दृष्टिकोण: अर्थ, प्रकार और घटक। Drishtikon ka Arth एटिट्यूड क्या होता है

दृष्टिकोण: अर्थ, प्रकार और घटक। Drishtikon ka Arth एटिट्यूड क्या होता है

देखने और समझने का अंदाज जो किसी वस्तु या स्थिति की व्याख्या करने के लिए प्रेरित करता है। दृष्टिकोण के शाब्दिक अर्थ को देखे तो शब्द दो शब्दों का मेल है - दृष्टि + कोण। दृष्टि यानी देखना और कोण यानी अंतर्दिशा या कोना। ऐसे में दृष्टिकोण का अभिप्राय देखने के नजरिए या व्यक्ति विशेष के द्वारा किसी चीज़ को देखने और परखने की अंतर्दृष्टि से है। 

हम किसी वस्तु को किस तरह से, कैसे और किस स्वरुप में देखते हैं, यह हमारे दृष्टिकोण पर निर्भर करता है। एक ही वस्तु को लोग अलग-अलग तरीकों से देखते हैं वैसे ही अलग-अलग तरीके से देखने पर भी वस्तु के कई रुप देखने को मिल सकते हैं। यथार्थ रुप में दृष्टीकोण किसी व्यक्ति, वस्तु, समूह और सोच के बारे में अपने विचार और मनोवृति से है। यह व्यक्ति के अंतर्मन और कि भावना या पसंद नापसंद पर निर्भर करता है।

दृष्टिकोण व्यक्ति के लिए एक शीशे की भांति कार्य करता है, जो उसके अंतर्मन के भावों को किसी व्यक्ति विशेष या घटना का विशलेषण कर उसे देखने में उसकी मदद करता है, इसी कारण एक ही घटना पर लोगों के अलग अलग विचार होते हैं वैसे ही एक ही व्यक्ति और वस्तु के बारे में भी अलग-अलग विचार होते हैं। किसी व्यक्ति को लाल रंग बेहतर लगता है जो इसे क्रांति से जोड़कर देखता है उसे। वहीं दूसरी ओर जो इसे खतरे से जोड़कर देखता है तो भय की उत्पत्ति करता है। ऐसे में हम कह सकते हैं कि दृष्टिकोण मन के वो भाव है, जिससे व्यक्ति को किसी व्यक्ति, वस्तु और घटना को समझने में मदद मिलती हैं। 

दृष्टिकोण के विभिन्न प्रकार - 


आमतौर से दृष्टिकोण को दो भागों में विभाजित किया जाता है - सकारात्मक दृष्टिकोण और नकारात्मक दृष्टिकोण। सकारात्मक दृष्टिकोण आशावाद और आत्मविश्वास से परिपूर्ण होता है वहीं नकारात्मक दृष्टिकोण निराशावादी और आत्मबल की कमी को प्रकट करता है। इसके अतिरिक्त स्पष्ट (explicit) और अंतर्निहित (implicit) इत्यादि।
  • सकारात्मक दृष्टिकोण - इस प्रकार के दृष्टिकोण में व्यक्ति सकारात्मक और आशावादी सोच रखते हुए उज्जवल पक्ष का सोचना। ऐसे दृष्टिकोण को रखने वाले विषम परिस्थितियों में भी संयम को बनाये रखते हैं। 
  • नकारात्मक दृष्टिकोण - ऐसे दृष्टिकोण व्यक्ति की सोच को संकीर्ण बना भय की उत्पत्ति करता है। ऐसे दृष्टिकोण के कारण व्यक्ति की सोच नकारात्मक हो जाती है, निराशा का भाव घेर उसे अनुचित होने का शंका में डूबो देते हैं। 
  • स्पष्ट दृष्टिकोण (explicit) - यह स्पष्ट होता है कि व्यक्ति की सोच स्पष्ट है तथा वह सचेतन मन और भाव से देख मूल स्वरुप से निर्णय ले रहा है, और जन बूझकर और सोचकर या अनुभव के आधार पर नजरिया बनाना। 
  • अंतर्निहित (implicit) दृष्टिकोण - बिना स्पष्ट जानकारी और अनुभव के नजरिया या सोच। असावधानी का दृष्टिकोण। 
उपर्युक्त सभी प्रकार दृष्टिकोण के प्रकार हैं, व्यक्ति किसी एक प्रकार से या सभी के मिश्रण से किसी को समझने और अपना नजरिया निर्मित करने में प्रयोग करता है। 

