मधुमक्खी के छत्ते से शहद निकालने के तरीके और हमले से बचाव। Honey

मधुमक्खी के छत्ते से शहद निकालने के तरीके और हमले से बचाव। Honey

आजकल मधुमक्खियों द्वारा बनाये जाने वाले शहद की मांग बहुत ज्यादा है। आयुर्वेद में शहद को अमृत समान बताया गया है। शहद का उपयोग खाने के साथ सौंदर्य के लिए भी किया जाता है। शहद का नियमित उपयोग करने से शरीर को कई लाभ होते हैं। व्यक्ति अपने आप को स्वस्थ रखने, सुंदर दिखने और ताकत पाने के लिए शहद का उपभोग करता है। शहद ऊर्जा का अच्छा स्त्रोत होने के साथ ही हीमोग्लोबिन को बढावा देने में सहायक होता है, यही कारण है कि शहद की मांग दिनोदिन बढ़ती ही जा रही हैं।
मधुमक्खी के छत्ते से शहद निकालने के तरीके और हमले से बचाव। Honey


शहद मधुमक्खियों द्वारा बनाया जाने वाला अर्द्ध तरल परार्थ है। यह मीठा और चिपचिपा होता है जो खाने के लिए बहुत उपयुक्त माना जाता है। मीठे स्वाद के कारण इसे मधु भी कहा जाता है लेकिन ग्लूकोज की उपयुक्त मात्रा के साथ एकल शर्करा प्रोक्टोज की उपलब्धता के कारण मधुमेह के रोगियों के लिए उपयुक्त होता है। शहद का उपयोग खाने, स्वाद, मिठाई बनाने टॉफी बनाने, आयुर्वेद, सौंदर्य प्रसाधन के अतिरिक्त घाव भरने के लिए भी किया जाता है।

मधुमक्खियों का छत्ता -


मधुमक्खियों का छत्ता ही इनका घर, घोंसला और कॉलोनी होता है। मधुमक्खियों का छत्ता मधुमक्खी के पेट के पास पायी जाने वाली ग्रंथी से निर्मित मोम का बना हुआ है। मधुमक्खियों का छत्ता देखने पर छेद वाला एक घेरा होता है जो किनारों से पेड़ की टहनियों या घरों की छत से जुड़ा हुआ होता है। मधुमक्खियों द्वारा बनाया जाने वाला छत्ता वातानुकूलित होता है। इसे ठंडा रखने के लिए मधुमक्खियां अपने पंखों से हवा देती है। इस छत्ते में ऊपर के एक चौथाई हिस्से में मधु का भंडारण किया जाता है। इसके नीचे रानी मधुमक्खी अंडे दे वंश को बढावा देती है और श्रमिक मधुमक्खियां भी इसी नीचे के हिस्से में आवास करती है। ऊपर का हिस्सा जिसमें मधु का भंडारण होता है, वो हिस्सा किनारों और नीचे के हिस्से के मुकाबले में मोटा होता है।

मधुमक्खी के छत्ते से शहद निकालने के तरीके और हमले से बचाव। Honey


मधुमक्खियां फ़ूलों और पराग कणो से मधु को बना छत्तों में संग्रहित करती हैं। छत्ते पर तीन प्रकार की मधुमक्खियां पायी जाती है - रानी मधुमक्खी, श्रमिक मधुमक्खी और ड्रोन मधुमक्खी। रानी मधुमक्खी वह मादा होती है जिसका कार्य वंश को बढावा देने का होने के कारण प्रजनन क्रिया करती हैं, इसका आकार अन्य मधुमक्खियों के मुकाबले में बड़ा होता है। श्रमिक मधुमक्खी भी मादा मधुमक्खियां ही होती है जो रानी मधुमक्खी की संताने होती है और मधु बनाने का कार्य करती है। श्रमिक मधुमक्खियों का कार्य छत्ते की रक्षा करने का भी होता है, इसलिए इन्हें सैनिक मधुमक्खियां भी कहते हैं, छत्ते पर हमला होने पर यह मधुमक्खियां अपनी रानी मधुमक्खी और छत्ते का बचाव करने का कार्य करती है। इनके पास अपनी रक्षा के लिए डंक होता है, हालांकि डंक रानी मधुमक्खी के पास भी होता है। ड्रोन मधुमक्खी नर होता है, जो सवेरे ही छत्ते से बाहर चला जाता है और रानी मधुमक्खी को ढूंढकर प्रजनन को बढावा देता है। ड्रोन श्रमिक मधुमक्खियों के मुकाबले में थोड़ा बड़ा किन्तु रानी मधुमक्खियों से छोटा होता है, जिसका पूरा सिर आँखों (मादा के मुकाबले में बड़ी आंखे को रानी मधुमक्खियों को ढूँढने में सहायता करती है) से ही ढंका हुआ होता है, ड्रोन डंक विहीन होता है।

मधुमक्खियों के छत्ते में शहद कहाँ से आता है? 


