सामाजिक जागरूकता का अर्थ और उद्देश्य। Social Awareness

सामाजिक जागरूकता का अर्थ और उद्देश्य। Social Awareness

भारत विविधताओं से भरा हुआ एक दश है। यहां प्रत्येक व्यक्ति का अपना-अपना एक विशिष्ट नजरिया होता है। प्रत्येक व्यक्ति के विशिष्ट नजरिया का कारण विभिन्न समाज और विभिन्न प्रकार के रीति रिवाज का होना है। भारत में कई प्रकार के धर्म के साथ पंत का पालन किया जाता है। इसके अतिरिक्त विभिन्न धर्म में विभिन्न जातियों के भी रीति रिवाज के भीतर भिन्नता पाई जाती है।
सामाजिक जागरूकता का अर्थ और उद्देश्य। Social Awareness

विभिन्न गांव से भरा हुआ देश होने के कारण सामाजिक जागरूकता के नजरिए से बहुत बड़ा क्षेत्र रखता है। भारत में सामाजिक जागरूकता की आवश्यकता समय-समय पर महसूस की जाती है। ऐसे में हम सबसे पहले सामाजिक जागरूकता क्या होती है उसके बारे में बात करते हैं। ताकि सामाजिक जागरूकता को बेहतर तरीके से समझा जा सके।

सामाजिक जागरूकता का अर्थ - 


सामाजिक जागरूकता से तात्पर्य किसी व्यक्ती द्वारा समाज में रहने वाले लोगों अथवा दूसरों के दृष्टिकोण को समझते हुए उनके साथ मानवीय व्यवहार और सहानुभूति का भाव रखने से हैं। यह मानवीय व्यवहार के भावनात्मक बुद्धिमत्ता का एक हिस्सा होता हैं। सामाजिक जागरूकता की सहायता से, हम समाज में व्याप्त विभिन्न प्रकार की असमानताओं, अन्याय, और समस्याओं आसानी से पहचान सकते हैं और उन्हें दूर करने के लिए प्रयास कर सकते हैं।

सामाजिक जागरूकता का अर्थ अपने आस-पास की चीज़ों अथवा वातावरण के बारे में जागरूक होने से है। जिन लोगों से हम हमेशा बातचीत करते हैं उनके नज़रिए को समझने से हैं। किसी प्रकार की समस्या की दशा में उसमें अपेक्षित सुधार किया जाना भी सामाजिक जागरूकता का हिस्सा माना जाता है।

सामाजिक जागरूकता अभियान और उदेश्य -


सामाजिक जागरूकता अभियान का प्रमुख उद्देश्य समाज में व्याप्त किसी रीति-रिवाजों, विशेष मुद्दों के प्रति लोगों को शिक्षा प्रदान कर जागरुक करना होता है। ऐसे अभियान सामन्यतः ज़न स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण, लैंगिक समानता, बाल अधिकार, नशा मुक्ति, स्वच्छता, वोट देने की जागरूकता आदि जैसे सामाजिक विषयों पर केंद्रित होते हैं।

सामाजिक जागरूकता अभियान - 


सामाजिक जागरूकता अभियान से तात्पर्य ऐसे संगठित प्रयास या गतिविधि से हैं, जिसका उद्देश्य समाज के लोगों को किसी सामाजिक मुद्दे, समस्या या अधिकार के बारे में जानकारी देते हुए, उन्हें सजग करना, और उनके व्यवहार में बदलाव लाना होता है।

आज के समय तेजी से बदल रहा है, ऐसे में सामाजिक जागरूकता की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है। समाज में अनेक समस्याएँ जैसे – बाल श्रम, दहेज प्रथा, नशा, असमानता, अशिक्षा, प्रदूषण आदि व्याप्त हैं। इन समस्याओं से निपटने के लिए केवल कानून बनाना पर्याप्त नहीं होता, बल्कि लोगों को उनके अधिकारों, कर्तव्यों और सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक करना भी आवश्यक होता है। इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए सामाजिक जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं।

