स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार के सदस्य बीजेपी में क्यों? BJP

स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार के सदस्य बीजेपी में क्यों? BJP

भारत में अक्सर बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं से सवाल पूछे जाते है कि भारतीय जनता पार्टी का स्वतंत्रता में क्या योगदान है? यह सवाल आमतौर पर पूछा जाने वाला सवाल है। इस सवाल का सामना बीजेपी के बड़े नेताओं से कार्यकर्ताओं तक को सामना करना पड़ता है।

स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार के सदस्य बीजेपी में क्यों? BJP

भारतीय जनता पार्टी के नेता इस प्रश्न के आते ही टीवी चैनल डिबेट से लेकर सड़क तक झेंपते हुए देखे जाते हैं। कई बार कार्यकर्ता तो क्या टीवी डिबेट में पार्टी के प्रवक्ता तक जबाब नहीं दे पाते हैं। सवाल ही ऐसा है जिसका बीजेपी के नेता चाहकर भी जबाब नहीं दे सकते हैं क्योंकि यह सवाल मूल स्वभाव से गलत है। किन्तु इस प्रश्न के भीतर भी एक प्रश्न छुपा हुआ है। उस छुपे हुए सवाल को भी कभी बीजेपी के प्रवक्ताओं द्वारा पूछते हुए नहीं देखा जाता है, जिसके कारण यह सवाल कार्यकर्ताओं के लिए कठिन हो जाता है।

भारतीय जनता पार्टी का गठन आजादी के बाद हुआ है, ऐसे में "क्या स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों के सदस्य पार्टी में है या नहीं।" यह सवाल ही उस सवाल का जवाब हो सकता है। क्योंकि जिस पार्टी के साथ उसके वैचारिक संगठन का गठन ही आजादी के बाद हुआ हो। बीजेपी की वैचारिक जड़ें भारतीय जनसंघ में हैं, जिसकी स्थापना 1951 में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने की थी। ऐसे में उपयुक्त जबाब यह होता है कि वर्तमान में स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारो के सदस्य किस पार्टी में है? आइए देखते हैं कि क्या बीजेपी में और इसके मूल संघठन वाली पार्टियों में ऐसे परिवारों के सदस्य है या नहीं।

स्वतंत्रता सेनानियों के सदस्य बीजेपी में -

आज भारतीय जनता पार्टी और उसके पूर्व मूल संगठन में कई ऐसे नेता और परिवार शामिल हैं जिनका सीधा संबंध देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों से है। इन नेताओं ने न केवल अपने पूर्वजों की देशभक्ति और त्याग की परंपरा को आगे बढ़ाया है, बल्कि पार्टी के राष्ट्रवादी विचार को भी मजबूत किया है। ऐसे परिवारों के नेता आज भी राजनीति में सक्रिय हैं और भारत के विकास, एकता और राष्ट्रीय स्वाभिमान को समर्पित भाव से आगे बढ़ा रहे हैं। ऐसे परिवार वाले नेता इस प्रकार है।

1. विजया लक्ष्मी पंडित/ मोतीलाल नेहरू और जवाहर लाल नेहरू  -

मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू और विजया लक्ष्मी पंडित तीनों ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।मोतीलाल नेहरू ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रहते हुए “नेहरू रिपोर्ट” तैयार की, जो भारत के लिए पहला स्वराज संविधान था। जवाहरलाल नेहरू ने असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा और भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया, कई बार जेल गए, और स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। विजया लक्ष्मी पंडित, नेहरू जी की बहन, स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रहीं, कई बार जेल गईं और बाद में स्वतंत्र भारत की पहली महिला मंत्री व संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष बनीं।

