मरुवाणी राजस्थान अक्सर बुद्धिमान लोग इस विषय पर बहस करते हैं की ज्ञान का अधिक महत्व है अथवा अनुभव का। यह एक ऐसी बहस है जिसका अंत करना आज के जमाने में बहुत मुश्किल है। क्योंकि कई लोग ज्ञान को महत्व देते हैं तो कहीं लोग अनुभव को। ऐसे में जो लोग ज्ञान को महत्व देते हैं, उनका मानना है की ज्ञान का अधिक महत्व है। वहीं दूसरी ओर जो लोग ज्ञान की बजाय अनुभव को अधिक महत्व देते हैं, उन्हें लगता है अनुभव अधिक महत्व रखता है। तो आप यह बात समझ गए हैं की दोनों तथ्यों पर राय और विश्वास रखने वाले लोग अपने विचारों को सही सिद्ध करने के लिए अनाप-शनाप तथ्य प्रदान कर स्वयं को सिद्ध करने की कोशिश करते हैं। ऐसे में किसी एक की तरफ झुका ही नहीं जा सकता है कि किसका महत्व अधिक है। तो फिर देखते हैं दोनों में अधिक महत्व किसका है? एक कहानी के जरिए समझाता हूं।
अनुभव -
एक बार एक सेठ जी ने अपनी दुकान के लिए एक मुनीम की आवश्यकता का विज्ञापन जारी किया। सेठ जी ने विज्ञापन में लिखा की जिस किसी व्यक्ति को 7 साल तक किराणा के सामान के विक्रय का अनुभव हो वह तत्काल इस पते पर संपर्क करें। और साथ ही यह भी लिखा पहले आओ पहले पाओ। जब सेठ जी के बेटे ने इस विज्ञापन को देखाtतो पिता को कहा कि आपने विज्ञापन सही नहीं लिखा। आपने विज्ञापन में केवल अनुभवी व्यक्ति की आवश्यकता को महत्व दिया है किन्तु हमें अनुभवी से अधिक ज्ञानी व्यक्ति की आवश्यकता है।सेठ जी ने कहा मैंने धूप में बाल सफेद नहीं किए मैं अच्छी तरह से जानता हूँ कि तुम युवा लोग अनुभव से अधिक ज्ञान को महत्व दे हमे नीचा दिखाने का प्रयास करते हो। मुझे अच्छी तरह से पता है कि अनुभव के सामने ज्ञान का कोई महत्व नहीं है। लड़के ने पिता की बात ना काटते हुए इतना ही कहा कि आप ठीक हो सकते हैं लेकिन आपको इतना तो ध्यान देना चाहिए कि अनुभव के अतिरिक्त किराणा सामान बेचने का ज्ञान भी हो ऐसा व्यक्ति लिख दिया होता तो सही रहता। लेकिन सेठ जी ने उसकी बात ठुकराते हुए कहा मैंने जो किया वही सही है। इस बात को लेकर दोनों में थोड़ी बहस हो गई और दोनों अपनी बात को सही साबित करने के लिए उस विज्ञप्ति पर आने वाले लोगों से ही इसे सिद्ध करने का प्रयास करने लगे। अगले दिन एक अधेड़ व्यक्ति सेठ जी की दुकान पर पहुंचा जिसे किसी अन्य से सेठ की दुकान पर 10 साल तक सामान बेचने का अनुभव था। सेठ जी ने उस व्यक्ति को योग्य समाज रख लिया। लेकिन उनके बेटे उनके बेटे ने सेठ जी को कुछ नहीं कहा सिवाय इस बात के कि आपके द्वारा रखा गया व्यक्ति ज्ञान से नहीं बल्कि अनुभव से रखा गया है। तो अबvवह अवसर आ गया है कि इस बात को साबित किया जाए ज्ञान का अधिक महत्व या अनुभव का। सेठ जी ने भी इस बात को स्वीकार कर लिया और उस व्यक्ति को कुछ काम समझा दुकान पर रख लिया। कुछ दिन बीते और सेठ जी को कहीं बाहर जाने की आवश्यकता हुई सेठ जी अपने उसी मुनीम के हवाले अपनी दुकान कर बाहर गांव 10 दिन के लिए चले गए।
