक्षा की जाती है। स्पष्ट और सुदृढ़ नीतियां AI विकास को दिशा देती हैं।
- जनमत (Public Opinion): - जनमत स्तंभ AI के प्रति जनता की धारणा, स्वीकार्यता और विश्वास को मापता है। सकारात्मक जनमत AI अपनाने और तकनीक के समाज में प्रसार के लिए महत्वपूर्ण है।
रैंकिंग की प्रक्रिया में प्रत्येक स्तंभ को वेट दिया जाता है और कुल स्कोर तैयार किया जाता है। 2024 में भारत का कुल स्कोर 21.59 रहा, जो पिछले साल की तुलना में सुधार दर्शाता है। यह टूल नीति-निर्माताओं और शोधकर्ताओं को AI प्रगति ट्रैक करने, सुधार की दिशा तय करने और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में स्थिति समझने में मदद करता है। भारत की तीसरी रैंक यह दर्शाती है कि देश AI के क्षेत्र में तेजी से उभर रहा है और भविष्य में वैश्विक AI नेतृत्व के लिए मजबूत स्थिति में है।
भारत को AI रैंकिंग में कितने अंक मिले?
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की 2025 ग्लोबल AI वाइब्रेंसी इंडेक्स रिपोर्ट में भारत का तीसरा स्थान हासिल करना देश की तकनीकी प्रगति का स्पष्ट प्रमाण है। यह उपलब्धि दर्शाती है कि भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में तेजी से एक वैश्विक शक्ति के रूप में उभर रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका 78.60 अंकों के साथ पहले स्थान पर है, जहां भारी निवेश, मजबूत टैलेंट बेस और उन्नत इंफ्रास्ट्रक्चर इसकी प्रमुख ताकत हैं। चीन 36.95 अंकों के साथ दूसरे स्थान पर है, जो रिसर्च और कंप्यूटिंग पावर में मजबूत स्थिति दर्शाता है।
| रैंक | देश | अंक | मुख्य ताकत |
|---|---|---|---|
| 1. | अमेरिका | 78.60 | निवेश, टैलेंट, इंफ्रास्ट्रक्चर |
| 2. | चीन | 36.95 | रिसर्च, कंप्यूटिंग पावर |
| 3. | भारत | 21.59 | स्टार्टअप्स, नीतियां |
| 4. | दक्षिण कोरिया | 17.24 | इनोवेशन, टेक इकोसिस्टम |
| 5. | यूनाइटेड किंगडम | 16.64 | रिसर्च, टैलेंट पूल |
भारत को 21.59 अंक मिले हैं, जो दक्षिण कोरिया और यूनाइटेड किंगडम जैसे विकसित देशों से अधिक हैं। भारत की इस प्रगति के पीछे तेजी से बढ़ता स्टार्टअप इकोसिस्टम, सरकार की AI-अनुकूल नीतियां, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर और युवा तकनीकी प्रतिभा की बड़ी भूमिका है। खास बात यह है कि भारत ने 2023 में सातवें स्थान से छलांग लगाकर चार पायदान ऊपर चढ़ते हुए यह मुकाम हासिल किया है।
यह रैंकिंग 2024 के डेटा पर आधारित है, जिसमें अनुसंधान, प्रतिभा, निवेश, नीतियों और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे कई महत्वपूर्ण पहलुओं का मूल्यांकन किया गया है। भले ही अमेरिका का स्कोर भारत से लगभग 3.6 गुना अधिक हो, लेकिन भारत की तेज प्रगति यह संकेत देती है कि आने वाले वर्षों में वह AI नवाचार और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में और मजबूत भूमिका निभाने के लिए पूरी तरह तैयार है।
भारत की AI के क्षेत्र में तीसरी रैंक के कारण -
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की 2025 ग्लोबल AI वाइब्रेंसी इंडेक्स रिपोर्ट में भारत का तीसरा स्थान हासिल करना देश की तकनीकी क्षमता और रणनीतिक नीतियों का प्रमाण है। यह रैंकिंग अमेरिका और चीन के बाद भारत को वैश्विक AI परिदृश्य में एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में स्थापित करती है। बीते कुछ वर्षों में भारत ने प्रतिभा, नीति, निवेश और अवसंरचना के स्तर पर उल्लेखनीय प्रगति की है, जिसका सीधा असर इस उपलब्धि में दिखता है। भारत की AI रैंक के 5 मुख्य कारण -