मधुमक्खियां शहद का निर्माण स्वयं करती है। जैसा कि आपको पहले ही बता दिया है की मधुमक्खियों के छत्ते पर तीन प्रकार की मधुमक्खियां होती है। शहद बनाने का कार्य श्रमिक मधुमक्खियों का होता है। श्रमिक मधुमक्खियों का जीवन काल 51 दिनों का होता है और छत्ते पर इनकी संख्या सर्वाधिक होती है। रानी मधुमक्खियों द्वारा दिए गए अंडों से जो बच्चे उत्पन्न होते हैं वो किशोर होने तक रानी मधुमक्खी का सहयोग करते हैं बच्चे पालने में और किशोर होने पर मोम ग्रंथी से मोम का उत्पादन कर घोसला बनाते हैं। इसके बाद वो एक कुशल श्रमिक मधुमक्खी बन खाने का इंतजाम करने के लिए शहद बनाने की क्रिया में जुट जाते हैं।

श्रमिक मधुमक्खियां पेड़ों के के फ़ूलों के साथ विभिन्न फसलों के फूलों के पराग कणों से मकरंद (फ़ूलों के रस से मीठा द्रव्य बनाना) बना शहद का निर्माण करती है। इसके लिए श्रमिक मधुमक्खियां फूलो के रस को चूसकर अपने पेट (जो खास रस को एकत्रित करने के लिए बना हुआ होता है) में एकत्रित कर लेती है। रस को एकत्रित कर यह वापस छत्ते पर आती हैं और रस को उन मधुमक्खियों को सौंप देती है जो इस रस को चबाकर (आधा घंटा तक) अपने शरीर में उपलब्ध एंजाइम से इसे शहद में बदल देती हैं। रस को चबाने वाली श्रमिक मधुमक्खियां जो शहद बनाती हैं, उसमे पानी मिला हुआ होता है। इसके बाद दूसरी मधुमक्खियां इस पानी मिश्रित शहद को मधुकोष में भरकर पंखों से वाष्पीकरण कर पानी को उड़ा देती है, जब पानी उड़ जाता है तो मोम का उत्पादन कर मधुकोष को बंद कर देती है। ताकि शहद उड़े नहीं और छत्ते में सुरक्षित रहे। 

मधुमक्खियों के छत्ते से शहद कैसे निकाला जाता है? 


जो लोग मधुमक्खियों का पालन करते हैं वो शहद को निकालने के लिए जाली नुमा हेलमेट (सिर और चेहरे को ढंक दे), हाथो मे ग्लोव्स और शरीर को पूरी तरह से ढंक कर खुरपी से किसी बर्तन में इकट्ठा कर देते हैं। किंतु छोटी मधुमक्खियां (एपीस फ्लोरिया) का शहद सबसे उत्तम भी माना जाता है, जो अपना छत्ता 3 मीटर से अधिक ऊंचाई पर नहीं बनाती हैं, के शहद को निकालने वालों के पास सभी उपकरण नहीं होते हैं ऐसे में कैसे शहद को निकाला जा सकता है? आपको बताते हैं कुछ तरीके लेकिन शहद निकालते समय कई सावधानी अवश्य रखनी चाहिए। गांवों में बच्चे ऐसी तकनीक से शहद निकालते हैं - 

  • धुआं - शहद को निकालने के लिए सबसे उत्तम तरीका होता है धुआं, लेकिन इसके लिए सावधानी बरतना बहुत अधिक आवश्यक होता है क्योंकि इससे आग भी लग सकती है। इस विधि के तहत शहद निकालने वाला व्यक्ति छत्ते के नीचे धुआं करता है, जिससे मधुमक्खियां छत्ता छोड़ देती है। जब वह छत्ता छोड़ देती है तब व्यक्ति खुरपी से शहद निकाल सावधानी से धुआं का सहारा लेता हुआ निकल जाता है। इस विधि से शहद निकालते समय ध्यान रखना चाहिये अगर धुआं हटा तो मधुमक्खियों का हमला भी हो सकता है। 
  • केरोसीन का फौव्वा - छत्ते से शहद निकालने के लिए बच्चों द्वारा इस विधि का सर्वाधिक उपयोग किया जाता है। इसमें एक लकड़ी पर कपड़ा लपेट उसे केरोसिन से भिगो दिया जाता है। जैसे ही केरोसिन से भीगे हुए कपड़े को छत्ते के पास लेकर जाते हैं, मधुमक्खियां हटने लगती है, जैसे ही वो हट जाती है, खुरपी से शहद निकाल लिया जाता है। इस विधि से शहद निकालते समय ध्यान रखा जाए फौव्वा उपरी हिस्से पर लगाया जाना चाहिए ताकि मधुमक्खियां मधु के भंडार को छोड़कर नीचे बच्चों की तरफ चली जाए। 
  • फूंक मारकर भगाना - यह बहुत खतरनाक विधि है, जो खुद को पहले ढंक कर सुरक्षित करने के बाद काम में ली जाती है। इस विधि में मधु के भंडार पर फूंक मारी जाती है। फूंक से गर्म हवा उत्पन्न होने से मधुमक्खियां मधु कोष से हटकर नीचे चली जाती है और व्यक्ति शहद चुरा लेता है। यह बहुत खतरनाक होने के कारण इसका उपयोग हर किसी को नहीं करना चाहिए। 