दृष्टिकोण के तत्व/घटक - 


दृष्टिकोण का निर्माण कैसे होता है? कौनसे तत्व मिलकर इसे बनाते हैं और कैसे प्रभावित होता है व्यक्ति का नजरिया? इसके लिए जानते हैं दृष्टिकोण के घटकों को। व्यक्ति का दृष्टिकोण अनुभव और ज्ञान के आधार पर निर्मित होता है। साथ ही विश्वास और पूर्वानुमान और व्यावहार भी शामिल होता है, ऐसे में खासतौर से तीन घटकों से मिलकर दृष्टिकोण का निर्माण होता है। 
  • संज्ञानात्मक (Cognitive) - ज्ञान और विश्वास के साथ सीखने और समझने से किसी वस्तु अथवा विचार के बारे में एक समान्य दृष्टिकोण या नजरिया बना लेना। जैसे कि सभी बच्चे प्यारे होते हैं, कुत्ते भौंकते है आदि। 
  • भावनात्मक (Affective) - भावना और व्यक्ति कि अनुभूति अथवा ज़ज्बात। ऐसा दृष्टिकोण प्रेम या भय का दृष्टिकोण निर्मित करता है। जैसे बच्चे प्यारे होते हैं इसलिए सभी उनसे प्रेम करते हैं। कुत्ते भौंकते है तो डर की अनुभूति होती है। 
  • व्यावहारिक (Behavioural) - समय के साथ व्यक्ति द्वारा अन्तर्भाव के निर्माण करने से एक विशेष सोच की उत्पत्ति होना। इस विशेष सोच से एक व्यवहार का निर्माण करना। बच्चे प्यारे होते हैं, इसलिए वो घर में आ सकते हैं। कुत्ते भौंकते है इसलिए घर में नहीं आने चाहिए। 
किसी व्यक्ति, वस्तु या सोच के प्रति दृष्टिकोण का निर्माण करने में तीनों घटक का अस्तित्व होता है। सभी को मिलाकर व्यक्ति किसी के बारे में उचित दृष्टिकोण बना लेता है। यहाँ उचित से यह अर्थ नहीं की वह सही ही है, लेकिन वह इसे अपनी नजर में सही समझता है। 

दृष्टिकोण कि शक्ति - 


दृष्टिकोण सीचने और समझने का जरिया होने के कारण हमारी सफलता और असफलता की कुंजी है। यही वह चश्मा है, जिसके माध्यम से हम दुनिया को अपनी नजर से समझने और उसके साथ अनुकूलन स्थापित करने का प्रयास करते हैं। यह हमे किसी कार्य को करने या ना करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान कर वास्तुकार की भांति वास्तविकता से परिचय कराता है। अधिकांश व्यक्ति अपने सतत विकास के दृष्टिकोण को अपनाने को मजबूर रहते हैं, क्योंकि इसका ना तो कोई निश्चित आकार है और ना कोई निश्चल अवधारणा। इसकी शक्ति से व्यक्ति और उसके कार्य निम्न प्रकार से प्रभावित होता है - 
  • सकारात्मकता कि शक्ति - जब व्यक्ति के पास सकारात्मक दृष्टिकोण होता है तो वो हज़ारों नकारात्मकता के बीच भी सकारात्मक विचार ग्रहण कर अवसर तलाश चुनौतियों को मात दे देता है। 
  • नकारात्मकता का खतरा - नकारात्मक दृष्टिकोण व्यक्ति की सफलता में बाधा बनता है। इससे हाथ आया अवसर भी खो देता है। ऐसे में व्यक्ति को अजीब डर और भय की अनुभूति होती है। नकारात्मक सोच का प्रतियोगी परीक्षा में सम्मिलित होने से पहले ही तैयारी का बहाना कर बाहर हो जाता है। 
  • यथार्थवादी रवैय्या - जब व्यक्ति सकारात्मकता और नकारात्मकता दोनों को समझ कोई निर्णय लेता है तो अधिक संतुलित होता है। 
दृष्टिकोण से आशावाद, निराशा और यथार्थ दोनों के बीच के अवसर को चुनने और चुनौतियों को मात देने की संभावना और डर को संतुलित कर जीवन को संवारने में सहयोग करता है। 