सामाजिक जागरुकता के उद्देश्य 


सामाजिक जागरूकता अभियान और कार्यक्रम विभिन्न सामाजिक संगठनों के साथ सरकारों द्वारा चलाए जाते हैं, ऐसे जागरूकता अभियान के उदेश्य निम्नलिखित होते हैं। 
  1. जन जागरूकता बढ़ाना: लोगों को किसी सामाजिक समस्या के बारे में जानकारी देना। मुद्दे से पूरी तरह से परिचित कराना होता है।
  2. सोच में बदलाव लाना: पुराने, रूढ़िवादी या हानिकारक विचारों को बदलना।
  3. व्यवहार में सुधार: समाज में सकारात्मक व्यवहार और जिम्मेदारी को बढ़ावा देना।
  4. नीतियों का समर्थन: सरकार या सामाजिक संस्थाओं की योजनाओं के लिए समर्थन जुटाना।
  5. सामाजिक भागीदारी: लोगों को किसी अच्छे कार्य में भाग लेने के लिए प्रेरित करना।
सामाजिक जागरूकता के इसके अतिरिक्त महत्वपूर्ण उद्देश्य समाज के लोगों को सामाजिक समस्याओं की जानकारी देते हुए उनकी सोच और व्यवहार में सकारात्मक बदलाव लाना भी होता है। उन्हें अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति सजग बनाते हुए समाज में व्याप्त सामाजिक बुराइयों को खत्म करने के लिए प्रेरित करना होता है, जिससे एक जिम्मेदार और संवेदनशील समाज का निर्माण किया जा सके। 

सामाजिक जागरूकता के उदाहरण:


सामाजिक जागरूकता अभियान या कार्यक्रम के कुछ उदाहरण इस प्रकार से हो सकते हैं जो हमारी केंद्र और राज्य सरकारे चला रही है। 
  • स्वच्छ भारत अभियान – स्वच्छता के प्रति समाज के विभिन्न वर्गों में जागरूकता फैलाना।
  • बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ – लड़कियों की शिक्षा और अधिकारों के लिए।
  • पल्स पोलियो अभियान – पोलियो उन्मूलन के लिए जनजागरूकता।
ऐसे ही कुछ अन्य उदाहरण समाज के भीतर भी देखने को मिल सकते हैं जिनमे ट्रैफ़िक के प्रति जागरूक करना हो या नशे मुक्ति के विभिन्न प्रकार के अभियान। 

