दुनियाभर से जमीन खिसकने या धंसने की लगातार खबरें आ रही हैं। रातों-रात इतने बड़े गड्ढे बन जाते हैं कि पूरा गांव उसमें समा सकता है। ये गड्ढे अचानक उत्पन्न होते हैं और जीवन, संपत्ति और पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं। भूगर्भीय कारणों के साथ-साथ मानव गतिविधियां भी इन घटनाओं को तेज कर रही हैं। शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में इनके प्रभाव से सुरक्षा और संरचना पर बड़ा असर पड़ता है, इसलिए सतर्क रहना आवश्यक हो गया है।
तुर्की, थाईलैंड और दुनियाभर के कई देशों से जमीन धंसने और खिसकने की खबरें आ रही हैं। रातों-रात जमीन में 30 मीटर तक गहरे गड्ढे बन जाते हैं, जो इलाके और लोगों के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं। तुर्की में ऐसे मामले पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़े हैं। भूगर्भीय कारणों और मानव गतिविधियों के प्रभाव से ये घटनाएं और बढ़ती जा रही हैं, जिससे सतर्कता बेहद जरूरी हो गई है।
जमीन में गड्ढे होने का अर्थ -
जमीन के गड्ढे जिन्हें अग्रेजी भाषा में सिंकहोल Sinkhole) कहा जाता है। यह वह जगह है जहाँ जमीन अचानक प्राकृतिक कारणों से नीचे धंस जाती है और सतह पर बड़ा गड्ढा बन जाता है। यह भूवैज्ञानिक मानते हैं कि ऐसी घटना तब होती है जब जमीन की सतह के नीचे खोखलापन उत्पन्न हो जाता है और ऊपर की मिट्टी या चट्टान का वजन सहन न कर पाए। इसके कारण अचानक सतह पर गड्ढे बन जाते हैं, जो कई बार छोटे आकार के होते हैं और कभी-कभी यह इतने बड़े हो जाते हैं कि पूरे इलाके को प्रभावित कर सकते हैं।
सिंकहोल प्राकृतिक प्रक्रियाओं के कारण बनते हैं। उदाहरण के लिए, वर्षा का पानी जब घुलनशील चट्टानों, जैसे कि चूना पत्थर, के बीच रिसता है, तो वह धीरे-धीरे इन्हें घोल देता है। इससे नीचे की चट्टानें खोखली हो जाती हैं और जमीन ऊपर से धंस जाती है। इसी तरह भूमिगत पानी का तेजी से निकलना भी मिट्टी को कमजोर कर सकता है, जिससे अचानक गड्ढे बन जाते हैं।
इसके अलावा, मानव गतिविधियां भी सिंकहोल बनने में भूमिका निभा सकती हैं। जैसे अत्यधिक भूजल निकासी, खनन कार्य, पाइपलाइन लीकेज और निर्माण गतिविधियां जमीन को अस्थिर कर सकती हैं। दुनिया के कई देशों में, जैसे चीन, फ्लोरिडा और तुर्की में, सिंकहोल अक्सर बड़े पैमाने पर देखने को मिलते हैं। ये न केवल संपत्ति और इमारतों को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि जीवन के लिए भी खतरा उत्पन्न करते हैं।
तुर्की में जमीन में गड्ढे -
तुर्की में जमीन में गड्ढों की समस्या गंभीर रूप ले चुकी है, विशेषकर कोन्या प्लेन इलाके में। इस क्षेत्र में अब तक करीब 700 बड़े-बड़े गड्ढे बन चुके हैं, जो खेतों को निगल रहे हैं और किसानों की जिंदगी को गंभीर खतरे में डाल रहे हैं। ये गड्ढे 30 मीटर तक गहरे और 100 फीट तक चौड़े हैं, और लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इसके कारण किसानों की फसलें, संपत्ति और कृषि योग्य जमीन प्रभावित हो रही है।
इस समस्या के पीछे कई प्राकृतिक और मानवीय कारण हैं। सबसे बड़ा कारण भूजल का स्तर कम होना है। लंबे समय तक चल रहे सूखे और अत्यधिक जल निकासी ने जमीन के नीचे पानी की मात्रा घटा दी है। इसके अलावा, ज्यादा पानी मांगने वाली फसलें जैसे चुकंदर और मक्का की सिंचाई भूजल को तेजी से कम कर रही हैं, जिससे जमीन और अस्थिर हो रही है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि भूजल स्तर में लगातार गिरावट के कारण आने वाले वर्षों में और भी बड़े गड्ढे बन सकते हैं।