गाँवों में अक्सर बच्चे छोटी मधुमक्खियों के छत्ते से शहद निकालते हुए मिल जाते हैं। खासतौर से बसंत के बाद गर्मी की छुट्टियां की शुरुआत के दिनों में मधुमक्खियों के छत्तों में उपयुक्त मात्रा में शहद होता है, तब हाथ में केरोसिन के फौव्वे लिए हुए बच्चे दिख जाते हैं। ये बच्चे टीम बनाकर काम करते हैं। कुछ फौव्वे लिए हुए तो कुछ खुरपी और बर्तन ले छत्ते ढूंढते है। छत्ते मिलते ही टूट पड़ते टीम बनाकर, लेकिन सावधानी से। एक बच्चा फौव्वा ले छत्ते के पास पहुंच जाता दूसरा फौव्वा लेकर उसको कवर देता, एक बर्तन और खुरपी देता। जैसे ही पूरा शहद निकाल दिया जाता कुछ बच्चे लग जाते उसे गर्म कर मोम को हटा साफ करने में तो कुछ चुपके से सबकी नजर बचा चट करने में। साफ होने के बाद बोतल में डालकर आगे निकल जाते और शुरु होता अगला छत्ता ढूँढने का अभियान। 

कई बार टीम के कुछ नौसिखिए बच्चे कोई ऐसी हरकत कर देते जो एक्सपर्ट बच्चों पर भी भारी पड़ जाती। वो कोई छेड़खानी कर देते और मधुमक्खियों का झुंड पूरी टीम के पीछे पड़ जाता। कई बच्चों के मधुमक्खियां डंक भी मार देती। बच्चे घबराकर भागते साफ दिखते। कई बार इस भागमभाग में पहले से शहद इकट्ठा किया हुआ भी गिर जाता और मेहनत निष्फल हो जाती। 

मधुमक्खियों के हमले से बचाव के तरीके -  


कई बार बच्चे शहद निकालते समय कोई गलती कर देते हैं या फिर छत्ता ढूंढते समय कोई गलती हो जाती है। कभी बच्चों की गलती उन पर भारी पड़ जाती है और मधुमक्खियां आक्रामक होकर बच्चों के पीछे पड़ जाती है। बच्चे भागते हुए नजर आते हैं। हालांकि उनके पास बचाव के साधन - धुआं या केरोसिन का फौव्वा होता है जो उनकी मदद करता है पीछा छुड़ाने में। पर कभी कोई ऐसी परिस्थिति भी पैदा हो जाती है जब उनके पास पीछा छुड़ाने के लिए कोई साधन नहीं होता है, ऐसे में वो कैसे पीछा छुड़ा सकते हैं इसके लिए आपको कुछ उपाय बता रहे हैं, इन्हें ध्यान से पढ़िए - 
  • आड़ा-तिरछा भाग जाना - जब मधुमक्खियों का हमला हो जाए तब आसपास कोई सहारा नहीं हो तो भाग जाना ही बेहतर होता है। मधुमक्खियां अपने शत्रु का पीछा करती हैं, अधिकांश सीधी उड़ती हुई पीछा करती हैं। ऐसे में बेहतर है कि आप आड़ी-तिरछी दौड़ लगाए ताकि पीछा करती हुई मधुमक्खियों की संख्या कम होती जाएं। ध्यान रखे आप छत्ते से दूर भागे छत्ते की तरफ नहीं, क्योंकि उन्हें छत्ते की तरफ लौटना होता है इसलिए अधिक दूरी तक पीछा नहीं करती हैं। 
  • झाड़ियों का सहारा लेना - जब मधुमक्खियों का हमला हो तब आसपास झाड़ियां हो तो आपको उनकी तरफ भागना चाहिए। उनके नीचे जाकर उन्हें गच्चा दे देना चाहिए। ऐसा इसलिए उपयुक्त रहता है क्योंकि मधुमक्खियां हमेशा सिर के ऊपर उड़ती है, जो झाड़ियों में उलझ जाएगी और आप तत्काल वहाँ से गच्चा लगाकर उनसे आसानी से पीछा छुड़ाने में सफल हो जाएंगे। 
  • किसी स्थान पर छुप जाना/आश्रय लेना - मधुमक्खियों के हमले के बाद आपको भागकर किसी आश्रय स्थल में छुप जाना चाहिए, जैसे आसपास कोई कमरा या वाहन हो तो आपको वहाँ छुप जाना चाहिए। ऐसे ही आप खुली जगह पर है तो आपके पास कोई कपड़ा है तो आपको कपड़े में खुद को छिपा लेना चाहिए। कंबल या कोट आपके पास है तो उनके सहयोग से भी आप खुद को छिपाकर सही जगह पहुंचे अन्यथा मधुमक्खियां आपका पीछा नहीं छोड़ेगी। 
  • मुँह और चेहरे को ढंक लेना - मधुमक्खियों का हमला होने के बाद आपको अपना मुँह और सिर ढंक देना चाहिए। अक्सर मधुमक्खियां सिर के ऊपर उड़ती है, इसलिए वो हमला भी सिर और मुँह पर करती हैं। आप कुर्ते या टी शर्ट से सिर और मुँह को ढंक कर आश्रय स्थल की तरफ भागे ताकि खुद का बचाव किया जा सके। 
  • रुकना या लेटना नहीं चाहिए - मधुमक्खियों के हमले के बाद रुकना या लेटना नहीं चाहिए। ऐसा करने से मधुमक्खियां अधिक आक्रामक हो जाती है और हमला करने का उन्हें बेहतर मौका मिल जाता है। लेटने पर मधुमक्खियां उल्टा अधिक आक्रामक होकर हमला करती है इसलिए ऐसा बिल्कुल भी ना करे। 