परिवार के सदस्य बीजेपी में - मेनका गांधी, वरुण गांधी 

यह तथ्य उल्लेखनीय है कि आज नेहरू–गांधी वंश की अगली पीढ़ी भारतीय जनता पार्टी (BJP) में भी सक्रिय भूमिका निभा रही है। इंदिरा गांधी की पुत्रवधू मेनका गांधी सुल्तानपुर से सांसद हैं और अपनी स्पष्ट विचारधारा, जनसंवेदनशील दृष्टिकोण तथा वर्षों के अनुभव के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने पशु अधिकारों, पर्यावरण संरक्षण और महिला सशक्तिकरण जैसे विषयों पर निरंतर काम किया है। उनके प्रयासों से न केवल पशु कल्याण को राष्ट्रीय विमर्श में स्थान मिला, बल्कि पर्यावरण और वन्यजीवन के प्रति सामाजिक चेतना भी मजबूत हुई। केंद्रीय मंत्री के रूप में उनके नेतृत्व और नीति-निर्माण में योगदान ने भारतीय राजनीति में मानवीय मूल्यों को एक स्थायी स्थान दिया है।

इसी वंश परंपरा को आगे बढ़ाते हुए इंदिरा गांधी के पौत्र और संजय गांधी के पुत्र वरुण गांधी, पीलीभीत से सांसद हैं और अपने बेबाक, संवेदनशील तथा लोकहितकारी विचारों से विशेष पहचान रखते हैं। वे किसानों, युवाओं और बेरोजगारी जैसे ज्वलंत मुद्दों पर दृढ़ता से आवाज उठाते हैं। उनकी लेखनी और वक्तृत्व शैली में समाज के प्रति गहरी प्रतिबद्धता झलकती है। उन्होंने विकास के मुद्दों को राजनीतिक वाद-विवाद से ऊपर उठाकर जन अपेक्षाओं से जोड़ा है। इस प्रकार, नेहरू–गांधी परिवार की सेवा और जनप्रतिबद्धता की विरासत आज भारतीय जनता पार्टी में भी नए रूप में जीवित और सक्रिय दिखाई देती है।

2. सरदार वल्लभ भाई पटेल -

सरदार वल्लभभाई पटेल ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अद्भुत नेतृत्व दिखाया। उन्होंने खेड़ा और बारडोली सत्याग्रह का सफल नेतृत्व किया, जिससे उन्हें “सरदार” की उपाधि मिली। वे महात्मा गांधी के निकट सहयोगी थे और असहयोग आंदोलन तथा भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल हुए। आज़ादी के बाद उन्होंने 562 रियासतों का एकीकरण कर भारत को एक राष्ट्र के रूप में संगठित किया, जिसके कारण उन्हें “लौह पुरुष” कहा गया। 

परिवार के सदस्य बीजेपी में - संजय पटेल और विजय पटेल 

सरदार वल्लभभाई पटेल के पुत्र दाह्याभाई पटेल स्वतंत्रता सेनानी और सिद्धांतनिष्ठ नेता थे। उन्होंने प्रारंभ में कांग्रेस पार्टी से राजनीति की, लेकिन बाद में स्वतंत्र पार्टी में शामिल होकर संसद सदस्य बने। यद्यपि उन्होंने सीधे भारतीय जनता पार्टी (BJP) से चुनाव नहीं लड़ा, किंतु उनकी राजनीतिक विचारधारा — व्यक्तिगत स्वतंत्रता, जनसेवा और सीमित सरकारी नियंत्रण — बाद में BJP की नीतियों और दृष्टिकोण से मेल खाती रही। वे अपने पिता की तरह ही ईमानदार और राष्ट्रहित सर्वोपरि मानने वाले नेता थे।

आज सरदार पटेल के वंशज और परिवार के सदस्य गुजरात में भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हैं। संजय पटेल और विजय पटेल जैसे सदस्य सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय हैं तथा सरदार पटेल राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट के माध्यम से उनकी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। वे BJP सरकार द्वारा निर्मित “Statue of Unity” परियोजना को सरदार पटेल की एकता और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक मानते हैं।

इस प्रकार, सरदार पटेल की राष्ट्रएकता और विकास की भावना आज भी उनके परिवार के माध्यम से BJP की विचारधारा में जीवंत है। 

3. सुभाष चंद्र बोस - 

सुभाष चंद्र बोस का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान अतुलनीय था। उन्होंने “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा” जैसे नारों से युवाओं में देशभक्ति की ज्वाला प्रज्वलित की। नेताजी ने आज़ाद हिंद फौज (INA) का गठन किया और ब्रिटिश शासन के विरुद्ध सशस्त्र संघर्ष छेड़ा। उन्होंने अस्थायी “आज़ाद हिंद सरकार” बनाई और भारत को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित किया। बोस का उद्देश्य था — “दिल्ली चलो!” उनका संघर्ष, त्याग और नेतृत्व भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का प्रेरणास्रोत बना।