तुर्की की आपदा प्रबंधन एजेंसी (AFAD) ने इस समस्या को गंभीरता से लिया है और रिस्क मैप बनाने का काम शुरू किया है। इसके जरिए संभावित खतरे वाले क्षेत्रों की पहचान की जा रही है ताकि समय रहते उपाय किए जा सकें। विशेषज्ञ सुझाव दे रहे हैं कि जल संरक्षण, सतत खेती और भूजल स्तर की निगरानी इस समस्या से निपटने में मदद कर सकते हैं।
बैंकॉक थाइलैंड जमीन के गड्ढे (Bangkok Thailand Sinkhole) -
बैंकॉक, थाईलैंड में निर्माण कार्य के दौरान एक बड़ा गड्ढा बन गया, इस गड्ढे ने सड़क को पूरी तरह से निगल लिया है और कई वाहनों को नुकसान पहुंचाया, जो उस वक्त उस सड़क से गुजर रहे थे। यह घटना 24 सितंबर, 2025 को वजीरा अस्पताल के सामने हुई, जब एक भूमिगत ट्रेन स्टेशन के निर्माण के दौरान सुरंग में दरार आ गई और पानी के पाइप में लिकेज हो गया। इसके कारण जमीन के नीचे की मिट्टी बह गई और सतह पर एक विशाल गड्ढा बन गया।
इस गड्ढे की गहराई लगभग 50 मीटर है और यह 30 मीटर चौड़ा है। सौभाग्य से इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन कई लोग घायल हुए। वजीरा अस्पताल के आसपास के इलाके को खाली करा दिया गया है और सड़क को पूरी तरह बंद कर दिया गया है। पास-पड़ोस के निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया, ताकि कोई और नुकसान न हो।
थाईलैंड की सरकार ने इस घटना की तुरंत जांच शुरू कर दी है और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है। बैंकॉक के गवर्नर चडचर्ट सिट्टिपंट ने कहा कि गड्ढे को भरने और सड़क को सुरक्षित करने में कम से कम एक साल का समय लगेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए भूमिगत निर्माण के दौरान सतत निरीक्षण और सुरक्षा उपाय आवश्यक हैं।
सड़क के बंद होने और आसपास के क्षेत्र को खाली कराए जाने के कारण स्थानीय लोगों की जिंदगी प्रभावित हुई है। वहीं, यह घटना शहर के लिए एक चेतावनी है कि बड़े निर्माण कार्यों में भूगर्भीय जोखिमों का गंभीरता से मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
जमीन धंसने और गड्ढे होने की प्रक्रिया -
तुर्की में जमीन धंसने की घटना को सरल भाषा में “सिंकहोल बनने की प्रक्रिया” कहा जाता है। यह प्रक्रिया अचानक दिखाई जरूर देती है, लेकिन वास्तव में इसके पीछे वर्षों तक चलने वाली प्राकृतिक और मानवीय गतिविधियां जिम्मेदार होती हैं।
- पहला चरण जमीन के नीचे मौजूद घुलनशील चट्टानों से शुरू होता है। तुर्की के कोन्या प्लेन जैसे क्षेत्रों के नीचे चूना पत्थर और जिप्सम जैसी चट्टानें पाई जाती हैं, जो पानी के संपर्क में आने पर धीरे-धीरे घुल जाती हैं। बारिश का पानी या भूजल इन चट्टानों की दरारों में प्रवेश करता है और सालों-दशकों में उन्हें घोलकर अंदर खाली जगहें या गुफानुमा संरचनाएं बना देता है। यह प्रक्रिया बहुत धीमी होती है, इसलिए ऊपर की सतह सामान्य बनी रहती है।
- दूसरा चरण अत्यधिक भूजल दोहन से जुड़ा होता है। खेती और सिंचाई के लिए लगातार और अनियंत्रित बोरवेल से पानी निकाला जाता है, जिससे भूजल स्तर तेजी से गिरता है। जब पानी कम हो जाता है, तो जमीन के भीतर बनी इन गुहाओं को सहारा देने वाला जल दबाव खत्म हो जाता है। परिणामस्वरूप गुहाओं की छत कमजोर होने लगती है और ऊपर मौजूद मिट्टी व चट्टानों का भार बढ़ता जाता है।