- मजबूत प्रतिभा आधार - भारत के पास सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग, डेटा साइंस और मशीन लर्निंग में विशाल और कुशल मानव संसाधन है। IITs, IISc और निजी संस्थान लगातार AI विशेषज्ञ तैयार कर रहे हैं।
- सरकारी नीतियां और मिशन - IndiaAI Mission, Digital India और Startup India जैसी पहलों ने अनुसंधान, नवाचार और जिम्मेदार AI विकास को स्पष्ट दिशा दी है।
- AI स्टार्टअप इकोसिस्टम - हेल्थटेक, फिनटेक, एग्रीटेक और भाषा आधारित AI समाधानों में स्टार्टअप्स की तेज वृद्धि ने भारत को वैश्विक निवेशकों के लिए आकर्षक बनाया है।
- विदेशी निवेश और साझेदारी - Amazon, Microsoft, Google जैसी कंपनियों ने भारत में क्लाउड, AI लैब्स और रिसर्च सेंटर्स में अरबों डॉलर का निवेश किया है।
- इंफ्रास्ट्रक्चर और कंप्यूटिंग क्षमता - डेटा सेंटर्स, GPU क्लस्टर और रिसर्च सुविधाओं के विस्तार से भारत की AI क्षमताएं मजबूत हुई हैं।
प्रतिभा, नीतिगत समर्थन, निवेश और तकनीकी अवसंरचना के संतुलन ने भारत को वैश्विक AI शक्ति बनाया है। यदि यही गति बनी रही, तो भारत भविष्य में AI सुपरपावर बनने की ओर तेजी से बढ़ सकता है।
भारत में AI के प्रमुख स्टार्ट-अप -
भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) स्टार्ट-अप्स तेजी से उभर रहे हैं और हेल्थकेयर, फिनटेक, रिटेल, कस्टमर सर्विस तथा भाषा तकनीक जैसे क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव ला रहे हैं। ये कंपनियां न केवल घरेलू जरूरतों को पूरा कर रही हैं, बल्कि वैश्विक बाजार में भी भारत की तकनीकी क्षमता को स्थापित कर रही हैं। नीचे भारत के कुछ प्रमुख AI स्टार्ट-अप्स और उनके कार्यों का विवरण दिया गया है। प्रमुख AI कंपनियां और उनके कार्य निम्नांकित है -
- Sarvam AI – भारतीय भाषाओं के लिए बड़े भाषा मॉडल (LLMs) विकसित करता है, जिससे लोकल भाषा आधारित AI एप्लिकेशन संभव हो रहे हैं।
- Qure.ai – मेडिकल इमेजिंग में AI का उपयोग कर टीबी, स्ट्रोक और फेफड़ों की बीमारियों की पहचान करता है।
- SigTuple – पैथोलॉजी और रेडियोलॉजी में AI-आधारित डायग्नोस्टिक समाधान प्रदान करता है।
- Yellow.ai – एंटरप्राइज के लिए conversational AI प्लेटफॉर्म, जो चैटबॉट और वॉयसबॉट के माध्यम से कस्टमर सपोर्ट ऑटोमेट करता है।
- Kore.ai – बड़े संगठनों के लिए AI-आधारित वर्चुअल असिस्टेंट और ऑटोमेशन समाधान विकसित करता है।
- Observe.AI – कॉल सेंटर और कस्टमर इंटरैक्शन का AI से विश्लेषण कर गुणवत्ता और उत्पादकता बढ़ाता है।
- Mad Street Den – रिटेल और फैशन इंडस्ट्री में कंप्यूटर विज़न आधारित AI समाधान देता है।
- Wysa – मानसिक स्वास्थ्य के लिए AI चैटबोट, जो तनाव और अवसाद प्रबंधन में सहायता करता है।
ये AI स्टार्ट-अप्स भारत की नवाचार क्षमता, मजबूत टैलेंट पूल और तकनीकी दृष्टि को दर्शाते हैं। सही नीतिगत समर्थन और निवेश के साथ, ये कंपनियां भारत को वैश्विक AI लीडर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
भारत का AI मे भविष्य -