परिवार के सदस्य बीजेपी में - चंद्र कुमार बोस, सुगत बोस, क्रिस्टोफर बोस और अन्य परिजन

सुभाष चंद्र बोस के परिवार के कुछ सदस्य भारतीय राजनीति में सक्रिय हैं, जिनमें प्रमुख नाम चंद्र कुमार बोस का है। वे नेताजी के बड़े भाई शरत चंद्र बोस के पौत्र हैं और 2016 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) से जुड़े। उन्होंने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भवानीपुर सीट से ममता बनर्जी के खिलाफ उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था। चंद्र कुमार बोस नेताजी की विचारधारा — “एक भारत, एक परिवार” — पर आधारित राजनीति के प्रबल समर्थक हैं और राष्ट्रवाद व एकता के संदेश को आगे बढ़ा रहे हैं।

नेताजी के अन्य परिजनों में सुगत बोस भी उल्लेखनीय हैं, जो तृणमूल कांग्रेस (TMC) से जुड़े रहे और जादवपुर से सांसद रह चुके हैं। हालांकि वे बीजेपी से संबद्ध नहीं हैं, लेकिन बोस परिवार के वैचारिक दृष्टिकोण विविध रहे हैं। इसके बावजूद, उनके सभी सदस्य सुभाष चंद्र बोस की देशभक्ति, त्याग और राष्ट्रसेवा की भावना को अपने-अपने मार्ग से जीवित रखते हैं।

4. भगत सिंह -

शहीद भगत सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे साहसी और प्रेरणादायक क्रांतिकारियों में से एक थे। उन्होंने लाला लाजपत राय की मृत्यु का बदला लेने के लिए ब्रिटिश अधिकारी सॉन्डर्स की हत्या की और बाद में सेंट्रल असेंबली में बम फेंककर “इंकलाब ज़िंदाबाद” का नारा बुलंद किया। उनका उद्देश्य किसी को मारना नहीं, बल्कि अंग्रेजी शासन को भारत की आवाज़ सुनाना था। जेल में भूख हड़ताल से उन्होंने राजनीतिक कैदियों के अधिकारों की लड़ाई लड़ी। 23 मार्च 1931 को वे देश के लिए हंसते हुए फांसी पर चढ़ गए।

परिवार के सदस्य बीजेपी में - अभय सिंह संधू

भगत सिंह के परिवार ने आज़ादी की भावना और देशभक्ति की परंपरा को पीढ़ियों तक जीवित रखा है। उनके भतीजे अभय सिंह संधू, जो भगत सिंह के छोटे भाई कुलतार सिंह के पुत्र हैं, ने 2021 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) जॉइन की। उन्होंने कहा कि वे नेताजी सुभाष चंद्र बोस और भगत सिंह जैसे महान क्रांतिकारियों की देशभक्ति की भावना को राजनीति के माध्यम से आगे बढ़ाना चाहते हैं। अभय सिंह संधू सामाजिक सरोकारों से लंबे समय से जुड़े रहे हैं और युवाओं में राष्ट्रप्रेम और स्वावलंबन का संदेश फैलाने का कार्य करते हैं।

अभय सिंह संधू का बीजेपी में शामिल होना इस बात का प्रतीक है कि भगत सिंह की विचारधारा — देशहित सर्वोपरि — आज भी जीवित है। वे पार्टी मंच से यह संदेश देना चाहते हैं कि सच्ची राजनीति वही है जो समाज और राष्ट्र के उत्थान के लिए हो। उनका मानना है कि देशभक्ति केवल नारे तक सीमित नहीं, बल्कि उसे कर्म के रूप में जीना चाहिए। इस तरह, भगत सिंह के परिवार ने स्वतंत्रता संग्राम की ज्योति को आधुनिक भारत की राजनीति में भी प्रज्वलित रखा है।

