सांगरी की सब्जी बनाने की विधि और खाने के फायदे। Sangari ki Sabji

मारवाड़ रो मेवों (मारवाड़ का मेवा) राजस्थान की शान। कभी खाओ इसे बाजार से भी लान। राजस्थान की प्यारी सांगरी की सब्जी आपने कभी तो खाई ही होगी। ना खाई है तो कोई बात नहीं, हम आपको बताने जा रहे हैं यह कहाँ मिल सकती है और कैसे सब्जी बनाकर खाया जा सकता है।
सांगरी खेजड़ी के पेड़ पर लगने वाली एक फली है जिसका उपयोग सब्जी बनाने के लिए किया जाता है। सांगरी मरुस्थल में पायी जाने वाली खेजड़ी के पेड़ पर लगती है इसलिए इसे 'मरूस्थल की फली' भी कहा जाता है। इस मरूस्थल की फली यानी सांगरी की सब्जी भारत के सबसे बड़े मरुस्थल (राजस्थान) में बहुतायत खायी जाती है। गीली के साथ ही सूखी सांगरी की सब्जी बनने के कारण इसे आजकल निर्यात भी किया जाने लगा है।

क्या होती है सांगरी?


यह मरूस्थल में पाए जाने वाले खेजड़ी के पेड़ पर लगने वाली एक फली होती है। इस फली की लंबाई 6 से 10 इंच की होती है। इसमें छोटे-छोटे (बबूल के बीज के समान आकार के) बीज पाए जाते हैं। यह फली कच्ची होती है तब हरे रंग की होती है, पकने पर पीली हो जाती है। जब पकने के बाद पेड़ पर ही सूख जाती है तो भूरे रंग की हो जाती है, जिसे स्थानीय भाषा में खोखा कहा जाता है। सब्जी बनाने के लिए केवल कच्ची सांगरी को ही उपयोग मे लिया जाता है। गीली अथवा ताजी सांगरी को सूखाकर भी सब्ज़ी बनाने के काम में लिया जाता है।
खेजड़ी के वृक्ष पर लगने वाली फली को तोड़कर इसे सूखा दिया जाता है, जिसकी सालभर सब्जी बनाई जा सकती हैं। कच्ची और पतली सांगरी को तोड़कर सुखाया जाता है तो सूखने पर काली हो जाती हैं। सूखी हुई सांगरी जितनी काली और पतली होती हैं, उतनी ही स्वादिष्ट होती हैं। पक्की हुई सांगरी में बीज बढ़ जाते हैं और स्वाद भी उतना बढ़िया नहीं होता है, जितना बढ़िया कच्ची सांगरी का होता है।

सांगरी की सब्जी -


सांगरी सब्जी अधिकतर पंचकुटा के तौर पर बनाई जाती है, किंतु गिली सांगरी की सब्ज़ी बिना पंचकुटा के भी बनाई जाती है। ताजी और हरी सांगरी की सब्जी बनाने के लिए पेड़ से कच्ची फलियों को तोड़कर ले आए। इन्हें एक बर्तन में रखकर साफ कर लीजिए, साफ करते समय ध्यान दे अगर इनके डण्डी (फली जिससे पेड़ से लटकी होती हैं) बची हुई है तो इसे तोड़ दीजिए। इसके बाद इसे काट लीजिए। काटने के बाद निम्न सामग्री को तैयार कर लीजिए - 

सामग्री
(प्रति 250 ग्राम सांगरी) 
मात्रा 
तेल 4-5 टेबल स्पून 
हल्दी पाउडर आधा छोटा चम्मच 
जीरा आधा छोटा चम्मच
धनिया 1 छोटी चम्मच 
मिर्ची पाउडर 1 छोटी चम्मच 
प्याज 2 प्याज 
कच्ची कैरी 1 कैरी 
सौंफ 1 चम्मच 
लहसून 20 कली 
नमक स्वादानुसार 