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) भारत के तकनीकी और आर्थिक भविष्य का एक प्रमुख स्तंभ बनता जा रहा है। विशाल जनसंख्या, मजबूत आईटी प्रतिभा, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर और सरकार की सक्रिय नीतियों के कारण भारत AI को अपनाने और विकसित करने के लिए अनुकूल स्थिति में है। आने वाले वर्षों में AI न केवल उद्योगों की कार्यप्रणाली बदलेगा, बल्कि सामाजिक और प्रशासनिक ढांचे में भी बड़े परिवर्तन लाएगा।
- हेल्थकेयर में बदलाव - AI आधारित डायग्नोस्टिक्स, मेडिकल इमेजिंग और टेलीमेडिसिन से सस्ती, तेज और सटीक स्वास्थ्य सेवाएं संभव होंगी, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।
- शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट - पर्सनलाइज्ड लर्निंग, AI ट्यूटर और डिजिटल प्लेटफॉर्म से शिक्षा अधिक समावेशी होगी तथा भविष्य की नौकरियों के लिए कौशल विकसित होंगे।
- कृषि और ग्रामीण विकास - AI फसल पूर्वानुमान, मौसम विश्लेषण, स्मार्ट सिंचाई और कीट नियंत्रण में मदद कर किसानों की आय बढ़ा सकता है।
- स्टार्ट-अप और रोजगार सृजन - AI स्टार्ट-अप्स नवाचार को बढ़ावा देंगे, नए बिजनेस मॉडल बनाएंगे और उच्च-कौशल रोजगार के अवसर पैदा करेंगे।
- वैश्विक नेतृत्व और जिम्मेदार AI - IndiaAI Mission और भारतीय भाषाओं पर आधारित AI मॉडल भारत को वैश्विक AI नेतृत्व की ओर ले जा सकते हैं।
सही नीतियों, नैतिक AI और निरंतर कौशल विकास के साथ भारत AI के क्षेत्र में न केवल आत्मनिर्भर बन सकता है, बल्कि विश्व स्तर पर मार्गदर्शक भूमिका भी निभा सकता है।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न -
प्रश्न - भारत की AI मे विश्व में क्या स्थिति है?
उत्तर - भारत AI में विश्व में तीसरा स्थान रखता है। स्टैनफोर्ड 2025 इंडेक्स में अमेरिका (78.6), चीन (36.95) के बाद भारत (21.59 अंक)।
प्रश्न - क्या भारत का अपना AI हैं?
उत्तर - हाँ, भारत के अपने AI हैं। India AI Mission के तहत 12 कंपनियां स्वदेशी फाउंडेशन मॉडल विकसित कर रही हैं। दिसंबर 2025 तक पहला राष्ट्रीय Large Language Model लॉन्च होगा। TCS ignio, Tata Elxsi जैसे स्वदेशी प्लेटफॉर्म सक्रिय हैं।
प्रश्न - भारत की प्रमुख AI फर्म/ कंपनी कौनसी है?
उत्तर - भारत की प्रमुख AI कंपनियां TCS, Infosys, Wipro और Tata Elxsi हैं। TCS का ignio प्लेटफॉर्म एंटरप्राइज AI में लीडर है।
प्रश्न - भारतीय कंपनी TCS, AI के क्षेत्र में क्या कार्य कर रही है?
उत्तर - TCS ignio AIOps प्लेटफॉर्म के माध्यम से AI पर काम कर रही है। यह IT ऑपरेशन्स में अनोमली डिटेक्शन, इंसिडेंट रिजॉल्यूशन, प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स और क्लोज्ड-लूप ऑटोमेशन प्रदान करता है।
प्रश्न - क्या भारत AI का निर्यात करता है?
उत्तर - हाँ, भारत AI सेवाओं का निर्यात करता है। IT कंपनियां जैसे TCS, Infosys ignio, HOLMES जैसे प्लेटफॉर्म्स से विदेशी क्लाइंट्स को AIOps, एनालिटिक्स निर्यात करती हैं।
प्रश्न - भारत का कुल AI व्यवसाय कितना है?
उत्तर - भारत का AI बाजार 2025 में लगभग 7.8 अरब डॉलर का अनुमानित है, जो 2027 तक 17 अरब डॉलर तक बढ़ेगा। BCG रिपोर्ट के अनुसार, यह उद्यम टेक, डिजिटल इकोसिस्टम और 6 लाख AI पेशेवरों से संचालित है।
प्रश्न - भारत का AI के क्षेत्र में कुल कितना निर्यात है?
उत्तर - भारत का AI सेवा निर्यात कुल सेवा निर्यात (387 अरब डॉलर, 2024-25) का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें IT/AI से 250+ अरब डॉलर। 2025-26 में कुल सेवा निर्यात 475 अरब डॉलर अनुमानित है।


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