सेठ जी के बाहर जाने से मुनीम दुकान समय से खोलता और सही काम कर रहा था। लेकिन सेठ जी के जाते ही ग्राहको की संख्या कम होने लगी क्योंकि सेठ जी के अनुभवी ग्राहक को यह समझ नहीं आ रहा था कि दुकान पर आने वाले ग्राहक को किस प्रकार से सामान दिया जाए? कोई कहता कि एक किलो बढ़िया गुड़ दो तो मुनीम यह देखने लगता कि बढ़िया क्या होता है? गुड़ तो मिल से आता है और किसी भी मिल का नाम बढ़िया नहीं है।
थोड़े दिन बाद जब सेठ जी जब जब वापस आए तो देखा की दुकान पर ग्राहकों की संख्या कम हो गई है। इसे देख मुनीम को पूछा - क्या हुआ? ग्राहक कम कैसे हो गये? तो उसने बताया कि ग्राहक ऐसा सामान मांगते हैं जो किसी कंपनी का होता ही नहीं है? जैसे कोई कहता है कि 1 किलो खिचड़ी का चावल दो, जबकि खिचड़ी नामक कोई कंपनी नहीं है। तो मैं उसे मना कर देता। वैसे ही जब कोई कहता 1 किलो सरसों का तेल दो तो भी मैं उसे मना कर देता क्योंकि हमारे पास सरसों का तेल नहीं है। हमारे पास तो इंजन और वीर बालक सरसों का तेल हैं। सेठ जी मुनीम की बात सुन कर समझ गए हैं की दुनिया में अनुभव नहीं ज्ञान का होना आवश्यक है। उस दिन से सेठ जी ने यह मान लिया कि अनुभव का महत्त्व ज्ञान से कम हैं। अब लड़के की बारी थी अपनी बात को सिद्ध करने की।
ज्ञान -
अब बेटे ने एक ऐसे व्यक्ति को दुकान पर रख दिया जिसके पास ज्ञान तो था पर अनुभव नहीं। उसने भी अच्छा काम करने का प्रयास किया किन्तु उसे उस समय बड़ी दिक्कत होती जब कोई दुकान पर आकर कहता कि यह चीज तो ₹5 की नहीं बल्कि ₹4 की हैं। तब वह किसी निर्णय पर नहीं पहुंच पाता और ना ही उस ग्राहक के सामने कोई ऐसे पक्ष रख पाता कि ग्राहक उसे क्रय करने के लिए तत्पर हो जाए।
निर्णय
किसी व्यक्ति के पास केवल अनुभव होना सब कुछ नहीं है क्योंकि अनुभवी व्यक्ति के पास ज्ञान का होना भी अति आवश्यक है। अनुभव के बिना ज्ञान किसी काम का नहीं। क्योंकि अनुभव तो उन लोगों के पास भी हो सकता है जिन्होंने बरसो किसी कंपनी में काम किया लेकिन वह लोग अपने सेठ मालिक दोस्त के इशारे पर चलते रहे। वहीं ज्ञान केवल उन्हीं लोगों के पास है जिन्होंने इसे अर्जित किया है। लेकिन उस ज्ञान के सहारे वो लोग अनुभवी व्यक्ति जैसा कार्य नहीं कर पाते और अनुभव से सीखी हुई चीजों को लागू नहीं कर पाते। किंतु ज्ञानी व्यक्ति अपने उस ज्ञान के बल पर वह किसी भी कार्य को कर तेजी से अनुभव भी प्राप्त कर सकते हैं। तो फिर बड़ा क्या जहां तक अनुभव की बात हो तो अनुभव का अपना महत्व है लेकिन बिना ज्ञान के अनुभव किसी काम का नहीं अनुभव उस वक्त काम का होता है जब अनुभव वाले व्यक्ति के पास ज्ञान भी अगर अनुभवी व्यक्ति ज्ञानवान नहीं हुआ तो उसका कोई परिणाम नहीं होता।
Follow us on FB - मरुवाणी-राजस्थान
https://www.facebook.com/msruvanirajasthan/
1 टिप्पणियाँ