उपर्युक्त सामग्री को तैयार करने के बाद आप एक कड़ाई, टापरी, तपेली, भगोना या सब्जी बनाने का बर्तन ले लीजिए। उस बर्तन में तेल को डालकर मसाले डालकर चमका (चौंका) लगा दीजिए। जब मसाले पक जाए तब सांगरी और कटी हुई कैरी को डाल दीजिए। थोड़ा (एक गिलास) पानी डाल दीजिए और इसे पकने दे जब सांगरी पक जाए तो प्याज डाल नीचे रख दीजिए। अगर आप पानी का इस्तेमाल नहीं करना चाहते हैं तो सांगरी को पहले उबाल कर सब्जी बना सकते हैं। कैरी की अनुपलब्धता में आप दही से खटाई दे सकते हैं। दही को डालते ही बर्तन को स्टोव से उतार दीजिए। अब आपकी सब्जी तैयार हो चुकी है, इसे आप रोटी (गेंहू, बाजरा मक्का) के साथ खा सकते हैं। 

आजकल बाजार में सांगरी और लाल मिर्च का अचार भी मिलने लगा है, इसे आप घर पर भी बना सकते हैं। यूँ तो सांगरी और केर की साथ सब्जी बनाने पर आपको बहुत स्वादिष्ट लगेगी किन्तु केर नहीं मिलने पर आप लाल मिर्च, टमाटर के साथ भी सब्जी बना सकते हैं। राजस्थान में जब सांगरी पेड़ पर आती हैं तब गांवों के लगभग सभी घरों में सांगरी की सब्जी प्याज के साथ बनाई जाती है, जिसमें दही या छाछ की खटाई दी जाती है। आजकल सांगरी शहरो के साथ अमीरों में भी स्टेट्स बन रही है यही कारण है कि बड़े-बड़े होटल में पंचकुटा की सब्जी मिल जाने के साथ ही भारी बजट वाली शादियों में भी पंचकुटा की सब्जी बनाई जाती हैं। 

कब और कहाँ मिलती है सांगरी?


खेजड़ी के पेड़ पर मार्च महीने के अंत से पुष्प (जिसे स्थानीय भाषा में मिंझर या मिमझर कहा जाता है) लगने शुरु होते हैं। अप्रैल महीने से सांगरी लगना शुरु हो जाती है। ऐसे में अप्रैल और मई के महीने में हरी सांगरी बाजार में भी मिलने लगती है। हरी सांगरी सब्जी की दुकान पर मिलती हैं, इसके लिए आप सब्ज़ी के बाजार में जाना होगा। इसके अतिरिक्त आप किसी गॉव से भी खरीद या खेजड़ी से तोड़कर ला सकते हैं। सालभर सांगरी की सब्जी बनाने के लिए आप इसे उपचारित कर उपयोग में ले सकते हैं। 

अगर आप राजस्थान से बाहर रहते हैं, जहाँ खेजड़ी के पेड़ नहीं है तो आप राजस्थान की सांगरी खरीदने के लिए बाजार या किराणे की दुकान से सूखी और उपचारित खरीद सकते हैं। सूखी सांगरी का सेवन भी उतना ही फायदेमंद होता है, जितना हरी सांगरी का सेवन। सूखी सांगरी बाजार में सालभर मिलती रहती है, यह किराणें की दुकान के साथ ही आजकल ऑनलाइन भी मिलने लगी है। जिन्हें सब्जी बनानी नहीं आती है वो बाजार से सांगरी और कैर का आचार भी खरीद सकते हैं और ऑनलाइन भी मंगा सकते हैं। कैर और सांगरी का अचार आजकल सभी ऑनलाइन सामान बेचने वाली कंपनियों के पास आसानी से मिल जाता है। 

कैसे करे सांगरी का उपचार (pasteurisation)? 