5. बाल गंगाधर तिलक - 

लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेताओं में से एक थे, जिन्हें “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, और मैं इसे लेकर रहूंगा” के नारे के लिए जाना जाता है। उन्होंने ‘केसरी’ और ‘मराठा’ अख़बारों के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना फैलाई और शिवाजी उत्सव व गणेशोत्सव को सार्वजनिक रूप देकर जनजागरण का मार्ग बनाया। तिलक कांग्रेस के गरम दल के नेता थे, जिन्होंने अंग्रेजों की नीतियों के खिलाफ कड़ा प्रतिरोध किया। उनका जीवन स्वराज, शिक्षा और संघर्ष का प्रतीक रहा।

परिवार के सदस्य बीजेपी में - मुक्ता तिलक

मुक्ता तिलक, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के परिवार की अगली पीढ़ी की जानी-मानी नेता थीं, जिन्होंने भारतीय राजनीति में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई। वे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से जुड़ी रहीं और समाजसेवा तथा प्रशासनिक कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाती थीं। मुक्ता तिलक ने पुणे नगर निगम में चार बार पार्षद (कॉरपोरेटर) के रूप में सेवा दी और 2017 में वे पुणे की पहली महिला महापौर बनीं। उन्होंने अपने कार्यकाल में शहर के विकास, महिला सशक्तिकरण और स्वच्छता अभियानों पर विशेष ध्यान दिया। तिलक परिवार की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए मुक्ता तिलक ने राष्ट्रसेवा और समर्पण की भावना को आधुनिक राजनीति में जीवित रखा।

6. अटल बिहारी वाजपेयी - 

अटल बिहारी वाजपेयी, जो बाद में भारत के प्रधानमंत्री बने, स्वतंत्रता संग्राम के समय युवावस्था में ही राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़ गए थे। छात्र जीवन में वे भारत छोड़ो आंदोलन (1942) में सक्रिय रहे और ब्रिटिश शासन के खिलाफ प्रदर्शन करने पर उन्हें संक्षिप्त अवधि के लिए जेल भी जाना पड़ा।

वाजपेयी जी राष्ट्रवाद, पत्रकारिता और समाजसेवा के माध्यम से स्वतंत्रता संघर्ष की भावना को आगे बढ़ाते रहे। उन्होंने आर्य समाज और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से प्रेरणा लेकर देशभक्ति की दिशा में कदम बढ़ाए। आज़ादी के बाद भी उन्होंने भारत की एकता, अखंडता और लोकतंत्र की मजबूती के लिए कार्य किया।

अटल जी का योगदान केवल स्वतंत्रता संग्राम तक सीमित नहीं था — वे आज़ाद भारत में राष्ट्रनिर्माण के सशक्त प्रतीक बन गए।

7. कैलाश विजयवर्गीय - 

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय का परिवार स्वतंत्रता संग्राम की गौरवशाली परंपरा से जुड़ा रहा है। उनके पिता मोहनलाल विजयवर्गीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान सक्रिय स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने ब्रिटिश शासन के अन्याय और अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई और इसी कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा। मोहनलाल जी का राष्ट्रप्रेम, साहस और त्याग उनके पुत्र के जीवन में गहराई से रचा-बसा है, जिसने आगे चलकर कैलाश विजयवर्गीय को भी जनसेवा की राह पर प्रेरित किया।

कैलाश विजयवर्गीय ने अपने पिता की देशभक्ति और निष्ठा की विरासत को राजनीति में आगे बढ़ाया। वे मध्यप्रदेश में भाजपा के प्रमुख रणनीतिकारों में से एक रहे हैं और संगठन निर्माण, विकास कार्यों तथा सामाजिक upliftment में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही है। इस प्रकार, विजयवर्गीय परिवार ने स्वतंत्रता संग्राम की भावना को आधुनिक भारत की राजनीति और सेवा के माध्यम से जीवित रखा है।

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कई नेताओं का परिवार स्वतंत्रता संग्राम की गौरवशाली परंपरा से जुड़ा रहा है। कैलाश विजयवर्गीय के पिता मोहनलाल विजयवर्गीय, हरिभाई चौधरी के दादा, नंदकिशोर गुर्जर के दादा, तथा सुशील मोदी के पूर्वज—सभी ने भारत की आज़ादी के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ सक्रिय भूमिका निभाई थी। इन स्वतंत्रता सेनानियों ने जेल यातनाएँ सहीं, आंदोलनों में भाग लिया और देश की स्वतंत्रता के लिए अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा समर्पित किया। इन परिवारों की राष्ट्रभक्ति और संघर्ष की विरासत आज भी उनकी राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि को प्रेरित करती है।