- तीसरा चरण सबसे खतरनाक होता है। बाहर से जमीन समतल और सुरक्षित दिखती है, लेकिन अंदर से वह खोखली हो चुकी होती है। एक समय ऐसा आता है जब कमजोर छत अचानक ढह जाती है। कुछ ही सेकंड में खेत, सड़क या पूरी जमीन नीचे धंस जाती है और बड़ा गोल गड्ढा बन जाता है, जिसे सिंकहोल कहा जाता है।
इस पूरी प्रक्रिया में लंबा सूखा, कम बारिश, ज्यादा पानी मांगने वाली फसलें और अवैध बोरवेल अहम भूमिका निभाते हैं। यही कारण है कि तुर्की के कई इलाकों में सिंकहोल की संख्या लगातार बढ़ रही है और यह कृषि, सड़क और मानव जीवन के लिए गंभीर खतरा बन चुकी है।
जमीन धंसने के कारण -
तुर्की में जमीन धंसने की समस्या के पीछे प्राकृतिक भू-वैज्ञानिक कारणों के साथ-साथ मानव गतिविधियां भी बड़ी भूमिका निभा रही हैं। यह संकट विशेष रूप से मध्य तुर्की के कोन्या प्लेन और आसपास के इलाकों में तेजी से बढ़ा है, जहां सैकड़ों बड़े सिंकहोल सामने आ चुके हैं।
सबसे पहला और मुख्य कारण भू-वैज्ञानिक बनावट है। कोन्या बेसिन के नीचे चूना पत्थर जैसी घुलनशील चट्टानें पाई जाती हैं। जब बारिश का पानी या भूजल इन चट्टानों की दरारों में पहुंचता है, तो वह उन्हें धीरे-धीरे घोल देता है। इस प्रक्रिया से जमीन के भीतर खोखली गुफानुमा संरचनाएं बन जाती हैं। समय के साथ इन गुफाओं की छत कमजोर हो जाती है और अचानक ढह जाती है, जिससे ऊपर की जमीन धंसकर गहरे गोल गड्ढों में बदल जाती है।
दूसरा बड़ा कारण लंबा सूखा और जलवायु परिवर्तन है। मध्य तुर्की पिछले कई वर्षों से कम बारिश और बढ़ते तापमान का सामना कर रहा है। इससे झीलें और जलाशय सूख गए हैं और भूजल का प्राकृतिक पुनर्भरण कम हो गया है। नतीजतन भूजल स्तर तेजी से नीचे गिरा है, जिससे जमीन के भीतर मौजूद पानी-समर्थित संरचनाएं अस्थिर हो गईं।
तीसरा और सबसे गंभीर मानवीय कारण अत्यधिक भूजल दोहन है। कोन्या प्लेन को तुर्की की “अनाज की टोकरी” कहा जाता है, जहां गेहूं, मक्का और चुकंदर जैसी ज्यादा पानी मांगने वाली फसलें उगाई जाती हैं। इनकी सिंचाई के लिए हजारों, कई बार अवैध, बोरवेलों से लगातार पानी निकाला गया। इससे एक्वीफर खाली होते गए और जमीन के नीचे बनी गुफाओं की छतें ढहने लगीं।
| कारण | भूमिका / प्रभाव का सार |
|---|---|
| भू–वैज्ञानिक बनावट | घुलनशील चट्टानें और कार्स्ट क्षेत्र होने से प्राकृतिक रूप से सिंकहोल की प्रवृत्ति अधिक। |
| लंबा सूखा | सतह व भूजल दोनों का स्तर गिरा, जिससे जमीन के भीतर की गुहाएं सूखी और अस्थिर हुईं। |
| जलवायु परिवर्तन | बारिश में कमी और गर्मी बढ़ने से सूखे की आवृत्ति व तीव्रता बढ़ी। |
| अत्यधिक भूजल दोहन | सिंचाई के लिए दशकों तक तेज पंपिंग से एक्वीफर खाली हुए और छतें ढह गईं। |
| पानी‑बहुल फसलें व नीति | गेहूं, चुकंदर, मक्का जैसी फसलों और कमजोर जल प्रबंधन ने समस्या को और तेज किया। |
इन सभी कारणों के संयुक्त प्रभाव से खेतों, सड़कों और बस्तियों के पास अचानक सिंकहोल बन रहे हैं। विशेषज्ञ इसे जल संकट और जलवायु परिवर्तन की गंभीर चेतावनी मानते हैं, जिससे भविष्य में खतरा और बढ़ सकता है।
निपटने के उपाय -