दृष्टिकोण को बदलना - 


दृष्टिकोण वह खिड़की है, जिससे आप और हम सभी दुनिया को देखते हैं। कौन किस रंग और ढंग से देखता है वो देखने वाले के दृष्टिकोण पर निर्भर है। दुनिया और तकनीक हर पल रंग बदलती है, ऐसे में व्यक्ति का पूर्वनिर्धारित दृष्टिकोण कई बार उसके जीवन की सफ़लता में आड़े आ जाता है। कभी दृष्टिकोण के कारण अपने सगे-संबंधियों से रिश्तों में आड़े आ जाता है। ऐसे में व्यक्ति को सफल होने के लिए अपने दृष्टिकोण को बदलना चाहिए। अपना दृष्टिकोण निम्न तरीकों से अपने दृष्टिकोण को नवीन स्वरुप दिया जा सकता हैं - 
  • अपने दृष्टिकोण का परीक्षण करे - अपने दृष्टिकोण का परीक्षण करते रहना चाहिए। अपनी सोच को लिखे और दूसरे लोग जिनसे आप मिलते हैं उनके दृष्टिकोण के साथ मिलान करते रहे। ऐसा करने से अपने दृष्टिकोण को समझा जा सकता है, अगर कोई कमी नजर आए तो इसे बदलने का प्रयास करना चाहिए, जैसे आप समझते हैं कि सरकारी नौकरी के बिना जीवन अधूरा है तो शायद आपका दृष्टिकोण अधिक संकीर्ण है क्योंकि भारत में 99% जनता बिना सरकारी नौकरी की है। 
  • अपने दृष्टिकोण के स्त्रोत का परिक्षण करे - किसी भी वस्तु के बारे में हम दृष्टिकोण अपनी सोच समझ और जानकारी से बनाते हैं। अगर इनमे किसी प्रकार की त्रुटि नजर आती है तो हमे उसे बदलने के लिए पत्र-पत्रिकायें और समाचार पत्रों को पढ़ना चाहिए। गलत और भ्रमित दृष्टिकोण के स्त्रोत से दूरी बना लेनी चाहिए। 
  • सोच विचार को पुनः आकार दे - अपनी सोच में बदलाव से दुनिया ही बदल जाती है। दुनिया कैसी है, यह हमारी सोच पर है। अगर हम दुनिया को धार्मिक रंग से देखते हैं तो धार्मिक है, इंसान के रंग से देखते हैं तो सभी इंसान है। ऐसी सोच को दूर करे जो सफलता और रिश्तों में आड़े आती है। 
  • सकारात्मक सोच का विकास करना - सकारात्मक विचारधारा और सोच से दुनिया को जीता जा सकता है। सकारात्मक सोच से प्रगति और उन्नती की राह आसान होती है। ऐसे में अपने दृष्टिकोण में बदलाव लाने के लिए स्वयं के जीवन में सकारात्मक सोच को स्थापित करना चाहिए। सकारात्मक सोच के लिए प्रत्येक वस्तु और व्यक्ति के सकारात्मक पक्ष को जांचे, नकारात्मकता को भटकने भी ना दे, जिससे आपकी सोच और दृष्टिकोण में बदलाव तो होगा ही साथ ही उच्च श्रेणी के दृष्टिकोण से स्थापित कर पाएंगे। 
  • समग्र सोच - सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पक्षों का अवलोकन और परीक्षण करने के बाद यथार्थ दृष्टिकोण की स्थापना करे, इसके लिए समग्र सोच को रखे ताकि सभी प्रकार के विचारो को अपनाने में आसानी हो और आप मध्यम दृष्टिकोण को ग्रहण कर सके। 
  • नकारात्मक सोच दूर करे - नकारात्मक विचारो को निकाल दीजिए। नकारात्मक विचार व्यक्ति की उन्नती के लिए बाधक है, ठीक उसी रुप में नकारात्मक विचार और सोच व्यक्ति के दृष्टिकोण को बदलने में भय की उत्पत्ति करती है, ऐसे में आप नकारात्मक विचार त्याग दीजिये ताकि दृष्टिकोण को बदलने में बाधक ना बने और मस्तिष्क को भी संकीर्णता की बजाय विस्तृत जगह दे नए विचार को उत्पन्न करने के लिए प्रेरित कर सके। 
  • अच्छा कल्याणकारी कार्य करे - कभी किसी की मदद करने जैसा नेक काम भी करे। ऐसा करने से दिल को अजीब खुशी मिलने के साथ दूसरे व्यक्ति (जिसकी आपने मदद की है, वो आपके लिए जो विचार व्यक्त करेंगे उससे आपको अपनी विचारधारा और दृष्टीकोण को बदलने में मदद मिलेगी।
उपर्युक्त सभी उपायों के सहारे आप अपने दृष्टिकोण में बदलाव ला सकते हैं, बदले हुए दृष्टिकोण से दुनिया का रंग अलग ही नजर आएगा और आपके जीवन में संतुष्टि का भाव भी अधिक होगा।

आवश्यक प्रश्न -


प्रश्न: दृष्टिकोण का अर्थ क्या होता है? Drishtikon ka arth 


उत्तर: दृष्टिकोण का अर्थ हम किसी वस्तु, व्यक्ति या विचार को किस ढंग से देखते हैं उस ढंग को ही दृष्टिकोण कहा जाता है। दृष्टिकोण का निर्माण सोच, समझ और जानकारी के माध्यम से होता है।

प्रश्न: दृष्टिकोण क्या होता है? उदाहरण से स्पष्ट करो। 

उत्तर: दृष्टिकोण का अर्थ किसी वस्तु या विचार को देखने के ढंग से है, यह सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरीकों का होता है। उदाहरणार्थ कुत्ते को देखकर यह सोचना कि कुत्ते काटते हैं और मन मे डर के भाव पैदा होना। 

प्रश्न: दृष्टिकोण के पर्यायवाची शब्द क्या है?

उत्तर: दृष्टिकोण, मत, नजरिया, विचार, अभिवृति, मनोवृति, परिपेक्ष्य और सोच। 

प्रश्न: दृष्टिकोण के घटक क्या है?

उत्तर: दृष्टिकोण के तीन प्रकार के घटक है - संज्ञानात्मक (cognitive), भावनात्मक (affective) व्यावहारिक (behavioural) इत्यादि।

प्रश्न: एटिट्यूड क्या होता है? Attitude kya hota hai? 

उत्तर: दृष्टिकोण। देखने का नजरिया जिससे आप किसी व्यक्ति, वस्तु के बारे में अपनी सोच बना लेते हैं। 

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