अगर आप बाजार से खरीदकर या पेड़ से तोड़कर अधिक मात्रा में सांगरी ले आते हैं तो सब्जी बना लेने के बाद बची हुई सांगरी को फेंके नहीं। बची हुई सांगरी को एक बर्तन में डालकर थोड़ा नमक डालकर बर्तन को मुँह तक पानी से भरकर इसे अच्छी तरह से उबाल ले। जब पूरी तरह से उबल जाए, तब इसे धूप में सूखा लीजिए। पूरी तरह से सूखने के बाद आप किसी बर्तन में डालकर रख दीजिए ताकि इसकी बाद में जब भी आपकी मर्जी आए तब सब्जी बनाई जा सके। 
आमतौर पर किसान सांगरी को तोड़कर इसी तरीके से उपचारित कर बाजार में बेचते हैं। सूखी और उपचारित सांगरी का रंग काला हो जाता है। कुछ लोग सांगरी को उपचारित करने के लिए जब उबालते है तो उसमें बाजरे या गेंहूं के आटे का गोल बाटा (बाटी) बनाकर उसमे डाल देते हैं, जो पानी को उबालने पर पककर बहुत ही स्वादिष्ट बनता है। साथ ही ऐसा करने से सांगरी आपस में कम उलझती है और जल्दी उबल जाती हैं। 

सांगरी के सेवन के फायदे -


किसान सांगरी को उपचारित करने के बाद इसे बाजार में बेचा जाता है। भारत के साथ इसे निर्यात भी किया जाता है। इसका उपयोग खाने के साथ आयुर्वेद में भी होता है। इसमे उपलब्ध पोटेशियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम और जिंक आदि के पाये जाते हैं। सांगरी में प्रोटीन और आयरन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसके उपलब्ध तत्वों और गुणों के कारण इसकी मांग विदेशों में भी है। ऐसे में उन कुछ फायदों का जिक्र करते हैं, जो सांगरी के सेवन से होते हैं - 

  • कोलेस्ट्राॅल कम करने में मददगार - सांगरी में फाइबर और सैपोनीन पाया जाता है। सैपोनीन मानव शरीर के खून में लिपिड को कम करता है और फाइबर के साथ मिल बिगड़े हुए कोलेस्ट्राॅल को नियमित कर सही कर देता है।यह मोटापे की बीमारी की दुश्मन है। 
  • रक्तचाप को नियमित करना - सांगरी में मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है, मैग्नीशियम रक्त धमनियों को विस्तृत कर रक्त के सर्कुलेशन को नियमित करता है, जिससे हृदय सम्बन्धित बीमारियो का नाश होता है। 
  • प्रतिरक्षा (रोग प्रतिरोधक क्षमता) को मजबूती - सांगरी में जिंक प्रचुर मात्रा में होता है। जिंक शरीर की इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है। इससे बीमारियो से लड़ने की शक्ति प्राप्त होती हैं। 
  • हड्डियों को मज़बूत करना - सांगरी में कैल्शियम की उपलब्धता हड्डियों को मजबूत करती हैं। यह हड्डियों के मेटाबाॅलिज्म को बढ़ाता है तो दूसरी ओर मैग्नीशियम बोन डेनसिटी को बढावा देता है। 
  • पाचनतंत्र को मजबूती - सांगरी में पाया जाने वाला फाइबर पेट सम्बन्धित रोगों का निवारण करता है। कब्ज से राहत पाने के लिए सांगरी का सेवन किया जाना बेहतर होता है। 
  • गर्मी से राहत - सांगरी की तासीर ठण्डी होती है, जिसके कारण यह मरुस्थल में चलने वाली गर्म हवा (लू) से राहत देती है और मस्तिष्क में भी ठंडक पैदा करतींं है, जिससे गर्मी से राहत मिलती हैं। इसके सेवन से फोड़े-फुंसी और मुहांसों से राहत मिलती हैं। 
  • बवासीर से राहत - बवासीर शरीर की गर्मी और कब्ज से होने वाली बीमारी है, बवासीर के मरीज़ द्वारा सांगरी का सेवन किए जाने से शरीर को ठंडक मिलती है और कब्ज से निजात जिससे बवासीर ठीक हो जाती हैं। 