सामाजिक जागरूकता की उपयोगिता - 


जैसा हमने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि भारत में विभिन्न धर्मो के साथ विभिन्न प्रकार की जाति और पथ है, ऐसे में सामाजिक जागरूकता का भारत में बहुत बड़ा क्षेत्र है। भारत में सामाजिक जागरूकता की उपयोगिता को देखा जाए तो निम्नलिखित प्रकार से इसकी उपयोगिता सिद्ध हो सकती है। 
  1. बेहतर रिश्तों की स्थापना – सामाजिक जागरूकता लोगों को एक-दूसरे की पृष्ठभूमि, भावनाओं और आवश्यकताओं को समझने में मदद करती है। यह समझ आपसी विश्वास और सौहार्द बढ़ाती है, जिससे रिश्तों में मजबूती आती है।
  2. कार्यप्रणाली की समझ – विभिन्न सामाजिक संस्थाओं, परंपराओं और कार्यशैली को जानना एक व्यक्ति को समाज में बेहतर ढंग से काम करने के लिए सक्षम बनाता है। इससे सहयोग और समन्वय की भावना विकसित होती है।
  3. बेहतर संवाद – जब व्यक्ति सामाजिक दृष्टिकोण से जागरूक होता है, तो वह विचारों और भावनाओं को संवेदनशील ढंग से अभिव्यक्त करता है। इससे संवाद अधिक प्रभावशाली और सहृदय बनता है।
  4. स्थानीय मुद्दों की समझ – सामाजिक जागरूकता व्यक्ति को अपने क्षेत्र की समस्याओं और आवश्यकताओं से जोड़ती है। यह जागरूकता स्थानीय समाधान ढूंढने और समाज में सक्रिय भागीदारी निभाने की दिशा में प्रेरित करती है।
  5. सम्मान भाव की उत्पत्ति – विविधता में एकता को समझने वाला व्यक्ति दूसरों के विचारों, धर्मों और संस्कृतियों का सम्मान करना सीखता है। इससे सामाजिक सौहार्द्र और परस्पर सम्मान की भावना बढ़ती है।
  6. कमजोर वर्ग की भलाई – सामाजिक रूप से जागरूक व्यक्ति समाज के वंचित, पिछड़े और असहाय वर्गों की समस्याओं को समझता है और उनकी मदद के लिए आगे आता है। इससे समतामूलक समाज की स्थापना होती है।
  7. करुणा भाव की उत्पत्ति – जब व्यक्ति दूसरों की परिस्थितियों को समझने में सक्षम होता है, तो उसमें स्वाभाविक रूप से करुणा और सहानुभूति का भाव उत्पन्न होता है। यह भाव मानवीय रिश्तों को अधिक संवेदनशील और प्रगाढ़ बनाता है।
सामाजिक जागरूकता सम्बन्धित अभियानों से व्यक्ति को समाज की विविधता, समस्याओं और आवश्यकताओं को समझने में सक्षम बनाती है। इससे आपसी रिश्ते मजबूत होते हैं, संवाद बेहतर होता है, और समाज में समरसता, सहानुभूति व सहयोग की भावना विकसित होती है।

सामाजिक जागरूकता के तरीके -


सामाजिक जागरूकता का प्रचार करने के लिए विभिन्न तरीकों की आवश्यकता होती हैं। इन सभी तरीकों का उपयोग करके समाज में जागरूकता फैलाई जा सकती है, इसके लिए निम्नलिखित तरीकों का उपयोग किया जा सकता है। 
  1. पाठ्यक्रम और शिक्षा – औपचारिक शिक्षा प्रणाली के माध्यम से सामाजिक विषयों की जानकारी दी जाती है। सामाजिक विज्ञान, नैतिक शिक्षा और नागरिक शास्त्र जैसे विषय समाज की संरचना और समस्याओं को समझने में मदद करते हैं। 
  2. जागरूकता विकसित करना – सामाजिक परिवेश, घटनाओं और मुद्दों पर ध्यान देना, समाचार पत्र पढ़ना, सामुदायिक गतिविधियों में भाग लेना आदि से सामाजिक जागरूकता धीरे-धीरे विकसित होती है। 
  3. बातचीत – विभिन्न विचारों वाले लोगों से संवाद करके हम समाज के विभिन्न पहलुओं को जान सकते हैं। संवाद सामाजिक सोच को विस्तृत करता है और नए दृष्टिकोण अपनाने में मदद करता है। 
  4. अध्ययन – पुस्तकों, लेखों, रिपोर्टों और शोध अध्ययनों को पढ़ना सामाजिक मुद्दों की गहराई को समझने में सहायक होता है। यह ज्ञान आधारित सोच विकसित करता है।
  5. सुनना और संग्रहण करना – दूसरों के अनुभवों, भाषणों और चर्चाओं को ध्यानपूर्वक सुनना और उनसे सीखना सामाजिक समझ को समृद्ध करता है। यह प्रक्रिया संवेदनशील और जागरूक नागरिक बनने की दिशा में सहायक होती है।
  6. अन्य तरीके – सामाजिक अभियानों में भाग लेना, स्वयंसेवी कार्य करना, मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़ना, और सांस्कृतिक/सामुदायिक कार्यक्रमों में सहभागिता करना।
सामाजिक जागरुकता के लिए अभियान की आवश्यकता होती है जो सरकार और विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा चलाए जा सकते है। ऐसे अभियान के माध्यम से समाज के विभिन्न वर्गों को शिक्षा दी जा सकती हैं।

अन्य प्रश्न 


प्रश्न – सामाजिक जागरूकता से क्या तात्पर्य है?