इसी तरह, भूपेन्द्र यादव, किरेन रिजिजू और जयप्रकाश निषाद जैसे भाजपा नेता भी ऐसे परिवारों से आते हैं जिनके पूर्वज स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल थे। किरेन रिजिजू के दादा टागे रिजिजू ने अरुणाचल प्रदेश (तब नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी) में स्वतंत्रता समर्थक आंदोलनों में हिस्सा लिया और ब्रिटिश प्रशासन द्वारा गिरफ्तार किए गए थे। यह सभी उदाहरण दर्शाते हैं कि भाजपा में ऐसे अनेक नेता हैं जिनकी जड़ें आज़ादी के संघर्ष से जुड़ी हैं — और जिन्होंने देशभक्ति, त्याग और सेवा की उसी भावना को आधुनिक राजनीति में जीवित रखा है।

महत्वपूर्ण प्रश्न -

प्रश्न - भारतीय जनता पार्टी (BJP) का आजादी के आंदोलन में क्या योगदान है?

उत्तर: - BJP का गठन स्वतंत्रता के बाद हुआ, पर इसकी वैचारिक जड़ें जनसंघ और आरएसएस में हैं, जिन्होंने राष्ट्रवाद की चेतना को बढ़ाया। कई कार्यकर्ता स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े और देश की एकता के लिए सक्रिय रहे।

प्रश्न - क्या बीजेपी नेताओं के पूर्वज स्वतंत्रता संग्राम में शामिल थे?

उत्तर: - हाँ, कैलाश विजयवर्गीय, हरिभाई चौधरी, सुशील मोदी, किरेन रिजिजू, भूपेंद्र यादव और जयप्रकाश निषाद जैसे नेताओं के पूर्वज स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष किया और जेल भी गए।

प्रश्न - सुभाष चंद्र बोस के परिवार का कौन-सा सदस्य बीजेपी से जुड़ा है?

उत्तर: - नेताजी सुभाष चंद्र बोस के भतीजे चंद्र कुमार बोस 2016 में बीजेपी से जुड़े। उन्होंने ममता बनर्जी के खिलाफ चुनाव लड़ा और नेताजी की “एक भारत, एक परिवार” की विचारधारा को आगे बढ़ाया।

प्रश्न -  नेहरू–गांधी परिवार के कौन सदस्य बीजेपी में हैं?

उत्तर: इंदिरा गांधी की पुत्रवधू मेनका गांधी और उनके पुत्र वरुण गांधी बीजेपी के सांसद हैं। दोनों ने जनसेवा, पर्यावरण संरक्षण और महिला सशक्तिकरण जैसे क्षेत्रों में सक्रिय भूमिका निभाई है।

प्रश्न -  सरदार वल्लभभाई पटेल के परिवार के कौन सदस्य बीजेपी में हैं?

उत्तर: - सरदार पटेल के वंशज संजय पटेल और विजय पटेल बीजेपी से जुड़े हैं। वे सरदार पटेल राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट से जुड़े हैं और “Statue of Unity” को राष्ट्रीय एकता का प्रतीक मानते हैं।

प्रश्न -  भगत सिंह के परिवार का कौन सदस्य बीजेपी से जुड़ा है?

उत्तर: - शहीद भगत सिंह के भतीजे अभय सिंह संधू 2021 में बीजेपी में शामिल हुए। वे युवाओं में देशभक्ति और आत्मनिर्भरता की भावना जगाने का कार्य कर रहे हैं और भगत सिंह की विचारधारा को आगे बढ़ा रहे हैं।

प्रश्न -  स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार बीजेपी से क्यों जुड़े हैं?

उत्तर: -  क्योंकि बीजेपी राष्ट्रवाद, त्याग, एकता और “एक भारत–श्रेष्ठ भारत” की भावना को आगे बढ़ाती है। स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार इन मूल्यों को अपनी परंपरा का हिस्सा मानते हैं और देशसेवा के माध्यम से इन्हें जीवित रखते हैं।

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