इनके अतिरिक्त सांगरी का उपयोग अस्थमा, ज्वर, मलेरिया, दस्त और आर्थराइटिस में भी किया जाता है। गांवों में बुखार आने पर सांगरी की सब्जी खिलाई जाती है, जिससे मरीज़ को राहत मिलती है। 

सांगरी और किसान -


सांगरी की मांग और खपत भारत के साथ यूरोपीय देशों में भी है। सांगरी को बाजार में बेचने पर किसानो को अच्छी रकम मिल रही हैं। सांगरी के अच्छे उत्पादन के लिए किसान खेत की मेड़ पर या खेत में उन्नत किस्म के खेजड़ी के पौधे लगाकर पशुपालन के साथ ही बढ़िया मात्रा में सांगरी एकत्रित कर बाजार में अच्छे दाम पर बेच सकते हैं। साथ ही खुद के सब्जी बनाने के लिए भी सांगरी को एकत्रित और उपचारित कर साल भर सब्जी बनाई जा सकती है। 
खेजड़ी का पेड़ किसानो के लिए बहुत ही लाभकारी पेड़ है। इसका हर एक हिस्सा बाजार में बिकता है। खेजड़ी के पत्ते, गोंद और लकड़ियां सबकुछ बाजार में बिकता है साथ ही घरेलू उपयोग में भी लिया जा सकता है। घरेलू उपयोग में लेने से बचत हो सकती हैं। खेजड़ी का पेड़ जहां उगाया जाता है, उसके आसपास की भूमि भी अधिक उपजाऊ हो जाती हैं। कई किसान आजकल विभिन्न उन्नत किस्म के बाजारो में मिलने वाले पौधे लाकर खेतों में उगाते है। 

अन्य प्रश्न -


प्रश्न: सांगरी क्या है? 

उत्तर: सांगरी मरुस्थल में पाए जाने वाले खेजड़ी के पेड़ पर लगने वाली एक फली है। मरुस्थल में इसकी पैदावार होने के कारण इसे मरूस्थल का मेवा कहा जाता है। 

प्रश्न: सांगरी की रेट क्या है? 

उत्तर: सूखी हुई एकदम पतली और काली सांगरी बाजार में 1200 रुपये किलो तक बेची जा सकती हैं। वही गिली सांगरी की दर समान नहीं हैं, यह मांग पर निर्भर है। 

प्रश्न: सांगरी इतनी महंगी क्यों है? 

उत्तर: सांगरी का उत्पादन केवल मरुस्थल में होता है और खपत पूरे विश्व में। वास्तव में सांगरी के उत्पादन के मुकाबले में इसकी मांग कई गुना है ऐसे में मांग को कम करने और बाजार को नियंत्रित करने के कारण इसकी रेट ज्यादा है। अगर रेट में 50% गिरावट आ जाए तो मांग में पांच गुना वृद्धि हो पुनः रेट ऊपर चली जाएगी। 

प्रश्न: सांगरी की सब्जी बनाने में साथ क्या मिलाया जाना चाहिए? 

उत्तर: सांगरी के साथ लाल मिर्च, प्याज और दही या कैरी मिलाकर बढ़िया और स्वादिष्ट सब्जी बनाई जा सकती हैं। किंतु पंचकुटा की सब्जी का कोई विकल्प नहीं है। 

प्रश्न: सांगरी किस पेड़ पर लगती हैं? 

उत्तर: सांगरी मरुस्थल में पाए जाने वाले खेजड़ी के पेड़ पर लगती है। 

प्रश्न: सांगरी में क्या पाया जाता है? 

उत्तर: सांगरी में पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, जिंक और आयरन पाया जाता है। 

प्रश्न: सांगरी की तासीर कैसी है? 

उत्तर: सांगरी की तासीर ठंडी है। 



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