उत्तर – सामाजिक जागरूकता से तात्पर्य है समाज की संरचना, विविधता, समस्याओं और आवश्यकताओं के प्रति सजग और संवेदनशील होना। यह एक ऐसी क्षमता है जिसके माध्यम से व्यक्ति अपने आस-पास के लोगों, घटनाओं और सामाजिक परिस्थितियों को समझ पाता है। सामाजिक जागरूक व्यक्ति न केवल सामाजिक मुद्दों की पहचान करता है, बल्कि उनके समाधान की दिशा में भी सोचता है। इसमें समानता, करुणा, सहयोग और जिम्मेदारी जैसे मूल्य शामिल होते हैं। सामाजिक जागरूकता से व्यक्ति में दूसरों के प्रति सहानुभूति उत्पन्न होती है और वह समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए सक्रिय भूमिका निभा सकता है। 

प्रश्न – सामाजिक जागरूकता in English 

उत्तर – सामाजिक जागरूकता को अंग्रेजी में Social awareness कहते है। जो समाज से जुड़ी हुई एक प्रकार की शिक्षा होती है इसे अंग्रेजी में इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है। It refers to understanding the issues, challenges, and needs of society. It involves being sensitive to social inequalities, cultural differences, and community needs. A socially aware person actively seeks to make a positive impact, promoting empathy, equality, and social responsibility to foster a harmonious and inclusive society.

प्रश्न – महिलाओं में सामाजिक जागरूकता कैसे लाई जा सकती है?

उत्तर – महिलाओं में सामाजिक जागरूकता लाने के लिए शिक्षा और प्रशिक्षण महत्वपूर्ण है। उन्हें सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों के बारे में जानकारी देना, उनके अधिकारों और कर्तव्यों से अवगत कराना आवश्यक है। कार्यशालाएँ, सेमिनार और महिला समूहों का गठन महिलाओं को जागरूक करने के प्रभावी तरीके हो सकते हैं। साथ ही, मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का उपयोग कर महिलाओं को सामाजिक मुद्दों पर सोचने और उनकी स्थिति सुधारने के उपायों से परिचित कराया जा सकता है। सामुदायिक गतिविधियों में भागीदारी, स्वयं सहायता समूहों और नेतृत्व के अवसरों से महिलाओं की जागरूकता और सक्रियता बढ़ाई जा सकती है।

प्रश्न – समाज में जागरूकता के लिए कौनसे कदम उठाने चाहिए?

उत्तर – समाज में जागरूकता बढ़ाने के लिए सबसे पहले शिक्षा को सुलभ और गुणवत्तापूर्ण बनाना जरूरी है। स्कूलों और कॉलेजों में सामाजिक विषयों पर चर्चा, परियोजनाएं और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए। मीडिया, सोशल मीडिया और जनसंचार के अन्य माध्यमों का सकारात्मक उपयोग करके लोगों को सामाजिक मुद्दों से जोड़ा जा सकता है। सामाजिक संगठनों, एनजीओ और युवाओं की भागीदारी से समुदाय स्तर पर अभियान चलाए जा सकते हैं। स्वास्थ्य, स्वच्छता, लैंगिक समानता, पर्यावरण संरक्षण जैसे विषयों पर नियमित जागरूकता कार्यक्रमों की आवश्यकता है। साथ ही, संवाद और सहयोग को प्रोत्साहित कर समाज में जागरूकता की नींव मजबूत की जा सकती है।

प्रश्न – सामाजिक जागरूकता का कार्य किसका होता हैं?

उत्तर – सामाजिक जागरूकता का कार्य समाज के प्रत्येक जिम्मेदार नागरिक, सरकार, शैक्षणिक संस्थानों, मीडिया और सामाजिक संगठनों का होता है।

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