तुर्की जैसे क्षेत्रों में जमीन धंसने (सिंकहोल) से निपटने के उपाय दो स्तरों पर किए जाने चाहिए—पहला, मूल कारणों को कम करना; दूसरा, पहले से संवेदनशील इलाकों में जोखिम घटाना। ये उपाय अन्य देशों के लिए भी उपयोगी हो सकते हैं।
जल और खेती से जुड़े उपाय सबसे अहम हैं। भूजल के अत्यधिक दोहन पर सख्त नियंत्रण जरूरी है। इसके लिए बोरवेल पर लाइसेंस प्रणाली, अवैध बोरवेलों पर पूर्ण प्रतिबंध और स्मार्ट मीटर से पानी की खपत की निगरानी की जानी चाहिए। खेती में ज्यादा पानी मांगने वाली फसलों जैसे चुकंदर और मक्का की जगह कम पानी वाली फसलों को बढ़ावा देना चाहिए। ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई, वर्षा जल संचयन और खेत-तालाब जैसी तकनीकें पानी की खपत काफी घटा सकती हैं।
भू-वैज्ञानिक और तकनीकी उपायों के तहत उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में नियमित जियोफिजिकल सर्वे जरूरी हैं। सैटेलाइट और रिमोट सेंसिंग से जमीन के बैठने के शुरुआती संकेतों की पहचान कर समय रहते चेतावनी दी जा सकती है। जहां बड़ी कैविटी बनने की आशंका हो, वहां ग्राउटिंग, भराई, मजबूत नींव और सख्त निर्माण मानकों को लागू करना चाहिए।
नीति और स्थानीय स्तर पर संवेदनशील इलाकों को “उच्च जोखिम क्षेत्र” घोषित कर भारी निर्माण और गहरी सिंचाई पर रोक लगानी चाहिए। किसानों और स्थानीय लोगों को जागरूक करना, शुरुआती दरारों की रिपोर्टिंग और मुआवजा व पुनर्वास नीति भी जरूरी है।
इसके साथ ही वनीकरण, तालाब-पुनर्जीवन और जलवायु-स्मार्ट कृषि अपनाकर लंबे समय में जमीन धंसने के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न -
प्रश्न - सिंकहोल क्या होता है?
उत्तर - सिंकहोल वह भूगर्भीय घटना है जिसमें जमीन के नीचे खोखलापन बनने से सतह अचानक धंस जाती है और बड़ा गड्ढा बन जाता है, जो जान-माल के लिए खतरनाक होता है।
प्रश्न - तुर्की में सिंकहोल क्यों तेजी से बढ़ रहे हैं?
उत्तर - तुर्की में सिंकहोल बढ़ने के मुख्य कारण हैं घुलनशील चट्टानें, लंबे समय का सूखा, जलवायु परिवर्तन और खेती के लिए अत्यधिक भूजल दोहन।
प्रश्न - क्या भूजल दोहन से जमीन धंस सकती है?
उत्तर - हाँ, अत्यधिक भूजल निकासी से एक्वीफर खाली हो जाते हैं, जिससे जमीन के नीचे बनी गुफाओं की छत कमजोर होकर ढह जाती है और सिंकहोल बनते हैं।
प्रश्न - सिंकहोल बनने के शुरुआती संकेत क्या होते हैं?
उत्तर - जमीन में दरारें, अचानक धंसाव, पेड़ों या खंभों का झुकना, दीवारों में दरार और पानी का असामान्य बहाव सिंकहोल के शुरुआती संकेत हो सकते हैं।
प्रश्न - क्या सिंकहोल केवल प्राकृतिक कारणों से बनते हैं?
उत्तर - नहीं, प्राकृतिक कारणों के साथ मानव गतिविधियां जैसे खनन, निर्माण कार्य, पाइपलाइन लीकेज और अवैध बोरवेल भी सिंकहोल बनने की प्रक्रिया को तेज करती हैं।
प्रश्न - बैंकॉक जैसे शहरों में सिंकहोल का खतरा क्यों है?
बैंकॉक जैसे शहरों में भूमिगत निर्माण, कमजोर मिट्टी, पानी की पाइपलाइन लीकेज और भारी निर्माण दबाव जमीन को अस्थिर बनाकर सिंकहोल का खतरा बढ़ाते हैं।
प्रश्न - सिंकहोल से बचाव के लिए सबसे प्रभावी उपाय क्या हैं?
उत्तर - भूजल नियंत्रण, जल संरक्षण, कम पानी वाली खेती, जोखिम-आधारित ज़ोनिंग, जियोफिजिकल सर्वे और सख्त निर्माण नियम सिंकहोल से बचाव के सबसे प्रभावी उपाय हैं।

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