छोटी मधुमक्खियों से पीछा छुड़ा कर अपना बचाव करना आसान होता है लेकिन बड़ी मधुमक्खियों से पीछा छुड़ाना कठिन होता है इसलिए उन्हें बिना खुद के रक्षा के उपकरणों का इस्तेमाल करना, मौत को आमंत्रित करने के समान है। बड़ी मधुमक्खियों का छत्ता भी अधिक ऊंचाई पर होता है जो व्यक्ति की पहुंच से काफी दूर होता है इसलिए उन्हें छेड़ने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। 

ज़माने से कहावत चली आ रही है 'मधुमक्खी के छत्ते में हाथ डालना' यानी बैठे बिठाए मुसीबत मोल लेना। ऐसा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए अपने सामर्थ्य से ही मधुमक्खियों से मुसीबत मोल लेनी चाहिए नहीं तो कुछ मीठा मिलने की बजाय हाथ गाल, गला और मुँह सूजा देती है मधुमक्खियां अपने डंक से इनका डंक काफी जहरीला भी होता है। अधिक संख्या में मधुमक्खियों द्वारा काटे जाने से व्यक्ति की मौत तक हो सकती है, ऐसे में खुद की सुरक्षा पहले। एक दो मधुमक्खियों के काटने से जलन और खुजली होती है ऐसे में मधुमक्खियों के काटने पर पहले डंक को निकालकर नमक को हल्का गर्म करके सेंकना चाहिए जिससे काफी राहत मिलती है। अगर जलन अधिक हो रही है तो बर्फ से सिकाई करनी चाहिए। 

आवश्यक प्रश्न -

प्रश्न - रानी मधुमक्खी एक दिन में कितने अंडे देती है?

उत्तर - अपने वंश को बनाये रखने के लिए रानी मधुमक्खी औसतन एक दिन में 1500 अंडे देती हैं।

प्रश्न - कौनसी मधुमक्खी डंक नहीं मारती है?

उत्तर - नर मधुमक्खी जिसे ड्रोन कहा जाता है, डंक नहीं मारती है।

प्रश्न - मधुमक्खियों के छत्ते में मोम कहा से आता है?

उत्तर - श्रमिक मधुमक्खियों के उदर के पास एक मोम ग्रंथी पायी जाती है, इसी से श्रमिक मधुमक्खियां मोम का निर्माण कर छत्ता बनाती हैं।

प्रश्न - रानी मधुमक्खियों को कैसे पहचाना जा सकता है?

उत्तर - रानी मधुमक्खियों का आकार और उदर श्रमिक मधुमक्खियों के मुकाबले में बड़ा होता है।

प्रश्न - मधुमक्खियों का जीवनकाल कितने दिन का होता है?

उत्तर - सामन्यतः श्रमिक मधुमक्खियों का जीवन काल 51 दिनों का होता है।

प्रश्न - मकरंद क्या होता है?

उत्तर - श्रमिक मधुमक्खियों द्वारा फूलों के रस को चूसकर जो मीठा रस एकत्रित करती है उसे मकरंद कहा जाता है। 

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